ग्रामीण चुनौतियों से निपटने हेतु प्रॉद्योगिकी ई. संजीवनी

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केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण राज्य मंत्री श्री अश्विनी कुमार चौबे ने आज लोक सभा मे कहा कि ई-संजीवनी ओपीडी (रोगी से चिकित्सक टैली-परामर्श सेवाएं) 25 राज्यों/संघ राज्य क्षेत्रों में आरंभ की गई है। ई-संजीवनी एचडब्ल्यूसी (चिकित्सक से चिकित्सक टैली-परामर्श सेवा) 20 राज्यों/ संघ राज्य क्षेत्रों में आरंभ की गई है।

1 फरवरी 2021 की स्थिति के अनुसार ई-संजीवनी (एचडब्ल्यूसी और ओपीडी) भी दो-धाराओं का उपयोग करते हुए, 18 लाख से अधिक परामर्श पूरे कर लिए गए हैं। इसका ब्यौरा अनुलग्नक ‘क’ पर संलग्न है।

निम्नलिखित दो प्रमुख संस्थाओं ने ई-संजीवनी ओपीडी पर विशेषज्ञता प्राप्त ओपीडी गठित कर दी गई है:

  1. अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) भठिंडा- ने (जैसे कि जनरल-मेडिसिन, आर्थोपीडिक्स, साइकिएट्री रेडिएशन आनकोलॉजी, जनरल सर्जरी, डर्मेटोलॉजी, पीडियाट्रिक सर्जरी, यूरोलॉजी, सर्जिकल ऑंकोलॉजी, डेंटल सर्जरी, ईएनटी, ऑफथेल्मोलोजी और गाइनेकोलॉजी) ई-संजीवनी ओपीडी पर विशेषज्ञता प्राप्त ओपीडी गठित की है।
  2. एम्स बीबीनगर ने विशेषज्ञता प्राप्त ओपीडी (जैसे जनरल सर्जरी, अर्थोपीडिक्स, पीडियाट्रिक्स  अफ्थालमोलोजी, कम्युनिटी और फैमिली मेडिसिन तथा गायनेकोलॉजी) गठित कर दी है।

ओपीडी परामर्श के लिए टेली-परामर्श के लिए टेली-परामर्श दिल्ली में प्रारंभिक रूप से 25.08.2020 से ई-संजीवनी ऐप के माध्यम से आरंभ कर दी है और तदनंतर 4 दिसंबर, 2020 से अन्य शहरों के लिए इसका विस्तार कर दिया गया है।

परामर्श सोमवार से शनिवार तक प्रातः 9:00 बजे से दोपहर 12:00 बजे तक उपलब्ध है और मेडिसिन आर्थोपेडिक नेत्र (आई), ईएनटी तथा साइकेट्रिक विशेषज्ञों से परामर्श उपलब्ध है।

स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय आयुष्मान भारत योजना के तहत स्वास्थ्य और आरोग्य केन्द्रों (एचडब्ल्यूसी) में 1.5 लाख एसएचसी तथा पीएचसी अंतरित कर रहा है। इस योजना की परिधि के तहत यह मंत्रालय मेडिकल कॉलेजों/ जिला अस्पतालों में स्थापित किए जा रहे केंद्रों से टेली-चिकित्सा सेवाओं के साथ स्वास्थ्य और आरोग्य केन्द्रों (एचडब्ल्यूसी) को सक्षम बनाने के लिए सूचना प्रौद्योगिकी के लाभों का उपयोग कर रहा है।

संसाधनों की उपलब्धता के अध्यधीन कार्यक्रम क्रियान्वयन योजना (पीआईपी) में राज्यों द्वारा प्रस्तुत की गई अपेक्षा के आधार पर ई-संजीवनी के क्रियान्वयन के लिए राज्यों की आगे सहायता करने के लिए एनएचएम के अंतर्गत राज्यों की सहायता की जा रही है।