अर्जुन मुंडा ने राष्ट्रीय जनजातीय अनुसंधान संस्थान में ‘आदि-व्याख्यान’ कार्यक्रम का उद्घाटन किया

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राष्ट्रीय जनजातीय अनुसंधान संस्थान (एनटीआरआई) ने जन जातीय गौरव दिवस के सप्ताह भर चलने वाले समारोह के हिस्से के रूप में आज नई दिल्ली में राष्ट्रीय जनजातीय अनुसंधान संस्थान परिसर में भारत के विभिन्न राज्यों से भाग लेने वाले जनजातीय विचारकों, लेखकों और नेताओं के दृष्टिकोण से जनजातीय विकास पर एक सम्मेलन आदि-व्याख्यान का आयोजन किया।

केंद्रीय जनजातीय कार्य मंत्री श्री अर्जुन मुंडा ने राष्ट्रीय जनजातीय अनुसंधान संस्थान (एनटीआरआई) में मुख्य अतिथि के रूप में आदि-व्याख्यान कार्यक्रम का उद्घाटन किया। कार्यक्रम के दौरान केंद्रीय मंत्री महोदय ने जनजातीय पद्म पुरस्कार विजेता श्रीमती उषा बारले जी (पंडवानी गायिका), पद्मश्री प्रोफेसर जनम सिंह सोय, झारखंड (भाषा संरक्षक – हो) और प्रमुख आदिवासी उपलब्धि प्राप्तकर्ताओं को सम्मानित किया।

 

 

केंद्रीय मंत्री श्री अर्जुन मुंडा ने इस अवसर पर अपने संबोधन में कहा कि यह प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी का दृष्टिकोण है कि हम जनजातीय गौरव को चिह्नित करने के लिए प्रत्येक वर्ष 15 नवंबर को जन जातीय गौरव दिवस मना रहे हैं। श्री मुंडा ने कहा कि यह एक ऐतिहासिक अवसर है जिसने जनजातीय मुद्दों पर नए सिरे से ध्यान केन्द्रित किया है और यह देश में जनजातीय लोगों के भविष्य को नई दिशा देगा। उन्होंने कहा कि हालाँकि 15 नवंबर हमेशा जनजातीय लोगों के लिए एक महत्वपूर्ण दिन रहा है, लेकिन अब, प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में, इसने एक नई कहानी शुरू करने में सहायता की है और जनजातीय समुदाय के सर्वांगीण विकास और कल्याण के लिए पहल को नई गति प्रदान की है।

श्री अर्जुन मुंडा ने कहा कि आज का आदि-व्याख्यान बहुआयामी कार्यक्रम है जो जनजातीय विचारकों, नेताओं और लेखकों के दृष्टिकोण से जनजातीय जीवन, संस्कृति, भाषा और आजीविका के विभिन्न पहलुओं को देखता है। केंद्रीय मंत्री महोदय ने कहा कि एक तरफ यह एक अवसर का प्रतिनिधित्व करता है, दूसरी तरफ यह चर्चा करने और आगे का रास्ता तय करने की चुनौती भी प्रस्तुत करता है।

केंद्रीय मंत्री महोदय ने जनजातीय भाषाओं के बारे में बात करते हुए कहा कि जब नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति बनाई गई तो इस बात पर बल दिया गया कि स्थानीय क्षेत्रों में बोली जाने वाली जनजातीय भाषाओं और बोलियों को भी उचित स्थान दिया जाना चाहिए। इसके अनुसार, नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति में जनजातीय भाषाओं के संरक्षण और संवर्धन पर बल दिया गया है।

श्री अर्जुन मुंडा ने बताया कि हाल के वर्षों में सरकार द्वारा जनजातीय लोगों के लिए बहुत महत्वपूर्ण पहल शुरू की गई है, जिसमें हाल ही में 24000 करोड़ रुपये का विशेष रूप से कमजोर जनजातीय समूह (पीवीटीजी) मिशन, आदि आदर्श ग्राम योजना, सिकल सेल मिशन, 740 एकलव्य मॉडल स्कूलों की स्थापना शामिल है। उन्होंने कहा कि एक शीर्ष संस्थान के रूप में नई दिल्ली में राष्ट्रीय जनजातीय अनुसंधान संस्थान, अब जमीनी स्तर के शोध के आधार पर जंजातीय समुदायों के लिए यथार्थवादी नीति निर्माण के लिए सुझाव प्रदान करके इस निर्णय लेने को और अधिक गति देगा। केंद्रीय मंत्री महोदय ने कहा कि यह राज्यों में स्थित 27 जनजातीय अनुसंधान संस्थानों के कामकाज के लिए एक समग्र दृष्टिकोण भी प्रदान करेगा।

केंद्रीय मंत्री महोदय ने कार्यक्रम में उपस्थित बड़ी संख्या में जनजातीय प्रतिभागियों से आदिवासी कल्याण और विकास की योजनाओं का स्वामित्व लेकर और अंतिम व्यक्ति तक उनके लाभों की पहुंच सुनिश्चित करके भगवान बिरसा मुंडा और उनके द्वारा किए गए बलिदान पर गर्व करने का आह्वान किया।

जनजातीय कार्य मंत्री श्री अर्जुन मुंडा ने जनजातीय स्टालों का दौरा किया, जहां उन्होंने प्रदर्शनों में गहरी रुचि दिखाते हुए जनजातीय कारीगरों के साथ सक्रिय रूप से बातचीत की।

 

 

भारतीय लोक प्रशासन संस्थान (आईआईपीए) के महानिदेशक श्री सुरेंद्र नाथ त्रिपाठी ने विभिन्न विशिष्ट जनजातीय समुदायों और समृद्ध स्वदेशी इतिहास, सांस्कृतिक विरासत और कला के अध्ययन को आगे बढ़ाने में राष्ट्रीय जनजातीय अनुसंधान संस्थान (एनटीआरआई) के प्रयासों पर प्रकाश डाला।

जनजातीय कार्य मंत्रालय की अतिरिक्त सचिव सुश्री आर जया ने राष्ट्रीय जनजातीय अनुसंधान संस्थान (एनटीआरआई) और राज्य जनजातीय अनुसंधान संस्थान की भूमिका पर प्रकाश डाला। उन्होंने आदिवासी कला, संस्कृति और परंपराओं को बढ़ावा देने के लिए राष्ट्रीय जनजातीय अनुसंधान संस्थान (एनटीआरआई) द्वारा की गई पहल के बारे में भी बातचीत की और यह भी बताया कि कैसे आदिव्याख्यान जनजातीय प्रतिभाओं के साथ-साथ मुद्दों को भी सबसे आगे लाना चाहता है।

श्री अनिल कुमार झा, सचिव, जनजातीय कार्य मंत्रालय; श्री विभु नायर, विशेष कार्य अधिकारी, जनजातीय कार्य मंत्रालय; श्रीमती आर जया, अतिरिक्त सचिव, जनजातीय कार्य मंत्रालय और असित गोपाल, आयुक्त, एनईएसटी, मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारी और अन्य गणमान्य व्यक्ति भी इस अवसर पर उपस्थित थे। जनजातीय कलाकारों ने अपने जीवंत प्रदर्शन से दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया।