‘नया संसद भवन एक नए, समृद्ध, मजबूत और विकसित भारत के निर्माण का आधार बनेगा’

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प्रधानमंत्री ने नया संसद भवन राष्ट्र को समर्पित किया

प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने 28 मई को विधिपूर्वक पूजा व हवन करने के बाद नवनिर्मित संसद भवन राष्ट्र को समर्पित किया। इससे पूर्व प्रधानमंत्री ने नवनिर्मित संसद भवन में पूर्व-पश्चिम दिशा की ओर मुख करके शीर्ष पर नंदी के साथ सेंगोल को स्थापित किया। उन्होंने दीप प्रज्वलित किया और सेंगोल को पुष्प अर्पित किए। इस अवसर पर श्री मोदी ने 75 रुपये का स्मारक सिक्का और डाक टिकट भी जारी किया

पस्थित जनसमूह को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने कहा कि प्रत्येक राष्ट्र के इतिहास में कुछ क्षण ऐसे होते हैं जो अमर होते हैं। कुछ तिथियां समय के चेहरे पर अमर हस्ताक्षर बन जाती हैं। प्रधानमंत्री ने कहा कि 28 मई, 2023 एक ऐसा ही दिन है। उन्होंने कहा कि भारत के लोगों ने अमृत महोत्सव के लिए खुद को उपहार दिया है। श्री मोदी ने इस गौरवशाली अवसर पर सभी को बधाई दी।

140 करोड़ भारतीयों की आकांक्षाओं और सपनों का प्रतिबिंब

प्रधानमंत्री श्री मोदी ने कहा कि यह केवल एक भवन नहीं है, बल्कि 140 करोड़ भारतवासियों की आकांक्षाओं और सपनों का प्रतिबिंब है। उन्होंने कहा कि ये विश्व को भारत के दृढ़ संकल्प का संदेश देता हमारे लोकतंत्र का मंदिर है। श्री मोदी ने कहा कि यह नया संसद भवन योजना को वास्तविकता से, नीति को कार्यान्वयन से, इच्छाशक्ति को निष्पादन से और संकल्प को सिद्धि से जोड़ता है। यह स्वतंत्रता सेनानियों के सपनों को साकार करने का माध्यम बनेगा। यह ‘आत्मनिर्भर भारत’ के सूर्योदय का साक्षी बनेगा और एक विकसित भारत का निर्माण होता देखेगा। प्रधानमंत्री ने कहा कि यह नया भवन प्राचीन और आधुनिक के सह-अस्तित्व का उदाहरण है।

श्री मोदी ने कहा कि नए मॉडल केवल नए मार्गों पर चलकर ही स्थापित किए जा सकते हैं। उन्होंने रेखांकित किया कि नया भारत नए लक्ष्यों को प्राप्त कर रहा है और नए पथ प्रशस्त कर रहा है। श्री मोदी ने कहा कि एक नई ऊर्जा, नया जोश, नया उत्साह, नई सोच और एक नई यात्रा है। नई दृष्टि, नई दिशाएं, नए संकल्प और एक नया विश्वास है। प्रधानमंत्री ने कहा कि विश्व भारत के संकल्प, उसके नागरिकों के उत्साह और भारत में मानव शक्ति के जीवन को सम्मान और आशा की दृष्टि से देख रहा है। उन्होंने कहा कि जब भारत आगे बढ़ता है, तो विश्व आगे बढ़ता है। श्री मोदी ने रेखांकित किया कि संसद का यह नया भवन भारत के विकास से विश्व के विकास का भी आह्वान करेगा।

प्रधानमंत्री ने पवित्र सेंगोल की स्थापना का उल्लेख करते हुए कहा कि महान चोल साम्राज्य में सेंगोल को सेवा कर्तव्य और राष्ट्र के पथ के प्रतीक के रूप में देखा जाता था। उन्होंने कहा कि राजाजी और अधीनम के मार्गदर्शन में यह सेंगोल सत्ता के हस्तांतरण का पवित्र प्रतीक बन गया। श्री मोदी ने एक बार फिर आज सुबह इस अवसर पर आशीर्वाद देने आए अधीनम संतों को नमन किया। उन्होंने कहा कि

