‘हम सब मिलकर दुनिया को बेहतर भविष्य देंगे और भविष्य को बेहतर दुनिया देंगे’

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प्रधानमंत्री की अमेरिका की ऐतिहासिक राजकीय यात्रा

प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने 20 जून, 2023 को अमेरिकी राष्ट्रपति श्री जोसेफ जे. बाइडेन और अमेरिकी प्रथम महिला डॉ. जिल बाइडेन के निमंत्रण पर संयुक्त राज्य अमेरिका की ऐतिहासिक राजकीय यात्रा शुरू की। श्री मोदी की यह राजकीय यात्रा 21 जून से शुरू होकर 24 जून को समाप्त हुई। प्रधानमंत्री श्री मोदी की यह छठी अमेरिकी यात्रा तथा भारत के प्रधानमंत्री के रूप में उनकी पहली आधिकारिक राजकीय यात्रा थी। श्री मोदी ने 21 जून को न्यूयॉर्क स्थित संयुक्त राष्ट्र मुख्यालय में संयुक्त राष्ट्र के नेतृत्व तथा अंतरराष्ट्रीय समुदाय के सदस्यों के साथ अंतरराष्ट्रीय योग दिवस में भाग लिया। उसके बाद प्रधानमंत्री वाशिंगटन डीसी पहुंचे। वहां पर श्री मोदी ने राष्ट्रपति श्री बाइडेन और अन्य वरिष्ठ अमेरिकी नेताओं के साथ द्विपक्षीय सहयोग के साथ-साथ जी-20, क्वाड और आईपीईएफ जैसे बहुपक्षीय मंचों को और मजबूत करने के लिए व्यापक चर्चा की। इसके अलावा, प्रधानमंत्री श्री मोदी कई गणमान्य व्यक्तियों के साथ राष्ट्रपति श्री बाइडेन और प्रथम महिला डॉ. जिल बाइडेन के राजकीय भोज में शामिल हुए। इस यात्रा के दौरान श्री मोदी ने कांग्रेस नेतृत्व के निमंत्रण पर अमेरिकी कांग्रेस के संयुक्त सत्र को संबोधित किया। साथ ही, प्रधानमंत्री भारतीय-अमेरिकी समुदाय से मिले तथा दोनों देशों के बीच व्यापार और निवेश संबंधों को ऊ पर उठाने और लचीली वैश्विक आपूर्ति शृंखलाओं के निर्माण के अवसरों पर चर्चा करने के लिए प्रमुख सीईओ से बातचीत की। दरअसल, प्रधानमंत्री श्री मोदी की यह अमेरिकी यात्रा लोकतंत्र, विविधता और स्वतंत्रता के साझा मूल्यों पर आधारित भारत-अमेरिकी संबंधों को मजबूत करेगी तथा साझा वैश्विक चुनौतियों का मुकाबला करने के लिए दोनों देशों को और निकट लाएगी

भारत, अमेरिका को अपनी विविधता पर गर्व, दोनों देशों की संस्थाएं लोकतांत्रिक मूल्यों पर आधारित : नरेन्द्र मोदी

प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी अमेरिका की अपनी आधिकारिक राजकीय यात्रा के दौरान राष्ट्रपति श्री जो बाइडेन के साथ उच्चस्तरीय वार्ता करने के लिए 22 जून को व्हॉइट हाउस पहुंचे। श्री मोदी और श्री बाइडेन ने गर्मजोशी के साथ एक दूसरे का अभिवादन किया और अमेरिकी राष्ट्रपति ने व्हॉइट हाउस पहुंचने पर श्री मोदी का शानदार स्वागत किया। राजकीय स्वागत समारोह के दौरान अमेरिकी राष्ट्रपति ने प्रधानमंत्री श्री मोदी को गले लगाया।

प्रधानमंत्री श्री मोदी का स्वागत करते हुए अमेरिकी राष्ट्रपति श्री जो बाइडेन ने कहा कि वह अमेरिका में भारतीय प्रधानमंत्री का स्वागत करके ‘सम्मानित’ महसूस कर रहे हैं। अमेरिकी राष्ट्रपति ने प्रधानमंत्री का स्वागत करते हुए आगे कहा कि हम गरीबी उन्मूलन, पर्यावरण संबंधी चुनौतियों और यूक्रेन पर रूसी हमले के संदर्भ में (responding to the Russian attack on Ukraine) मिलकर काम कर रहे हैं।
इस अवसर पर श्री मोदी ने कहा कि दोनों देश वैश्विक अच्छाई, शांति, स्थिरता के लिए काम करेंगे और दोनों देशों के संबंध नई ऊंचाइयों को छुएंगे। प्रधानमंत्री श्री मोदी ने राष्ट्रपति श्री बाइडेन के साथ व्हॉइट हाउस के प्रांगण में अपने संबोधन में कहा कि हम दोनों देश अपनी विविधता पर गर्व करते हैं, हम दोनों ही ‘सर्वजन हिताय, सर्वजन सुखाय’ के मूल सिद्धांत में विश्वास करते हैं।

श्री मोदी ने कहा कि भारत और अमेरिका के समाज और संस्थाएं लोकतांत्रिक मूल्यों पर आधारित हैं और दोनों देशों का संविधान तीन शब्द ‘वी द पीपल’ से प्रारंभ होता है, जिसकी चर्चा राष्ट्रपति बाइडेन ने की है।

प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के आधिकारिक स्वागत का गवाह बनने के लिए बड़ी संख्या में प्रवासी भारतीय बूंदाबांदी के बीच व्हॉइट हाउस के ‘साउथ लॉन’ में जमा थे।
उन्होंने कहा कि तीन दशक पहले वे एक आम व्यक्ति के रूप में अमेरिका आए थे और उस समय उन्होंने बाहर से व्हॉइट हाउस को

‘एक सच्चे राष्ट्रवादी’

प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी 21 जून को भारी बारिश के बीच अमेरिका की अपनी राजकीय यात्रा के दूसरे चरण में वाशिंगटन डीसी पहुंचे। वाशिंगटन डीसी में ज्वाइंट बेस एंड्रयूज में उनका औपचारिक स्वागत किया गया और गार्ड ऑफ ऑनर दिया गया। प्रधानमंत्री के आगमन पर भारी बारिश हो रही थी, फिर भी अमेरिकी सेना के ऑर्केस्ट्रा बैंड द्वारा भारतीय राष्ट्र गान बजाये जाने के दौरान श्री मोदी दृढ़ता के साथ खड़े नजर आये, इस पर लोगों ने प्रधानमंत्री श्री मोदी को एक सच्चे राष्ट्रवादी की संज्ञा दी।

देखा था। श्री मोदी ने कहा कि प्रधानमंत्री बनने के बाद मैं कई बार यहां आया, लेकिन आज पहली बार व्हॉइट हाउस के दरवाजे इतनी बड़ी संख्या में भारतीय अमेरिकी समुदाय के लोगों के लिए खुले हैं। मैं इसको लेकर काफी सम्मानित महसूस कर रहा हूं।

उन्होंने कहा कि भारतीय समुदाय के लोग अपनी कड़ी मेहनत और समर्पण के जरिये अमेरिका में भारत का गौरव बढ़ा रहे हैं।

व्हॉइट हाउस में शानदार स्वागत के लिए प्रधानमंत्री श्री मोदी ने अमेरिकी राष्ट्रपति श्री जो बाइडेन और प्रथम महिला जिल बाइडेन का आभार जताया।

