वैक्सीन को लेकर विपक्ष के आरोप सरासर गलत और राजनीति द्वेष से प्रेरित हैं

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भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय प्रवक्ता डॉ संबित पात्रा ने आज एक प्रेस वार्ता को वर्चुअली संबोधित किया और विपक्ष द्वारा देश की जनता को गुमराह किये जा रहे कुछ विषयों पर तथ्यों के साथ मीडिया का ध्यान आकृष्ट किया। डॉ पात्रा ने कहा कि कुछ लोग ये प्रश्न उठा रहे हैं कि भारत ने लगभग 6.5 करोड़ टीके विदेश क्यों भेजे और अन्य मेडिकल कंपनियों को वैक्सीन की लाइसेंसिंग क्यों नहीं दी जा रही। साथ ही, अरविन्द केजरीवाल की पार्टी ने एक प्रश्न यह भी उठाया है कि उसे केंद्र की ओर से वैक्सीन नहीं दी जा रही। ये तीनों ही आरोप सरासर गलत हैं और सच्चाई से इनका कोई लेना-देना नहीं है। यह आरोप केवल राजनीति द्वेष की भावना से लगाये गए प्रतीत होते हैं।

डॉ पात्रा ने सबसे पहले विपक्ष के इस प्रश्न का जवाब दिया कि भारत ने कोविड के लगभग 6.5 करोड़ वैक्सीन देश के बाहर क्यों भेजे? उन्होंने कहा कि देश के बाहर जो कोविड वैक्सीन डोज भेजे गए हैं, वे दो कैटेगरी के तहत भेजे गए हैं। पहली कैटेगरी है ऐड अर्थात ग्रांट के रूप में और दूसरी कैटेगरी है कमर्शियल एवं लाइसेंसिंग लाइबिलिटी के रूप में। देश में कोई भी सरकार होती तो उसे इस लाइबिलिटी के तहत वैक्सीन की आपूर्ति करनी ही होती।

वैक्सीन ऐड: भाजपा प्रवक्ता ने कहा कि ऐड के तौर पर केवल 1.07 करोड़ कोविड वैक्सीन डोजेज ही अब तक दूसरे देशों को मदद के रूप में भेजी गई है। इसमें से 78.5 लाख वैक्सीन डोजेज हमने अपने सात पड़ोसी देशों को दिया है। उस स्थिति में जब यह वायरस किसी देश की सरहद और सीमाएं नहीं जानता और देश में वायरस के प्रकोप को बढ़ने से रोकने के लिए यह भी जरूरी हो कि हमारे आस-पास यह न फैले, तब अपने पड़ोसी देशों को इतनी छोटी मदद देने में किसी को कोई दिक्कत नहीं होनी चाहिए। यह केवल डिप्लोमेसी नहीं, एपिडेमिकोलोजी भी है। अपने देशवासियों को सुरक्षित रखने के लिए यह मदद कहीं से भी गलत नहीं ठहराया जा सकता। इसी ऐड कैटेगरी के तहत हमने दो लाख वैक्सीन डोज यूनाइटेड नेशन पीस कीपिंग फ़ोर्स को दिया है। आपको मालूम हो कि हमारे लगभग 6,600 जवान संयुक्त राष्ट्र की पीस कीपिंग के लिए काम करते हैं जो अलग-अलग देशों में शांति की स्थापना हेतु काम कर रहे हैं। अगर हमने कुछ वैक्सीन डोज संयुक्त राष्ट्र पीस कीपिंग फ़ोर्स को दिया तो इससे हम अपने जवानों को भी वैक्सीन के दो डोज उपलब्ध करा रहे हैं। क्या ये गलत है?