यह हमारा सौभाग्य है कि हम इस पवित्र सेंगोल की गरिमा को बहाल कर सके। जब भी इस संसद भवन में कार्यवाही शुरू होगी, सेंगोल हम सभी को प्रेरणा देता रहेगा।

भारत लोकतंत्र की जननी

प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत एक लोकतांत्रिक राष्ट्र ही नहीं, बल्कि लोकतंत्र की जननी भी है। उन्होंने कहा कि राष्ट्र वैश्विक लोकतंत्र के लिए प्रमुख आधार है। श्री मोदी ने रेखांकित किया कि लोकतंत्र केवल एक प्रणाली नहीं है जो भारत में प्रचलित है, बल्कि यह एक संस्कृति, विचार और परंपरा है। वेदों का उल्लेख करते हुए प्रधानमंत्री ने रेखांकित किया कि यह हमें लोकतांत्रिक सभाओं और समितियों के सिद्धांतों का पाठ पढ़ाता है। उन्होंने महाभारत का भी उल्लेख किया जहां एक गणतंत्र का वर्णन किया गया है और कहा कि भारत ने वैशाली में गणतंत्र को जीया है और उसकी अनुभूति की है।

श्री मोदी ने कहा कि भगवान बसवेश्वर का अनुभव मंटप्पा हम सभी के लिए गर्व की बात है। तमिलनाडु में पाए गए 900 ईस्वी के शिलालेखों पर प्रकाश डालते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि यह आज के दिन और युग में भी सभी को आश्चर्यचकित करता है। श्री मोदी ने कहा कि हमारा लोकतंत्र ही हमारी प्रेरणा है, हमारा संविधान ही हमारा संकल्प है। उन्होंने कहा कि इस प्रेरणा, इस संकल्प की सबसे श्रेष्ठ प्रतिनिधि, हमारी ये संसद ही है।

एक श्लोक का वर्णन करते हुए श्री मोदी ने व्याख्या की कि भाग्य उन लोगों के लिए समाप्त हो जाता है जो आगे बढ़ना बंद कर देते हैं, लेकिन जो आगे बढ़ते रहते हैं उनका भाग्य निरंतर ऊंची उड़ान भरता रहता है।

प्रधानमंत्री ने कहा कि वर्षों की गुलामी और बहुत कुछ खोने के बाद भारत ने फिर से अपनी नई यात्रा शुरू की और अमृत काल में पहुंच गया। उन्होंने कहा कि अमृत काल हमारी धरोहर को संरक्षित करते हुए विकास के नए आयामों को गढ़ने का काल है। यह अमृत काल देश को नई दिशा देने वाला है। यह असंख्य आकांक्षाओं को पूरा करने वाला अमृत काल है। एक श्लोक के माध्यम से लोकतंत्र के लिए नए जीवनरक्त की आवश्यकता को रेखांकित करते हुए श्री मोदी ने इस बात पर जोर दिया कि लोकतंत्र का कार्यस्थल यानी संसद भी नई और आधुनिक होनी चाहिए।

आत्मविश्वास से भरा 21वीं सदी का भारत

प्रधानमंत्री श्री मोदी ने भारत की समृद्धि और वास्तुकला के स्वर्णिम काल का स्मरण किया। उन्होंने कहा कि सदियों की गुलामी ने हमारा यह गौरव छीन लिया। श्री मोदी ने कहा कि 21वीं सदी का भारत आत्मविश्वास से भरा है। उन्होंने कहा कि आज का भारत गुलामी की मानसिकता को पीछे छोड़कर कला के उस प्राचीन वैभव को अपना रहा है। यह नया संसद भवन इस प्रयास का जीता-जागता उदाहरण है। श्री मोदी ने कहा कि हम इस इमारत के कण-कण में ‘एक भारत श्रेष्ठ भारत’ की भावना का अवलोकन करते हैं।

