पिछले आठ वर्षों के दौरान प्रधानमंत्री द्वारा शुरू किए गए शासन सुधार वास्तव में सामाजिक सुधार हैं

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केन्‍द्रीय विज्ञान और प्रौद्योगिकी; पृथ्वी विज्ञान; प्रधानमंत्री कार्यालय, कार्मिक, लोक शिकायत, पेंशन, परमाणु ऊर्जा और अंतरिक्ष राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) डॉ. जितेन्‍द्र सिंह ने आज यहां कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्‍द्र मोदी द्वारा पिछले आठ वर्षों के दौरान शुरू किए गए शासन सुधार वास्तव में सामाजिक सुधार हैं जिनका उद्देश्‍य आम आदमी के ‘जीवन को सुगम बनाना’ और आकांक्षी युवाओं को “समान अवसर” प्रदान करना हैं।

बेंगलुरु में शासन विषय पर डीएआरपीजी और कर्नाटक सरकार द्वारा आयोजित दो दिवसीय क्षेत्रीय सम्मेलन में समापन भाषण देते हुए, डॉ. जितेन्‍द्र सिंह ने कहा, मोदी के शासन मॉडल की पहचान उनकी लीक से हटकर निर्णय लेने की क्षमता, अतीत की पाबंदी को समाप्‍त करना और अपने साहस, दृढ़ विश्वास व ईमानदारी के दम पर सरकार के अभियान को जन अभियान में बदलने की क्षमता है।

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“नागरिकों, उद्यमियों और सरकार को सुशासन के करीब लाने” के बारे में सम्‍मेलन की विषय- वस्‍तु का जिक्र करते हुए डॉ. जितेन्‍द्र सिंह ने ऐसे अनेक सुधारों की सूची गिना दी जिनके व्‍यापक सामाजिक निहितार्थ थे। उन्‍होंने याद किया कि मई, 2014 में कार्यभार संभालने के तीन महीने के भीतर, प्रधानमंत्री ने राजपत्रित अधिकारियों द्वारा प्रमाणपत्रों का सत्यापन कराने की प्रक्रिया को समाप्त करने का सबसे क्रांतिकारी व अग्रणी निर्णय लिया और उसके स्‍थान पर स्व-सत्यापन को बढ़ावा दिया जिससे भारत के युवाओं में विश्वास पैदा हुआ। इसी तरह, नरेन्‍द्र मोदी ने 15 अगस्त 2015 को लाल किले की प्राचीर से स्वतंत्रता दिवस के संबोधन के दौरान साक्षात्कार को समाप्त करने का सुझाव दिया था और डीओपीटी ने इसे 1 जनवरी 2016 से लागू कर दिया जिससे सभी उम्मीदवारों के लिए समान अवसर का मार्ग प्रशस्‍त हुआ।

डॉ. जितेन्‍द्र सिंह ने कहा, सीपीजीआरएएमएस में शिकायतों की संख्या जो 2014 में प्रति वर्ष 2 लाख थी, वर्तमान में बढ़कर 25 लाख प्रति वर्ष हो गई है, जो सकारात्मक रूप से दर्शाती है कि यहां एक ऐसी सरकार है जो नागरिकों की शिकायतों को तुरंत सुनती है और उनका समाधान करती है। प्रधानमंत्री उत्‍कृष्‍टता पुरस्‍कार काफी हद तक अधिकारियों के प्रोफाइल के बजाय प्रमुख योजनाओं पर ध्‍यान केन्द्रित करते हैं जो 750 जिलों के बीच स्वस्थ प्रतिस्पर्धा को बढ़ावा देने वाला दूरगामी शासन संबंधी सुधार है।

डॉ. जितेन्‍द्र सिंह ने प्रतिनिधियों को सूचित किया कि इस वर्ष के अंत तक, डीओपीटी के तहत राष्ट्रीय भर्ती एजेंसी (एनआरए) गैर-राजपत्रित पदों पर भर्ती के लिए कंप्यूटर आधारित ऑनलाइन सामान्य पात्रता परीक्षा (सीईटी) आयोजित करने की तैयारी कर रही है। शुरुआत में परीक्षा 12 भाषाओं में आयोजित की जाएगी और धीरे-धीरे इसमें संविधान की 8वीं अनुसूची में उल्लिखित सभी 22 भाषाओं को शामिल किया जाएगा, जिससे कुछ दक्षिणी राज्यों की भाषा संबंधी पूर्वाग्रह की शिकायत दूर हो जाएगी ।

