अगला दशक भारत का दशक है

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भाजपा राष्ट्रीय कार्यकारिणी बैठक

आर्थिक और गरीब कल्याण संकल्प

केंद्रीय रक्षा मंत्री श्री राजनाथ सिंह ने 02-03 जुलाई, 2022 को हैदराबाद (तेलंगाना) में आयोजित भाजपा राष्ट्रीय कार्यकारिणी बैठक में ‘आर्थिक और गरीब कल्याण संकल्प’ प्रस्ताव प्रस्तुत किया, जिसका समर्थन केंद्रीय वाणिज्य एवं उद्योग, उपभोक्ता मामले, खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण और वस्त्र मंत्री श्री पीयूष गोयल और हरियाणा के मुख्यमंत्री श्री मनोहर लाल खट्टर ने किया।

इस प्रस्ताव में कहा गया है कि भारत की विकास गाथा प्रधानमंत्री मोदीजी की आत्मनिर्भरता और गरीब कल्याण के संकल्प एवं सर्वस्पर्शी व सर्वसमावेशी सिद्धांत पर आगे बढ़ रही है। आगे कहा गया है कि जहां सभी उन्नत अर्थव्यवस्थाएं विकास पथ पर वापस आने के लिए आज भी संघर्ष कर रही हैं, वहीं आदरणीय प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदीजी के नेतृत्व में भारत, महामारी के अपने कुशल प्रबंधन, सुविचारित नीतिगत प्रतिक्रिया, प्रो-एक्टिव, प्रो-रेस्पोंसिव और प्रो-पुअर नीति और इसके त्वरित क्रियान्वयन के कारण, इससे उबर कर प्रगति व विकास की नई कहानी लिखने के लिए तैयार खड़ा है।

हम यहां ‘आर्थिक और गरीब कल्याण संकल्प’ प्रस्ताव का पूरा पाठ प्रकाशित कर रहे हैं :

प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में भारतीय जनता पार्टी नीत राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) सरकार के पिछले आठ वर्षों में भारत ‘सबका साथ और सबका विकास’ के प्रमुख सिद्धांतों पर आगे बढ़ रहा है। आज भारत विश्व की छठी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था के रूप में प्रतिष्ठापित हो चुका है और भारत की विकास गाथा प्रधानमंत्री मोदीजी की आत्मनिर्भरता और गरीब कल्याण के संकल्प एवं सर्वस्पर्शी व सर्व-समावेशी सिद्धांत पर आगे बढ़ रही है। इसी लय से राष्ट्र की यह विकास गाथा और गतिमान होती रहेगी। 2014 में प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदीजी के सत्ता संभालने के बाद वास्तव में भारत का चहुंमुखी विकास हुआ है। आठ वर्षों में देश की इतनी प्रगति प्रधानमंत्री मोदीजी की सोच का परिणाम है। हमें 2014 के चुनाव में प्रचंड जीत के कुछ ही घंटों बाद मोदीजी द्वारा दिया गया वह विजय-भाषण आज भी स्मरण है। उसमें सबसे प्रमुख बात यह थी कि भारत का समावेशी विकास करना है। उन्हें पता था कि इसके लिए उन्हें डिलीवरी तंत्र में आमूल-चूल परिवर्तन करना होगा। कांग्रेस के शासन में योजनाएं और नीतियां कागजों में सिमट कर रह जाती थीं। डिलीवरी तंत्र में छेद ही छेद थे। हर जगह लूटखसोट थी।

किंतु मोदीजी की सरकार आई और योजनाओं को धरातल पर लागू किया गया। मोदीजी के डिलिवरी तंत्र में सुनिश्चित किया गया कि योजनाओं का लाभ समाज के अंतिम पायदान के प्रत्येक व्यक्ति तक पहुंचे। इस सफलता के पीछे प्रधानमंत्री मोदीजी का ‘सबका साथ-सबका विकास’ मंत्र था। कांग्रेस शासन के समय सरकारी योजनाओं और कार्यक्रमों का लाभ चेहरा और पहचान देखकर दिया जाता था, कांग्रेस के शासन में योजनाएं वोट बैंक की राजनीति करते हुए कुछ विशेष समूहों या जातियों के लिए ही बनाई जाती थीं। प्रधानमंत्री मोदीजी के नेतृत्व वाली भाजपा सरकार ने यह पक्षपाती व्यवस्था बदली और सुनिश्चित किया कि सरकारी योजनाएं देश के प्रत्येक नागरिक के लिए हों और इनका लाभ निष्पक्षता से सभी वर्गों, समुदायों और व्यक्तियों को मिले।

