हमारी परंपरा और संस्कृति का ‘मां’ गंगा से अटूट नाता : नरेन्द्र मोदी

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संयुक्त राष्ट्र संघ ने ‘नमामि गंगे’ मिशन को पारिस्थितिकी तंत्र (Ecosystem) को बहाल करने वाले दुनिया के शीर्ष 10 पहलों में शामिल किया है

प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने भारत के दुनिया की पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने, कोविड-19 रोधी टीकों की 220 करोड़ से अधिक खुराक देने, 400 खरब डॉलर के निर्यात के आंकड़े को छूने और ‘नमामि गंगे’ मिशन की सफलता जैसी उपलब्धियों का जिक्र करते हुए 25 दिसंबर को कहा कि वर्ष 2022 की इन विभिन्न सफलताओं ने आज पूरे विश्व में भारत के लिए एक विशेष स्थान कायम किया है।
आकाशवाणी के मासिक रेडियो कार्यक्रम ‘मन की बात’ की 96वीं और इस वर्ष की अंतिम कड़ी में अपने विचार साझा करते हुए प्रधानमंत्री ने भारत को जी-20 समूह की अध्यक्षता मिलने का उल्लेख किया और देशवासियों से इस आयोजन को एक ‘जन-आंदोलन’ बनाने का आह्वान किया।

‘गंगा जल’ हमारी जीवनधारा का अभिन्न हिस्सा

मन की बात के दौरान प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने कहा कि हमारी परंपरा और संस्कृति का ‘मां’ गंगा से अटूट नाता है। ‘गंगा जल’ हमारी जीवनधारा का अभिन्न हिस्सा रहा है और हमारे शास्त्रों में भी कहा गया है—

नमामि गंगे तव पाद पंकजं,
सुर असुरै: वन्दित दिव्य रूपम्।
भुक्तिम् च मुक्तिम् च ददासि नित्यम्,
भाव अनुसारेण सदा नराणाम्।।

अर्थात् हे ‘मां’ गंगा! आप, अपने भक्तों को उनके भाव के अनुरूप सांसारिक सुख, आनंद और मोक्ष प्रदान करती हैं। सभी आपके पवित्र चरणों का वंदन करते हैं। मैं भी आपके पवित्र चरणों में अपना प्रणाम अर्पित करता हूं। ऐसे में सदियों से कल-कल बहती ‘मां’ गंगा को स्वच्छ रखना हम सबकी बहुत बड़ी जिम्मेदारी है। इसी उद्देश्य के साथ आठ साल पहले हमने ‘नमामि गंगे अभियान’ की शुरुआत की थी।

उन्होंने कहा कि हम सभी के लिए यह गौरव की बात है कि भारत की इस पहल को आज दुनियाभर की सराहना मिल रही है। संयुक्त राष्ट्र संघ ने ‘नमामि गंगे’ मिशन को पारिस्थितिकी तंत्र (Ecosystem) को बहाल करने वाले दुनिया के शीर्ष 10 पहलों में शामिल किया है। ये और भी खुशी की बात है कि पूरे विश्व के 160 ऐसे पहलों में ‘नमामि गंगे’ को यह सम्मान मिला है।

स्वच्छता अभियान पर चर्चा करते हुए श्री मोदी ने कहा कि मुझे खुशी है कि ‘स्वच्छ भारत मिशन’ आज हर भारतीय के मन में रच-बस चुका है। साल 2014 में इस जन आंदोलन के शुरू होने के साथ ही इसे नयी ऊंचाइयों पर ले जाने के लिए लोगों ने कई अनूठे प्रयास किये हैं और ये प्रयास सिर्फ समाज के भीतर ही नहीं, बल्कि सरकार के भीतर भी हो रहे हैं।

प्रधानमंत्री ने कहा कि लगातार इन प्रयासों का परिणाम यह है— कूड़ा कचरा हटने के कारण, बिन जरुरी सामान हटने के कारण दफ्तरों में काफी जगह खुल जाती है, नया स्पेस मिल जाता है। पहले, जगह के अभाव में दूर-दूर किराये पर दफ्तर रखने पड़ते थे। इन दिनों ये साफ-सफाई के कारण इतनी जगह मिल रही है कि अब एक ही स्थान पर सारे दफ्तर बैठ रहें हैं।

देश में अपनी कला-संस्कृति को लेकर एक नई जागरूकता

श्री मोदी ने कहा कि हमारे देश में अपनी कला-संस्कृति को लेकर एक नई जागरूकता आ रही है, एक नई चेतना जागृत हो रही है। ‘मन की बात’ में हम अक्सर ऐसे उदाहरणों की चर्चा भी करते हैं, जैसे— कला, साहित्य और संस्कृति समाज की सामूहिक पूंजी होते हैं, वैसे ही इन्हें आगे बढ़ाने की जिम्मेदारी भी पूरे समाज की होती है।

पूर्व प्रधानमंत्री श्री अटल बिहारी वाजपेयी को श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए श्री मोदी ने कहा कि हम सभी के श्रद्धेय अटल बिहारी वाजपयी जी का जन्मदिन भी है। वे एक महान राजनेता थे, जिन्होनें देश को असाधारण नेतृत्व दिया। हर भारतवासी के ह्रदय में उनके लिए एक खास स्थान है।

साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि कल 26 दिसम्बर को ‘वीर बाल दिवस’ है और मुझे इस अवसर पर दिल्ली में साहिबजादा जोरावर सिंह जी और साहिबजादा फ़तेह सिंह जी की शहादत को समर्पित एक कार्यक्रम में शामिल होने का सौभाग्य मिलेगा। देश, साहिबजादे और माता गुजरी के बलिदान को हमेशा याद रखेगा।