उन्होंने कहा कि आज व्हॉइट हाउस में शानदार स्वागत सम्मान एक प्रकार से 140 करोड़ भारतीयों का सम्मान है। यह अमेरिका में रहने वाले करीब 40 लाख भारतीय मूल के लोगों का भी सम्मान है। इसके लिए मैं अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन और प्रथम महिला जिल बाइडेन का आभार प्रकट करता हूं।

प्रधानमंत्री का अमेरिकी कांग्रेस की संयुक्त बैठक में संबोधन

प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने संयुक्त राज्य अमेरिका के हाउस ऑफ रिप्रेजेन्टेटिव्स के अध्यक्ष श्री केविन मैक्कार्थी, सीनेट में बहुमत के नेता श्री चार्ल्स शूमर, सीनेट में रिपब्लिकन पार्टी के नेता श्री मिच मैककोनेल और सदन में डेमोक्रेटिक पार्टी के नेता श्री हकीम जेफ्रीस के निमंत्रण पर 22 जून, 2023 को संयुक्त राज्य अमेरिका की कांग्रेस की संयुक्त बैठक को संबोधित किया। इस अवसर पर संयुक्त राज्य अमेरिका की उपराष्ट्रपति सुश्री कमला हैरिस भी उपस्थित थीं।

कैपिटल हिल पहुंचने पर कांग्रेस के नेताओं द्वारा प्रधानमंत्री का औपचारिक रूप से स्वागत किया गया। इसके बाद प्रधानमंत्री ने सदन के अध्यक्ष केविन मैक्कार्थी और कांग्रेस के विभिन्न नेताओं के साथ अलग-अलग बैठकें कीं।

अध्यक्ष श्री मैक्कार्थी ने प्रधानमंत्री के सम्मान में एक स्वागत समारोह का आयोजन किया। संयुक्त राज्य अमेरिका की कांग्रेस की संयुक्त बैठक में श्री मोदी का यह दूसरा संबोधन था। उन्होंने इससे पहले सितंबर, 2016 में संयुक्त राज्य अमेरिका की अपनी आधिकारिक यात्रा के दौरान अमेरिकी कांग्रेस को संबोधित किया था।

अपने संबोधन में प्रधानमंत्री ने भारत और संयुक्त राज्य अमेरिका के बीच के संबंधों को मजबूत करने के लिए संयुक्त राज्य अमेरिका की कांग्रेस में लंबे समय से चले आ रहे और मजबूत द्विदलीय समर्थन की सराहना की।

श्री मोदी ने भारत और संयुक्त राज्य अमेरिका के बीच के द्विपक्षीय संबंधों में हुई तेज प्रगति के बारे में बात की तथा द्विपक्षीय संबंधों को और ऊपर उठाने से संबंधित अपने दृष्टिकोण को साझा किया। उन्होंने भारत की व्यापक प्रगति और दुनिया के लिए उसके द्वारा पेश किए जाने वाले अवसरों को भी रेखांकित किया। यहां प्रस्तुत है श्री मोदी के संबोधन की मुख्य बातें:

अमेरिकी कांग्रेस को दो बार संबोधित करना एक असाधारण सम्मान

अमेरिकी कांग्रेस को संबोधित करना हमेशा एक बड़ा सम्मान होता है। ऐसा अवसर दो बार प्राप्त करना एक असाधारण अवसर है। इस सम्मान के लिए भारत की 1.4 अरब जनता की ओर से हार्दिक आभार व्यक्त करता हूं। मैं देख रहा हूं कि आप में से लगभग आधे लोग 2016 में यहां थे। मैं पुराने मित्रों के तौर पर आपके उत्साहपूर्ण

भारतीय राजनेता और उनकी अमेरिकी राजकीय यात्राएं

प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी से पहले केवल दो भारतीय नेताओं को संयुक्त राज्य अमेरिका द्वारा आधिकारिक राज्य अतिथि के तौर पर आमंत्रित किया गया है। जून, 1963 में राष्ट्रपति डॉ. एस. राधाकृष्णन और नवंबर, 2009 में प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह को आमंत्रित किया गया था।
कुल नौ भारतीय प्रधानमंत्रियों ने अमेरिका का दौरा किया है, जिसमें जवाहरलाल नेहरू और अटल बिहारी वाजपेयी ने चार-चार यात्रा की, इंदिरा गांधी और राजीव गांधी ने तीन यात्राएं कीं, पीवी नरसिम्हा राव ने दो यात्राएं कीं और मोरारजी देसाई और इंद्र कुमार गुजराल ने एक यात्रा की। प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने आठ बार अमेरिकी यात्रा की।

प्रधानमंत्री मोदी की 2014 के बाद अमेरिकी यात्राएं

प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी पहली बार 2014 में अमेरिका के दौरे पर गए। यह यात्रा इसलिए भी महत्वपूर्ण थी, क्योंकि इस दौरान उन्होंने संयुक्त राष्ट्र महासभा के 69वें सत्र में अपना पहला भाषण भी दिया था। इसके बाद 2016 में ‘परमाणु सुरक्षा शिखर सम्मेलन’ के लिए प्रधानमंत्री श्री मोदी ने अमेरिका का दौरा किया। इस यात्रा के दौरान उन्होंने व्हॉइट हाउस में तत्कालीन अमेरिकी राष्ट्रपति श्री बराक ओबामा से मुलाकात की और द्विपक्षीय वार्ता की। उनकी 2019 की यात्रा को उनकी सबसे महत्वपूर्ण यात्राओं में से एक माना जाता है। उन्होंने ह्यूस्टन में ‘हाउडी मोदी’ नामक एक कार्यक्रम में भारतीय-अमेरिकी समुदाय को संबोधित किया। इस कार्यक्रम में 50,000 लोगों ने भाग लिया और इस कार्यक्रम को तत्कालीन अमेरिकी श्री राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने भी संबोधित किया, जिन्होंने बाद में प्रधानमंत्री श्री मोदी के साथ द्विपक्षीय वार्ता की। 2017 में प्रधानमंत्री तीन दिवसीय दौरे पर अमेरिका गए। तत्कालीन राष्ट्रपति श्री डोनाल्ड ट्रंप ने व्हॉइट हाउस में ‘वर्किंग डिनर’ में उनकी मेजबानी की थी। इस यात्रा के दौरान प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने भारतीय प्रवासियों को भी संबोधित किया।

प्रधानमंत्री मोदी और राष्ट्रपति बाइडेन ने की द्विपक्षीय वार्ता

प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने 23 जून को व्हॉइट हाउस का दौरा किया, जहां श्री जोसेफ बाइडेन और प्रथम महिला डॉ. जिल बाइडेन ने उनका औपचारिक स्वागत किया। इस अवसर पर प्रधानमंत्री के स्वागत के लिए हजारों भारतीय-अमेरिकी भी मौजूद थे। इसके बाद, प्रधानमंत्री ने राष्ट्रपति श्री बाइडेन के साथ सीमित और प्रतिनिधिमंडल-स्तरीय प्रारूपों में उपयोगी बातचीत की। दोनों नेताओं ने दोनों देशों के बीच लंबे समय से चली आ रही मैत्री और व्यापार और निवेश, रक्षा और सुरक्षा, ऊर्जा, जलवायु परिवर्तन से लेकर जन-जन के बीच संबंधों जैसे क्षेत्रों तक बढ़ते सहयोग पर चर्चा की।