प्रधानमंत्री मोदीजी की सोच से जो एक और नया प्रतिमान आया, वह यह था कि भारत को आत्मनिर्भर बनाया जाए।

प्रधानमंत्री मोदीजी ने देश में यह विश्वास भरा कि हमारे पास संसाधन हैं, हमारे पास श्रमशक्ति है, हमारे पास विश्व की सर्वश्रेष्ठ प्रतिभाएं हैं। हम सर्वश्रेष्ठ उत्पाद बनाएंगे, ‘मेड इन इंडिया’ उत्पादों की गुणवत्ता अच्छी करेंगे, और अपने उत्पादों को वैश्विक बाजार में ले जाने के लिए और भी बहुत कुछ करेंगे।

प्रधानमंत्री मोदीजी के आत्मनिर्भर भारत की संकल्पना ‘वसुधैव कुटुंबकम’ पर आधारित है— जब भारत आत्मनिर्भरता की बात करता है तो यह स्व-केंद्रित प्रणाली का पक्ष नहीं लेता है। भारत की आत्मनिर्भरता के संकल्प में समस्त विश्व के सुख, सहयोग और शांति का भाव निहित है।

प्रधानमंत्री मोदीजी द्वारा भारत की आत्मनिर्भरता प्राप्ति के लक्ष्य की ओर ले जाने के लिए पांच क्षेत्र चुने गए हैं:

●•● अर्थव्यवस्था: ऐसी अर्थव्यवस्था जो कि क्रमिक परिवर्तन के बजाय एक साथ बहुत बड़ा परिवर्तन लाने वाला हो।
•● मूलभूत अवसंरचना: ऐसी मूलभूत अवसंरचना जो आधुनिक भारत की पहचान और विदेशी निवेश आकर्षित करने वाला हो।
•● तंत्र: ऐसा तंत्र हो जो आधुनिक प्रौद्योगिकी को अंगीकार करने वाला हो और समाज में डिजिटल तकनीक के प्रयोग को बढ़ाने वाला हो।
•● जनांकिकी: अपनी बहुमुखी प्रतिभावान और युवा जनांकिकी का सर्वोत्तम उपयोग हो।
•● मांग: हमारे पास बड़े स्तर पर घरेलू बाजार और मांग वाले क्षेत्र हैं, जिनका पूरी क्षमता से दोहन हो।

कोविड राहत और पुनरुत्थान

प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व वाले भारत ने न केवल कोवैक्सिन नामक अपनी स्वदेशी कोविड-19 वैक्सीन लगभग तुरंत ही विकसित कर ली, अपितु विदेशों में विकसित कोविशील्ड वैक्सीन का स्वदेश में साझेदारी के आधार पर उत्पादन भी किया

आदरणीय प्रधानमंत्रीजी के दूसरी बार पदभार संभालने के तुरंत बाद विश्व के साथ-साथ भारत को भी एक वैश्विक महामारी की अभूतपूर्व चुनौती का सामना करना पड़ा। यद्यपि, भारत न केवल अपने लोगों की रक्षा करने और मानवता की सहायता के लिए लगभग 100 देशों तक सहायता का हाथ बढ़ाने में सफल रहा, अपितु प्रत्येक स्तर पर और शक्तिशाली होकर उभरा। कुशल प्रशासन, नवोन्मेषी सोच, अच्छी तरह से जांची-परखी नीतियां, जन-कल्याण की नीतियों का त्वरित क्रियान्यवन और 1.35 अरब लोगों की सेवा करने की अटूट प्रतिबद्धता ने इस सफलता के मार्ग को प्रशस्त किया।

