उत्पादन संबद्ध प्रोत्साहन (पीएलआई) योजनाओं में नवंबर, 2023 तक 1.03 लाख करोड़ रुपये से अधिक का निवेश हुआ

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अब तक 3 लाख करोड़ रुपये से अधिक के अनुमानित निवेश के साथ 14 क्षेत्रों में 746 आवेदन स्वीकृत किए गए हैं

केंद्रीय वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय द्वारा 17 जनवरी को जारी एक विज्ञप्ति के अनुसार उत्पादन संबद्ध प्रोत्साहन (पीएलआई) योजनाओं में नवंबर, 2023 तक 1.03 लाख करोड़ रुपये से अधिक का निवेश किया गया। इससे 8.61 लाख करोड़ रुपये के बराबर उत्पादन/बिक्री हुई है और 6.78 लाख से अधिक रोजगार उत्पन्न (प्रत्यक्ष व अप्रत्यक्ष) हुए। पीएलआई योजनाओं में विभिन्न क्षेत्रों के महत्वपूर्ण योगदान के साथ निर्यात 3.20 लाख करोड़ रुपये से अधिक हो गया है। इन क्षेत्रों में बृहद् इलेक्ट्रॉनिक्स विनिर्माण, औषध, खाद्य प्रसंस्करण और दूरसंचार व नेटवर्किंग उत्पाद शामिल हैं।

 पीएलआई योजनाओं से 8.61 लाख करोड़ रुपये के बराबर उत्पादन/बिक्री हुई और 6.78 लाख से अधिक रोजगार उत्पन्न हुए
 पीएलआई योजनाओं के तहत बृहद् इलेक्ट्रॉनिक्स विनिर्माण, औषध, खाद्य प्रसंस्करण और दूरसंचार व नेटवर्किंग उत्पादों के महत्वपूर्ण योगदान के साथ 3.20 लाख करोड़ रुपये से अधिक का निर्यात हुआ।

अब तक 3 लाख करोड़ रुपये से अधिक के अनुमानित निवेश के साथ 14 क्षेत्रों में 746 आवेदन स्वीकृत किए गए हैं। पीएलआई के लाभार्थियों में थोक औषधि, चिकित्सा उपकरण, औषध, दूरसंचार, सफेद सामान, खाद्य प्रसंस्करण, बड़े इलेक्ट्रॉनिक उत्पाद, वस्त्र और ड्रोन जैसे क्षेत्रों के 176 एमएसएमई हैं। कई एमएसएमई बड़ी कंपनियों के लिए निवेश भागीदार/अनुबंध निर्माता के रूप में काम कर रहे हैं।

8 क्षेत्रों के लिए पीएलआई योजनाओं के तहत लगभग 4,415 करोड़ रुपये की प्रोत्साहन धनराशि वितरित की गई। इनमें बृहद् इलेक्ट्रॉनिक्स विनिर्माण (एलएसईएम), आईटी हार्डवेयर, थोक औषधि, चिकित्सा उपकरण, औषध, दूरसंचार व नेटवर्किंग उत्पाद, खाद्य प्रसंस्करण और ड्रोन व इसके घटक शामिल हैं।

विभिन्न इलेक्ट्रॉनिक घटकों जैसेकि बैटरी, चार्जर, पीसीबीए, पीसीबी, कैमरा मॉड्यूल, निष्क्रिय घटक और कुछ यांत्रिकी के विनिर्माण को देश में स्थानीयकृत किया गया है। पीएलआई लाभार्थियों की बाजार हिस्सेदारी केवल लगभग 20 फीसदी है। हालांकि, उन्होंने वित्तीय वर्ष 2022-23 के दौरान मोबाइल फोन निर्यात में लगभग 82 फीसदी का योगदान दिया है। वहीं, वित्तीय वर्ष 2020-21 के बाद मोबाइल फोन के उत्पादन में 125 फीसदी से अधिक की बढ़ोतरी हुई है। साथ ही, मोबाइल फोन का निर्यात भी लगभग 4 गुना बढ़ गया है। एलएसईएम के लिए पीएलआई योजना की शुरुआत के बाद से प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) में लगभग 254 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है।

पीएलआई योजना के कारण औषधि क्षेत्र में कच्चे माल के आयात में काफी कमी आई है। भारत में पेनिसिलिन-जी सहित अद्वितीय मध्यवर्ती सामग्री और थोक दवाओं का विनिर्माण किया जा रहा है। इसके अलावा 39 चिकित्सा उपकरणों का उत्पादन शुरू किया गया है।

दूरसंचार क्षेत्र में 60 फीसदी का आयात प्रतिस्थापन प्राप्त किया गया है और वित्तीय वर्ष 2023-24 में पीएलआई लाभार्थी कंपनियों द्वारा दूरसंचार व नेटवर्किंग उत्पादों की बिक्री में आधार वर्ष (वित्त वर्ष 2019-20) की तुलना में 370 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है।

खाद्य प्रसंस्करण के लिए पीएलआई योजना के तहत देश में ही कच्चा माल प्राप्त करने में उल्लेखनीय बढ़ोतरी देखी गई है, जिससे भारतीय किसानों और एमएसएमई की आय पर सकारात्मक प्रभाव पड़ा है।

भारत के ‘आत्मनिर्भर’ बनने की सोच को ध्यान में रखते हुए भारत की विनिर्माण क्षमताओं और निर्यात को बढ़ाने के लिए 14 प्रमुख क्षेत्रों [1.97 लाख करोड़ रुपये (26 बिलियन अमेरिकी डॉलर से अधिक) के प्रोत्साहन परिव्यय के साथ] के लिए पीएलआई योजनाएं लागू की जा रही हैं।