प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने आजादी के ‘अमृत काल’ में ‘पंच प्रण’ का किया आह्वान

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प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने अगले 25 साल की यात्रा को देश के लिए ‘अत्यंत महत्वपूर्ण’ करार दिया और इस ‘अमृत काल’ में विकसित भारत, गुलामी की हर सोच से मुक्ति, विरासत पर गर्व, एकता और एकजुटता व नागरिकों द्वारा अपने कर्तव्य पालन के ‘पंच प्रण’ का आह्वान किया। श्री मोदी ने कहा कि आजादी का 76वां स्वतंत्रता दिवस एक ऐतिहासिक दिन है और यह पुण्य पड़ाव, एक नयी राह, एक नए संकल्प और नए सामर्थ्य के साथ कदम बढ़ाने का शुभ अवसर है

देश के 76वें स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर लाल किले की प्राचीर से 15 अगस्त को राष्ट्र को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने विश्व भर में फैले हुए भारत प्रेमियों और भारतीयों को आजादी के अमृत महोत्सव की बधाई दी।

पारंपरिक कुर्ता और चूड़ीदार पायजामे के ऊपर नीले रंग का जैकेट तथा तिरंगे की धारियों वाला सफेद रंग का साफा पहने श्री मोदी ने कहा कि आज जब हम अमृत काल में प्रवेश कर रहे हैं, अगले 25 वर्ष हमारे देश के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है।

प्रधानमंत्री ने कहा कि जब वह 130 करोड़ देशवासियों के सपनों को देखते हैं और उनके संकल्पों की अनुभूति करते हैं तो आने वाले 25 साल के लिए देश को ‘पंच प्रण’ पर अपनी शक्ति, अपने संकल्पों और अपने सामर्थ्य को केंद्रित करना है।

उन्होंने कहा कि हमें पंच प्रण को लेकर 2047 तक चलना है। जब आजादी के 100 साल होंगे, आजादी के दीवानों के सारे सपने पूरा करने का जिम्मा उठा करके चलना है। श्री मोदी ने ‘विकसित भारत’ को पहला प्रण बताया और कहा कि इससे कुछ कम नहीं होना चाहिए।

गुलामी की हर सोच से मुक्ति पाने को उन्होंने दूसरा प्रण बताया और कहा कि गुलामी का एक भी अंश अगर अब भी है, तो उसको किसी भी हालत में बचने नहीं देना है। श्री मोदी ने कहा कि इस सोच ने कई विकृतियां पैदा कर रखी हैं, इसलिए गुलामी की सोच से मुक्ति पानी ही होगी।

प्रधानमंत्री ने विरासत पर गर्व करने को तीसरा प्रण बताया और कहा कि यही वह विरासत है जिसने भारत को स्वर्णिम काल दिया है। उन्होंने एकता और एकजुटता को चौथा प्रण और नागरिकों के कर्तव्य को पांचवां प्रण बताया।

जब संकल्प बड़े होते हैं तो पुरुषार्थ भी बहुत बड़ा होता है

श्री मोदी ने कहा कि जब सपने बड़े होते हैं…जब संकल्प बड़े होते हैं तो पुरुषार्थ भी बहुत बड़ा होता है। शक्ति भी बहुत बड़ी मात्रा में जुट जाती है। उन्होंने कहा कि आज जब अमृत काल की पहली प्रभात है, हमें इस 25 साल में विकसित भारत बनाकर ही रहना है। अपनी आंखों के सामने इसे करके दिखाना है।

उल्लेखनीय है कि भारत 1947 में आजाद हुआ और उसने 2022 में आजाद देश के रूप में 75 साल की यात्रा पूरी कर ली है। केंद्र सरकार ने अगले 25 साल के कालखंड को ‘अमृत काल’ का नाम दिया है।

श्री मोदी ने कहा कि आज विश्व भारत की तरफ गर्व से देख रहा है, उसे अपेक्षा से देख रहा है तथा समस्याओं का समाधान भारत की धरती पर खोजने लगा है। उन्होंने कहा कि विश्व की सोच में यह परिवर्तन भारत की 75 साल की यात्रा का परिणाम है।

उन्होंने कहा कि आज का यह दिवस ऐतिहासिक है। यह एक पुण्य पड़ाव, एक नयी राह, एक नए संकल्प और नए सामर्थ्य के साथ कदम बढ़ाने का शुभ अवसर है। प्रधानमंत्री ने भारत की विविधता की सराहना करते हुए यह भी कहा कि भले ही कभी-कभी प्रतिभाएं भाषा के बंधनों में बंध जाती हैं, लेकिन देशवासियों को देश की हर भाषा पर गर्व करना चाहिए।

उन्होंने कहा कि भारत में बहुत सारी भाषाएं हैं। कभी-कभी हमारी प्रतिभाएं भाषा के बंधनों में बंध जाती हैं, ये गुलामी की मानसिकता का परिणाम है। हमें हमारे देश की हर भाषा पर गर्व होना चाहिए। प्रधानमंत्री ने यह भी कहा कि भारत की विविधता का जश्न मनाने की जरूरत है।

भारत लोकतंत्र की जननी है

प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने कहा कि भारत लोकतंत्र की जननी है और विविधता इसकी ताकत है। उन्होंने कहा कि हमारे देश ने साबित कर दिखाया है कि हमारे पास हमारी विविधता से एक अंतर्निहित ताकत है और राष्ट्रभक्ति का धागा भारत को अटूट बनाता है।

प्रधानमंत्री ने आजादी के 75 साल पूरे होने के इस मौके पर आजादी के आंदोलन और स्वतंत्रता के बाद राष्ट्र निर्माण में योगदान देने के लिए राष्ट्रपिता महात्मा गांधी, पंडित जवाहर लाल नेहरू, सरदार वल्लभभाई पटेल, सुभाष चंद्र बोस, वीर सावरकर, जयप्रकाश नारायण और राम मनोहर लोहिया सहित कई अन्य स्वतंत्रता सेनानियों एवं महापुरुषों को याद किया तथा उन्हें नमन किया।

प्रधानमंत्री लाल किले पर एनसीसी कैडेट से मिले

प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने 15 अगस्त को स्वतंत्रता दिवस समारोह में लाल किले पर मौजूद एनसीसी कैडेट से संवाद किया। ये एनसीसी कैडेट लाल किले की प्राचीर के सामने भारत के भौगोलिक आकार का चित्रण करती हुई दीर्घा में बैठे थे।

श्री मोदी अपना भाषण पूरा करने के बाद ‘ज्ञान पथ’ दीर्घा की तरफ गए। उन्होंने वहां बैठे सभी एनसीसी कैडेट का अभिवादन किया और कुछ देर के लिए उनके साथ बातचीत की। कुछ कैडेट के साथ उन्होंने हाथ भी मिलाया।

ये कैडेट अपने अपने राज्य के पारंपरिक परिधान पहने हुए थे। गौरतलब है कि देश के विभिन्न स्कूलों से जुड़े कुल 792 कैडेट ने इस समारोह में हिस्सा लिया। ये लोग लाल किले की प्राचीर के सामने बनी ‘ज्ञान पथ’ दीर्घा में बैठे थे।