राम मंदिर: मंदिर निर्माण के दौरान प्रधानमंत्री मोदी के सुझाव

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मोदी स्टोरी

भारत एक ऐतिहासिक घटना का गवाह बना जब अयोध्या में भव्य राम मंदिर के गर्भगृह में श्रीरामलला की प्राण-प्रतिष्ठा की गई। इस शुभ अवसर पर प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी भी उपस्थित रहे।

प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी राम मंदिर के हर पहलू से करीब से जुड़े रहे। श्रीराम मंदिर निर्माण शुरू होने के बाद से ही श्री मोदी ने इससे जुड़े विभिन्न पहलुओं पर अपने बहुमूल्य सुझाव दिये। हम उन कुछ सुझावों की बात कर रहे हैं, जो प्रधानमंत्री श्री मोदी ने श्रीराम मंदिर के निर्माण के दौरान दिए थे।

हजारों वर्षों तक कायम रहने वाला निर्माण

श्रीराम मंदिर सरयू नदी के तट पर स्थित है जिसकी भूमि रेतीली है। ऐसे में मंदिर की नींव को लेकर चर्चा हुई। श्री मोदी ने सुझाव दिया कि निर्माण ऐसा हो, जिससे हजारों वर्षों तक मंदिर की भूमि मजबूत बनी रहे। इस निर्माण में लोहे का उपयोग नहीं िकया गया क्योंकि इसकी आयु 100 वर्ष होती है, यहां तक कि सीमेंट की आयु भी केवल 250-300 वर्ष होती है। ऐसी स्थिति में प्रधानमंत्री श्री मोदी के मार्गदर्शन में तकनीकी समाधान खोजने के लिए विशेषज्ञों की एक समिति का गठन किया गया। इस समिति की सिफारिश के आधार पर यह निर्णय लिया गया कि नीचे सामग्री की कई परतें भरी जाएंगी और फिर राम मंदिर की नींव में ग्रेनाइट बेस का उपयोग किया जाएगा, ताकि यह मंदिर कम से कम हजार वर्षों तक टिका रह सके।

भारतीय मंदिर वास्तुकला शैलियों का प्रदर्शन

श्री मोदी का विचार था कि अयोध्या आने वाले भक्तों को भारत के सभी मंदिरों की विभिन्न वास्तुकला शैलियों की झलक मिल सके, इसलिए एक संग्रहालय को भी श्रीराम मंदिर योजना का हिस्सा बनाया गया।
रामनवमी पर सूर्य तिलक करें

श्री राम सूर्यवंशी थे, इसलिए प्रधानमंत्री ने श्रीराम मंदिर का निर्माण इस तरह से करने का सुझाव दिया कि रामनवमी के दिन सूर्य की किरणें रामलला को ‘सूर्य तिलक’ करें। प्रधानमंत्री श्री मोदी के सुझाव पर सीएसआईआर ने खोजबीन की और उन्हें सफलता मिली। अब हर रामनवमी पर श्रीरामलला को सूर्य की किरणें ‘सूर्य तिलक’ करेंगी।

सप्त मंडपम

श्री राम का जीवन सामाजिक समरसता का प्रतीक है और यह श्रीराम मंदिर में प्रतिबिंबित होना चाहिए। इस दिशा में प्रधानमंत्री ने उन सभी लोगों को प्रमुखता से महत्व देने का विचार प्रस्तावित किया जो श्री राम के जीवन का अभिन्न अंग थे। इसलिए वाल्मिकी, वशिष्ठ जैसे ऋषियों और शबरी, निषादराज, जटायु, अहिल्या और कई अन्य के लिए एक समर्पित स्थानों को मंदिर परिसर में ‘सप्त मंडपम’ के रूप में शामिल किया गया।

गर्भगृह की पवित्रता

प्रधानमंत्री श्री मोदी के विचारों को राम मंदिर के सभी पहलुओं को शामिल किया गया। उन्होंने श्रीराम मंदिर के गर्भगृह की पवित्रता के बारे में बात की। श्री रामजन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र के सदस्य स्वामी गोविंददेव गिरि याद करते हैं कि प्रधानमंत्री ने सोमनाथ मंदिर के प्रारूप को अपनाने का सुझाव दिया था, जहां केवल पुजारियों को गर्भ गृह के अंदर जाने की अनुमति है। यह गर्भ गृह की पवित्रता बनाए रखने में मदद करता है।

मंदिर निर्माण में समुदाय की भागीदारी

श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र के ट्रस्टी याद करते हैं कि प्रधानमंत्री श्री मोदी का हमेशा से यह विचार रहा है कि मंदिर के निर्माण में देश के सभी लोगों को शामिल किया जाना चाहिए। इस प्रकार, मंदिर का निर्माण देश भर के लोगों के योगदान से किया गया।

दिव्यांगों के लिए सुविधाएं

राम लला के दर्शन के लिए बड़ी संख्या में श्रद्धालु श्रीराम मंदिर पहुंचेंगे। ऐसे में श्रद्धालुओं, खासकर दिव्यांगों के लिए उचित व्यवस्था होनी चाहिए। उन्हें ज्यादा देर तक इंतजार न कराया जाए और रामलला के दर्शन की सुविधा दी जाए। यह विचार भी प्रधानमंत्री श्री मोदी ने श्रीराम मंदिर निर्माण की शुरुआत में प्रस्तावित किया था।