‘हम सबको अंधेरे से उजाले की ओर ले जाने का माध्यम संस्कृत ही है’

| Published on:

भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री जगत प्रकाश नड्डा ने 7 मई, 2022 को अंबेडकर इंटरनेशनल सेंटर, नई दिल्ली में केंद्रीय संस्कृति विश्वविद्यालय के तत्वावधान में आयोजित उत्कर्ष महोत्सव का शुभारंभ किया। विदित हो कि संस्कृत के तीनों विश्वविद्यालयों- केंद्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय (नई दिल्ली), लाल बहादुर शास्त्री राष्ट्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय (नई दिल्ली) और राष्ट्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय (तिरुपति) की ओर से संयुक्त रूप से ‘उत्कर्ष महोत्सव’ का आयोजन किया गया। उत्कर्ष महोत्सव का मुख्य उद्देश्य संस्कृत भाषा का प्रचार-प्रसार और संवर्धन करना है, जिसकी विषय वस्तु ‘नए शैक्षिक युग में संस्कृत अध्ययन का वैश्विक उन्मुखीकरण’ रखी गई है। कार्यक्रम में केंद्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय (नई दिल्ली) के कुलपति प्रो. श्रीनिवास वरखेड़ी, नालंदा विश्वविद्यालय (नालंदा) के कुलाधिपति डॉ. विजय भाटकर, राष्ट्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय (तिरुपति) के कुलपति प्रो. राधाकांत ठाकुर, लाल बहादुर शास्त्री राष्ट्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय (नई दिल्ली) के कुलपति प्रो. मुरलीमनोहर पाठक, आर्थिक परामर्श परिषद् के अध्यक्ष श्री बिबेक देबरॉय और राष्ट्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय (तिरुपति) के कुलसचिव श्री चलावेंकटेश्वर भी उपस्थित थे।

जहां संस्कृत है, वहीं संस्कृति है और वही हमारी विचारधारा भी है। संस्कृति के साथ-साथ यह विकास का भी माध्यम है। संस्कृत देवभाषा और अमृत वाणी है

कार्यक्रम को संबोधित करते हुए श्री नड्डा ने कहा कि जहां संस्कृत है, वहीं संस्कृति है और वही हमारी विचारधारा भी है। संस्कृति के साथ-साथ यह विकास का भी माध्यम है। संस्कृत देवभाषा और अमृत वाणी है। हम सबको अंधेरे से उजाले की ओर ले जाने का माध्यम संस्कृत ही है। सबसे पुरानी पुस्तक ऋग्वेद भी संस्कृत में ही है। हम सब अपने इतिहास को अच्छे तरीके से जानते हैं। प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में केंद्र सरकार और भारतीय जनता पार्टी, संस्कृत और संस्कृति को आगे बढ़ाने के लिए कटिबद्ध भाव से काम कर रही है। हम संस्कृति का संरक्षण कर रहे हैं। भारत की पुरातन परंपरा और महान संस्कृति को अक्षुण्ण रखने के लिए प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में भारतीय जनता पार्टी प्रतिबद्ध है। संस्कृत के प्रचार-प्रसार के लिए श्री नरेन्द्र मोदी सरकार कोई कोर कसर नहीं छोड़ेगी। यह निश्चित रूप से संस्कृत और संस्कृति के संवर्धन के लिए सबसे अच्छा काल है। ऐसा काल सदैव बना रहे, यह आप सब की, हम सभी देशवासियों की जिम्मेवारी है।

श्री नड्डा ने कहा कि विदेशों में लोग कहते रहते हैं कि – गिव मी स्पेस, गिव मी स्पेस जबकि भारत में लोकल बसों और ट्रेन में देख लीजिये कि कैसे हजारों लोग एक साथ आत्मीय भाव से सफ़र करते हैं, मिलजुल कर चलते हैं। यही हमारी संस्कृति है जो 135 करोड़ देशवासियों को एक साथ जोड़े रखती है। सहनशीलता, सहिष्णुता, सबकी बातें सुनना, सत्य की खोज के लिए विपक्ष की बात भी गहराई से सुनना – यही हमारी संस्कृति की पहचान है। दूसरे पक्ष को रखने वाले लोग अपने ही समाज में मिलते हैं। यह है सोचने की संस्कृति का संचार। यही तो भारतीय संस्कृति की मूल अवधारणा है।

उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने केंद्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय (नई दिल्ली), लाल बहादुर शास्त्री राष्ट्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय (नई दिल्ली) और राष्ट्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय (तिरुपति), तीनों संस्कृत विश्वविद्यालयों को केंद्रीय विश्वविद्यालय का दर्जा दिया। यह हमारे प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी की प्रतिबद्धता को दर्शाती है। इन विश्वविद्यालयों को क्यों पहले केंद्रीय विश्वविद्यालय का दर्जा नहीं दिया गया? प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने हर मंच पर संस्कृत की महत्ता को स्थापित किया है। जब नीयत साफ़ हो तो नीति भी स्पष्ट होती है और उन नीतियों को जमीन पर लागू करने वाले आप जैसे मनीषी ही हैं।
श्री नड्डा ने कहा कि मैं आप सब को विश्वास दिलाता हूं कि प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी, उनके नेतृत्व में केंद्र की भारतीय जनता पार्टी सरकार, भाजपा और हम सब संस्कृत और संस्कृति के संरक्षण एवं संवर्धन के लिए कटिबद्ध हैं।