रिकार्ड समय में भारत की स्वदेशी वैक्सीन का उत्पादन और वितरण सफलता की उल्लेखनीय गाथा है। भारत ने डेढ़ वर्ष में अपने नागरिकों को 191 करोड़ से अधिक वैक्सीन खुराक दी है। ध्यान रहे, यह वही भारत है जिसे विदेशों में खोज हो जाने के पश्चात भी पोलियो वैक्सीन के लिए 30 वर्ष तक प्रतीक्षा करनी पड़ी थी। किंतु प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व वाले भारत ने न केवल कोवैक्सिन नामक अपनी स्वदेशी कोविड-19 वैक्सीन लगभग तुरंत ही विकसित कर ली, अपितु विदेशों में विकसित कोविशील्ड वैक्सीन का स्वदेश में साझेदारी के आधार पर उत्पादन भी किया। सरकार के सूक्त वाक्य ‘वसुधैव कुटुंबकम’ पर आगे बढ़ते भारत ने लगभग 100 देशों को इन टीकों का निर्यात किया। महामारी के समय मृत्यु दर और रुग्णता दोनों को नियंत्रित करने के लिए स्वास्थ्य का मूलभूत ढांचा महत्वपूर्ण था। मोदी सरकार ने पिछले कुछ वर्षों में देश भर में स्वास्थ्य एवं चिकित्सा की मूलभूत अवसंरचना को तेजी से हजारों गुना बढ़ाया है। उदाहरण के लिए देश में गहन चिकित्सा इकाइयों (आईसीयू) में पेशेंट बेड्स की संख्या मार्च 2020 में 2,168 थी, जिसे जनवरी, 2022 तक बढ़ाकर 1.39 लाख कर दिया गया। इसी अवधि में देशभर में आइसोलेशन बेड, ऑक्सीजन सुविधा युक्त बेड, प्रेशर स्विंग एब्जॉर्प्शन (पीएसए) प्लांट्स (ऑक्सीजन प्लांट्स) और पर्सनल प्रोटेक्टिव इक्विपमेंट (पीपीई) किट की निर्माण क्षमता भी इसी परिमाण में बढ़ाया गया। यह देश के स्वास्थ्य ढांचे में आमूल-चूल परिवर्तन और सशक्त रूपांतरण को दर्शाता है।

आर्थिक पुनरुद्धार- पहल, वृहद-दृष्टिकोण और लक्षण

कोविड-19 ने न केवल भारत, अपितु विश्व के लगभग सभी देशों की आर्थिक गतिविधियों को बाधित किया। संक्रमण के भय ने श्रम-बल की भागीदारी के साथ-साथ श्रमिकों को काम पर रखने के लिए नियोक्ताओं की इच्छा को भी प्रभावित किया। अनेक प्रकरणों में संक्रमण के प्रसार को रोकने के लिए सरकारों द्वारा लॉकडाउन लगाए गए, जिसने आर्थिक गतिविधियों को प्रभावित किया। एक दूसरे से जुड़े विश्व में, जहां कहीं भी उत्पादन में व्यवधान आया, वहां इससे आपूर्ति-शृंखला टूटी और इसने आर्थिक गतिविधियों को प्रभावित किया। ऐसे वातावरण में भारत में स्थिर कीमतों पर 2019-20 में सकल घरेलू उत्पाद की वृद्धि दर 3.7 प्रतिशत से घटकर 2020-21 में -6.6 प्रतिशत हो गई थी, किंतु भारत महामारी के कुशल प्रबंधन के साथ ही 2021-22 में अनुमानित 8.7 प्रतिशत वृद्धि प्राप्त करने में सफल रहा। आवासन क्षेत्र में बाजार के उभरने के प्रत्यक्ष संकेत दिख रहे हैं।

महामारी और यूक्रेन युद्ध आरंभ होने के बाद से ही हमारी सरकार ने असाधारण उपाय किए हैं। हमने अपने महान देश के आमजन और महिलाओं को सीधा लाभ पहुंचाने के लिए योजनाएं आरंभ की हैं और कदम उठाए हैं। हमने छोटे व्यापार को ऊपर उठाने के लिए अनेक उपाय किए हैं और इसके लिए बड़े परिमाण में धन की व्यवस्था की है। प्रधानमंत्री मोदीजी ने अनेक दीर्घावधि योजनाएं आरंभ कर इस देश के भविष्य को सुरक्षित करने का कदम उठाया है। हम अपने प्रधानमंत्रीजी को नमन करते हैं कि उन्होंने ऋण/जीटीपी और वित्तीय समझदारी के पथ को अपनी सरकार की घोषित परिधि में रखते हुए यह सुनिश्चित किया कि हम अपने साधनों से अधिक व्यय न करें और न ही क्षमता से अधिक बोझ डालें।