कमर्शियल एग्रीमेंट: डॉ पात्रा ने कहा कि विदेश भेजे गए कुल वैक्सीन का केवल 16% हमने ऐड अर्थात् ग्रांट के रूप में अपने पड़ोसी और दूसरे देशों को दिया है। बाकी 84% अर्थात् 5 करोड़ से अधिक वैक्सीन डोज कमर्शियल और लाइसेंसिंग लाइबिलिटी के तहत बाहर भेजे गए हैं। हमारे देश में वर्तमान में दो कंपनियां कोविड वैक्सीन बना रही हैं। एक है सीरम इन्स्टिट्यूट ऑफ़ इंडिया जो एस्ट्राजेनेका ऑक्सफोर्ड के सहयोग से कोवीशील्ड बना रही है और दूसरी है भारत बायोटेक जो कोवैक्सीन का निर्माण कर रही है। इन दोनों कंपनियों ने वैक्सीन के निर्माण के लिए पहले ही दूसरे देशों से रॉ मेटेरियल और एडवांस पेमेंट ली हुई थी ताकि वे समय से वैक्सीन का निर्माण कर सकें जिसके बदले में इनका उन देशों को कुछ वैक्सीन डोज भेजने का करार था। तो कमर्शियल लाइबिलिटी के तहत इन कंपनियों को कुछ वैक्सीन डोज अन्य देशों को पहले से तय करार के मुताबिक़ देना ही था।

डॉ पात्रा ने कहा कि इसके अतिरिक्त बाहर गए कुल वैक्सीन डोज का 12.5% कमर्शियल एडवांस के तौर पर सऊदी अरब को गया है। हम सब जानते हैं कि सऊदी अरब किस तरह भारत के साथ खड़ा रहा है और वहां भारतीय डायसपोरा अपने देश के लिए कितना कटिबद्ध है। सऊदी अरब में काफी संख्या में भारतीय रहते हैं और सऊदी अरब वहां रहने वाले सभी भारतीयों को भी मुफ्त में दोनों डोजेज लगा रही है। ऐसे में सऊदी अरब को भी जो वैक्सीन डोज भेजे गए, इसे गलत नहीं ठहराया जा सकता।

लाइसेंसिंग लाइबिलिटी: भाजपा प्रवक्ता ने कहा कि लाइसेंसिंग लाइबिलिटी के कारण भी सीरम इन्स्टिट्यूट ऑफ़ इंडिया को अपने कुछ वैक्सीन डोजेज बाहर भेजने पड़े। हम सब जानते हैं कि सीरम इन्स्टिट्यूट ऑफ़ इंडिया के पास कोवीशील्ड के निर्माण का अपना लाइसेंस नहीं है बल्कि उसे यह लाइसेंस एस्ट्राजेनेका ऑक्सफोर्ड से मिला हुआ है। विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने सभी देशों के सहयोग से एक कोवैक्स फैसिलिटी बनाई हुई है जिसके दुनिया के कई देश सदस्य हैं और उन्होंने कोविड से लड़ाई में सहयोग के लिए इस फैसिलिटी पर हस्ताक्षर किये हुए हैं। इसके तहत इसके सदस्य देश अफोर्डेबल प्राइस पर कोवैक्स फैसिलिटी को लाइसेंस व रॉ मेटेरियल के एवज में कुछ वैक्सीन डोज देने को बाध्य हैं। भारत को इसके तहत 30% वैक्सीन डोजेज कोवैक्स फैसिलिटी को देना पड़ा। कमर्शियल लाइबिलिटी के तहत 14% वैक्सीन डोज यूनाइटेड किंगडम को गया है क्योंकि कोवीशील्ड का लाइसेंस ऑक्सफोर्ड एस्ट्राजेनेका के पास है। 

भाजपा प्रवक्ता ने कहा कि ग्लोबल युग में कोई भी देश एक द्वीप के रूप में एक-दूसरे से कट कर नहीं रह सकता। इसलिए, विपक्ष द्वारा 6.5 करोड़ वैक्सीन डोज बाहर भेजने पर राजनीति समझ से परे है यह बस विरोध के लिए विरोध की विपक्ष की नीति को ही दर्शाता है।

