संसद के दोनों सदनों ने 18 विधेयक को दी मंजूरी

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‘वस्तु और सेवा कर’ अधिनियम सर्वसम्मति से पारित

संसद का बजट सत्र 2017 अनेक दृष्टि से एेतिहासिक रहा। यह सत्र 31 जनवरी, 2017 को आरंभ हुआ तथा इसे 12 अप्रैल, 2017 को अनिश्चित काल के लिए स्थगित कर दिया गया। बजट सत्र कई मामलों में महत्त्वपूर्ण उपलब्धि वाला रहा। जैसे-केंद्रीय बजट का पहले प्रस्तुतीकरण और 31 मार्च तक नया वित्तीय वर्ष प्रारंभ होने से पहले सरकार के सभी वित्तीय कामकाज पूरे किए गए। वस्तु और सेवा कर (जीएसटी) के सभी सहायक अधिनियमों को पारित करना। एकीकृत बजट प्रस्तुत और पारित करना। दरअसल, ऐसा प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी और वित्त मंत्री श्री अरूण जेटली के विजनरी नेतृत्व और संसद के दोनों सदनों के सभी सदस्यों की भागीदारी से संभव हो सका। सार्वजनिक महत्व के विभिन्न विषयों पर सार्थक बहस हुई।

गौरतलब है कि भारत के विधायी इतिहास में पहली बार 31 मार्च तक अगला वित्त वर्ष प्रारंभ होने से पहले सरकार के सभी वित्तीय काम-काज पूरे कर लिये गए। यह काम अल्प अवधि में नहीं किया गया, बल्कि सामान्य चर्चा की गई। स्थायी समितियों ने विचार किया और कुछ मंत्रालयों पर चर्चा भी हुई। अतीत में वित्तीय कामकाज 31 मार्च के पहले पूरे किये जाते थे और उन वर्षों में या तो चुनाव होना होता था और अंतरिम बजट पेश किया जाता था या संसदीय समितियां अन्य मामलों की जांच करती थीं। यह एक बहुत बड़ा वित्तीय सुधार है और इससे विकास परियोजनाओं को चालू करने के लिए मंत्रालयों को पूरा धन उपलब्ध हुआ है। यह पहला मौका है जब बजट सत्र के दौरान लेखानुदान पारित किया गया।

बजट सत्र के पहले भाग में लोक सभा के 7 और राज्य सभा की 8 बैठकें हुई। सत्र के दूसरे हिस्से में लोक सभा की 22 और राज्य सभा की 21 बैठकें हुईं। पूरे सत्र के दौरान लोक सभा और राज्य सभा की 29-29 बैठकें हुई। लोकसभा में 113.27 प्रतिशत और राज्य सभा में 92.43 प्रतिशत कार्य हुए। बाधा के कारण लोकसभा में 8 घंटे और राज्य सभा में 18 घंटे का नुकसान हुआ और इसकी भरपाई लोक सभा की 19 घंटे की बैठक और राज्य सभा की 7 घंटों की अधिक बैठक से की गई।

वर्ष का पहला सत्र होने के कारण राष्ट्रपति ने 31 जनवरी, को संविधान के अनुच्छेद 87 (1) के अनुसार संसद के दोनों सदनों की संयुक्त बैठक को संबोधित किया और संसद सत्र आहुत करने के बारे में बताया। राष्ट्रपति के अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव रखा गया और इस चर्चा हुई। सत्र के पहले हिस्से में धन्यवाद प्रस्ताव दोनों सदनों द्वारा पारित किया गया। 9 फरवरी, 2017 को दोनों सदनों की बैठक छुट्टी के लिए 27 दिनों के लिए स्थगित की गई और दोनों सदनों की बैठक फिर 9 मार्च, 2017 को हुई, ताकि विभिन्न मंत्रालयों/विभागों से संबंधित अनुदान मांगों पर संबंधित स्थायी समितियां विचार कर सकें।
सत्र के पहले भाग में 1 फरवरी, 2017 को केंद्रीय बजट 2017-18 प्रस्तुत किया गया। इस बार आम बजट में रेल बजट को मिलाकर बजट प्रस्तुत हुआ। दोनों सदनों में बजट पर सामान्य चर्चा हुई। संसद सत्र के दूसरे भाग में संबंधित स्थायी समितियों की जांच और प्रस्तुतीकरण के बाद रेलवे, गृह, रक्षा तथा कृषि मंत्रालयों से संबंधित अनुदान मांगों पर चर्चा हुई और इन्हें बारी-बारी के लोक सभा में पारित किया गया। शेष मंत्रालयों/विभागों की अनुदान मांगों पर चर्चा नहीं हो पायी थी और उन्हें पारित करने के लिए सदन में रखा गया और मांगें 20 मार्च, 2017 को पास की गईं। संबंधित विनियोग विधेयक भी प्रस्तुत किया गया। इस पर विचार हुआ और पारित किया गया और बाद में इसे राज्य सभा ने वापस कर किया।