दोनों नेताओं ने दोनों देशों के बीच आपसी विश्वास और समझ के साथ-साथ साझा मूल्यों के बारे में चर्चा की, जो संबंधों को एक नई ऊंचाई तक ले जाने के लिए एक मजबूत आधार प्रदान करता है। उन्होंने क्रिटिकल एंड इमर्जिंग टेक्नोलॉजीज (आईसीईटी) जैसी पहलों के माध्यम से हुई तीव्र प्रगति और सशक्त आपूर्ति शृंखला बनाने के लिए रणनीतिक प्रौद्योगिकी सहयोग को बढ़ाने की गहरी इच्छा की सराहना की। उन्होंने महत्वपूर्ण खनिजों और अंतरिक्ष क्षेत्रों में बढ़ते सहयोग का स्वागत किया।

दोनों नेताओं ने जलवायु परिवर्तन से निपटने और एक स्थायी भविष्य के लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए अपनी प्रतिबद्धता दोहराई। उन्होंने स्वच्छ और अक्षय ऊर्जा को बढ़ावा देने और जलवायु पहल पर सहयोग करने के तरीकों पर चर्चा की।

दोनों नेताओं ने अपने लोगों और वैश्विक समुदाय के लाभ के लिए भारत और अमेरिका के बीच बहुआयामी व्यापक वैश्विक रणनीतिक साझेदारी को और गहरा करने का दृढ़ संकल्प व्यक्त किया। इस चर्चा में आपसी हित के क्षेत्रीय और वैश्विक मुद्दे भी शामिल रहे। प्रधानमंत्री ने सितंबर, 2023 में जी-20 नेताओं के शिखर सम्मेलन के दौरान नई दिल्ली में राष्ट्रपति श्री बाइडेन का स्वागत करने के प्रति उत्सुकता व्यक्त की।

भाव को महसूस करता हूं। बाकी सभी के बीच भी मैं एक नई मित्रता का उत्साह महसूस कर सकता हूं। मुझे सीनेटर हैरी रीड, सीनेटर जॉन मैक्केन, सीनेटर ओरिन हैच, एलिजा कमिंग्स, एलसी हेस्टिंग्स और अन्य लोगों का स्मरण हैं, जिनसे मेरी 2016 में यहां भेंट हुई थी, पर यह दुःख की बात है कि अब वे हमारे साथ नहीं हैं।

यहां खड़े होकर सात वर्ष पहले यही वह जून है जब हैमिल्टन ने सभी पुरस्कार जीते थे, मैंने कहा था कि इतिहास की दुविधा हमारे साथ थी। अब, जब हमारा युग एक क्रॉसरोड पर है, मैं इस शताब्दी के लिए हमारे आह्वान के संदर्भ में चर्चा करने के लिए यहां उपस्थित हूं। जिस लंबे और वक्र मार्ग पर हमने यात्रा की है, उसमें मित्रता की कसौटी पर हम खरे उतरे हैं। सात वर्ष पहले जब मैं यहां आया था तब से बहुत कुछ बदल गया है, लेकिन बहुत कुछ समान भी है जैसे— भारत और अमेरिका के बीच की मित्रता को परिपुष्ट करने की हमारी प्रतिबद्धता। पिछले कुछ वर्षों में एआई-आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस में काफी प्रगति हुई है। साथ ही, अन्य एआई को लेकर अमेरिका व भारत में भी महत्वपूर्ण विकास हुआ है।

लोगों से लगातार जुड़े रहना लोकतंत्र की खूबसूरती

लोकतंत्र की खूबसूरती लोगों से लगातार जुड़े रहने, उनकी बात सुनना और उनकी मनोदशा को महसूस करना है और मैं जानता हूं कि इसमें लंबी यात्रा, बहुत समय, ऊर्जा और प्रयास लगता है। यह गुरुवार की दोपहर है, आप में से कुछ के लिए बेहद व्यस्त दिन है। इसलिए, मैं आपके समय के लिए आभारी हूं। मैं यह भी जानता हूं कि पिछले महीने आप कितने व्यस्त रहे हैं।

एक जीवंत लोकतंत्र का नागरिक होने के नाते मैं एक बात स्वीकार कर सकता हूं अध्यक्ष महोदय आपका काम कठिन है। उत्साह, प्रतिपालन और नीति के संघर्षों मैं इस कार्य को जोड़कर देख सकता हूं। मैं विचारों और विचारधारा के तर्क-वितर्क को समझ सकता हूं, लेकिन मुझे यह देखकर प्रसन्नता हो रही है कि आज आप विश्व के दो महान लोकतंत्रों— भारत और अमेरिका के बीच संबंधों का महोत्सव मनाने के लिए एक साथ उपस्थित हैं। जब भी आपको पुष्ट द्विदलीय सहमति की आवश्यकता हो तो मुझे सहायता करने में प्रसन्नता का अनुभव होगा। स्वदेश में विचारों का एक मंथन होगा और होना भी चाहिए, लेकिन जब हम अपने राष्ट्र की बात करते हैं, तो हमें एक साथ आना भी चाहिए और आपने दिखाया है कि आप यह कर सकते हैं। इसके लिए बधाई स्वीकार करें।

हमने एक-दूसरे को प्रेरित किया

अमेरिका की स्थापना समान लोगों वाले राष्ट्र की अवधारणा से प्रेरित थी। अपने पूरे इतिहास में आपने दुनिया भर के लोगों को गले लगाया है और आपने उन्हें अमेरिकी स्वप्न में बराबर का भागीदार बनाया है। यहां लाखों लोग हैं, जिनकी जड़ें भारत में हैं। उनमें से कुछ इस कक्ष में शान से बैठते हैं। मेरे पीछे भी एक हैं, जिन्होंने इतिहास रचा है। मुझे जानकारी दी गयी है कि समोसा कॉकस की अब सदन में अहम भूमिका है। मुझे आशा है कि इसमें और बढ़ोतरी होगी और भारतीय पाक शैली की पूर्ण विविधता यहां लाई जाएगी। दो शताब्दियों से अधिक समय से हमने महान अमेरिकियों और भारतीयों की जीवनशैली से एक-दूसरे को प्रेरित किया है। हम महात्मा गांधी और मार्टिन लूथर किंग जूनियर को श्रद्धांजलि देते हैं। हम कई अन्य लोगों को भी याद करते हैं जिन्होंने स्वतंत्रता, समानता और न्याय के लिए कार्य किया। आज, उनमें से एक कांग्रेस के सदस्य जॉन लुईस को भी मैं भावभीनी श्रद्धांजलि देना चाहता हूं।

लोकतंत्र हमारे पवित्र और साझा मूल्यों में से एक

लोकतंत्र हमारे पवित्र और साझा मूल्यों में से एक है। यह लंबे समय में विकसित हुआ है और इसने विभिन्न रूप और व्यवस्थाओं को अपनाया हैं। हालांकि, पूरे इतिहास में एक बात स्पष्ट रही है।

 लोकतंत्र वह भावना है जो समानता और सम्मान का समर्थन करती है।
 लोकतंत्र वह विचार है जो परिचर्चा और संवाद का स्वागत करता है।
 लोकतंत्र वह संस्कृति है जो विचार और अभिव्यक्ति को हौसला देती है।
 भारत को अनादिकाल से ऐसे मूल्यों का सौभाग्य प्राप्त है। लोकतांत्रिक भावना के विकास में भारत लोकतंत्र की जननी है।
 सहस्राब्दियों पहले हमारे सबसे पुराने धर्मग्रंथों में कहा गया था, ‘एकम् सत् विप्रा बहुधा वदन्ति’। इसका अर्थ है— सत्य एक है लेकिन बौद्धिक लोग उसे अलग-अलग तरीकों से व्यक्त करते हैं।