भारत के रिकॉर्ड निर्यात प्रदर्शन की प्रत्येक स्थान पर भूरि-भूरि प्रशंसा हुई है और बहुतों ने भारत के उत्प्लावक निर्यात प्रदर्शन का लक्ष्य मन में पाल रखा है। इसके स्पष्ट संकेत मिल रहे हैं कि इस लक्ष्य को प्राप्त किया जा रहा है। 2021-22 में सेवा क्षेत्र का निर्यात 25,000 करोड़ डॉलर के लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए 21.3 प्रतिशत की दर से बढ़ा। 2021-22 में भारत का कुल निर्यात (व्यापार व सेवा मिलाकर) 34.5 प्रतिशत वृद्धि के साथ 66,965 करोड़ डॉलर पहुंच गया। लौह और इस्पात के निर्यात का मूल्य 2013-2014 के 7.64 अरब डॉलर की तुलना में 2021-2022 में बढ़कर 19.25 अरब डॉलर हो गया है। इसी प्रकार, 2013-14 के बाद पिछले 8 वर्षों में इलेक्ट्रॉनिक वस्तुओं के निर्यात में 88 प्रतिशत की वृद्धि हुई, ट्रैक्टरों के निर्यात में 72 प्रतिशत की वृद्धि हुई और इंजीनियरिंग वस्तुओं के निर्यात में 49 प्रतिशत की वृद्धि हुई। 2017-18 के 1300 करोड़ रुपए के मोबाइल फोन के निर्यात की तुलना में 2021-22 में लगभग 43,000 करोड़ रुपए के मोबाइल फोन निर्यात किए गए।

भारत सरकार ने वृहद अर्थशास्त्र के सुदृढ़ सिद्धांतों के साथ आर्थिक विकास की गति को बनाए रखा है और भारत की यह आर्थिक सुदृढ़ता निवेशकों की भावनाओं में पर्याप्त रूप से परिलक्षित होती है। पंजीकृत निवेशकों की संख्या में बड़ी वृद्धि हुई है। अपने घरेलू समकक्षों के जैसे, विदेशी निवेशकों ने भी बड़े परिमाण में निवेश करके भारत में विश्वास व्यक्त किया है। प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) प्रवाह 2021-22 में 83.50 अरब डॉलर के उच्च स्तर को छू गया। 2014 से पहले 2013-14 में एफडीआई मात्र 36.50 अरब डॉलर था।

अनुसूचित वाणिज्यिक बैंकों (एससीबी) द्वारा दिए गए ऋणों में 2021-22 में 8.6 प्रतिशत की वृद्धि हुई। साख वृद्धि को महामारी के पहले वाली स्थिति में लाने में सफलता मिली और यह उत्साहजनक संकेत है, जिससे समग्र आर्थिक विकास में तेजी आने की संभावना है। भविष्य के अवसरों और ‘न्यू इंडिया’ के निर्माण को ध्यान में रखते हुए अनेक योजनाएं आरंभ की गई हैं; जैसे कि बड़ी मात्रा में रोजगार सृजन करने वाले विनिर्माण क्षेत्र को बढ़ावा देने वाली प्रोडक्शन लिंक्ड इंसेंटिव (पीएलआई) योजनाएं। ये योजनाएं व्यापक स्तर पर विनिर्माण क्षेत्र और इलेक्ट्रॉनिक्स, सौर, कपड़ा, एलईडी लाइट और ऑटोमोटिव उत्पाद क्षेत्रों को बढ़ावा देने के लिए तैयार हैं। विनिर्माण क्षेत्र में रोजगार उत्पन्न करने की बड़ी क्षमता के साथ 13 प्रमुख क्षेत्रों के लिए 1.97 करोड़ रुपये की योजना का कार्यान्वयन किया जा रहा है। हमारी सरकार ने इस तथ्य को समझा कि माइक्रो चिपों की आपूर्ति के लिए हम बाहर की कंपनियों पर निर्भर हैं। हमें यह उल्लेख करते हुए हर्ष का अनुभव हो रहा है कि प्रधानमंत्री मोदीजी ने माइक्रो चिप पर विदेशों की निर्भरता समाप्त करने और आईटी क्षेत्र की बढ़ती मांग को पूरा करने के लिए देश में माइक्रो चिप उत्पादन पर बल दिया और इस दिशा में प्रभावी पहल की है।