प्रधानमंत्री ने पुराने संसद भवन में काम करने में सांसदों के सामने आने वाली कठिनाइयों की ओर इंगित किया और सदन में तकनीकी सुविधाओं की कमी और सीटों की कमी के कारण विद्यमान चुनौतियों का उदाहरण दिया। श्री मोदी ने कहा कि एक नई संसद की आवश्यकता पर दशकों से चर्चा की जा रही थी और यह समय की मांग थी कि एक नई संसद का विकास किया जाए। उन्होंने प्रसन्नता जताई की कि नया संसद भवन नवीनतम तकनीक से सुसज्जित है और सभा कक्ष भी सूरज की रोशनी से भरे-पूरे हैं।

नई संसद में श्रमिकों का योगदान अमर

नई संसद के निर्माण में योगदान देने वाले ‘श्रमिकों’ के साथ अपनी बातचीत का स्मरण करते हुए श्री मोदी ने बताया कि संसद के निर्माण के दौरान 60,000 श्रमिकों को रोजगार दिया गया था और उनके योगदान को रेखांकित करते हुए सदन में एक नई दीर्घा बनाई गई है। उन्होंने कहा कि यह पहली बार है कि नई संसद में श्रमिकों के योगदान को अमर कर दिया गया है।

पिछले 9 वर्षों की चर्चा करते हुए श्री मोदी ने कहा कि कोई भी विशेषज्ञ इन 9 वर्षों को पुनर्निर्माण और गरीब कल्याण के वर्षों के रूप में मानेगा। उन्होंने कहा कि नए भवन के लिए गर्व के क्षण में निर्धनों के लिए 4 करोड़ घरों के लिए भी उन्हें संतोष का अनुभव हुआ। इसी तरह श्री मोदी ने 11 करोड़ शौचालय, गांवों को जोड़ने के लिए 4 लाख किमी से अधिक सड़कों, 50 हजार से अधिक अमृत सरोवरों और 30 हजार से अधिक नए पंचायत भवनों जैसे कदमों पर संतोष व्यक्त किया। उन्होंने कहा कि पंचायत भवनों से लेकर संसद तक केवल एक प्रेरणा ने हमारा मार्गदर्शन किया और वो है राष्ट्र और उसके लोगों का विकास।

स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर लाल किले से राष्ट्र के नाम अपने संबोधन का स्मरण करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि प्रत्येक देश के इतिहास में एक समय आता है जब उस देश की चेतना जागृत होती है। उन्होंने रेखांकित किया कि स्वतंत्रता से 25 वर्ष पूर्व गांधीजी के असहयोग आंदोलन के दौरान भारत में ऐसा समय आया था, जिसने पूरे देश को एक विश्वास से भर दिया था। श्री मोदी ने कहा कि गांधीजी ने स्वराज के संकल्प से हर भारतीय को जोड़ा था। यह वह समय था जब हर भारतीय स्वतंत्रता के लिए लड़ रहा था। उन्होंने कहा कि इसका परिणाम 1947 में भारत की स्वतंत्रता थी।

श्री मोदी ने कहा कि आज़ादी का अमृत काल स्वतंत्र भारत में एक चरण है जिसकी तुलना ऐतिहासिक अवधि से की जा सकती है। उन्होंने कहा कि भारत अगले 25 वर्षों में अपनी स्वतंत्रता के 100 वर्ष पूरे करेगा जो कि ‘अमृत काल’ है। श्री मोदी ने इन 25 वर्षों में प्रत्येक नागरिक के योगदान से भारत को एक विकसित राष्ट्र बनाने की आवश्यकता पर बल दिया। उन्होंने कहा कि इतिहास गवाह है कि भारतीयों का विश्वास केवल राष्ट्र तक ही सीमित नहीं है। श्री मोदी ने कहा कि भारत के स्वतंत्रता संग्राम ने उस समय विश्व के कई देशों में एक नई चेतना जगाई थी।