वैक्सीन फ़ॉर्मूला: डॉ पात्रा ने दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और उप-मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया सहित कुछ नेताओं की कोविड वैक्सीन के फ़ॉर्मूला को सार्वजनिक करने की मांग पर जवाब देते हुए कहा कि सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ़ इंडिया के पास कोवीशील्ड का लाइसेंस है ही नहीं, इसलिए हम उसके फ़ॉर्मूला को चाह कर भी सार्वजनिक नहीं कर सकते। यह फ़ॉर्मूला तभी सार्वजनिक हो सकता है जब यूएन के सभी देश ट्रिप्स (TRIPS) वेव-ऑफ़ करने के लिए तैयार हो जाएँ। भारत, दक्षिण अफ्रीका के साथ शुरू से ही इस मुहिम में लगा हुआ है। हमने समाचार पत्रों में भी देखा है कि अमेरिका सहित कई देशों ने हमारी इस मांग का समर्थन भी किया है लेकिन अभी तक इस पर संयुक्त राष्ट्र की ओर से कोई निर्णय नहीं आया है।

भाजपा प्रवक्ता ने भारत बायोटेक की कोवैक्सीन के फ़ॉर्मूले को सार्वजानिक करने की बात पर बोलते हुए कहा कि भारत बायोटेक ने ICMR के साथ मिल कर कोवैक्सीन डेवलप किया है, इसलिए फ़ॉर्मूला डिक्लेयर किया जा सकता है। अब प्रश्न यह है कि ICMR और भारत बायोटेक ने किस तरह इस वैक्सीन को बनाया है। कोवैक्सीन डेवलप करने के लिए बायो सेफ्टी लेवल थ्री की जरूरत होती है जो केवल भारत बायोटेक और पेनेसिया (Panacea) के पास है। भारत सरकार ने दोनों कंपनियों को बैठा कर बात की है कि दोनों मिल कर कोवैक्सीन के प्रोडक्शन को बढ़ाएं। भारत बायोटेक और पेनेसिया में इस पर बात चल रही है और जल्द ही इस पर कोई निर्णय हो जाएगा। इसके साथ ही ICMR और भारत सरकार ने तीन-चार PSUs से भी वैक्सीन के निर्माण पर बात की है जिसमें हाफकिन बायो फार्मास्युटिकल कॉर्पोरेशन, इंडियन इम्युनोलॉजिकल लिमिटेड और भारत इम्युनोलॉजिकल्स एंड बायोलॉजिकल्स लिमिटेड प्रमुख हैं। इस पर काम शुरू हो चुका है।

डॉ पात्रा ने कुछ अखबारों में प्रकाशित ख़बरों का भी उल्लेख करते हुए कहा कि अखबारों में ICMR और भारत सरकार के सहयोग से कुछ कंपनियों को कोवैक्सीन बनाने की अनुमति देने की भी बात सामने आई है। इसलिए ऐसा बोलना कि भारत सरकार इस दिशा में कुछ नहीं कर रही, सरासर गलत है। जिस भी कंपनी के पास कोवैक्सीन डेवलप करने का इन्फ्रास्ट्रक्चर है, उससे ICMR और भारत सरकार पहले से काम कर रही है। लेकिन, अरविंद केजरीवाल सहित विपक्षी पार्टियों के कुछ नेता जिस तरह झूठ का भ्रमजाल फैलाए हुए हैं, यह सरासर निंदनीय है। भारत सरकार की सारी संस्थाएं दिन-रात काम कर रही हैं, स्वयं प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी हर चीज पर नजर बनाए हुए हैं लेकिन कुछ नेताओं के पास सिवाय झूठ फैलाने के, कोई काम नहीं रह गया है।

आम आदमी पार्टी पर हमला करते हुए भाजपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता ने कहा कि अरविंद केजरीवाल जी और मनीष सिसोदिया जी, वोट की राजनीति आप बाद में कर लेना लेकिन इस वक्त तो ओछी राजनीति न करें। अरविंद केजरीवाल जी को वैक्सीन का फ़ॉर्मूला नहीं चाहिए, उन्हें तो बस पॉलिटिकली रेलिवेंट बने रहने का फ़ॉर्मूला चाहिए।

