भारत व भाजपा की आकांक्षा के प्रतीक नरेन्द्र मोदी

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डाॅ. आर. बालाशंकर

अपने तीन वर्ष के शासनकाल के बाद नरेन्द्र मोदी को भारत के महानतम प्रधानमंत्रियों में शुमार किया जा रहा है। राजनैतिक दृष्टिकोण और मोदी का करिश्मा कोई सानी नहीं रखता है, परन्तु उन्होंने अपना स्थान इतिहास में सुनिश्चित कर लिया है क्योंकि उन्होंने सामाजिक क्षेत्र का गहन कायाकल्प किया है और अर्थव्यवस्था एवं डिप्लोमेसी को सम्पूर्ण रूप से प्रबंधित किया है।

विपक्षी लापता हो गए हैं, आलोचकों की जुबान बंद हो गई है और ओपीनियन पोल के अनुसार मोदी वर्ष 2019 में आराम से जीत जाएंगे। यह आकर्षक यात्रा 2014 से शुरू होने के बाद आज तक चलती जा रही है कि मोदी के आलोचक भी बदतर भ्रामक अवस्था में अपनी राह ढूंढने में असमर्थ दिखाई पड़ते हैं।
श्री मोदी एक ऐसे राजनैतिक व्यक्तित्व के रूप में उभर कर सामने आए हैं कि जैसा कि इससे पहले कभी नहीं देखा गया है। इंदिरा गांधी, राजीव गांधी और वी.पी. सिंह जैसे लोकप्रिय नेताओं के पास पहले से ही भारी जनादेश था, फिर भी वे अपने अर्ध-कार्यकाल में ही चमक खो दिए। ध्यान रहे कि श्री मोदी वे प्रधानमंत्री बनने से पूर्व गुजरात के 12 वर्षों तक मुख्यमंत्री रहे थे। वह गुजरात में लगातार तीन बार मुख्यमंत्री के रूप में जीतते रहे और जब वे प्रधानमंत्री के लिए लड़े, तो उस राज्य ने लोकसभा में 26 सीटों में से 26 सीटें प्रदान की। तब से मोदी ने हर चुनाव जीता चाहे वह विधानसभा, उपचुनाव या पूरे देश में स्थानीय निकायों का चुनाव रहा हो, उसमें वे सफल रहे। बिहार और दिल्ली विधानसभा चुनाव केवल एक अपवाद रहा और पिछले महीने की कार्पोरेशन की विजयों ने इस लगभग उस पूर्व पराजय को शून्य बना कर रख दिया है। यह एक ऐसा कारनामा रहा है जो विगत में देश में किसी अन्य राजनीतिज्ञ ने नहीं दिखा पाया है।

श्री मोदी इस प्रकार की विजय के ‘शुभंकर’ सिद्ध हुए हैं जबकि श्री अमित शाह लड़ाई के अर्जुन सिद्ध हुए हैं। श्री मोदी की भारी लोकप्रियता ने बीजेपी को ऐसे राज्यों में भी सत्ता दिलाई, जहां कोई भी अपने बूते पर भाजपा शासन की उम्मीद नहीं कर सकता था। इसमें हरियाणा, महाराष्ट्र, झारखण्ड, जम्मू और कश्मीर, असम, मणिपुर, यूपी और अरूणाचल शामिल हैं। यह ऐसी राजनीतिक विजय है जिसने विपक्षियों को बुरी तरह से असफल बनाकर रख दिया और श्री मोदी हर तरह से सफल रहे हैं।

श्री मोदी ने किस प्रकार से यह राजनीतिक पूंजी बनाई, यह बात उनके विरोधियों और आलोचकों को भी समझ में नहीं आ पा रही है। मोदी ने अपनी विश्वसनियता दो नारों के आधार पर तैयार की जिसका श्रेय ‘गुड एकानॉमिक्स’ और ‘गुड पॉलिटिक्स’ को जाता है, जिसे गरीबों के प्रति कायाकल्प करने की वचनबद्धता से निर्माण किया गया है। इससे वे अन्य लोगों की तुलना में अलग किस्म के राजनीतिज्ञ दिखाई पड़ते हैं। इन तीन वर्षों में मोदी गरीबों के मसीहा बन गए हैं। ‘प्रधान सेवक’ की भूमिका में उनका वादा और राष्ट्रीय कोष के एक-एक पैसे के संरक्षक के रूप में उन्होंने लोगों के दिलों में जगह बनाई है।
इतने से थोड़े समय में कौन सा ऐसा कोई राजनीतिज्ञ रहा है जिसने 2 करोड़ परिवारों को नि:शुल्क कूकिंग गैस कनेक्शन प्रदान किए? विगत में किसी भी अन्य सरकार ने 35 करोड़ भारतीयों के बैंक एकाउंटधारियों को समर्थ बनाया और उनमें से अधिकांश को नि:शुल्क बीमा और बीमा आवरण प्रदान किया। पूरे देश में प्रधानमंत्री आवास ऋण योजना भारी हिट सिद्ध हुई। थोड़े से समय में ही साढ़े चार करोड़ शौचालयों का निर्माण हुआ और स्वच्छता एक लोकप्रिय राष्ट्रीय अभियान साबित हुआ। किसी भी अन्य सरकार ने इंफ्रास्टक्चर निर्माण के लिए चार लाख करोड़ का आवंटन नहीं किया। चाहे यह पोर्ट, ग्रामीण सड़कें, राजपथ, वाटरवेज या अन्य कोई कारगर कदम हो। इससे लाखों–लाखों दिलों के स्वप्न साकार हुए हैं।

