आतंकवाद क्षेत्रीय, वैश्विक शांति के लिए प्रमुख खतरा; निर्णायक कार्रवाई जरूरी : नरेन्द्र मोदी

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23वां शंघाई सहयोग संगठन शिखर सम्मेलन

प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने आंतकवाद को क्षेत्रीय और वैश्विक शांति के लिए प्रमुख खतरा करार देते हुए चार जुलाई को कहा कि कुछ देश सीमा पार आतंकवाद को अपनी नीतियों के औजार के रूप में इस्तेमाल करते हैं और आतंकवादियों को पनाह देते हैं तथा शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) को ऐसे देशों की आलोचना करने में कोई संकोच नहीं करना चाहिए।

प्रधानमंत्री श्री मोदी ने डिजिटल माध्यम से 23वें शंघाई सहयोग संगठन शिखर सम्मेलन को संबोधित करते हुए यह बात कही। बैठक में चीन के राष्ट्रपति श्री शी चिनफिंग, रूसी राष्ट्रपति श्री व्लादिमीर पुतिन आदि ने हिस्सा लिया।

श्री मोदी ने कहा कि आतंकवाद चाहे किसी भी रूप में हो, किसी भी अभिव्यक्ति में हो, हमें इसके विरुद्ध मिलकर लड़ाई लड़नी होगी।

उन्होंने कहा कि कुछ देश सीमा पार आतंकवाद को अपनी नीतियों के औजार के रूप में इस्तेमाल करते हैं, आतंकवादियों को पनाह देते हैं और एससीओ को ऐसे देशों की आलोचना करने में कोई संकोच नहीं करना चाहिए।

अफगानिस्तान का जिक्र करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि अफ़ग़ानिस्तान को लेकर भारत की चिंताएं और अपेक्षाएं एससीओ के अधिकांश देशों के समान हैं। हमें अफगानिस्तान के लोगों के कल्याण के लिए मिलकर प्रयास करने होंगे।

श्री मोदी ने कहा कि 2021 के घटनाक्रम के बाद भी हम मानवीय सहायता भेजते रहे हैं। यह आवश्यक है कि अफगानिस्तान की भूमि पड़ोसी देशों में अस्थिरता फैलाने या चरमपंथी विचारधाराओं को प्रोत्साहित करने के लिए प्रयोग न की जाए।

खाद्यान्न, ईंधन और उर्वरक संकट सभी देशों के लिए एक बड़ी चुनौती

प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने कहा कि वर्तमान समय में वैश्विक स्थिति एक महत्वपूर्ण पड़ाव पर है। विवादों, तनावों और महामारी से घिरे विश्व में खाद्यान्न, ईंधन और उर्वरक संकट सभी देशों के लिए एक बड़ी चुनौती है।

प्रधानमंत्री ने कहा कि हमें मिलकर यह विचार करना चाहिए कि क्या हम एक संगठन के रूप में हमारे लोगों की अपेक्षाओं और आकांक्षाओं को पूरा करने में समर्थ है? क्या हम आधुनिक चुनौतियों का सामना करने में सक्षम है? क्या एससीओ एक ऐसा संगठन बन रहा है, जो भविष्य के लिए पूरी तरह से तैयार है?
उन्होंने कहा कि पिछले दो दशकों में शंघाई सहयोग संगठन पूरे यूरेशिया क्षेत्र में, शान्ति, समृद्धि और विकास के लिए एक महत्वपूर्ण प्लेटफार्म के रूप में उभरा है। श्री मोदी ने कहा कि इस क्षेत्र के साथ भारत के हजारों वर्ष पुराने सांस्कृतिक और लोगों के बीच संबंध हमारी साझा विरासत का जीवंत प्रमाण हैं।

उन्होंने कहा कि एससीओ के अध्यक्ष के रूप में भारत ने हमारे बहुआयामी सहयोग को नयी ऊंचाइयों तक ले जाने के लिए निरंतर प्रयास किये हैं। श्री मोदी ने कहा कि इन सभी प्रयासों को हमने दो मूलभूत सिद्धांतों पर आधारित किया है। इसमें पहला ‘वसुधैव कुटुम्बकम’ यानी पूरी धरती हमारा परिवार है और दूसरा सुरक्षा, अर्थव्यवस्था एवं व्यापार, संपर्क, एकता, संप्रभुता एवं क्षेत्रीय अखंडता का सम्मान और पर्यावरण है।

प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत ने एससीओ में सहयोग के पांच नए स्तंभ बनाए हैं, जिसमें स्टार्टअप एवं नवाचार, पारंपरिक औषधि, डिजिटल समावेशिता और युवा सशक्तीकरण, साझी बौद्ध धरोहर शामिल हैं।

उल्लेखनीय है कि शंघाई सहयोग संगठन में भारत, रूस, चीन, पाकिस्तान, कजाकिस्तान, किर्गिजिस्तान, ताजिकिस्तान और उज्बेकिस्तान शामिल हैं तथा भारत ने एससीओ की अध्यक्षता पिछले वर्ष 16 सितंबर को समरकंद शिखर सम्मेलन के दौरान संभाली थी।