लोकतंत्र पर आयोजित शिखर सम्मेलन में प्रधानमंत्री का संबोधन

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प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने आज वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से लोकतंत्र पर आयोजित  शिखर सम्मेलन को संबोधित किया। इस शिखर सम्मेलन को पूरी दुनिया के लोकतंत्रों के लिए अनुभवों के आदान-प्रदान और एक-दूसरे से सीखने के लिए एक महत्वपूर्ण मंच बताते हुए,  प्रधानमंत्री ने लोकतंत्र के प्रति भारत की गहरी प्रतिबद्धता को दोहराते हुए कहा कि भारत में लोकतंत्र की एक प्राचीन और अटूट संस्कृति मौजूद है। यह भारतीय सभ्यता लोकतंत्र की जीवंत शक्ति भी रही है। उन्होंने यह भी कहा कि सर्वसम्मति निर्माण, खुला संवाद और स्वतंत्र विचार-विमर्श भारत के पूरे इतिहास में गूंजते रहे हैं। यही कारण है कि मेरे सभी साथी नागरिक भारत को लोकतंत्र की जननी मानते हैं।

प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि आज भारत न केवल अपने 1.4 बिलियन लोगों की आकांक्षाओं को पूरा कर रहा है, बल्कि विश्‍व को विश्‍वास भी उपलब्‍ध करा रहा है जिसे लोकतंत्र प्रदान करता है और सशक्त बनाता है। उन्होंने वैश्विक लोकतंत्र में भारत के योगदान के कुछ उदाहरणों का हवाला दिया, जिनमें महिलाओं के प्रतिनिधित्व के लिए विधायी उपाय, गरीबी उन्मूलन के प्रयास और कोविड-19 महामारी के दौरान अंतर्राष्ट्रीय सहायता उपलब्‍ध कराना शामिल हैं।

प्रधानमंत्री मोदी ने विश्‍व में लोकतंत्र के सामने आने वाली चुनौतियों से निपटने के लिए लोकतांत्रिक देशों के सामूहिक और सहयोगात्मक प्रयासों का आह्वान किया। उन्होंने अंतरराष्ट्रीय प्रणालियों और संस्थानों में समावेशिता, निष्पक्षता और सहभागी निर्णय लेने की आवश्यकता पर भी जोर दिया।

प्रधानमंत्री मोदी ने यह भी कहा कि अशांति और परिवर्तन के युग में, लोकतंत्र को कई चुनौतियों का सामना करना पड़ता है। इसके लिए हमें एक साथ मिलकर काम करने की आवश्यकता है। भारत इस प्रयास में सभी साथी लोकतंत्रों के साथ अपने अनुभव साझा करने के लिए तैयार है।