मध्यम, लघु और सूक्ष्म उद्यमों (एमएसएमई) के लिए आपातकालीन क्रेडिट लाइन गारंटी योजना (ईसीएलजीएस) के अंतर्गत मोदी सरकार ने 3.19 लाख करोड़ रुपए स्वीकृत किए हैं। 1.8 लाख करोड़ रुपए की संपत्ति को गैर-निष्पादित संपत्ति (एनपीए) बनने से बचाया गया। सरकार के इस प्रयास से देश में 13.5 लाख एमएसएमई को बचाया गया, जो कि भारत के औद्योगिक विकास के लिए महत्वपूर्ण हैं। इस योजना ने न केवल लघु एवं मध्यम स्तर के उद्यमों को वित्तीय सहायता प्रदान की, अपितु 1.5 करोड़ रोजगार सृजनकर्ताओं को भी बचाया, जिसके परिणामस्वरूप लगभग 6 करोड़ लोगों की आजीविका बची। भारतीय रिजर्व बैंक ने अपने जूल 2022 की वित्तीय स्थिरता प्रतिवेदन में कहा है कि मार्च, 2022 में सकल एनपीए अनुपात छह वर्ष के सबसे निचले स्तर 5.9 प्रतिशत पर आ गया है।

पीएम गति शक्ति राष्ट्रीय मास्टर प्लान भी मल्टी मॉडल कनेक्टिविटी के लिए भविष्य की ओर देखती एक महात्वाकांक्षी परियोजना है। 100 लाख करोड़ रुपए की मल्टी-मॉडल कनेक्टिविटी की यह योजना व्यक्तियों, वस्तुओं और सेवाओं की आवाजाही व परिवहन के लिए एक साधन से दूसरे साधन में एकीकृत और निर्बाध संबद्धता देने से साथ एक-दूसरे को जोड़ेगी। इससे अंतिम छोर तक मूलभूत ढांचे की संबद्धता की सुविधा मिलेगी। साथ ही, यह लोगों के लिए यात्रा के समय को भी कम करेगा। इस परियोजना के विस्तार से मूलभूत ढांचा क्षेत्र में हजारों रोजगार व नौकरियां उत्पन्न होंगी।

प्रधानमंत्री ने सभी सरकारी विभागों में मानव संसाधन की समीक्षा कर सरकार में 10 लाख नौकरियां सृजित करने का वचन दिया है। केंद्र सरकार द्वारा ‘मिशन मोड’ में भर्ती करने की घोषणा से रक्षा, रेलवे और राजस्व जैसे क्षेत्रों में नौकरी चाहने वालों को सहायता मिलेगी। मोदी सरकार द्वारा प्रस्तावित अग्निपथ योजना न केवल सशस्त्र बलों में सम्मिलित होने और राष्ट्र की सेवा करने के उनके सपने को पूरा करने का एक अनूठा अवसर प्रदान करेगी, अपितु उन्हें सशक्तीकरण, अनुशासन और कौशल भी प्रदान करेगी।

सरकार ने पिछले आठ वर्षों में उचित मूल्य स्थिरता बनाए रखी है। हाल ही में, जहां उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (सीपीआई) द्वारा मापी गई मुद्रास्फीति में उतार-चढ़ाव देखा गया, वहीं थोक मूल्य सूचकांक (डब्ल्यूपीआई) में मापी गई मुद्रास्फीति, भू-रणनीतिक अनिश्चितताओं के कारण, आंशिक रूप से अस्थिर रही है। मोदी सरकार ने उचित मूल्य स्थिरता बनाए रखने के लिए ठोस उपाय किए हैं।