श्री मोदी ने सफलतापूर्वक एक राजनीतिक एजेण्डा तैयार किया है। एक वर्ष की समाप्ति पर आज केरल सीपीएम सरकार ने जो विज्ञापन जारी किया है, वह मोदी सरकार की कार्ययोजना की तरह पढ़ा जा रहा हैं। यही नहीं श्री मोदी ने विकास की राजनीितक प्रतियागिता को बढ़ावा दिया है। मोदी ने राष्ट्रीय राजनीतिक की स्थिति को बदल दी है। जाति, धर्म, भाषा और प्रांतवाद जैसे भावनात्मक मुद्दों के स्थान पर राष्ट्रीय राजनीति की बात कही है। श्री मोदी ने निवेश और विकास को राजनीतिक बहस में ऊपर रखा है। श्री मोदी ने राजनीति के केन्द्रीय मंच पर अर्थशास्त्र को गहरा स्थान दिया है और अन्य पार्टियों को इस नए मानक को अपनाने के लिए मजबूर कर दिया है।

सर्जिकल स्ट्राइक और डिमॉनेटाइजेशन के लिए मोदी सरकार ने दो परिभाषात्मक पहल की हैं। पहली स्थिति ने पाकिस्तान को अपनी पोषित रणनीति को बाहर कर दिया है। आज पाकिस्तान अपने ही रूख से तबाह माना जाता है जिससे अमरीका ने सहायता में 60 प्रतिशत की कटौती कर दी है। अमरीकी राष्ट्रपति ने भारत को आतंकवाद का शिकार माना है। पिछले तीन वर्षों में श्री मोदी ने सभी प्रकार के आतंकी हमलों का सामना किया है और काश्मीर से सीमा पार झगड़ों के आतंक को सीमित रखा है जो कोई मामूली उपलब्धि नहीं कही जा सकती है।

नोटबंदी करके मोदी एक महान परिवर्तक के रूप में उभरे हैं और इस तरह अर्थशास्त्रियों और राजनीतिक आलोचकों को गलत साबित कर दिया है। पिछले छह महीनों में यह क्रांतिकाल न केवल लगभग पीड़ाहीन रहा है, बल्कि श्री मोदी के कथनानुसार कठिन परिश्रम ने ‘हार्वर्ड’ पर विजय प्राप्त की है। आज भारत 7.9 दर से बढ़ रहा है जबकि विश्व 3.1 प्रतिशत की रफ्तार से बढ़ रहा है। 28 वर्षों में पहली बार ‘मूडी’ ने चीन की रेिटंग घटाई है। आर्थिक मोर्चे पर भारत एक चमकता सितारा है। सेंसेक्स नई ऊंचाईयां छू रहा है, मुद्रास्फीति नीचे की ओर जा रही है और लैण्डिंग उभार पर है। श्री मोदी के ‘स्टार्ट अप’ और ‘मेक इन इंडिया मिशन नई तकनीक और निवेश ला रहे हैं, जिससे भारत की संभावनाएं एक मैन्युफैक्चरिंग हब की तरफ बढ़ रही है।

श्री मोदी के नेतृत्व में भाजपा सर्वथा उत्कृष्ट दिखाई पड़ी है। उनकी सरल जीवनशैली, राष्ट्रनिर्माण के प्रति नि:स्वार्थ भक्ति ने पार्टी के लिए इतनी अधिक राजनीतिक आस्था पैदा की है, जिसने अब तक के सर्वाधिक युवा और प्रतिभाशाली लोगों को आकर्षित किया है। अधिकांश पार्टी कार्यकर्ता मोदी को पार्टी विचारधारा का प्रतीक तथा लक्ष्य मानते हैं। पार्टी की तरह ही राष्ट्र श्री मोदी के नेतृत्व में एक कल्याणकारी दिशा की तरफ बढ़ रहा है।

(लेखक भाजपा राष्ट्रीय प्रकाशन विभाग के सदस्य हैं।)