उन्होंने कहा कि जब विविधताओं से भरा भारत जैसा देश, विभिन्न चुनौतियों से निपटने वाली विशाल आबादी वाला देश, एक विश्वास के साथ आगे बढ़ता है तो इससे विश्व के कई देशों को प्रेरणा मिलती है। आने वाले दिनों में भारत की हर उपलब्धि विश्व के विभिन्न हिस्सों में अलग-अलग देशों के लिए उपलब्धि बनने जा रही है। प्रधानमंत्री ने रेखांकित किया कि भारत की जिम्मेदारी अब बड़ी हो गई है, क्योंकि विकसित होने का इसका संकल्प कई अन्य देशों की शक्ति बन जाएगा।

प्रधानमंत्री ने नए संसद भवन का निर्माण करने वाले श्रमिकों को किया सम्मानित

प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने 28 मई को नई संसद का निर्माण करने वाले श्रमिकों से बातचीत की और उन्हें सम्मानित किया। श्रमिकों के योगदान को यादगार बनाने के उद्देश्य से नए संसद भवन में नई गैलरी बनाई गई है। श्री मोदी ने ट्वीट किया कि आज, हम अपनी संसद के नए भवन का उद्घाटन कर रहे हैं, हम श्रमिकों को उनके अथक समर्पण और शिल्प कौशल के लिए भी सम्मानित कर रहे हैं।

देश के विश्वास को सुदृढ़ करेगा नया संसद भवन

प्रधानमंत्री श्री मोदी ने कहा कि नया संसद भवन अपनी सफलता में देश के विश्वास को सुदृढ़ करेगा और सभी को एक विकसित भारत की ओर प्रेरित करेगा। उन्होंने कहा कि हमें राष्ट्र प्रथम की भावना के साथ आगे बढ़ना होगा। हमें कर्तव्य पथ को सर्वोपरि रखना होगा। हमें अपने आचरण में निरन्तर सुधार करते हुए एक उदाहरण बनना होगा। हमें अपने रास्तों का निर्माण खुद करना होगा।

श्री मोदी ने कहा कि नई संसद विश्व के सबसे बड़े लोकतंत्र को नई ऊर्जा और शक्ति देगी।

उन्होंने कहा कि हमारे श्रमजीवियों ने संसद को इतना भव्य बना दिया है, लेकिन अपने समर्पण से इसे दिव्य बनाने की जिम्मेदारी अब सांसदों की है। संसद के महत्व पर बल देते हुए श्री मोदी ने कहा कि यह 140 करोड़ भारतीयों का संकल्प है, जो संसद को पवित्र करता है। उन्होंने उम्मीद जताई कि यहां लिया गया हर निर्णय आने वाली सदियों की शोभा बढ़ाएगा और आने वाली पीढ़ियों को सुदृढ़ करेगा।

नया संसद भवन गरीबों के कल्याण के लिए समर्पित

प्रधानमंत्री ने रेखांकित किया कि निर्धनों, दलितों, पिछड़ों, जनजातीय, दिव्यांगों और समाज के हर वंचित परिवार के सशक्तीकरण का रास्ता वंचितों के विकास को प्राथमिकता देने के साथ-साथ इस संसद से होकर गुजरेगा। श्री मोदी ने कहा कि इस नए संसद भवन की हर ईंट, हर दीवार, हर कण गरीबों के कल्याण के लिए समर्पित होगा।

प्रधानमंत्री ने जोर देकर कहा कि अगले 25 वर्षों में इस नए संसद भवन में बनने वाले नए कानून भारत को एक विकसित राष्ट्र बनाएंगे, गरीबी को भारत से बाहर निकालने में मदद करेंगे और देश के युवाओं और महिलाओं के लिए नए अवसर सृजित करेंगे।