 अब, अमेरिका सबसे पुराना और भारत सबसे बड़ा लोकतंत्र है।
 हमारी साझेदारी लोकतंत्र के भविष्य के लिए शुभ संकेत है।
 हम सब मिलकर दुनिया को बेहतर भविष्य देंगे और भविष्य को बेहतर दुनिया देंगे।

पिछले वर्ष भारत ने अपनी आजादी के 75 साल पूरे किये। प्रत्येक उपलब्धि महत्वपूर्ण है, लेकिन यह विशेष है। हमने किसी न किसी रूप में एक हजार वर्षों के विदेशी शासन के बाद आजादी की 75 वर्षों से अधिक की उल्लेखनीय यात्रा का महोत्सव मनाया। यह सिर्फ लोकतंत्र का ही नहीं बल्कि विविधता, संविधान, उसकी सामाजिक सशक्तीकरण की भावना के साथ-साथ न केवल हमारे प्रतिस्पर्धी और सहकारी संघवाद का, बल्कि हमारी आवश्यक एकता और अखंडता का भी उत्सव रहा।

हमारे पास दो हजार पांच सौ से अधिक राजनीतिक दल

हमारे पास दो हजार पांच सौ से अधिक राजनीतिक दल हैं। हां, आपने सही सुना— दो हजार पांच सौ। भारत के विभिन्न राज्यों में लगभग बीस अलग-अलग पार्टियां शासन करती हैं। हमारी बाईस आधिकारिक भाषाएं और हजारों बोलियां हैं और फिर भी हम एक स्वर में बात करते हैं। हर सौ मील पर हमारा भोजन बदल जाता है। डोसे से लेकर आलू परांठे तक और श्रीखंड से लेकर संदेश तक, हम इन सबका आनंद लेते हैं। हम दुनिया के सभी धर्मों का घर हैं और हम उन सभी का उत्सव भी मनाते हैं। भारत में विविधता जीवन जीने का एक स्वाभाविक तरीका है।

आज दुनिया भारत के बारे में ज्यादा से ज्यादा जानना चाहती है। मैं इस सदन में भी वह जिज्ञासा देखता हूं। पिछले दशक में भारत में अमेरिकी कांग्रेस के सौ से अधिक सदस्यों का स्वागत करके हम सम्मानित महसूस कर रहे हैं। हर कोई भारत के विकास, लोकतंत्र और विविधता को समझना चाहता है। हर कोई जानना चाहता है कि भारत क्या सही कर रहा है और कैसे। करीबी मित्रों के बीच मुझे इसे साझा करते हुए प्रसन्नता का अनुभव हो रहा है।

हम एक मज़बूत और भविष्य की साझेदारी की रचना कर रहे हैं: नरेन्द्र मोदी

भारत-अमेरिका की व्यापार और निवेश साझेदारी दोनों देशों के लिए ही नहीं,
बल्कि वैश्विक अर्थव्यवस्था के लिए भी महत्वपूर्ण है

प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने अमेरिकी राष्ट्रपति श्री जो बाइडेन के साथ संयुक्त प्रेस वार्ता में 23 जून को कहा कि आज का दिन भारत और अमेरिका के संबंधों के इतिहास में एक विशेष महत्व रखता है। आज की हमारी चर्चा और हमारे द्वारा लिए गए महत्वपूर्ण निर्णयों से हमारी कॉम्प्रिहेंसिव ग्लोबल स्ट्रेटेजिक पार्टनरशिप में एक नया अध्याय जुड़ा है। एक नई दिशा और नई ऊर्जा मिली है।

श्री मोदी ने कहा कि भारत-अमेरिका की व्यापार और निवेश साझेदारी दोनों देशों के लिए ही नहीं, बल्कि वैश्विक अर्थव्यवस्था के लिए भी महत्वपूर्ण है। आज अमेरिका भारत का सबसे बड़ा व्यापार भागीदार है। हमने निर्णय लिया है कि व्यापार से जुड़े लंबित मुद्दों को समाप्त कर नई शुरुआत की जाये।

उन्होंने कहा कि आई-सेट यानी Initiative for Critical and Emerging Technologies हमारे तकनीकी सहयोग के महत्वपूर्ण फ्रेमवर्क के रूप में उभरा है। आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, सेमीकंडक्टर, स्पेस, क्वांटम और टेलीकॉम जैसे क्षेत्रों में अपना सहयोग बढ़ाकर हम एक मज़बूत और भविष्य की साझेदारी की रचना कर रहे हैं।

श्री मोदी ने कहा कि हमने यह भी निर्णय लिया कि वैश्विक अनिश्चितताओं के बीच भारत और अमेरिका विश्वसनीय पार्टनर्स की तरह रिलाएबल, सिक्योर और रेसिलिएंट ग्लोबल सप्लाई चेन और वैल्यू चेन तैयार करेंगे। भारत और अमेरिका के बीच करीबी रक्षा सहयोग हमारे आपसी विश्वास और साझा रणनीतिक प्राथमिकताओं का प्रतीक है।

उन्होंने कहा कि आज की बैठक में हमने कई क्षेत्रीय एवं वैश्विक मुद्दों पर चर्चा की। हिन्द-प्रशांत में शांति और सुरक्षा यह हमारी साझा प्राथमिकता है। हम एकमत हैं कि इस क्षेत्र का विकास और सफलता पूरे विश्व के लिए महत्वपूर्ण है।

सीमा पार आतंकवाद को समाप्त करने के लिए ठोस कार्रवाई आवश्यक

श्री मोदी ने कहा कि आतंकवाद और कट्टरवाद के खिलाफ लड़ाई में भारत और अमेरिका कंधे से कंधा मिलाकर चल रहे हैं। हम सहमत हैं कि सीमा पार आतंकवाद को समाप्त करने के लिए ठोस कार्रवाई आवश्यक है। कोविड महामारी और यूक्रेन संघर्ष से ग्लोबल साउथ के देश विशेष रूप से पीड़ित हुए हैं।

उन्होंने कहा कि हमारा मत है कि इन समस्याओं के समाधान के लिए सभी देशों का एकजुट होना अनिवार्य है। यूक्रेन के घटनाक्रम के शुरुआत से ही भारत ने डायलॉग और डिप्लोमेसी के माध्यम से इस विवाद को सुलझाने पर जोर दिया है। हम शांति की बहाली के लिए हर संभव योगदान देने के लिए पूरी तरह से तैयार हैं।

ग्लोबल साउथ की प्राथमिकताओं को आवाज़

श्री मोदी ने कहा कि भारत की जी-20 की अध्यक्षता में हम ‘एक पृथ्वी, एक परिवार, एक भविष्य’ पर बल दे रहे हैं। ग्लोबल साउथ की प्राथमिकताओं को आवाज़ दे रहे हैं। मैं राष्ट्रपति बाइडेन का धन्यवाद करता हूं कि उन्होंने अफ्रीकन यूनियन को जी-20 का पूर्ण सदस्य बनाने के मेरे प्रस्ताव पर समर्थन जताया है।

