अंत्योदय के दर्शन से प्रेरित ‘स्टैंड-अप इंडिया’ योजना

| Published on:

स्टैंड अप इंडिया’ योजना को छह वर्ष पूरे हो चुके हैं। यह योजना मोदी सरकार की प्रमुख पहलों में से एक है, जिसका लक्ष्य समाज के हर तबके के लिए समृद्धि सुनिश्चित करना है। योजना के छह साल पूरे होने पर प्रधानमंत्री श्री मोदी ने इस पहल को भारत में आगे की प्रगति और समृद्धि के लिए उद्यमशीलता की भावना को प्रोत्साहित करने के लिए चल रहे प्रयासों का हिस्सा बताया। उन्होंने कहा, ‘भारत उद्यमशीलता की ऊर्जा से भरा हुआ है और ‘स्टैंड-अप इंडिया’ पहल इसी भावना को प्रोत्याहित कर प्रगति और समृद्धि को सुनिश्चित करने का प्रयास है।’

5 अप्रैल 2016 को इसकी शुरुआत के बाद से 1 लाख 33 हजार 995 से अधिक खाताधारकों को 30,160 करोड़ रुपये से अधिक राशि के ऋणों को मंजूरी दी जा चुकी है। कुल स्वीकृत ऋणों में से 6,435 से अधिक अनुसूचित जनजाति उधारकर्ताओं के हैं, जिसके लिए 1373.71 करोड़ रुपये स्वीकृत किये गये हैं। ऐसे ही 19,310 खाते अनुसूचित जनजाति उधारकर्ताओं के हैं, जिनको 3976.84 करोड़ रुपये स्वीकृत किये गये हैं। कुल 1,08,250 महिला उद्यमियों को 24809.89 करोड़ रुपये स्वीकृत किए गए हैं। इस योजना के तहत महिलाओं, अनुसूचित जातियों और अनुसूचित जनजातियों के लोगों को 10 लाख से एक करोड़ रुपये तक के ऋण दिये जाते हैं। ताजा उपलब्ध आंकड़ों के अनुसार योजनान्तर्गत 7 अप्रैल तक कुल स्वीकृत आवेदन की संख्या 1,35,057 तथा कुल स्वीकृत राशि 30395.78 करोड़ रुपये थी।

इस योजना का प्रमुख लक्ष्य समाज के वंचित वर्गों के बीच उद्यमशीलता को बढ़ावा देना और उन्हें नौकरी चाहने वालों के बजाय नौकरी देने वाला बनाना है। स्टैंड अप इंडिया का फोकस महिलाएं, अनुसूचित जाति (एससी) और अनुसूचित जनजाति (एसटी) हैं

यह योजना ‘अंत्योदय’ के दर्शन से प्रेरित है। अंत्योदय भारतीय जनता पार्टी का मूल मूलभूत दर्शन है। अंत्योदय के माध्यम से भाजपा सरकार समाज के गरीब से गरीब और वंचित वर्गों के उत्थान के लिए खुद को समर्पित कर रही है। इसलिए इस योजना का प्रमुख लक्ष्य समाज के वंचित वर्गों के बीच उद्यमशीलता को बढ़ावा देना और उन्हें नौकरी चाहने वालों के बजाय नौकरी देने वाला बनाना है। ‘स्टैंड अप इंडिया’ का फोकस महिलाएं, अनुसूचित जाति (एससी) और अनुसूचित जनजाति (एसटी) हैं। यह उन्हें अपना व्यवसाय शुरू करने में मदद करने के लिए 10 लाख रुपये से 1 करोड़ रुपये तक की वित्तीय सहायता की सुविधा देती है। यह वित्तीय सहायता विनिर्माण, सेवा क्षेत्र या व्यापार क्षेत्र के साथ-साथ कृषि से संबंधित क्षेत्रों में ग्रीनफील्ड उद्यमों (पहली बार परियोजनाओं/उद्यमों) के लिए उपलब्ध है। इस योजना के अनुसार प्रति बैंक शाखा कम से कम एक महिला को इस योजना का लाभ मिलना चाहिए।

इस योजना के तहत कर्ज गैर-व्यक्तिगत व्यवसायों को भी दिया जाता है। ऐसे मामलो में उद्यम के कम से कम 51 प्रतिशत शेयर अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति या महिलाओं के नाम होने चाहिए।
2021-22 के बजट में योजना के तहत ऋण प्राप्त करने के लिए मार्जिन मनी को परियोजना लागत के 25 प्रतिशत से घटाकर 15 प्रतिशत तक कर दिया गया है। इस घोषणा में कृषि से जुड़ी गतिविधियों को भी ऋण के लिए पात्र बनाया गया है। संबद्ध कृषि क्षेत्र में मत्स्य पालन, मधुमक्खी पालन, मुर्गी पालन, पशुधन, पालन, छंटाई, एकत्रीकरण कृषि उद्योग, डेयरी, मत्स्य पालन, खाद्य कृषि प्रसंस्करण आदि शामिल हैं। अनुसूचित बैंकों की 1,35,518 शाखाएं इस ‘स्टैंड-अप इंडिया’ योजना से जुड़ी हैं और इसके सपने को साकार करने में मदद कर रही हैं।

‘स्टैंड-अप इंडिया’ योजना पोर्टल ने ऐसे उद्यमियों की कहानियों को साझा किया, जिन्होंने योजना की मदद से खुद को उद्यमिता में उभरते सितारे के रूप में सूचीबद्ध किया। उदाहरण के लिए गृहिणी से उद्यमी बनीं श्रीमती मानसी देवी, जो धुबरी शहर की एक छोटी व्यवसायी हैं, ने एक नया व्यवसाय शुरू करने के बारे में सोचा। ‘स्टैंड-अप इंडिया’ योजना के तहत उन्हें 15 लाख रुपये की मदद मिली और जिससे उन्होंने धुबरी टाउन में स्टील फेब्रिकेशन की फैक्ट्री लगाई और वह वर्तमान में 15 लोगों को प्रत्यक्ष रोजगार प्रदान कर रही है। उनका दैनिक कारोबार 5000 से 7000 रुपये तक है, जिसमें प्रतिदिन लगभग 3-4 ऑर्डर आते हैं। हमारे समाज में वंचित पृष्ठभूमि के उद्यमियों की संपर्क जानकारी के साथ पोर्टल पर ऐसी कई कहानियां प्रकाशित की गई हैं जो ‘आत्मनिर्भर भारत अभियान’ को प्रोत्साहित कर रही हैं।