प्रधानमंत्री मोदीजी ने श्रीलंका के पूर्वी प्रांत के विकास के लिए बहु-क्षेत्रीय पैकेज की घोषणा की

| Published on:

भारत-श्रीलंका आर्थिक और ऊर्जा संबंधों को बढ़ावा देने पर हुए सहमत

प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के निमंत्रण पर श्रीलंका के राष्ट्रपति श्री रानिल विक्रमसिंघे 21 जुलाई को भारत की आधिकारिक यात्रा पर आए। इस यात्रा के दौरान दोनों नेताओं ने आने वाले वर्षों में द्विपक्षीय संबंधों को और मजबूत करने के लिए एक साझा दृष्टिकोण पर सहमति व्यक्त की, जो विस्तारित कनेक्टिविटी और गहरी आर्थिक साझेदारी पर केंद्रित था। विस्तारित कनेक्टिविटी में विभिन्न आयामों को शामिल किया गया हैं, जिसमें समुद्री कनेक्टिविटी, हवाई कनेक्टिविटी, ऊर्जा कनेक्टिविटी, बिजली व्यापार और आर्थिक कनेक्टिविटी, वित्तीय कनेक्टिविटी, डिजिटल कनेक्टिविटी से लेकर नागरिकों की भागीदारी भी शामिल है।

प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी द्वारा प्रतिपादित ‘पड़ोसी देश प्रथम’ नीति के तहत दोनों पक्षों ने आर्थिक सहयोग के महत्वपूर्ण क्षेत्रों को कवर करने वाले विभिन्न दस्तावेजों को भी अंतिम रूप दिया। जिसमें पहला था नवीकरणीय ऊर्जा पर समझौता ज्ञापन। दूसरा त्रिंकोमाली से संबंधित है। दोनों पक्ष त्रिंकोमाली को नवीकरणीय ऊर्जा और आर्थिक सहयोग समेत उद्योग ऊर्जा के लिए एक क्षेत्रीय केंद्र के रूप में विकसित करने पर सहमत हुए। व्यापार और लोगों का आवागमन बढ़ाने के लिए तमिलनाडु के नागपट्टनम और श्रीलंका के कांके-संतुरई के बीच यात्री फेरी सेवा शुरू करने का निर्णय भी लिया गया।

भारत और श्रीलंका के सुरक्षा हित और विकास एक दूसरे से जुड़े हैं: नरेन्द्र मोदी

श्रीलंका के राष्ट्रपति की भारत यात्रा के दौरान प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने 21 जुलाई को प्रेस वक्तव्य में कहा कि पिछला एक वर्ष श्रीलंका के लोगों के लिए चुनौतियों से भरा रहा है। एक निकटतम मित्र होने के नाते, हमेशा की तरह, हम इस संकट के काल में भी श्रीलंका के लोगों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर खड़े रहे।

श्री मोदी ने कहा कि हमारे संबंध हमारी सभ्यताओं की तरह ही प्राचीन भी है और व्यापक भी हैं। भारत की ‘पड़ोसी देश पहले’ नीति और ‘सागर’ विज़न, दोनों में भी श्रीलंका का एक महत्वपूर्ण स्थान है। आज हमने द्विपक्षीय, क्षेत्रीय तथा अंतरराष्ट्रीय मुद्दों पर अपने विचार साझा किए।

उन्होंने कहा कि आज हमने हमारी आर्थिक साझेदारी के लिए एक दृष्टिपत्र (विजन डक्यूमेंट) अपनाया है। यह विज़न है— दोनों देशों के लोगों के बीच समुद्री, वायु, ऊर्जा और लोगों के आपसी संबंध को मजबूती देने का। यह विज़न है— पर्यटन, विद्युत, व्यापार, उच्च शिक्षा और कौशल विकास में आपसी सहयोग को गति देने का। यह विज़न है— श्रीलंका के प्रति भारत की दीर्घावधि प्रतिबद्धता का।

श्री मोदी ने कहा कि हमने तय किया है कि आर्थिक और प्रौद्योगिकी सहयोग समझौते पर शीघ्र ही बातचीत शुरू की जाएगी। इससे दोनों देशों के लिए व्यापार और आर्थिक सहयोग की नई संभावनाएं खुलेंगी। हम भारत और श्रीलंका के बीच हवाई कनेक्टिविटी बढ़ाने के लिए सहमत हैं।

उन्होंने कहा कि हमने तय किया है कि दोनों देशों के बीच बिजली ग्रिड को जोड़ने के काम को तेजी से आगे बढ़ाया जाएगा। भारत और श्रीलंका के बीच पेट्रोलियम पाइपलाइन के लिए संभावना अध्ययन किया जाएगा। इसके अलावा, एक सड़क पुल की संभावना को भी जांचने का निर्णय लिया गया। आज श्रीलंका में यूपीआई के शुभारंभ करने के लिए हुए समझौते से फिनटेक कनेक्टिविटी भी बढ़ेगी।

श्री मोदी ने कहा कि आज हमने मछुआरों की आजीविका से जुड़े मुद्दों पर भी चर्चा की। हम सहमत हैं कि हमें इस मामले में एक मानवीय दृष्टिकोण के साथ आगे बढ़ना चाहिए। हमने श्रीलंका में पुनर्निमाण और समन्वय पर भी बात की। राष्ट्रपति विक्रमसिन्घे ने अपने समावेशी दृष्टिकोण के बारे में मुझे बताया। हम आशा करते हैं कि श्रीलंका सरकार तमिलों की आकांक्षाओं को पूरा करेगी।

उन्होंने कहा कि यह वर्ष हमारे द्विपक्षीय संबंधों के लिए विशेष महत्त्व रखता है। हम अपने राजनयिक संबंधों की पचहत्तरवीं वर्षगांठ मना रहें हैं। साथ ही, भारतीय मूल का तमिल समुदाय श्रीलंका में अपने आगमन के 200 वर्ष पूरे कर रहा है। मुझे यह कहते हुए खुशी है कि इस अवसर पर श्रीलंका के भारतीय मूल के तमिल नागरिकों के लिए 75 करोड़ रुपये की लागत से विभिन्न परियोजनाएं कार्यान्वित की जाएंगी। इसके साथ-साथ, भारत श्रीलंका के उत्तरी और पूर्वी क्षेत्र में भी विकास कार्यक्रमों में योगदान देगा।