केंद्रीय मंत्रिमंडल ने श्री राम मंदिर अयोध्या धाम प्राण प्रतिष्ठा पर प्रस्ताव पारित किया तथा प्रधानमंत्री को दी हार्दिक बधाई

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कैबिनेट ने 24 जनवरी को श्री राम मंदिर अयोध्या धाम प्राण प्रतिष्ठा पर एक प्रस्ताव पारित किया तथा प्रधानमंत्री को हार्दिक बधाई दी। प्रस्ताव में कहा गया है कि प्रधानमंत्री जी, आपने अपने कार्यों से इस राष्ट्र का मनोबल ऊंचा किया है और सांस्कृतिक आत्मविश्वास मजबूत किया है। प्रस्ताव के मुख्य अंश निम्न हैं:

प्रधानमंत्री जी, आज की कैबिनेट ऐतिहासिक है। ऐतिहासिक कार्य तो कई बार हुए होंगे, परन्तु जब से यह कैबिनेट व्यवस्था बनी है और यदि ब्रिटिश टाइम से वायसराय की Executive Council का कालखण्ड भी जोड़ लें, तो ऐसा अवसर कभी नहीं आया होगा। क्योंकि 22 जनवरी, 2024 को आपके माध्यम से जो कार्य हुआ है, वह इतिहास में अद्वितीय है। वह इसलिए अद्वितीय है, क्योंकि यह अवसर शताब्दियों बाद आया है। हम कह सकते हैं कि 1947 में इस देश का शरीर स्वतंत्र हुआ था और अब इसमें आत्मा की प्राण-प्रतिष्ठा हुई है। इससे सभी को आत्मिक आनंद की अनुभूति हुई है।

आपने अपने उद्बोधन में कहा था कि भगवान राम भारत के प्रभाव भी हैं, और प्रवाह भी हैं, नीति भी हैं और नियति भी हैं और आज हम राजनैतिक दृष्टि से नहीं, आध्यात्मिक दृष्टि से कह सकते हैं कि भारत के सनातनी प्रवाह और वैश्विक प्रभाव के आधार स्तंभ मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान राम की प्राण-प्रतिष्ठा के लिए नियति ने आपको चुना है।

वास्तव में, प्रभु श्रीराम भारत की नियति हैं और नियति के साथ, वास्तविक मिलन अब हुआ है। वास्तविकता में देखें तो कैबिनेट के सदस्यों के लिए यह अवसर जीवन में एक बार का अवसर नहीं, बल्कि अनेक जन्मों में एक बार का अवसर कहा जा सकता है।

प्रधानमंत्री जी, आपने अपने कार्यों से इस राष्ट्र का मनोबल ऊंचा किया है और सांस्कृतिक आत्मविश्वास मजबूत किया है। प्राण-प्रतिष्ठा में जिस तरह का भावनात्मक जन-सैलाब हमने देशभर में देखा, भावनाओं का ऐसा ज्वार हमने पहले कभी नहीं देखा।

भगवान राम के लिए जो जन-आंदोलन हमें देखने को मिला, वह एक नए युग का प्रवर्तन है। देशवासियों ने शताब्दियों तक इसकी प्रतीक्षा की और आज भव्य राम मंदिर में भगवान राम की प्राण-प्रतिष्ठा के साथ एक नए युग का प्रवर्तन हुआ है। आज यह एक नया नरेटिव सेट करने वाला जन-आंदोलन भी बन चुका है।

प्रधानमंत्री जी, इतना बड़ा अनुष्ठान तभी संपन्न हो सकता है, जब अनुष्ठान के कारक पर प्रभु की कृपा हो।

प्रधानमंत्री जी, श्रीराम जन्मभूमि का आंदोलन स्वतंत्र भारत का एकमात्र आंदोलन था, जिसमें पूरे देश के लोग एकजुट हुए थे। इससे करोड़ों भारतीयों की वर्षों की प्रतीक्षा और भावनाएं जुड़ी थीं।