राम मंदिर: प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का संतों से विशेष आग्रह

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मोदी स्टोरी

गामी 22 जनवरी, 2024 को प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी अयोध्या में राम मंदिर का आधिकारिक उद्घाटन करेंगे। यह दिन राष्ट्र के 500 साल पुराने संघर्ष के अंत का प्रतीक होगा। सत्य और न्याय के लिए इस लंबी एवं कठिन लड़ाई को लड़ने के लिए साहस और दृढ़ संकल्प की आवश्यकता थी। यह रामलला के लिए लड़ाई थी।

इन संघर्षों के बीच, एक व्यक्ति ऐसा था जिसकी आस्था स्थिर थी, जो हमेशा मानता था कि राम मंदिर उसी स्थान पर बनाया जाएगा जहां भगवान राम का जन्म हुआ था। वह व्यक्ति थे श्री नरेन्द्र मोदी।
यह उस समय की बात है जब श्री रामजन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र के सदस्य 22 जनवरी को भव्य कार्यक्रम के लिए आमंत्रण देने के लिए प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के निवास पर आये थे। ट्रस्ट के सदस्य स्वामी गोविंद देव गिरि इस घटना का वर्णन करते हैं और इसे प्रधानमंत्री श्री मोदी की विनम्रता का एक श्रेष्ठ उदाहरण बताते हैं।

स्वामी गोविंद देव गिरि कहते हैं, “हमें मिलने के लिए शाम 5.15 बजे का समय दिया गया था और सभी को आश्चर्य हुआ कि प्रधानमंत्री श्री मोदी स्वयं ट्रस्ट के सदस्यों का स्वागत करने के लिए दरवाजे पर खड़े थे।”

दरवाजे पर अभिवादन के बाद ट्रस्ट के सदस्यों और श्री मोदी के बीच चर्चा शुरू हुई। हमने श्री नरेन्द्र मोदी को सूचित किया कि हम उन्हें 22 जनवरी, 2024 को राम मंदिर उद्घाटन के लिए आमंत्रित करने के लिए वहां आए हैं। हमने अपना यह विचार भी व्यक्त किया कि हमें कार्यक्रम के बारे में उनसे सुझाव की आवश्यकता है, लेकिन प्रधानमंत्री श्री मोदी ने कहा कि श्री रामजन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र इस कार्यक्रम का आयोजन कर रहा है और ट्रस्ट के सदस्य मुझे कार्यक्रम के लिए आमंत्रित करने आये हैं, इसलिए कार्यक्रम में आयोजित होने वाले कार्यक्रमों का फैसला संत ही करेंगे। स्वामी गोविंद देव गिरि ने कहा कि श्री मोदी ने यह भी कहा कि वह केवल संतों द्वारा दिए गए निर्देशों का पालन करेंगे।

स्वामी गोविंद देव गिरि ने आगे कहा “आम तौर पर हम ऐसी विनम्रता नहीं देखते हैं। लोग अपनी सुविधा के अनुसार सुझाव देते हैं, लेकिन श्री मोदी को राम मंदिर ट्रस्ट के निर्णय पर पूरा भरोसा था।”
स्वामी गोविंद देव गिरि कहते हैं कि देश की राजनीतिक व्यवस्था के शीर्ष पर बैठे व्यक्ति से संतों के प्रति इस तरह के सम्मान और इस तरह की विनम्रता की उम्मीद करना बहुत दुर्लभ है और यही कारण है कि प्रधानमंत्री श्री मोदी सभी के प्रिय हैं।

एक और पहलू है जिसका यहां जिक्र किया जाना चाहिए और वह यह है कि श्रीराम मंदिर को सामाजिक समावेशन का केंद्र बनाने के लिए प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी लगातार आग्रह करते रहे हैं।
स्वामी गोविंद देव गिरि कहते हैं, “एक बैठक में श्री मोदी ने सुझाव दिया कि महर्षि वाल्मिकी और वशिष्ठ, शबरी, निषादराज, जटायु, अहिल्या और अन्य श्रीराम के जीवन का अभिन्न अंग हैं और उन्हें राम मंदिर के भीतर जगह मिलनी चाहिए।”

स्वामी गोविंद देव गिरि कहते है कि प्रधानमंत्री श्री मोदी का यह दृष्टिकोण एक ऐसा विचार है जो देश को एकजुट करेगा, क्योंकि इसमें समाज का हर वर्ग शामिल है।

प्रधानमंत्री श्री मोदी राम मंदिर में दिव्यांग लोगों की पहुंच को लेकर बेहद संवेदनशील थे। उन्होंने एक ऐसी प्रणाली का सुझाव दिया था, जो ऐसे लोगों को मंदिर तक परेशानी मुक्त पहुंच प्रदान करेगी।
राम मंदिर के गर्भ गृह तक किसकी पहुंच होगी, यह एक और चिंता थी जो श्री मोदी ने उठाई थी। उन्होंने सोमनाथजी जैसी व्यवस्था बनाने का भी सुझाव दिया, जहां केवल पुजारियों को गर्भ गृह के अंदर जाने की अनुमति हो।

ये सभी सुझाव स्वयं श्री मोदी की ओर से आए थे।