सर्वाइकल कैंसर की रोकथाम के लिए भारत में स्वदेशी रूप से विकसित हुआ ‘सर्वावैक’ टीका

| Published on:

सर्वाइकल कैंसर भारत में दूसरा सबसे अधिक होने वाला कैंसर है और यह बड़े पैमाने पर
रोकथाम योग्य होने के बावजूद विश्व में सर्वाइकल कैंसर से होने वाली मौतों का लगभग एक-चौथाई हिस्सा है

केंद्रीय विज्ञान और प्रौद्योगिकी राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार), पृथ्वी विज्ञान राज्य मंत्री (स्वतंत्र विज्ञान), प्रधानमंत्री कार्यालय, कार्मिक, लोक शिकायत, पेंशन, परमाणु ऊर्जा और अंतरिक्ष राज्य मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने एक सितंबर को सर्वाइकल कैंसर की रोकथाम के लिए भारत के पहले स्वदेशी रूप से विकसित टीका ‘सर्वावैक’ की घोषणा की।

केंद्रीय मंत्री ने प्रमुख वैज्ञानिकों व गणमान्य व्यक्तियों की उपस्थिति में क्वाड्रिवेलेंट ह्यूमन पैपिलोमा वायरस (क्यूएचपीवी) टीके के वैज्ञानिक समापन की घोषणा की। डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि यह अवसर डीबीटी (जैव प्रौद्योगिकी विभाग) और बीआईआरएसी (जैव प्रौद्योगिकी उद्योग अनुसंधान सहायता परिषद्) के लिए एक महत्वपूर्ण दिन है, क्योंकि इस सस्ते और लागत प्रभावी टीके का निर्माण भारत को प्रधानमंत्री मोदी के ‘आत्मनिर्भर भारत’ की सोच के नजदीक ले जाता है।

गौरतलब है कि सर्वाइकल कैंसर भारत में दूसरा सबसे अधिक होने वाला कैंसर है और बड़े पैमाने पर रोकथाम के योग्य होने के बावजूद यह विश्व में सर्वाइकल कैंसर से होने वाली मौतों का लगभग एक-चौथाई हिस्सा है। हर साल लगभग 1.25 लाख महिलाओं में सर्वाइकल कैंसर पाया जाता है और इस रोग से भारत में 75 हजार से अधिक मृत्यु हो जाती है। भारत में 83 फीसदी और पूरे विश्व में 70 फीसदी मामलों के लिए इनवेसिव (हमलावर) सर्वाइकल कैंसर एचपीवी 16 या 18 जिम्मेदार है।

दरअसल, सर्वाइकल कैंसर को रोकने के लिए सबसे अधिक उम्मीद जगाने वाली पहल ह्यूमन पेपिलोमावायरस (एचपीवी) के खिलाफ टीकाकरण है। यह अनुमान लगाया गया है कि पूरे विश्व में एचपीवी 16 और 18 का सभी इनवेसिव सर्वाइकल कैंसर के मामलों में लगभग 70 फीसदी का योगदान है।