पूर्वोत्तर दक्षिण-पूर्व एशिया के लिए हमारा प्रवेश द्वार है : नरेन्द्र मोदी

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पूर्वोत्तर परिषद् का स्वर्ण जयंती समारोह (शिलांग)

प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने 18 दिसंबर को शिलांग में पूर्वोत्तर परिषद् (एनईसी) की बैठक को संबोधित किया। यह बैठक पूर्वोत्तर परिषद् के स्वर्ण जयंती समारोह का प्रतीक है, जिसका औपचारिक उद्घाटन 1972 में हुआ था।

पूर्वोत्तर क्षेत्र के विकास में पूर्वोत्तर परिषद् के योगदान की सराहना करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि इसका यह स्वर्ण जयंती समारोह चल रहे आजादी का अमृत महोत्सव के साथ आयोजित किया जा रहा है।

श्री मोदी ने इस बात पर जोर दिया कि वे अक्सर क्षेत्र के 8 राज्यों को अष्ट लक्ष्मी के रूप में संदर्भित करते हैं। उन्होंने यह भी कहा कि सरकार को इसके विकास के लिए 8 आधार स्तंभों अर्थात— शांति, बिजली, पर्यटन, 5जी कनेक्टिविटी, संस्कृति, प्राकृतिक खेती, खेल की क्षमता पर काम करना चाहिए।
श्री मोदी ने कहा कि पूर्वोत्तर दक्षिण-पूर्व एशिया के लिए हमारा प्रवेश द्वार है और पूरे क्षेत्र के विकास का केंद्र बन सकता है। उन्होंने कहा कि इस क्षेत्र की इस संभावना को साकार करने के लिए भारतीय-म्यांमार-थाईलैंड त्रिपक्षीय राजमार्ग और अगरतला-अखौरा रेल परियोजना जैसी परियोजनाओं पर काम चल रहा है।

प्रधानमंत्री ने इस बात पर प्रकाश डाला कि सरकार ‘लुक ईस्ट’ नीति को ‘एक्ट ईस्ट’ में बदलने से आगे निकल गई है और अब इसकी नीति ‘एक्ट फास्ट फॉर नॉर्थ-ईस्ट’ और ‘एक्ट फर्स्ट फॉर नॉर्थ-ईस्ट’ है। उन्होंने कहा कि इस क्षेत्र में कई शांति समझौतों पर हस्ताक्षर किए गए हैं, अंतरराज्यीय सीमा समझौते किए गए हैं और उग्रवाद की घटनाओं में उल्लेखनीय कमी आई है।

मोदी सरकार में उत्तर-पूर्व शांति बहाली के साथ ही विकास के रास्ते पर अग्रसर हुआ है : अमित शाह

प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी व केंद्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री श्री अमित शाह ने 18 दिसंबर को मेघालय की राजधानी शिलांग में पूर्वोत्तर परिषद् के स्वर्ण जयंती समारोह में भाग लिया। इस मौके पर मेघालय के राज्यपाल ब्रिगेडियर (डॉ.) बी.डी. मिश्रा, मुख्यमंत्री कॉनराड संगमा एवं अन्य उत्तर-पूर्वी राज्यों के मुख्यमंत्रियों सहित अनेक गणमान्य व्यक्ति उपस्थित रहे।

केंद्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री श्री अमित शाह ने कहा कि प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी के कालखंड में ही 2019 में एनएलएफटी से समझौता, 2020 में ब्रू व बोड़ो समझौता, 2021 में कार्बी समझौता और असम-मेघालय व असम-अरुणाचल सीमा के विवाद भी लगभग समाप्त हो गए हैं और उत्तर-पूर्व शांति बहाली के साथ ही विकास के रास्ते पर अग्रसर हुआ है। इसका सबसे बड़ा उदाहरण यह है कि पहले उत्तर-पूर्व से AFSPA को हटाने के लिए डिमांड आती थी, अब डिमांड नहीं आती बल्कि भारत सरकार दो कदम आगे बढ़कर AFSPA हटाने के लिए इनीशिएटिव ले रही हैं।

उन्होंने कहा कि आज असम के 60% क्षेत्र, नागालैंड के 7 जिले, मणिपुर के 6 जिलों के 15 पुलिस स्टेशन और त्रिपुरा व मेघालय पूर्णतया अफस्पा मुक्त हुए हैं तो अरुणाचल में एक ही जिला अफस्पा मुक्त होने से बाकी बचा है।

केंद्रीय गृह मंत्री ने विश्वास जताया कि उत्तर-पूर्व के विकास के लिए मोदी जी ने NEC के सामने जो लक्ष्य रखें हैं, उन्हें NEC व उत्तर-पूर्व राज्यों के मुख्यमंत्री समय पर पूर्ण करने के लिए संकल्पित होकर कार्य करेंगे और नॉर्थ-ईस्ट को देश के अन्य हिस्सों की तरह विकसित, शांत, रोजगार युक्त क्षेत्र बनाने के लिए प्रयासरत रहेंगे।