संबोधन का समापन करते हुए श्री मोदी ने विश्वास व्यक्त किया कि संसद का नया भवन एक नए, समृद्ध, मजबूत और विकसित भारत के निर्माण का आधार बनेगा। प्रधानमंत्री ने कहा कि यह एक ऐसा भारत है जो नीति, न्याय, सच्चाई, गरिमा और कर्तव्य के मार्ग पर चलता है और मजबूत बनता है।

इस अवसर पर लोकसभा अध्यक्ष श्री ओम बिरला और राज्य सभा के उपसभापति श्री हरिवंश नारायण सिंह सहित अन्य गणमान्य व्यक्ति भी उपस्थित थे।

प्रधानमंत्री मोदी ने जारी किया 75 रुपये का सिक्का

प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने 28 मई को नए संसद भवन के उद्घाटन पर 75 रुपये का सिक्का और डाक टिकट जारी किया। उन्होंने नए संसद भवन के लोकसभा कक्ष में आयोजित उद्घाटन समारोह में सिक्का और डाक टिकट जारी किया।

 

नवनिर्मित संसद भवन की मुख्य विशेषताएं

• त्रिभुजाकार में बना चार मंजिला नया संसद भवन का निर्मित क्षेत्र 64,500 वर्ग मीटर है। भवन के तीन मुख्य द्वार— ज्ञान द्वार, शक्ति द्वार और कर्म द्वार हैं।
•  नए संसद भवन में एक भव्य संविधान हॉल बनाया गया है, जिसमें भारत की प्राचीन संस्कृति, लोकतांत्रिक परंपराओं को प्रदर्शित किया गया है।
•  नई लोकसभा में 888 और राज्यसभा में 384 सीटों की व्यवस्था है। नए भवन में संयुक्त सत्र के लिए 1,272 सीटें होंगी।
•  लोकसभा की आंतरिक सज्जा की थीम राष्ट्रीय पक्षी मोर और राज्यसभा की थीम राष्ट्रीय फूल कमल पर आधारित है।
•  संसद परिसर में राष्ट्रीय वृक्ष बरगद है।
•  नया संसद भवन अत्याधुनिक सुविधाओं से लैस हैं। हर सांसद की सीट के आगे मल्टीमीडिया डिस्प्ले लगा हुआ है।
•  नए संसद भवन में थर्मल इमेजिंग सिस्टम और फेस रिकग्निशन सिस्टम वाले कैमरे लगाए गए हैं। नए संसद भवन को फूलप्रूफ साइबर सिस्टम से लैस किया गया है।
•  नए भवन में देश के विभिन्न हिस्सों की विशिष्टताओं को शामिल किया गया है।

 

नई दिल्ली में 28 मई, 2023 को नए संसद भवन के उद्घाटन समारोह के दौरान डाक टिकट जारी करते प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी, लोकसभा अध्यक्ष श्री ओम बिरला और राज्यसभा के उपसभापति श्री हरिवंश

पवित्र ‘सेंगोल’

सेंगोल को लोकतंत्र के मंदिर में उसका योग्य स्थान मिल रहा है: नरेन्द्र मोदी

ए संसद भवन में सेंगोल की स्थापना से पहले प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी को 27 मई को आदीनम् संतों ने आशीर्वाद दिया। प्रधानमंत्री ने कहा कि आजादी के समय सत्ता हस्तांतरण के प्रतीक को लेकर सवाल उठा था और इस संबंध में अलग-अलग परंपराएं थीं। उन्होंने कहा कि उस समय आदीनम् और राजाजी के मार्गदर्शन में हमें अपनी पवित्र प्राचीन तमिल संस्कृति से एक सौभाग्यशाली मार्ग मिला— सेंगोल के माध्यम से सत्ता हस्तांतरण का मार्ग। श्री मोदी ने कहा कि सेंगोल ने सदा व्यक्ति को ये याद दिलाया कि उसके ऊपर देश के कल्याण की जिम्मेदारी है और वह कर्तव्य पथ से कभी पीछे नहीं हटेगा।