अनुपूरक अनुदान मांगों से संबंधित विनियोग विधेयक भी उसी दिन पेश किया गया, उस पर विचार किया गया और फिर पारित किया गया तथा इसके बाद राज्य सभा द्वारा वापस कर दिया गया। वित्त विधेयक, 2017 लोक सभा में 22 मार्च, 2017 को पारित हुआ और राज्य सभा ने 29 मार्च, 2017 को सिफारिशों के साथ इसे वापस कर दिया। लोक सभा ने 30 मार्च, 2017 को विधेयक में राज्य सभा द्वारा की गई सिफारिशों को खारिज कर दिया। राष्ट्रपति ने 31 मार्च, 2017 को वित्त विधेयक को अपनी स्वीकृति दे दी।

वर्ष 2016-17 के लिए अनुपूरक अनुदान मांगों और रेलवे से संबंधित वर्ष 2013-14 के लिए अतिरिक्त अनुदान मांगों पर भी लोक सभा में संबंधित विनियोग विधेयकों के साथ मतदान हुआ, जिन्हें बाद में राज्य सभा द्वारा वापस कर दिया गया। इस अवधि के दौरान केन्द्रीय बजट पर आम परिचर्चा पूरी हुई और इसके साथ ही राज्य सभा में रेल मंत्रालय के कामकाज पर चर्चाएं हुईं।

इस सत्र के दौरान अन्य बातों के अलावा एक खास बात यह रहीं कि चार ऐतिहासिक विधेयकों यथा- केन्द्रीय वस्तु एवं सेवा कर विधेयक 2017, एकीकृत वस्तु एवं सेवा कर विधेयक 2017, वस्तु एवं सेवा कर (राज्यों को क्षतिपूर्ति) विधेयक 2017 और केन्द्र शासित प्रदेश वस्तु एवं सेवा कर विधेयक 2017 को दोनों ही सदनों ने पारित कर दिया, जिससे देश भर में 01 जुलाई, 2017 से वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) लागू होने का मार्ग प्रशस्त हो गया।

इस सत्र के दौरान कुल मिलाकर 24 विधेयक (लोकसभा में 24) पेश किये गये। लोकसभा में 23 विधेयक पारित हुए और राज्य सभा में 14 विधेयक पारित हुए। सत्र के दौरान संसद के दोनों सदनों में कुल मिलाकर 18 विधेयक पारित हुए। सामाजिक क्षेत्र से जुड़े कुछ महत्वपूर्ण विधेयकों जैसे कि पारिश्रमिक का भुगतान (संशोधन) विधेयक 2017, मातृत्व लाभ (संशोधन) विधेयक 2017, मानसिक स्वास्थ्य देखभाल विधेयक 2017 और कर्मचारी क्षतिपूर्ति (संशोधन) विधेयक 2017 को भी इस सत्र के दौरान संसद के दोनों सदनों ने पारित कर दिया। शत्रु सम्पत्ति (संशोधन एवं वैधता) विधेयक 2017 को भी संसद के दोनों सदनों ने पारित कर दिया।

लोक सभा में नियम 193 के तहत सतत विकास के लक्ष्यों पर अल्पकालिक चर्चा हुई, जो अपूर्ण रही। राज्य सभा में नियम 176 के तहत इन दो विषयों पर अल्पकालिक चर्चा हुई: 1. चुनाव सुधार 2. आधार – इसका क्रियान्वयन एवं इसके निहितार्थ। राज्य सभा में एक ध्यानाकर्षण प्रस्ताव भी लाया गया, जो विशेष श्रेणी के दर्जे की अवधारणा जारी रखने की जरूरत पर विचार-विमर्श के लिए राष्ट्रीय विकास परिषद की बैठक आयोजित करने की आवश्यकता से संबंधित था।