डॉ. जितेन्‍द्र सिंह ने कहा, न्यूनतम सरकार, अधिकतम शासन के प्रधानमंत्री के मंत्र का अर्थ है नागरिकों की अधिक भागीदारी, नवाचार, नवीनतम तकनीकों का उपयोग और पारदर्शिता। उन्होंने कहा, सभी शासन मॉडलों का अंतिम उद्देश्य अंतिम कतार में खड़े अंतिम व्यक्ति तक पहुंचना है ताकि वह आर्थिक दृष्टि से सशक्त बन सके। उन्होंने कहा कि एक-दूसरे की सर्वोत्तम कार्य प्रणालियों को अपनाने और उन्हें अपने-अपने सेक्‍टरों, क्षेत्रों और राज्यों में लागू करने का प्रयास करने की आवश्यकता है। उन्‍होंने जिक्र किया कि सरकार ने इसी तरह की समस्याओं वाले राज्यों को जोड़ा है ताकि वे समान मुद्दों से संबंधित अपनी विशेषज्ञता और अनुभव साझा कर सकें तथा एक दूसरे से सीखने के लिए सफलता की कहानियां भी साझा कर सकें।

डॉ. जितेन्‍द्र सिंह ने कहा, आकांक्षी जिलों के मॉडल के आधार पर, डीएआरपीजी ने जिला सुशासन सूचकांक की अनूठी अवधारणा पेश की है। उन्होंने कहा, जम्मू और कश्मीर पहला राज्य था जहां इस साल जनवरी में जिला सूचकांक जारी किया गया था, उसके बाद उत्तर प्रदेश और अब मध्‍य प्रदेश में इस पर काम चल रहा है। उन्होंने कहा, जिला सुशासन सूचकांक एक मील का पत्थर है और उम्मीद है कि यह राज्यों के सभी जिलों के प्रदर्शन के साक्ष्य-आधारित मूल्यांकन के लिए एक मजबूत ढांचा प्रदान करेगा। उन्‍होंने जनसमूह को सूचित किया कि अगले चरण में सूचकांक ब्लॉक और पंचायत स्तर की ओर बढ़ेगा।

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कर्नाटक सरकार के स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण और चिकित्सा शिक्षा मंत्री डॉ. के सुधाकर ने अपने संबोधन में कहा, राज्य में जन-केंद्रित शासन मॉडल को अपनाया जा रहा है। “जीवन को सुगम बनाने” की सफलता का जिक्र करते हुए, उन्‍होंने कहा कि अनुकूल बिजनेस इको-सिस्‍टम के कारण, 400 बेजोड़ एमएनसी ने कर्नाटक में इकाइयां स्‍थापित की हैं। डॉ. सुधाकर ने युवाओं और आम आदमी को सशक्त बनाने के लिए पहचान, प्रतिक्रिया और निवारण के आरआरआर मॉडल का भी उल्लेख किया।

डीएआरपीजी के सचिव, श्री वी. श्रीनिवास ने कहा, सम्मेलन केन्‍द्र, राज्य और जिला स्तर पर विभिन्न प्रशासनिक सुधारों के माध्यम से सरकार और नागरिकों को करीब लाने का एक प्रयास है। जिला स्तर पर रि-इंजीनियरिंग, ई-सेवाओं तक सार्वभौमिक पहुंच, डिजिटल पहल में उत्कृष्टता और उभरती प्रौद्योगिकियों को अपनाने एवं आईसीटी प्रबंधन के उपयोग में उत्कृष्टता को सरकारी प्रक्रिया में आवश्‍यक बनाते हुए “अधिकतम शासन, न्यूनतम सरकार” के नीतिगत उद्देश्य के साथ, अगली पीढ़ी के सुधारों और नवाचारों को आगे बढ़ाकर, डिजिटल प्रौद्योगिकी के उपयोग से यह अवसर दिया जा रहा है।

दो-दिवसीय आयोजन के दौरान, छह सत्रों में प्रस्तुतियां दी गईं: (i) प्रशासनिक सुधार; (ii) बाहरी दृष्टि: निजी क्षेत्र और सुशासन; (iii) सर्वोत्तम कार्य प्रणालियों की प्रतिकृति; (iv) राज्यों में प्रशासनिक सुधार; (v) न्‍यूनतम मानदंड शासन  और (vi) स्टार्ट-अप्स और सुशासन में प्रयोग।