वैज्ञानिकों को आवश्यकता आधारित और भविष्योन्मुखी दृष्टिकोण अपनाकर ग्रामीण और कृषि उन्मुख अनुसंधान करना चाहिए: नितिन गडकरी

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केंद्रीय सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने वैज्ञानिकों से आग्रह किया है कि देश और समाज को समृद्ध बनाने के लिए आवश्यकता-आधारित, क्षेत्रवार और साथ ही प्रौद्योगिकी, अनुसंधान और उद्यमिता से जुड़ी भविष्यवादी सोच को अपनाते हुए ग्रामीण और कृषि उन्मुख अनुसंधान करें। वह आज नागपुर में राष्ट्रीय पर्यावरण इंजीनियरिंग अनुसंधान संस्थान (एनईईआरआई) हॉल में भारतीय महिला वैज्ञानिक संघ की नागपुर शाखा द्वारा आयोजित वुमन इन साइंस एंड एंटरप्रेन्योरशिप डब्ल्यूआईएसई–2023 पर एक सेमिनार में मुख्य अतिथि के रूप में बोल रहे थे। इस अवसर पर नीरी के निदेशक डॉ. अतुल वैद्य, नागपुर मेडिकल कॉलेज की सेवानिवृत्त डीन डॉ. विभावरी दानी सहित कई गणमान्य व्यक्ति उपस्थित थे।

उन्होंने कहा कि सिद्ध तकनीक, कच्चे माल की उपलब्धता, आर्थिक व्यवहार्यता और विपणन क्षमता के अभाव में शोध का कोई मूल्य नहीं है। उन्होंने नागपुर में उपलब्ध फ्लाई ऐश, नाग नदी के पानी, कचरा और ठोस कचरे जैसे उपलब्ध संसाधनों पर शोध करने की आवश्यकता को रेखांकित किया।

उन्होंने बताया कि उत्तर भारत में पंजाब और हरियाणा भी चावल और गेहूं के साथ बायोबिटुमिन का उत्पादन कर रहे हैं और कृषि में में विविधता लाई जा रही है। उन्होंने सुझाव दिया कि नागपुर में वेकोली और अन्य सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियों के पास बंजर भूमि में बांस की खेती करके बायो-बिटुमिन का उत्पादन संभव है। उन्होंने कहा कि ऊर्जा के लिए कोयले के स्थान पर बांस का उपयोग करने से प्रदूषण कम होगा और पर्यावरण भी बचेगा। उन्होंने यह भी बताया कि उमरेड के पचगांव में बुटीबोरी एमआईडीसी में रेडीमेड गारमेंट इकाइयों से निकलने वाले कचरे का उपयोग टिकाऊ और सुंदर कालीन बनाने के लिए किया जाता है और 1200 महिलाओं को प्रशिक्षण दिया जा रहा है। उन्होंने रेखांकित किया कि इस प्रकार के कच्चे माल के मूल्यवर्धन और अच्छे डिजाइन और आकर्षक पैकेजिंग के साथ वैश्विक बाजार में इसकी मार्केटिंग करनी संभव है।

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उन्होंने कहा कि तकनीक के इस्तेमाल से निर्माण कार्य को कम किया गया है और बताया कि अब 1600 करोड़ रुपए की बजाए मात्र 1000 करोड़ रुपये में पुल का निर्माण संभव है। मलेशियाई तकनीक का प्रयोग कर फ्लाईओवर के दो खंभों के बीच की दूरी कम कर स्टील फाइबर में बीम ढलाई इंदौरा से दिघोरी पुल पर की गई जिसका शिलान्यास समारोह हाल ही में किया गया। इस मौके पर उन्होंने विशेष रूप से 600 करोड़ रुपए की बचत की ओर इशारा किया।

उन्होंने भारतीय महिला वैज्ञानिक संघ के सभी पदाधिकारियों से शोध में नए अवसरों का दोहन करने और वुमन इन साइंस एंड एंटरप्रेन्योरशिप-(डब्ल्यूआईएसई-2023) के अवसर पर सामाजिक और आर्थिक परिवर्तन में मदद करने की भी अपील की।

इस अवसर पर भारतीय महिला वैज्ञानिक संघ की पदाधिकारी, नीरी के वैज्ञानिक और छात्र-छात्राएं उपस्थित थे।