प्रधानमंत्री ने नागरिक-केंद्रित शासन देने के लिए प्रौद्योगिकी का सफलतापूर्वक उपयोग किया है: डॉ. जितेंद्र सिंह

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केंद्रीय मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने आज कहा कि प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने नागरिक-केंद्रित शासन प्रदान करने के लिए प्रौद्योगिकी का सफलतापूर्वक उपयोग किया है। उन्होंने कहा कि पिछले लगभग दस वर्षों में इसका समग्र प्रभाव एक नई कार्य संस्कृति के उद्भव के रूप में सामने आया है, जो भ्रष्टाचार पर अंकुश लगाने, पारदर्शिता बढ़ाने, शिकायतों का तुरंत समाधान करने और अंततः एक नागरिक को शासन में भागीदार बनने में सक्षम बनाने के लिए आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस सहित नवीनतम तकनीक का अधिकतम उपयोग करता है।

केंद्रीय राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी; पीएमओ, कार्मिक, लोक शिकायत, पेंशन, परमाणु ऊर्जा और अंतरिक्ष राज्य मंत्री, नई दिल्ली में भारतीय लोक प्रशासन संस्थान (आईआईपीए) द्वारा आयोजित ‘लोक प्रशासन और नागरिक केंद्रित शासन: प्राथमिकताएं, नीतियां और रणनीतियां’ पर राष्ट्रीय सम्मेलन को संबोधित कर रहे थे।

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डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा, पीएम मोदी की ‘अधिकतम शासन-न्यूनतम सरकार’ की नीति को नागरिकों के डिजिटल सशक्तिकरण द्वारा वास्तविकता में तब्दील किया गया है।

उन्होंने कहा, “अगर प्रधानमंत्री मोदी के तहत पिछले 9-10 वर्षों में प्रौद्योगिकी अब संपूर्ण शासन प्रक्रिया की पहचान है, तो सुशासन के इन घटकों में से प्रत्येक का उपयोग प्रौद्योगिकी के उपयोग के साथ बेहतर कामकाज के लिए किया गया है।”

डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा, भारत प्रौद्योगिकी की मदद से बिचौलियों को खत्म करने और लीकेज पर अंकुश लगाने के लिए प्रत्यक्ष लाभ अंतरण (डीबीटी) का उपयोग करने वाला पहला देश था। डीबीटी ने यह भी सुनिश्चित किया कि कोविड महामारी के चरम के दौरान भी किसानों और गरीब लोगों को सामाजिक कल्याण योजनाओं के लाभ से वंचित न किया जाए।

उन्होंने यह भी कहा कि प्रधानमंत्री मोदी द्वारा शुरू किए गए शासन सुधार केवल शासन तक ही सीमित नहीं हैं, उनका एक बड़ा सामाजिक-आर्थिक निहितार्थ भी है।

डॉ. जितेंद्र सिंह ने आगे कहा कि पीएम मोदी ने अपने कार्यकाल के पहले वर्ष के भीतर निचले पदों पर भर्ती के लिए साक्षात्कार को समाप्त कर दिया, जिससे मानवीय और प्रशासनिक इंटरफ़ेस को यथासंभव समाप्त कर दिया गया। इसी प्रकार, गैजेटेड अधिकारियों द्वारा दस्तावेजों के सत्यापन की प्रथा को समाप्त कर दिया गया।

उन्होंने कहा, “इसके अलावा, लगभग 2,000 अप्रचलित नियमों को खत्म कर दिया गया है जो नागरिकों की सुविधा के लिए हानिकारक साबित हो रहे थे।”

डॉ. जितेंद्र सिंह ने भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम, 1988 का जिक्र करते हुए कहा, मोदी सरकार ने 30 साल बाद 2018 में पहली बार रिश्वत देने वालों को दंडित करने के उद्देश्य से इसमें संशोधन किया।

डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा, एकीकृत सीपीजीआरएएमएस पोर्टल और पेंशन और पेंशनभोगी कल्याण विभाग द्वारा शुरू की जा रही फेस रिकग्निशन टेक्नोलॉजी में सेवाओं को बेहतर बनाने के लिए प्रौद्योगिकी एक महत्वपूर्ण उपकरण है।

डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा, आईआईपीए उत्प्रेरक होगा, जो आज के युवाओं को अमृत काल के दौरान भारत को विकसित भारत@2047 में बदलने के लिए वास्तुकार बनने के लिए तैयार करेगा।

ई-गवर्नेंस पर जोर देते हुए डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि इससे सरकार में कामकाज आसान, आर्थिक और पर्यावरण अनुकूल हो गया है।

डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि कर्मयोगी प्रारंभ मॉड्यूल को क्षमता निर्माण कार्यक्रम के हिस्से के रूप में सभी सरकारी कर्मचारियों के प्रेरण प्रशिक्षण का हिस्सा बनाया गया है।

डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा, आज के युवाओं को विकसित भारत @2047 का नागरिक होने का सौभाग्य मिलेगा।