समेकित कृषि प्रणाली को प्रोत्साहन : राधामोहन सिंह

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   वर्ष 2022 तक किसानों की आमदनी दोगुनी

प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के वर्ष 2022 तक किसानों की आमदनी दोगुनी करने के दृष्टिकोण को सफल बनाने हेतु वैज्ञानिक ढंग से निरूपित एवं यथानुकूल समेकित कृषि प्रणाली (आईएफएस) को प्रोत्साहन दिया रहा है। यह जानकारी केन्द्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री श्री राधामोहन सिंह ने किसानों की सुनिश्चित आजीविका एवं आय में वृद्धि के लिए समन्वित कृषि प्रणाली के विषय पर 2 अगस्त को आयोजित एक बैठक में दी। बैठक में कृषि और किसान कल्याण मंत्रालय से संबंधित संसदीय सलाहकार समिति के सदस्य, सरकारी अधिकारी और भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आईसीएआर) के वैज्ञानिक शामिल हुए।

उन्होंने बताया कि समेकित कृषि प्रणाली को प्राकृतिक एवं उद्देश्यपूर्ण समेकित प्रणालियों में वर्गीकृत किया जा सकता हैं। प्राकृतिक समेकित कृषि किसानों द्वारा अपनाई जाने वाली वह पद्धति हैं, जिसमें प्रणाली के विभिन्न अवयवों/घटकों में प्रायः तालमेल नहीं होता हैं। अतः उद्देश्यपूर्ण समेकित कृषि प्रणाली के अंतर्गत बहुउद्देशीय जैसे उत्पादन में वृद्धि, लाभ, पुनर्चक्रण द्वारा लागत में कमी, पारिवारिक पोषण, टिकाऊपन, पारिस्थितिकीय सुरक्षा, रोजगार सृजन, आर्थिक क्षमता एवं सामाजिक समरसता का ख्याल रखा जाता हैं।

माननीय कृषि मंत्री ने कहा कि देश की विदेशों से आयातित खाद्यान्न पर निर्भरता खत्म करने हेतु अधिक उपज देने वाली प्रजातियों का विकास कर तथा उर्वरकों द्वारा उत्पादन बढ़ाकर देश के खाद्यान्न आवश्यकता की पूर्ति की गई, परन्तु बाद में उर्वरक उपयोग क्षमता कम होने के कारण उत्पादकता कम हुई, जिसके परिणाम स्वरूप किसानों की आमदनी घटती गई। उन्होंने बताया कि भारतीय संसद में प्रस्तुत वर्ष 2017-18 के आर्थिक सर्वेक्षण से पता चलता है कि पिछले 10 वर्षो की अवधि के दौरान किसानों की आय में फसलोत्पादन द्वारा वृद्धि का योगदान महज एक प्रतिशत रहा, जबकि पशुधन का योगदान सात प्रतिशत रहा।

श्री सिंह ने कहा कि भारत में खाद्य एवं पोषण सुरक्षा के दृष्टिकोण से लघु फार्म (2 हेक्टेयर क्षेत्रफल तक) का महत्वपूर्ण स्थान है। ऐसे में फसलों, बागवानी, पुष्पोत्पादन, सस्य-वानिकी तथा पशुपालन, दुग्ध व्यवसाय, कुक्कुट पालन, सुअर पालन, मत्स्य पालन एवं अन्य कृषि संबंधी उद्यम जिनमें कम जमीन की आवश्यकता पड़ती है, जैसे मशरूम उत्पादन, मधुमक्खी पालन, खेत के चारों तरफ वृक्षारोपण आदि को स्थान विशेष की आवश्यकता के अनुरूप समायोजित किया जा रहा हैं, जिससें सीमांत एवं लघु किसानों की आजीविका में सुधार हो सके।