प्रधानमंत्री ने विशेष रूप से राजाजी और अन्य विभिन्न आदीनम् संतों की दूरदर्शिता को नमन किया और उस सेंगोल पर प्रकाश डाला, जिसने सैकड़ों वर्षों की गुलामी के हर प्रतीक से आजाद होने की शुरुआत की थी। श्री मोदी ने रेखांकित किया कि यह सेंगोल ही था, जिसने स्वतंत्र भारत को गुलामी से पहले मौजूद रहे इस देश के कालखंड से जोड़ा और यही 1947 में देश के स्वतंत्र होने पर सत्ता हस्तांतरण का प्रतीक बना।

उन्होंने कहा कि सेंगोल का एक और महत्व यह है कि यह भारत के अतीत के गौरवशाली वर्षों और परंपराओं को स्वतंत्र भारत के भविष्य से जोड़ता है। प्रधानमंत्री ने दु:ख जताया कि पवित्र सेंगोल को वह सम्मान नहीं मिला, जिसका वह हकदार था और इसे प्रयागराज के आनंद भवन में ही छोड़ दिया गया, जहां इसे सहारा लेकर चलने वाली छड़ी की तरह प्रदर्शित किया गया। यह मौजूदा सरकार ही है जिसने सेंगोल को आनंद भवन से बाहर निकाला।

इसके साथ ही श्री मोदी ने कहा कि हमारे पास नए संसद भवन में सेंगोल की स्थापना के दौरान भारत की स्वतंत्रता के प्रथम पल को पुनर्जीवित करने का अवसर है। प्रधानमंत्री ने टिप्पणी की कि सेंगोल को लोकतंत्र के इस मंदिर में उसका उचित स्थान मिल रहा है। उन्होंने प्रसन्नता व्यक्त की कि भारत की महान परंपराओं के प्रतीक सेंगोल को नए संसद भवन में स्थापित किया जाएगा। उन्होंने टिप्पणी की कि सेंगोल हमें अपने कर्तव्य पथ पर निरंतर चलने और जनता के प्रति जवाबदेह रहने की याद दिलाता रहेगा।

 

पवित्र सेंगोल को पुनर्स्थापित करने के लिए मैं प्रधानमंत्रीजी को धन्यवाद देता हूं: जगत प्रकाश नड्डा

भाजपा राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री जगत प्रकाश नड्डा ने अपने ट्वीट संदेश में नए संसद भवन के उद्घाटन के ऐतिहासिक अवसर पर पवित्र सेंगोल स्थापित करने के प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के निर्णय की जमकर सराहना की।

श्री नड‌्डा ने ट्वीट कर कहा कि पवित्र सेंगोल राष्ट्रीय महत्व का है और ऐतिहासिक महत्व भी रखता है। यह पहली बार पं. जवाहरलाल नेहरू द्वारा 14 अगस्त, 1947 को श्री राजेंद्र प्रसाद जैसे नेताओं की उपस्थिति में विशेष रूप से तमिलनाडु से आए पुजारियों से प्राप्त किया गया था।

उन्होंने कहा कि पंडित नेहरू द्वारा राष्ट्रीय ध्वज फहराने से ठीक पहले शासक के लिए भगवान शिव के आशीर्वाद का आह्वान करने वाली थेवरम पाठ के 11 छंदों के साथ सेंगोल स्थापित करने की पवित्र तमिल परंपरा को निभाया गया। यह ब्रिटिश वायसराय लॉर्ड माउंटबेटन से भारतीय प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू को सत्ता हस्तांतरण का प्रतीक है। सेंगोल, शासन करने के लिए सर्वोच्च नैतिक अधिकार का प्रतिनिधित्व करता है। मैं प्रधानमंत्री को हमारे इतिहास के इस बहुत महत्वपूर्ण पहलू को वापस लाने के लिए धन्यवाद देता हूं कि एक विदेशी शासक से भारत के लोगों को सत्ता का हस्तांतरण प्रत्यक्ष नहीं, बल्कि एक आध्यात्मिक प्रक्रिया के माध्यम से हुआ था, जैसाकि प्राचीन भारत में जाना जाता है। यह उत्तर से दक्षिण तक भारत के भावनात्मक और आध्यात्मिक एकीकरण का प्रमाण है।