उन्होंने कहा कि हमारे सभी साझे प्रयासों का मूलमन्त्र है— लोकतंत्र और लोकतान्त्रिक मूल्यों तथा व्यवस्थाओं को सशक्त करना। विश्व के दो सबसे बड़े लोकतंत्र— भारत और अमेरिका— मिलकर विश्व शांति, स्थिरता, समृद्धि में महत्वपूर्ण सहयोग दे सकते हैं। मुझे विश्वास है कि इन मूल्यों के आधार पर हम दोनों देशों के लोगों की ही नहीं, बल्कि पूरे विश्व की अपेक्षाओं और आकांक्षाओं को पूरा कर सकेंगे।
अंत में श्री मोदी ने कहा कि इस वर्ष जी-20 समिट के दौरान आपका भारत में स्वागत करने के लिए भारत और मैं स्वयं भी बहुत ही उत्सुक हैं।

आज भारत पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था

जब मैंने प्रधानमंत्री के रूप में पहली बार अमेरिका का दौरा किया, तो भारत दुनिया की दसवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था थी। आज भारत पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है और भारत जल्द ही तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था होगा। हम न केवल विकसित हो रहे हैं, बल्कि तेजी से बढ़ भी रहे हैं। जब भारत बढ़ता है तो पूरी दुनिया बढ़ती है। आख़िरकार, हम दुनिया की आबादी का छठा हिस्सा हैं। पिछली शताब्दी में जब भारत ने अपनी स्वतंत्रता हासिल की, तो इसने कई अन्य देशों को औपनिवेशिक शासन से खुद को मुक्त करने के लिए प्रेरित किया। इस सदी में जब भारत विकास के मानक स्थापित करेगा, तो यह कई अन्य देशों को भी ऐसा करने के लिए प्रेरित करेगा। हमारा दृष्टिकोण ‘सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास, सबका प्रयास’ है। इसका अभिप्राय है, ‘सबका विकास, सबके विश्वास और सबके प्रयासों’ से साथ मिलकर आगे बढ़ना है।

आइए, मैं आपके साथ साझा करता हूं कि यह दृष्टिकोण गति और व्यापकता के साथ किस प्रकार से कार्यान्वित हो रहा है। हम बुनियादी ढांचे के विकास पर ध्यान केंद्रित कर रहे हैं। हमने 15 करोड़ से अधिक लोगों को आश्रय प्रदान करने के लिए लगभग 4 करोड़ घर दिए हैं। यह ऑस्ट्रेलिया की जनसंख्या का लगभग छह गुना है। हम एक राष्ट्रीय स्वास्थ्य बीमा कार्यक्रम चलाते हैं जो लगभग पांच सौ मिलियन लोगों के लिए मुफ्त चिकित्सा उपचार सुनिश्चित करता है। यह दक्षिण अमेरिका की जनसंख्या से भी अधिक है। हमने दुनिया के सबसे बड़े वित्तीय समावेशन अभियान के साथ बैंकिंग को उन लोगों तक पहुंचाया जिनके पास बैंकिंग सुविधा नहीं थी। लगभग पांच सौ मिलियन लोगों को इसका लाभ हुआ। यह उत्तरी अमेरिका की जनसंख्या के करीब है।

हमने डिजिटल इंडिया बनाने पर काम किया है। आज देश में 85 करोड़ से अधिक स्मार्टफोन और इंटरनेट उपयोगकर्ता हैं। यह यूरोप की जनसंख्या से भी अधिक है। हमने अपने लोगों को भारत में निर्मित कोविड टीकों की 2.2 अरब खुराकें देकर सुरक्षित किया और वह भी निःशुल्क। हो सकता है कि जल्द ही हम महाद्वीपों से भी आगे बढ़ जाएं, इसलिए मैं यहीं रुकना चाहूंगा।

वेद दुनिया के सबसे पुराने धर्मग्रंथों में से एक

वेद दुनिया के सबसे पुराने धर्मग्रंथों में से एक हैं। वे हजारों साल पहले रचित मानवता का एक महान खजाना हैं। उस समय महिला ऋषियों ने वेदों में कई छंदों की रचना की और आज आधुनिक भारत में महिलाएं हमें बेहतर भविष्य की ओर ले जा रही हैं। भारत

प्रधानमंत्री ने भारत-अमेरिका हाई-टेक हैंडशेक कार्यक्रम में की भागीदारी

प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी और संयुक्त राज्य अमेरिका के राष्ट्रपति श्री जोसेफ आर. बाइडेन ने 24 जून को वाशिंगटन डी.सी. में व्हॉइट हाउस में भारत-अमेरिका हाई-टेक हैंडशेक कार्यक्रम में भाग लिया। कार्यक्रम का संचालन अमेरिकी वाणिज्य मंत्री सुश्री जीना रायमोंडो ने किया। इस कार्यक्रम में भारत और अमेरिका की अग्रणी तकनीकी कंपनियों और स्टार्टअप के सीईओ की भागीदारी देखी गई। फोरम का विषयगत फोकस ‘सभी के लिए एआई’ और ‘मानव जाति के लिए विनिर्माण’ पर था।

यह कार्यक्रम दोनों नेताओं के लिए भारत और अमेरिका के बीच बढ़ते प्रौद्योगिकी सहयोग की समीक्षा करने का एक अवसर था। विचार-विमर्श का केंद्र बिंदु अपने नागरिकों और दुनिया की जरूरतों को पूरा करने के लिए एआई सक्षम समावेशी अर्थव्यवस्था को अपनाने में भारत-अमेरिका प्रौद्योगिकी साझेदारी की भूमिका और संभावना पर था।

सीईओ ने वैश्विक सहयोग कायम करने के लिए दोनों देशों के तकनीकी इकोसिस्टम के बीच मौजूदा संबंधों, भारत के प्रतिभाशाली कार्यबल और डिजिटल पब्लिक इंफ्रास्ट्रक्चर में भारत द्वारा की गई प्रगति का लाभ उठाने के उपायों के बारे में चर्चा की। उन्होंने रणनीतिक सहयोग शुरू करने, मानकों पर सहयोग करने और नवाचार को बढ़ावा देने के लिए संबंधित उद्योगों के बीच नियमित जुड़ाव का आह्वान किया।

अपनी टिप्पणी में प्रधानमंत्री ने सामाजिक-आर्थिक विकास के लिए भारत-अमेरिका तकनीकी सहयोग का उपयोग करने की अपार क्षमता पर जोर दिया। उन्होंने नवाचार की संस्कृति को बढ़ावा देने में भारत के प्रतिभाशाली युवाओं के योगदान की भी सराहना की। राष्ट्रपति श्री बाइडेन ने सीईओ से जैव-प्रौद्योगिकी और क्वांटम सहित नए क्षेत्रों में भारत-अमेरिका तकनीकी साझेदारी का विस्तार करने में मदद करने का आह्वान किया। दोनों नेताओं ने इस बात पर जोर दिया कि भारत-अमेरिका साझेदारी हमारे लोगों और दुनिया के लिए बेहतर भविष्य के निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी।

का दृष्टिकोण सिर्फ महिलाओं को लाभ पहुंचाने वाला विकास नहीं है। यह महिला नेतृत्व वाले विकास का है, जहां महिलाएं प्रगति की यात्रा का नेतृत्व करती हैं। एक साधारण जनजाति की पृष्ठभूमि से निकलकर एक महिला हमारी राष्ट्रपति बनी हैं।