दिल्ली सरकार का वैक्सीन डोज को लेकर झूठ: डॉ पात्रा ने आज दिल्ली के उप-मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया की प्रेस वार्ता के झूठ को उजागर करते हुए कहा कि मनीष सिसोदिया जी ने प्रेस वार्ता कर कहा कि हमने वैक्सीन का ऑर्डर प्लेस किया लेकिन किसी ने दिया नहीं और केंद्र ने भी केवल 3.5 लाख वैक्सीन डोज ही दिए हैं। मनीष सिसोदिया का यह बयान भी सच्चाई से कोसों दूर है। कल ही दिल्ली सरकार का जो कोविड वैक्सीनेशन बुलेटिन जारी हुआ है जिसमें बताया गया है कि 18 से 44 वर्ष वाले लोगों के लिए केंद्र की ओर से 5.50 लाख वैक्सीन की आपूर्ति हुई है और आज (11 मई) ही लगभग तीन लाख डोज और आ जायेगी। इसका मतलब, 8 लाख वैक्सीन डोज का हिसाब तो महज कल के दिल्ली सरकार के एक बुलेटिन से सामने आ गया है।

भाजपा प्रवक्ता ने कहा कि 26 अप्रैल को अरविंद केजरीवाल प्रेस वार्ता कर बताते हैं कि दिल्ली सरकार ने 1.34 करोड़ वैक्सीन डोज का ऑर्डर प्लेस कर दिया है जबकि दिल्ली सरकार द्वारा लिखे गए लेटर में ऑर्डर प्लेस करने की बात के बजाय ‘प्लानिंग टू प्रोक्योर’ का जिक्र है। अरविंद केजरीवाल जी और मनीष सिसोदिया जी को ‘प्लानिंग’ और ‘ऑर्डर’ के बीच का अंतर पता होना चाहिए।

भाजपा प्रवक्ता ने आज मनीष सिसोदिया द्वारा भारत बायोटेक के जवाबी लेटर दिखाए जाने पर कहा कि भारत बायोटेक का यह लेटर ही दिल्ली की केजरीवाल सरकार की पोल खोलने के लिए काफी है। इस लेटर से स्पष्ट है कि दिल्ली की केजरीवाल सरकार ने कोवैक्सीन को खरीदने की इच्छा 07 मई 2021 को जताई थी। ध्यान देने वाली बात यह है कि केजरीवाल सरकार ने काफी समय बाद महज कुछ दिन पहले 07 मई को भारत बायोटेक को लेटर लिखा जबकि यह ऑर्डर नहीं था बल्कि केजरीवाल सरकार द्वारा वैक्सीन को खरीदने की इच्छा जताई गई थी। वैक्सीन खरीद के लिए एडवांस पेमेंट किया जाता है, ऑर्डर प्लेस किया जाता है जो केजरीवाल सरकार ने अब तक नहीं किया।

डॉ पात्रा ने कहा कि खराब समय में परिवार में लड़ाई नहीं होनी चाहिए। केंद्र सरकार राज्यों को 50% वैक्सीन डोज पहले से ही फ्री ऑफ़ कॉस्ट दी जा रही है। जब टीकाकरण का अभियान हेल्थ वर्कर्स और फ्रंटलाइन वर्कर्स के लिए शुरू किया गया था तब तो केजरीवाल जी भी कहते थे कि टीके की कोई कमी नहीं है। आखिर क्यों केवल 60% हेल्थ वर्कर्स और 45% फ्रंटलाइन वर्कर्स को ही दूसरा डोज दिया गया। अभी भी दिल्ली हाईकोर्ट ने केजरीवाल सरकार को फटकार लगाई है कि कोविड फैसिलिटी बनाइये। मैं तो दिल्ली की केजरीवाल सरकार से इतना ही कहना चाहता हूँ कि चिट्ठी-चिट्ठी का खेला बंद कीजिये, झूठ की राजनीति बंद कीजिये और सहयोग का संस्कार सीखिए।