‘एक राष्ट्र, एक बाजार, एक कर’ के विचार से प्रस्तुत किये गए वस्तु और सेवा कर (जीएसटी) की प्रशंसा भारत के इतिहास में सबसे बड़े अप्रत्यक्ष कर सुधार के रूप में हुई है। देश भर में वस्तुओं और सेवाओं की आपूर्ति पर एक समान कर लगाने के लिए जीएसटी ने करों की बहुलता और नकारात्मकता को समाप्त किया है। यह अर्थव्यवस्था के विकास का एक अच्छा उपाय है और संतोष की बात यह है कि जीएसटी संग्रह अप्रैल, 2022 में 1.68 लाख करोड़ रुपये से अधिक हो गया है। लेखा परीक्षण और विश्लेषण के सराहनीय प्रयासों से करवंचना (कर चोरी) करने वालों के विरुद्ध अभियान चलाया गया है, जिससे कर अनुपालन संस्कृति बन रही है। यह महत्वपूर्ण होगा कि इसको आगे बढ़ाते हुए कर अनुपालन संस्कृति में सुधार और गति बनाए रखी जाए।

गरीबी उन्मूलन

कोविड महामारी की पृष्ठभूमि में आरंभ की गई प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना (पीएमजीकेएवाई) राष्ट्रीय गरीबी उन्मूलन की सबसे बड़ी योजनाओं में से एक है। इस योजना के अंतर्गत 80 करोड़ लोगों को 25 महीने तक नि:शुल्क अनाज (राशन) दिया गया। यह योजना अप्रैल 2020 से चलाई जा रही है और यह विश्व का सबसे बड़ा खाद्य सुरक्षा कार्यक्रम है। इस योजना के अंतर्गत मोदी सरकार ने अब तक 2.60 लाख करोड़ रुपए व्यय किए हैं और अगले छह मास में सितंबर 2022 तक अतिरिक्त 80,000 करोड़ रुपये व्यय किए जाएंगे। पीएमजीकेएवाई ने घोर निर्धनता को घटाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) और विश्व बैंक ने भी योजना की इस भूमिका को स्वीकार किया है।

कोविड महामारी की पृष्ठभूमि में आरंभ की गई प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना (पीएमजीकेएवाई) राष्ट्रीय गरीबी उन्मूलन की सबसे बड़ी योजनाओं में से एक है। इस योजना के अंतर्गत 80 करोड़ लोगों को 25 महीने तक नि:शुल्क अनाज (राशन) दिया गया

कृषक समुदाय का उत्थान और जीवन स्तर में सुधार हमारे प्रधानमंत्री मोदीजी की सर्वाधिक प्राथमिकता में है। किसान सम्मान निधि योजना गेम चेंजर है। इसके अंतर्गत 11.78 करोड़ किसानों को 10 किश्तों में सीधे उनके बैंक खातों में 1.82 करोड़ रुपए भेजे गए हैं। 2009-2014 (मनमोहन सरकार) के पांच वर्ष में देश के कृषि बजट में नाममात्र की 8.5 प्रतिशत वृद्धि हुई थी। जबकि श्री नरेन्द्र मोदीजी के प्रधानमंत्री पद संभालने के बाद 2014 से 2019 के बीच कृषि बजट में 38 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। यह आंकड़ा मोदी सरकार की किसान हितैषी मंशा, नीति और नेतृत्व का साक्ष्य है।

सामाजिक सुरक्षा योजनाओं के आर्थिक लाभ

दशकों से सरकारें जटिल वितरणात्मक न्याय एवं अंतर-पीढ़ीगत सामाजिक सुरक्षा की समस्याओं के समाधान के लिए आधे-अधूरे मन से प्रयास कर रही थीं। भाजपा सरकार ने नीति-निर्माण को समाज के सबसे निर्धन वर्गों को समावेशित करने पर केंद्रित किया है। प्रधानमंत्री मोदीजी देश के पहले व्यक्ति हैं, जिन्होंने राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय मंचों पर स्वच्छता जैसे विषयों पर तेजी से ध्यान केंद्रित किया है। यह विषय ग्रामीण जनसंख्या की भलाई के लिए केंद्रित है। स्वच्छ भारत, उज्ज्वला, पीएम आवास योजना, सौभाग्य और जल जीवन मिशन जैसी राष्ट्रव्यापी योजनाओं की डिजाइन और प्रभावी कार्यान्वयन ने यह सुनिश्चित किया है कि लाखों निर्धन लोगों का जीवन मौलिक रूप से परिवर्तित हो। उनके जीवन स्तर में कई गुना सुधार हुआ है।