लगभग एक दशमलव पांच मिलियन निर्वाचित महिलाएं विभिन्न स्तरों पर हमारा नेतृत्व करती हैं और वह है स्थानीय सरकारों के रूप में हैं। आज महिलाएं थल सेना, नौसेना और वायु सेना में हमारे देश की सेवा कर रही हैं। विश्व में महिला एयरलाइन पायलटों का प्रतिशत भी भारत में सबसे अधिक है और उन्होंने हमारे मंगल मिशन का नेतृत्व करके हमें मंगल ग्रह पर भी पहुंचाया है। मेरा मानना है कि एक बालिका के उत्थान पर निवेश करने से पूरे परिवार का उत्थान होता है। महिलाओं को सशक्तीकरण राष्ट्र का सशक्तीकरण कर देता है।

भारत युवा आबादी वाला एक प्राचीन राष्ट्र

भारत युवा आबादी वाला एक प्राचीन राष्ट्र है। भारत अपनी परंपराओं के लिए जाना जाता है, लेकिन युवा पीढ़ी इसे टेक्नोलॉजी का हब भी बना रही है। चाहे वह इंस्टा पर क्रिएटिव रील्स हो या रियल टाइम पेमेंट, कोडिंग या क्वांटम कंप्यूटिंग, मशीन लर्निंग या मोबाइल ऐप, फिनटेक या डेटा साइंस, भारत के युवा इस बात का एक बड़ा उदाहरण हैं कि एक समाज नवीनतम तकनीक को कैसे अपना सकता है। भारत में प्रौद्योगिकी न केवल नवाचार से जुड़ी है बल्कि समावेशन के संबंध में भी महत्वपूर्ण है। आज डिजिटल प्लेटफॉर्म निजता की रक्षा करते हुए लोगों के अधिकारों और सम्मान को सशक्त बना रहे हैं।

पिछले नौ वर्षों में एक अरब से अधिक लोगों को उनके बैंक खातों और मोबाइल फोन से जुड़ी एक अद्वितीय डिजिटल बायोमेट्रिक पहचान मिली है। यह डिजिटल सार्वजनिक बुनियादी ढांचा हमें वित्तीय सहायता के साथ नागरिकों तक सेकंडों में पहुंचने में मदद करता है। आठ सौ पचास मिलियन लोगों को उनके खातों में प्रत्यक्ष लाभ वित्तीय हस्तांतरण प्राप्त होता है। साल में तीन बार एक बटन के क्लिक पर सौ मिलियन से अधिक किसानों को उनके बैंक खातों में सहायता प्राप्त होती है। ऐसे हस्तांतरणों का मूल्य तीन सौ बीस अरब डॉलर से अधिक हो गया है और हमने इस प्रक्रिया में पच्चीस अरब डॉलर से अधिक की बचत की है। यदि आप भारत का दौरा करें, तो आप देखेंगे कि हर कोई भुगतान के लिए फोन का उपयोग कर रहा है, जिसमें एक सड़क विक्रेता भी शामिल हैं।

पिछले वर्ष दुनिया में 100 रियल टाइम डिजिटल भुगतान में से 46 भारत में हुए। लगभग चार लाख मील ऑप्टिकल फाइबर केबल और सस्ते डेटा ने अवसरों की क्रांति ला दी है। किसान मौसम संबंधी अपडेट देखते हैं, बुजुर्गों को सामाजिक सुरक्षा भुगतान मिलती है, छात्रों को छात्रवृत्ति मिलती है, डॉक्टर टेली-मेडिसिन देते हैं, मछुआरे मछली पकड़ने की संभावनाओं की मदद लेते हैं और छोटे व्यवसायों

प्रधानमंत्री ने ‘भारत और यूएसए: भविष्य के लिए कौशल विकास’ कार्यक्रम में लिया भाग

प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी और यूएसए की प्रथम महिला डॉ. जिल बाइडेन ने 22 जून को वाशिंगटन डीसी स्थित राष्ट्रीय विज्ञान केंद्र में ‘भारत और यूएसए: भविष्य के लिए कौशल विकास’ विषय पर केंद्रित एक कार्यक्रम में भाग लिया।

यह आयोजन पूरे समाज में गुणवत्तापूर्ण शिक्षा तक पहुंच बढ़ाने और इसका विस्तार करने के लिए उच्च शिक्षा संस्थानों में कार्यबल का पुनर्विकास करने पर केंद्रित था। प्रधानमंत्री ने शिक्षा, कौशल और नवाचार को बढ़ावा देने के लिए भारत द्वारा उठाए गए विभिन्न कदमों पर प्रकाश डाला। उन्होंने भारतीय और अमेरिकी शैक्षणिक व अनुसंधान इकोसिस्टम के बीच वर्तमान में चल रहे द्विपक्षीय शैक्षणिक आदान-प्रदान तथा आपसी सहयोग की सराहना की। प्रधानमंत्री ने शिक्षा और अनुसंधान क्षेत्र में भारत-अमेरिका सहयोग को गति प्रदान करने के लिए 5 सूत्री प्रस्ताव प्रस्तुत किए, जो इस प्रकार हैं :

 सरकार, उद्योग और शिक्षा जगत को एक साथ लाने वाला एकीकृत दृष्टिकोण
 शिक्षकों और छात्रों के आदान-प्रदान को प्रोत्साहित करना
 दोनों देशों के बीच विभिन्न विषयों पर हैकथॉन का आयोजन
 व्यावसायिक कौशल योग्यताओं को परस्पर मान्यता देना
 शिक्षा एवं अनुसंधान से जुड़े लोगों की यात्रा को प्रोत्साहित करना।
इस कार्यक्रम में नॉर्दर्न वर्जीनिया कम्युनिटी कॉलेज के अध्यक्ष, अमेरिकी विश्वविद्यालय संघ के अध्यक्ष, माइक्रोन टेक्नोलॉजी के अध्यक्ष और सीईओ तथा छात्र उपस्थित थे।

को अपने फोन पर सिर्फ एक टैप से ऋण मिलता है।

लोकतंत्र, समावेश और स्थिरता की भावना

लोकतंत्र, समावेश और स्थिरता की भावना हमें परिभाषित करती है। यह दुनिया के प्रति हमारे दृष्टिकोण को भी आकार देता है। भारत अपनी पृथ्वी के प्रति जिम्मेदार रहते हुए आगे बढ़ता है।
हमें यकीन है: माता भूमि: पुत्रो अहं पृथिव्या:
इसका अर्थ है— ‘पृथ्वी हमारी माता है और हम उसकी संतान हैं।’

भारतीय संस्कृति पर्यावरण और हमारे ग्रह का हृदय से सम्मान करती है। सबसे तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था बनते हुए हमने अपनी सौर क्षमता में दो हजार तीन सौ प्रतिशत की वृद्धि की। हां, आपने सही सुना— दो हज़ार तीन सौ प्रतिशत।

हम अपनी पेरिस प्रतिबद्धता को पूरा करने वाले एकमात्र जी-20 देश बन गए हैं। हमने 2030 के लक्ष्य से नौ साल पहले नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों को हमारे ऊर्जा स्रोतों का चालीस प्रतिशत से अधिक हिस्सा बना लिया, लेकिन हम यहीं नहीं रुके। ग्लासगो शिखर सम्मेलन में मैंने पर्यावरण के लिए मिशन लाइफ-लाइफस्टाइल का प्रस्ताव रखा। यह स्थिरता को एक सच्चा जन आंदोलन बनाने का एक तरीका है। इसे केवल सरकारों के काम पर ही न छोड़ें।

