नई संसद सिर्फ एक नया भवन ही नहीं बल्कि एक नये शुभारंभ का प्रतीक भी है : नरेन्द्र मोदी

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प्रधानमंत्री ने नए संसद भवन में राज्यसभा को किया संबोधित

नया भवन संघवाद की भावना का भी प्रतिनिधित्व करता है, क्योंकि
राज्यों की कलाकृतियों को नई इमारत की योजना में प्रमुखता से स्थान मिला है

प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने 19 सितंबर को नये संसद भवन में राज्यसभा को संबोधित किया। प्रधानमंत्री ने सदन को संबोधित करते हुए कहा कि आज ऐतिहासिक और यादगार अवसर है। उन्होंने लोकसभा में अपने संबोधन को याद किया और इस विशेष अवसर पर राज्यसभा को संबोधित करने का अवसर देने के लिए सभापति के प्रति आभार व्यक्त किया।

यह देखते हुए कि राज्यसभा को संसद का उच्च सदन माना जाता है, श्री मोदी ने संविधान के निर्माताओं के अभिप्राय को रेखांकित किया कि सदन राष्ट्र को एक दिशा देते हुए राजनीतिक चर्चा के उतार-चढ़ाव से ऊपर उठकर गंभीर बौद्धिक चर्चा का केंद्र बने। प्रधानमंत्री ने कहा कि यह देश की स्वाभाविक अपेक्षा है। उन्होंने कहा कि राष्ट्र के लिए इस तरह के योगदान से कार्यवाही का मूल्य बढ़ता है।

राष्ट्र हित सर्वोपरि

पिछले 9 वर्षों में लिए गए निर्णयों पर प्रकाश डालते हुए प्रधानमंत्री ने उन मुद्दों की ओर ध्यान दिलाया जो दशकों से लंबित थे और जिन्हें महत्वपूर्ण माना जाता था। श्री मोदी ने कहा कि लोकतांत्रिक व्यवस्था में व्यवस्थाओं में बदलाव के बावजूद राष्ट्रीय हित को सर्वोच्च रखने का प्रयास किया गया है।

राज्यों के सदन के रूप में राज्यसभा की भूमिका को रेखांकित करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि सहकारी संघवाद पर जोर देने के समय में देश कई महत्वपूर्ण मामलों पर महान सहयोग के साथ आगे बढ़ा है। उन्होंने केंद्र-राज्य सहयोग का उदाहरण बताते हुए कोरोना महामारी का उल्लेख किया।

श्री मोदी ने कहा कि न केवल संकट के समय बल्कि उत्सव के समय में भी भारत ने विश्व को प्रभावित किया है। उन्होंने कहा कि इस महान राष्ट्र की विविधता को 60 से अधिक शहरों में जी-20 कार्यक्रमों और दिल्ली में शिखर सम्मेलन के दौरान प्रदर्शित किया गया था। उन्होंने कहा कि यह सहकारी संघवाद की शक्ति है। उन्होंने यह भी उल्लेख किया कि नया भवन संघवाद की भावना का भी प्रतिनिधित्व करता है, क्योंकि राज्यों की कलाकृतियों को नई इमारत की योजना में प्रमुखता से स्थान मिला है।

प्रधानमंत्री ने नए संसद भवन के साथ-साथ नई तकनीकों को अपनाने की आवश्यकता पर जोर दिया, क्योंकि यह सदन अत्याधुनिक तकनीक से सुसज्जित है। उन्होंने सदस्यों से सदन में उपलब्ध नई तकनीक से अभ्यस्त होने में एक-दूसरे की सहायता करने का भी आग्रह किया।

महिलाओं को मिले अवसर

लोकसभा में पेश ‘नारीशक्ति वंदन अधिनियम’ का उल्लेख करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि जब हम जीवन की सहजता की बात करते हैं तो उस सहजता पर पहला हक महिलाओं का है। उन्होंने कहा कि कई सेक्टरों में महिलाओं की भागीदारी सुनिश्चित की जा रही है। श्री मोदी ने कहा कि महिलाओं की क्षमता को अवसर मिलना चाहिए। उनके जीवन में ‘किंतु-परंतु’ का समय समाप्त हो गया है।

उन्होंने कहा कि ‘बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ’ कार्यक्रम जन-जन का कार्यक्रम बन गया है। श्री मोदी ने जनधन और मुद्रा योजना में महिलाओं की भागीदारी का भी उल्लेख किया। तीन तलाक को खत्म किए जाने और महिला सुरक्षा के लिए मजबूत कानून का उल्लेख किया। उन्होंने कहा कि महिलाओं के नेतृत्व वाला विकास जी-20 में चर्चा का सबसे बड़ा विषय था।

प्रधानमंत्री ने उल्लेख किया कि संसद में महिलाओं के लिए आरक्षण का मुद्दा दशकों से लंबित रहा है और सभी ने अपनी क्षमता से इसमें योगदान दिया है। यह इंगित करते हुए कि विधेयक पहली बार 1996 में पेश किया गया था और अटल जी के कार्यकाल के दौरान इस पर कई विचार-विमर्श और चर्चाएं हुईं, लेकिन संख्या की कमी के कारण विधेयक को मंजूरी नहीं मिल सकी। श्री मोदी ने विश्वास व्यक्त किया कि विधेयक अंततः कानून बन जाएगा और नए भवन की नई ऊर्जा के साथ राष्ट्र निर्माण की दिशा में ‘नारी शक्ति’ सुनिश्चित करेगा।