‘जल जीवन मिशन’ का उद्देश्य सभी घरों में नल से जल पहुंचाना है। यह मिशन ‘जीवन की गुणवत्ता’ को उत्तम बनाने के लिए पूरे वेग से कार्य कर रहा है। यह मिशन उन महिलाओं के लिए ‘जीवन की सुगमता’ में वृद्धि कर रहा है जो जल एकत्र करने के लिए हर दिन लंबे, थकाऊ घंटे बिताती हैं। देश के 83 जनपद पहले ही ‘हर घर जल’ जनपद बन चुके हैं। पिछले दो वर्षों में नल के पानी के कनेक्शन वाले परिवारों में तेजी से वृद्धि हुई है। ऐसे परिवारों की संख्या बढ़कर 9 करोड़ से अधिक हो गई है। इस प्रकार देश में नल के पानी के कनेक्शन वाले परिवारों की संख्या लगभग 17 प्रतिशत से बढ़कर 47.19 प्रतिशत हो गई है। जब यह मिशन 2024 तक पूरा होगा, देश के सभी घरों में सुरक्षित पेयजल, नल कनेक्शन का पानी होगा।

प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना ने रियायती एलपीजी कनेक्शन प्रदान किए हैं। इस प्रकार महिलाओं को एक सुविधा के स्वामित्व के माध्यम से अधिक सम्मान प्रदान किया गया। उज्ज्वला योजना महिलाओं को धुआं मुक्त वातावरण प्रदान करती है और ईंधन की लकड़ी इकट्ठा करने के कठिन परिश्रम को कम करती है, जिससे उनका समय और स्वास्थ्य बचता है। 2022-23 के बजट में एलपीजी के लिए कम सब्सिडी आवंटन करने की आवश्यकता लगी, जिससे यह उत्साहजनक संकेत मिलता है कि भारत में एलपीजी पैठ में लगभग 99 प्रतिशत संतुष्टि है। ग्लासगो जलवायु परिवर्तन सम्मेलन (COP26) में प्रधानमंत्री मोदीजी द्वारा देश के कार्बन उत्सर्जन को कम करने वाली घोषणा की दिशा में ये कदम दूरगामी परिणाम देने वाला है।

आयुष्मान भारत और स्वच्छ भारत अभियान जैसी सामाजिक कल्याण योजनाएं परिवारों को स्वास्थ्य गरीबी के जाल में गिरने से बचा रही हैं। इन दोनों योजनाओं की उपलब्धि को कम नहीं समझा जाना चाहिए, क्योंकि ये उपचार के बजाय रोकथाम करती हैं। आयुष्मान भारत सबसे गरीब 50 करोड़ भारतीयों को प्रति परिवार वार्षिक 5 लाख रुपये के स्वास्थ्य बीमा कवरेज के साथ गुणवत्तापूर्ण चिकित्सा सुरक्षा की गारंटी देता है।

वित्तीय और डिजिटल समावेशिता

प्रधानमंत्री जनधन योजना और डिजिटल इंडिया के शुभारंभ के साथ वित्तीय और डिजिटल समावेशिता को शीघ्रता के साथ स्थापित किया गया था। सभी जनधन बैंक खातों में 55 प्रतिशत से अधिक खाते महिलाओं के हैं। जनधन योजना से 24.42 करोड़ से अधिक महिलाएं लाभान्वित हुई हैं। नाबार्ड द्वारा किए गए एक अध्ययन से पता चला है कि बैंक से जुड़े 1.1 करोड़ स्वयं सहायता समूहों में से 97 लाख विशेष महिला स्वयं सहायता समूह हैं। अपने इन महिलाओं का स्वयं के बैंक खातों पर नियंत्रण के साथ बैंकिंग उपकरणों की शृंखला तक पहुंच है।