रक्षा, अंतरिक्ष और व्यापार पर हुए
कई प्रमुख समझौते

प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी की इस राजकीय यात्रा के दौरान रक्षा, अंतरिक्ष और व्यापार जैसे प्रमुख क्षेत्रों में भारत और अमेरिका के बीच सहयोग को बढ़ावा देने के लिए कई प्रमुख समझौते हुए। प्रधानमंत्री श्री मोदी और राष्ट्रपति श्री बाइडन ने सैन्य विमानों के लिए जेट इंजन के संयुक्त उत्पादन संबंधी ‘ऐतिहासिक’ समझौते और अमेरिकी ड्रोन समझौते की प्रशंसा की।

भारत और अमेरिका के अपनी रणनीतिक साझेदारी को बढ़ाने के लिए तैयार होने के बीच जीई एयरोस्पेस ने घोषणा की कि उसने भारतीय वायु सेना के हल्के लड़ाकू विमान (एलसीए) एमके-2 तेजस के वास्ते संयुक्त रूप से लड़ाकू जेट इंजन का उत्पादन करने के लिए हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (एचएएल) के साथ एक समझौता किया है।

एक अन्य बड़ी घोषणा में कंप्यूटर स्टोरेज चिप निर्माता माइक्रॉन ने कहा कि वह गुजरात में अपना ‘सेमीकंडक्टर असेंबली’ और परीक्षण संयंत्र स्थापित करेगी, जिसमें कुल 2.75 अरब अमेरिकी डॉलर (लगभग 22,540 करोड़ रुपये) का निवेश होगा।

प्रधानमंत्री ने संयुक्त राज्य अमेरिका के राष्ट्रपति और प्रथम महिला के साथ निजी कार्यक्रम में भाग लिया

प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने 21 जून, 2023 को अमेरिका के राष्ट्रपति श्री जो बाइडेन और प्रथम महिला डॉ. जिल बाइडेन द्वारा व्हॉइट हाउस में आयोजित एक निजी कार्यक्रम में भाग लिया। श्री मोदी ने उनके परिजनों से भी मुलाकात की। इस विशेष कार्यक्रम में प्रधानमंत्री की भागीदारी हमारे दोनों देशों के बीच मधुर मित्रता की पुष्टि करती है।

चुनाव करते समय सचेत रहकर प्रत्येक व्यक्ति सकारात्मक प्रभाव डाल सकता है। स्थिरता को एक जन आंदोलन बनाने से दुनिया को नेट ज़ीरो लक्ष्य तक तेजी से पहुंचने में मदद मिलेगी। हमारा दृष्टिकोण धरती-समर्थक प्रगति है। हमारा दृष्टिकोण धरती समृद्धि समर्थक है। हमारा दृष्टिकोण धरती समर्थक लोगों का है।

‘वन सन, वन वर्ल्ड, वन ग्रिड’

हम ‘वसुधैव कुटुंबकम’ या ‘विश्व एक परिवार है’ के आदर्श वाक्य के साथ जीते हैं। दुनिया के साथ हमारा जुड़ाव हर किसी के लाभ के लिए है। ‘वन सन, वन वर्ल्ड, वन ग्रिड’ दुनिया को स्वच्छ ऊर्जा से जोड़ने में हम सभी को शामिल करना चाहता है। ‘वन अर्थ, वन हेल्थ’ पशुओं और पौधों सहित सभी के लिए गुणवत्तापूर्ण स्वास्थ्य देखभाल लाने के लिए वैश्विक कार्रवाई का एक दृष्टिकोण है।

जब हम जी-20 की अध्यक्षता करते हैं तो इसकी थीम में भी यही भावना देखी जाती है— ‘एक पृथ्वी, एक परिवार, एक भविष्य।’ हम योग के माध्यम से भी एकता की भावना को आगे बढ़ाते हैं। कल ही पूरी दुनिया अंतरराष्ट्रीय योग दिवस मनाने के लिए एक साथ एक मंच पर आई। अभी पिछले हफ्ते सभी देश शांति सैनिकों के सम्मान में एक स्मारक दीवार बनाने के लिए संयुक्त राष्ट्र में हमारे प्रस्ताव में शामिल हुए।

और इस वर्ष पूरी दुनिया सतत कृषि और पोषण को समान रूप से बढ़ावा देने के लिए अंतरराष्ट्रीय मिलेट वर्ष मना रही है। कोविड के दौरान हमने एक सौ पचास से अधिक देशों में टीके और दवाएं पहुंचाईं। हम आपदाओं के दौरान पहले प्रतिक्रियाकर्ता के रूप में दूसरों तक पहुंचते हैं, जैसाकि हम अपने लिए करते हैं। हम अपने मामूली संसाधनों को उन लोगों के साथ साझा करते हैं, जिन्हें उनकी सबसे अधिक आवश्यकता है। हम क्षमताओं का निर्माण करते हैं, निर्भरता का नहीं।

संयुक्त राज्य अमेरिका का एक विशेष स्थान

जब मैं दुनिया के प्रति भारत के दृष्टिकोण के बारे में बात करता हूं तो इसमें संयुक्त राज्य अमेरिका एक विशेष स्थान रखता है। मैं जानता हूं कि हमारे संबंध आप सभी के लिए बहुत महत्वपूर्ण हैं। कांग्रेस के प्रत्येक सदस्य की इसमें गहरी रुचि है। जब भारत में रक्षा और एयरोस्पेस बढ़ता है तो वाशिंगटन, एरिज़ोना, जॉर्जिया, अलबामा, दक्षिण कैरोलिना और पेंसिल्वेनिया राज्यों में उद्योग बढ़ते हैं। जब अमेरिकी कंपनियां बढ़ती हैं तो भारत में उनके अनुसंधान और विकास केंद्र भी फलते-फूलते हैं। जब भारतीय अधिक उड़ान भरते हैं, तो विमानों का एकमात्र ऑर्डर अमेरिका के चवालिस राज्यों में दस लाख से अधिक रोज़गारों का सृजन करता है।

जब कोई अमेरिकी फोन निर्माता भारत में निवेश करता है तो यह दोनों देशों में रोज़गारों और अवसरों का एक संपूर्ण पारिस्थितिकी तंत्र बनाता है। जब भारत और अमेरिका सेमी-कंडक्टर और महत्वपूर्ण खनिजों पर एक साथ काम करते हैं तो यह दुनिया को आपूर्ति शृंखलाओं को अधिक विविध, लचीला और विश्वसनीय बनाने में मदद करता है। वास्तव में अध्यक्ष महोदय, सदी की शुरुआत में हम रक्षा सहयोग में न्यून थे। अब संयुक्त राज्य अमेरिका हमारे सबसे महत्वपूर्ण रक्षा भागीदारों में से एक बन गया है। आज भारत व अमेरिका अंतरिक्ष और समुद्र में, विज्ञान और सेमी-कंडक्टर में, स्टार्ट-अप और स्थिरता में, तकनीक एवं व्यापार में, खेती और वित्त में, कला और कृत्रिम बुद्धिमत्ता में, ऊर्जा और शिक्षा, स्वास्थ्य देखभाल व मानवीय प्रयासों में एक साथ काम कर रहे हैं।

हम लगातार चलना जारी रह सकते हैं, लेकिन इसे संक्षेप में कहने के लिए मैं कहूंगा— हमारे सहयोग का दायरा अनंत है, हमारे तालमेल की क्षमता असीमित है और हमारे संबंधों में जुड़ाव सहज है।

