‘निराशा की राजनीति’ को झटका

| Published on:

जैसे–जैसे लोगों का कारवां ‘गुजरात गौरव सम्मेलन’ की ओर बढ़ता गया, वैसे ही वह एक जनसमुद्र में बदल गया। इस विशाल जनसमूह से गुजरात चुनावों का परिदृश्य बिल्कुल स्पष्ट हो गया। जो लोग भाजपा को थोड़ा–बहुत भी चुनौती देना चाहते थे, उन्हें इस सम्मेलन में एकत्रित हुए लोगों ने अपना निर्णय सुना दिया। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी में गुजरात ने जो अद्भुत विकास किया है, उसका उदाहरण आज पूरे विश्व में दिया जा रहा है। इसी प्रकार से हिमाचल प्रदेश में भी लोग भारी संख्या में भाजपा के समर्थन में उतर रहे हैं। ‘परफॉर्मेंस की राजनीति’ तथा विकास की चाह आज कांग्रेस की वंशवादी, वोट बैंक तथा जातिवादी राजनीति पर भारी पड़ रही है। लोग अब मानने लगे हैं कि विकास ही वह मंत्र है, जिससे देश आगे बढ़ सकता है और नई ऊंचाइयां प्राप्त कर सकता है। लोगों के असीम स्नेह एवं प्यार से नरेन्द्र मोदी निरंतर वह ऊर्जा प्राप्त कर रहे हैं, जिससे पूरे देश में विकास की लहर बहाने में वे सफल हो रहे हैं। यह उनकी दूरदृष्टि एवं कड़ी मेहनत का ही परिणाम है, जो आज देश उन स्वप्नों को साकार कर पा रहा है जो तीन वर्ष पहले देखना भी मुश्किल था। अभी कुछ ही वर्ष पूर्व कांग्रेस शासन में जो देश भ्रष्टाचार, कुशासन एवं ‘पॉलिसी पैरालिसिस’ से ग्रस्त था, नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में अद्भुत परिवर्तनों को देख रहा है।

कुछ समय पूर्व देश में अचानक कुछ लोग अर्थव्यवस्था के डूब जाने की भविष्यवाणी करने लगे। वास्तव में प्रधानमंत्री की राजनैतिक इच्छाशक्ति से जिस प्रकार के आर्थिक सुधार हुए, उससे कुछ लोगों की बढ़ती परेशानियों को समझा जा सकता है। जब जीएसटी को लागू करने की विशाल प्रक्रिया आरम्भ हुई तब इस महा–परिवर्तनकारी कदम में भी कुछ लोग आलोचना की संभावना तलाशने लगे। यह तो पहले से ही पता था कि इतने बड़े परिवर्तन से शुरुआती दिक्कतें आयेंगी और निरंतर इन दिक्कतों को आवश्यकतानुसार दूर कर सुव्यवस्थित करने की आवश्यकता पड़ेगी। यह तो एक व्यवस्था से दूसरी व्यवस्था की ओर जाने की एक स्वाभाविक प्रक्रिया है। आज स्थिति यह है कि जो लोग अर्थव्यवस्था के डूबने की बात कर रहे थे, पूरी दुनिया में इस कदम की प्रशंसा से रटी–रटायी बातों से अधिक कुछ कह पाने की स्थिति यें नहीं है। विश्व बैंक के अध्यक्ष जिम योंग किम ने जहां जीएसटी का भारतीय अर्थव्यवस्था पर सकारात्मक प्रभाव पड़ने की बात कही है, वहीं पिछली तिमाही में आर्थिक दर में आई कमी को जीएसटी लागू होने के कारण क्षणिक विक्षेप कहा है। लगभग ऐसी ही बात कहते हुए तथा भारतीय अर्थव्यवस्था के मजबूत आरोह की अपेक्षा करते हुए आइएमएफ प्रमुख क्रिस्टिन लेगार्ड ने कहा कि चूंकि बजट घाटा में कमी हुई है, मुद्रास्फीति नीचे है, इसलिए इस प्रकार के संरचनात्मक सुधारों से युवाओं को रोजगार मिलने की बड़ी संभावनाएं हैं। इसी प्रकार की आशा जताते हुए स्टानले मोर्गन ने कहा कि अगस्त में स्थिति सुधरने के साथ जीएसटी संबंधी दिक्कतें दूर होंगी। लगभग हर प्रकार के रिपोर्ट में भारतीय अर्थव्यवस्था को बहुत ही सकारात्मक ढंग से देखा जा रहा है तथा व्यापक सुधारों के लिए प्रशंसा ही रही है।

एक ओर आज जब नरेन्द्र मोदी एवं भाजपा–आशा, कड़ी मेहनत, राजनैतिक इच्छाशक्ति तथा भारत को नई ऊंचाइयों पर ले जाने की संकल्पशक्ति के प्रतीक है, वहीं दूसरी ओर ऐसे भी लोग हैं जो देश को झूठे प्रापेगेंडा और पथभ्रष्ट तरीके से निराशा में डूबोना चाहते हैं। ये वो लोग नहीं जो सार्थक आलोचना में विश्वास करते हैं बल्कि वे अपने क्षुद्र राजनैतिक स्वार्थ के लिए संदेह और संशय का वातावरण बनाना चाहते हैं। ये लोग यह नहीं समझ पा रहे कि निराशा की राजनीति का खेल जो ये खेल रहे हैं, उससे वे लगातार भारतीय राजनीति के हाशिए पर धकेले जा रहे हैं। आज भारत एक ऐसे राष्ट्र के रूप में उभर रहा है जो आत्मविश्वास से परिपूर्ण है तथा नरेन्द्र मोदी के करिश्माई नेतृत्व में विश्व के साथ कदम से कदम मिलाकर चलने को तैयार है। चुनाव–दर–चुनाव लोगों का भारी समर्थन भाजपा के पक्ष में और भी अधिक मजबूती से दिखाई पड़ रहा है। ऐसी स्थिति में गुजरात एवं हिमाचल प्रदेश में भी जनता कांग्रेस और इसके सहयोगियों को एक और कड़ा झटका देने को तैयार हैं।

   shivshakti@kamalsandesh.org