जेएएम (जैम) ट्रिनिटी, अर्थात जनधन खाता, आधार और मोबाइल एक साथ, महिलाओं को बड़ी वित्तीय स्वायत्तता प्रदान कर रहे हैं। कोविड-19 के कठिन समय में इन प्रभावशाली और राष्ट्रीय स्तर पर निष्पादित नीतियों का बड़ा लाभ देखा गया। जनधन खातों में प्रत्यक्ष लाभ हस्तांतरण के माध्यम से महिलाओं को (तीन महीने तक 500 रुपए प्रतिमाह) 30,944 करोड़ रुपये वितरित किए गए। जेएएम ट्रिनिटी ने यह भी सुनिश्चित किया है कि 400 से अधिक सरकारी योजनाओं का लाभ बिना किसी बिचौलियों और सहवर्ती शाखा के सीधे लाभार्थियों के खातों में स्थानांतरित हो। इसके अतिरिक्त, प्रधानमंत्री गरीब कल्याण पैकेज के हिस्से के रूप में कोविड-19 के दौरान प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना के लाभार्थियों को 14 करोड़ से अधिक नि:शुल्क एलपीजी रिफिल प्रदान किए गए। रीयल-टाइम लेन-देन (ट्रांजैक्शन) की दिशा में भारत ने डिजिटल इंडिया की मौन क्रांति रच डाली है। 2021 में भारत में 4860 करोड़ रीयल-टाइम लेन-देन हुए, जो कि चीन की तुलना में तीन गुना अधिक है और अमेरिका, कनाडा, यूके, फ्रांस व जर्मनी के संयुक्त रीयल-टाइम लेन-देन से सात गुना अधिक है।

उद्यमिता को प्रोत्साहन

पीएम-स्वनिधि भारत में धरातल पर उद्यमशीलता की भावना को प्रोत्साहित करने की अनूठी योजना है। योजना के अंतर्गत 31.90 लाख रेहड़ी-पटरी वालों का ऋण स्वीकृत किया गया। स्टैंड-अप इंडिया योजना के माध्यम से अनुसूचित जाति (एससी), अनुसूचित जनजाति (एसटी) और महिलाओं को 30,000 करोड़ रुपये प्रदान किए गए। मुद्रा योजना के अंतर्गत लगभग 35 करोड़ उद्यमियों को ऋण स्वीकृत किए गए हैं।

भारतीय स्टार्ट अप पारिस्थिकी तंत्र ईज ऑफ डूइंग बिजनेस में सुधार और छिपी हुई भारतीय उद्यमशील प्रतिभाओं को आगे बढ़ाने से जी उठा है। इसका साक्ष्य यह है कि आज बड़ी संख्या में भारतीय कंपनियां अरबों डॉलर की लुभावनी यूनीकार्न श्रेणी में प्रवेश कर रही हैं।

निष्कर्ष

अगला दशक भारत का दशक है और यह लक्ष्य आत्मनिर्भरता के बिना पूरा नहीं होगा। आर्थिक महाशक्ति बनने के लिए देश के गरीबों के उत्थान के प्रति हमारे यशस्वी प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदीजी की प्रतिबद्धता इसमें महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी। कोविड-19 महामारी ने विश्व भर में कहर बरपाया और वैश्विक अर्थव्यवस्था को मंद किया। जहां सभी उन्नत अर्थव्यवस्थाएं विकास पथ पर वापस आने के लिए आज भी संघर्ष कर रही हैं, वहीं आदरणीय प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदीजी के नेतृत्व में भारत, महामारी के अपने कुशल प्रबंधन, सुविचारित नीतिगत प्रतिक्रिया, प्रो-एक्टिव् प्रो-रेस्पोंसिव और प्रो-पुअर नीति और इसके त्वरित क्रियान्वयन के कारण, इससे उबर कर प्रगति व विकास की नई कहानी लिखने के लिए तैयार खड़ा है।

भारत महामारी के अपने कुशल प्रबंधन और के कारण ठीक होने के पथ पर है। आईएमएफ के अनुमानों के मुताबिक आने वाले वित्तीय वर्ष में भारत की विकास दर 8.2 प्रतिशत होगी। उभरती अर्थव्यवस्थाओं सहित विश्व की सभी अर्थव्यवस्थाओं में यह सबसे आशाजनक विकास अनुमान है। केंद्र की मोदी सरकार और भारतीय जनता पार्टी दोनों को अपने सभी प्रयास और ऊर्जा भारतीय अर्थव्यवस्था को विश्व में सही स्थान पुनः दिलाने के लिए समर्पित करना चाहिए।