श्री नड‌्डा ने कहा कि भारत की आजादी की पूर्व संध्या पर हुए कार्यक्रम को याद करने के लिए ‘आजादी का अमृत महोत्सव’ से बेहतर कोई अवसर नहीं है और पवित्र सेंगोल के लिए नई संसद के पवित्र द्वार से बेहतर कोई जगह नहीं है।

पवित्र ‘सेंगोल’ अंग्रेजों से भारत को सत्ता के हस्तांतरण का प्रतीक है : अमित शाह

यह वही पवित्र सेंगोल है जिसे भारत के प्रथम प्रधानमंत्री श्री जवाहर लाल नेहरू ने 14 अगस्त, 1947 की रात को अपने आवास पर कई नेताओं की उपस्थिति में स्वीकार किया था। भारत की आजादी के उपलक्ष्य में हुए पूरे कार्यक्रम को याद करते हुए केंद्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री श्री अमित शाह ने कहा कि आज आजादी के 75 साल बाद भी अधिकांश भारत को इस घटना के बारे में जानकारी नहीं है।
श्री शाह ने कहा कि 14 अगस्त, 1947 की रात को वह एक विशेष अवसर था, जब जवाहर लाल नेहरू जी ने तमिलनाडु के थिरुवदुथुराई आधीनम (मठ) से विशेष रूप से पधारे आधीनमों (पुरोहितों) से सेंगोल ग्रहण किया था। पंडित नेहरू के साथ सेंगोल का निहित होना ठीक वही क्षण था, जब अंग्रेजों द्वारा भारतीयों के हाथों में सत्ता का हस्तांतरण किया गया था। हम जिसे स्वतंत्रता के रूप में मना रहे हैं, वह वास्तव में यही क्षण है।

केन्द्रीय गृह मंत्री ने आगे सेंगोल के बारे में विस्तार से बताया। सेंगोल का गहरा अर्थ होता है। ‘सेंगोल’ शब्द तमिल शब्द सेम्मई से लिया गया है, जिसका अर्थ है ‘नीतिपरायणता’। इसे तमिलनाडु के एक प्रमुख धार्मिक मठ के मुख्य आधीनम (पुरोहितों) का आशीर्वाद प्राप्त है। ‘न्याय’ के प्रेक्षक के रूप में अपनी अटल दृष्टि के साथ देखते हुए हाथ से उत्कीर्ण नंदी इसके शीर्ष पर विराजमान हैं।

श्री शाह ने कहा कि सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि सेंगोल को ग्रहण करने वाले व्यक्ति को न्यायपूर्ण और निष्पक्ष रूप से शासन करने का ‘आदेश’ (तमिल में ‘आणई’) होता है और यह बात सबसे अधिक ध्यान खींचने वाली है। लोगों की सेवा करने के लिए चुने गए लोगों को इसे कभी नहीं भूलना चाहिए।

उन्होंने कहा कि इस ऐतिहासिक ‘सेंगोल’ के लिए संसद भवन ही सबसे अधिक उपयुक्त और पवित्र स्थान है। ‘सेंगोल’ की स्थापना 15 अगस्त, 1947 की भावना को अविस्मरणीय बनाती है। यह असीम आशा, अनंत संभावनाओं और एक सशक्त और समृद्ध राष्ट्र के निर्माण का संकल्प है। यह अमृतकाल का प्रतिबिंब होगा, जो नए भारत को विश्व में अपने यथोचित स्थान को ग्रहण करने के गौरवशाली क्षण का साक्षी बनेगा।

केन्द्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री ने सेंगोल के बारे में विवरण और डाउनलोड करने योग्य वीडियो के साथ एक विशेष वेबसाइट https://sengol1947.ignca.gov.in को भी लॉन्च किया।