डॉ. जितेंद्र सिंह ने परियोजनाओं और कार्यक्रमों को प्रभावित किए बिना सरकारी विभागों में हिन्‍दी अपनाने की वकालत की

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केंद्रीय विज्ञान और प्रौद्योगिकी एवं पृथ्वी विज्ञान राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) और पीएमओ, कार्मिक, लोक शिकायत, पेंशन, परमाणु ऊर्जा और अंतरिक्ष राज्यमंत्री, डॉ. जितेंद्र सिंह ने सरकारी विभागों में इस बात को ध्यान में रखते हुए हिंदी अपनाने की वकालत की है कि इससे परियोजनाओं और कार्यक्रमों को नुकसान न पहुंचे और वे पिछड़ न जाएं। आज नई दिल्ली में अंतरिक्ष विभाग और परमाणु ऊर्जा विभाग की पुनर्गठित संयुक्त हिंदी परामर्शदात्री समिति की दूसरी बैठक की अध्यक्षता करते हुए, श्री सिंह ने कहा कि मोदी सरकार द्वारा पिछले नौ वर्षों में आधिकारिक संचार में हिंदी को बढ़ावा देने के लिए अनेक पहल की गई हैं।

उन्होंने कहा कि “हाल के दिनों में, प्रौद्योगिकी से संबंधित विषयों और यहां तक कि चिकित्सा शब्दावली में भी हिंदी शब्दकोश प्रकाशित किए गए हैं, लेकिन राष्ट्रमंडल में अंग्रेजी लागू करने वाले ब्रिटिश शासन के 200 वर्षों की विरासत को इतने अल्प समय में पूर्ववत करना संभव नहीं है, विशेष रूप से तब जबकि स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद लगभग छह दशकों तक भारतीय शब्दकोश को बढ़ावा देने के लिए लगभग कोई भी ईमानदार प्रयास नहीं किया गया।”

किसी भाषा की व्यापक स्वीकृति के लिए उसके लचीलेपन और अनुकूलता पर बल देते हुए, डॉ. जितेंद्र सिंह ने दृढ़ता और शाब्दिक अनुवाद के प्रति सचेत किया, जैसे कि “स्टील प्लांट” और “आउटरीच” जैसे शब्दों का अनुवाद करने समय एक गतिरोध का सामना करना पड़ता है।

उन्होंने कहा, “प्रत्येक भाषा के अपने शब्द होते हैं, जो उस क्षेत्र पर निर्भर करता है जिसमें वह प्रचलित है, इसलिए ऐसे शब्दों के लिए हमें समकक्ष शब्द खोजते समय दृढ़ होने के बदले उन शब्दों को अपनाने की आवश्यकता है।

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डॉ. जितेंद्र सिंह ने विभाग के अधिकारियों को निर्देश दिया कि वे सरकारी कार्यों में हिंदी को और बढ़ावा देने के लिए हिंदी परामर्शदात्री समिति के सदस्यों के नियमित संपर्क में रहें।

समिति के सदस्यों ने हिंदी का उपयोग करने पर अपने बहुमूल्य सुझाव भी दिए, जैसे कि नई बीज के किस्मों पर शब्दकोश शुरू करना और डीएई की उपयुक्त चित्रों के साथ कैंसर चिकित्सा, द्विभाषी कोड मैनुअल और अंतरिक्ष विज्ञान शब्दकोश के अलावा विभागों की अपडेट हिंदी वेबसाइट आदि। उन्होंने उच्च शिक्षण संस्थानों जैसे आईआईटी और तकनीकी संस्थानों में हिंदी को बढ़ावा देने का भी आह्वान किया।

सदस्यों ने छह बार राजभाषा पुरस्कार जीतने के लिए अंतरिक्ष विभाग की सराहना की जबकि डीएई ने 2021-22 के लिए दूसरा पुरस्कार प्राप्त किया।

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