‘तमिल सौराष्ट्र संगमम् सरदार पटेल और सुब्रमण्यम भारती की देशभक्ति के संकल्पों का संगम है’

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प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने 26 अप्रैल को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से सौराष्ट्र तमिल संगमम् के समापन समारोह को संबोधित किया। इस कार्यक्रम की उत्पत्ति ‘एक भारत, श्रेष्ठ भारत’ की भावना को बढ़ावा देने के प्रधानमंत्री के विज़न में निहित है। यह कार्यक्रम, जो देश के विभिन्न हिस्सों में लोगों के बीच सदियों पुराने संबंधों को सामने लाने और उनके बारे में फिर से जानने में मदद करता है। इसे ध्यान में रखते हुए पहले काशी तमिल संगमम् आयोजित किया गया था और सौराष्ट्र तमिल संगमम्, गुजरात और तमिलनाडु के बीच साझा संस्कृति और विरासत का उत्सव मनाते हुए इस विज़न को आगे बढ़ाता है।
सदियों पहले बड़ी संख्या में लोग सौराष्ट्र क्षेत्र से तमिलनाडु चले गए थे। सौराष्ट्र तमिल संगमम् ने सौराष्ट्र के तमिलों को अपनी जड़ों से फिर से जुड़ने का अवसर प्रदान किया। 10 दिवसीय संगम में 3000 से अधिक सौराष्ट्री तमिल एक विशेष ट्रेन से सोमनाथ आए। यह कार्यक्रम 17 अप्रैल से शुरू हुआ था, जिसका समापन समारोह 26 अप्रैल को सोमनाथ में आयोजित किया गया।

सभा को संबोधित करते हुए श्री मोदी ने इस तथ्य पर ध्यान आकर्षित किया कि अतिथि का स्वागत-सत्कार करना एक विशेष अनुभव है, लेकिन दशकों के बाद वापस घर पहुंचने का अनुभव और खुशी अतुलनीय है। उन्होंने इस बात पर प्रकाश डाला कि सौराष्ट्र के लोगों ने तमिलनाडु के दोस्तों के लिए गर्मजोशी से स्वागत किया है, जो समान उत्साह के साथ राज्य की यात्रा कर रहे हैं।

प्रधानमंत्री ने याद किया कि मुख्यमंत्री के रूप में उन्होंने 2010 में मदुरै में एक ऐसा ही सौराष्ट्र तमिल संगमम् का आयोजन किया था, जिसमें सौराष्ट्र के 50,000 से अधिक प्रतिभागी शामिल हुए थे। श्री मोदी ने सौराष्ट्र में आए तमिलनाडु के अतिथियों में वैसा ही स्नेह और उत्साह देखा।

हमें विरासत के साथ राष्ट्र निर्माण के पथ पर आगे बढ़ना है

श्री मोदी ने कहा कि आजादी के अमृतकाल में हम सौराष्ट्र-तमिल संगमम् जैसे सांस्कृतिक आयोजनों की एक नई परंपरा के गवाह बन रहे हैं, जो सिर्फ तमिलनाडु और सौराष्ट्र का संगम नहीं है, बल्कि देवी मीनाक्षी और देवी पार्वती के रूप में शक्ति की उपासना का उत्सव भी है। साथ ही, यह भगवान सोमनाथ और भगवान रामनाथ के रूप में ‘एक शिव’ की भावना का उत्सव भी है। इसी तरह, यह सुंदरेश्वर और नागेश्वर का संगम है, यह श्री कृष्ण और श्री रंगनाथ, नर्मदा और वैगई, डांडिया और कोलाट्टम का संगम है तथा द्वारका और मदुरै जैसी पुरियों की पवित्र परंपराओं का भी संगम है। प्रधानमंत्री ने कहा कि तमिल सौराष्ट्र संगमम् सरदार पटेल और सुब्रमण्यम भारती की देशभक्ति के संकल्पों का संगम है। हमें इस विरासत के साथ राष्ट्र निर्माण के पथ पर आगे बढ़ना है।