इन सबमें भारतीय अमेरिकियों ने बड़ी भूमिका निभाई है। वे सिर्फ ‘स्पेलिंग बी’ में ही नहीं, बल्कि हर क्षेत्र में प्रतिभाशाली हैं। अपने दिल और दिमाग, प्रतिभा और कौशल तथा अमेरिका और भारत के प्रति अपने प्यार से उन्होंने हमें जोड़ा है; उन्होंने दरवाजे खोल दिये हैं; उन्होंने हमारी साझेदारी की क्षमता दिखाई है।

इस सदी की एक निर्णायक साझेदारी

अतीत के प्रत्येक भारतीय प्रधानमंत्री और अमेरिकी राष्ट्रपति ने हमारे संबंधों को आगे बढ़ाया है। लेकिन हमारी पीढ़ी को इसे नई ऊंचाइयों पर ले जाने का गौरव प्राप्त है, मैं राष्ट्रपति बाइडेन से सहमत हूं कि यह इस सदी की एक निर्णायक साझेदारी है, क्योंकि यह एक बड़े उद्देश्य की पूर्ति करती है। लोकतंत्र, जनसांख्यिकी और नियति हमें वह उद्देश्य देती है। वैश्वीकरण का एक परिणाम आपूर्ति शृंखलाओं का अति-संकेन्द्रण रहा है।

हम आपूर्ति शृंखलाओं में विविधता लाने, विकेंद्रीकरण और लोकतंत्रीकरण करने के लिए मिलकर काम करेंगे। प्रौद्योगिकी इक्कीसवीं सदी में सुरक्षा, समृद्धि और नेतृत्व का निर्धारण करेगी। इसीलिए हमारे दोनों देशों ने एक नई ‘महत्वपूर्ण और उभरती प्रौद्योगिकियों के लिए पहल’ की स्थापना की। हमारी ज्ञान साझेदारी मानवता की सेवा करेगी और जलवायु परिवर्तन, भूख और स्वास्थ्य

प्रधानमंत्री ने संयुक्त राज्य अमेरिका में भारतीय समुदाय के सदस्यों के साथ की बातचीत

प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने 23 जून, 2023 को वाशिंगटन डी.सी. के रोनाल्ड रीगन सेंटर में भारतीय समुदाय के सदस्यों के साथ बातचीत की। अपने संबोधन में प्रधानमंत्री ने भारतीय समुदाय के सदस्यों को संयुक्त राज्य अमेरिका में अपने-अपने क्षेत्रों में सफलता के लिए बधाई दी और उन्हें अमृत काल के दौरान भारत के विकास में योगदान देने के लिए आमंत्रित किया। श्री मोदी ने भारत-अमेरिका संबंधों को मजबूत करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने के लिए उन्हें धन्यवाद दिया और द्विपक्षीय साझेदारी के भविष्य के क्षेत्रों पर प्रकाश डाला।

की वैश्विक चुनौतियों का समाधान तलाशेगी।

पिछले कुछ वर्ष गंभीर विघटनकारी घटनाओं के साक्षी

पिछले कुछ वर्ष गंभीर विघटनकारी घटनाओं के साक्षी रहे हैं। यूक्रेन संघर्ष के साथ युद्ध यूरोप में लौट आया है। इससे क्षेत्र में भारी पीड़ा हो रही है। चूंकि इसमें प्रमुख शक्तियां शामिल हैं, परिणाम गंभीर होंगे। ग्लोबल साउथ के देश विशेष रूप से प्रभावित हुए हैं। वैश्विक व्यवस्था संयुक्त राष्ट्र चार्टर के सिद्धांतों के सम्मान, विवादों के शांतिपूर्ण समाधान और संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता के सम्मान पर आधारित है।

जैसाकि मैंने प्रत्यक्ष और सार्वजनिक रूप से कहा है, यह युद्ध का युग नहीं अपितु लेकिन यह संवाद और कूटनीति में से एक का युग है और हम सभी को रक्तपात और मानवीय पीड़ा को रोकने के लिए वह सब करना चाहिए जो हम कर सकते हैं। दबाव और टकराव के काले बादल इंडो पैसिफिक में अपनी छाया डाल रहे हैं। क्षेत्र की स्थिरता हमारी साझेदारी की मुख्य चिंताओं में से एक बन गई है।

हम एक स्वतंत्र, खुले और समावेशी इंडो पैसिफिक का दृष्टिकोण साझा करते हैं, जो सुरक्षित समुद्रों से

जुड़ा हो, अंतरराष्ट्रीय कानून द्वारा परिभाषित हो, प्रभुत्व से मुक्त हो और आसियान केंद्रीयता में स्थित हो। एक ऐसा क्षेत्र जहां सभी राष्ट्र, छोटे और बड़े, अपनी पसंद में स्वतंत्र और निडर हैं, जहां प्रगति ऋण के असंभव बोझ से नहीं दबती है, जहां रणनीतिक उद्देश्यों के लिए कनेक्टिविटी का लाभ नहीं उठाया जाता है, जहां सभी राष्ट्र साझा समृद्धि की उच्च भावना से ओतप्रोत रहते हैं।

हमारा दृष्टिकोण रोकने या बहिष्कृत करने का नहीं, बल्कि शांति और समृद्धि का एक सहयोगी क्षेत्र बनाने का है। हम क्षेत्रीय संस्थानों और क्षेत्र के भीतर और बाहर के अपने भागीदारों के साथ काम करते हैं। इसमें से क्वाड क्षेत्र की भलाई की एक बड़ी शक्ति बनकर उभरा है।

कट्टरपंथ और आतंकवाद पूरी दुनिया के लिए एक गंभीर ख़तरा

9/11 के बाद के दो दशक से भी अधिक समय और मुंबई में 26/11 के एक दशक से भी अधिक समय के बाद भी कट्टरपंथ और आतंकवाद पूरी दुनिया के लिए एक गंभीर ख़तरा बना हुआ है। ये विचारधाराएं नई-नई पहचान और रूप लेती रहती हैं, लेकिन उनके इरादे वही रहते हैं। आतंकवाद मानवता का दुश्मन है और इससे निपटने में कोई किंतु-परंतु नहीं हो सकता। हमें आतंक को प्रायोजित और फैलाने वाली ऐसी सभी ताकतों पर काबू पाना होगा।

कोविड-19 का सबसे बड़ा प्रभाव इसके कारण हुई मानवीय क्षति और पीड़ा थी। मैं कांग्रेस सदस्य रॉन राइट और उन सदस्यों को याद करना चाहता हूं, जिन्होंने कोविड से अपनी जान गंवाई। जैसे ही हम महामारी से बाहर निकलते हैं, हमें एक नई विश्व व्यवस्था को आकार देना होगा। विचार-विमर्श, देखभाल और सरोकार समय की मांग है। ग्लोबल साउथ से जुड़ना ही आगे बढ़ने का रास्ता है। इसीलिए मेरा दृढ़ विश्वास है कि अफ़्रीकी संघ को जी-20 की पूर्ण सदस्यता दी जानी चाहिए।

बहुपक्षवाद को पुनर्जीवित करना जरूरी

हमें बहुपक्षवाद को पुनर्जीवित करना चाहिए और बेहतर संसाधनों और प्रतिनिधित्व के साथ बहुपक्षीय संस्थानों में सुधार करना चाहिए। यह शासन की हमारी सभी वैश्विक संस्थाओं विशेषकर संयुक्त राष्ट्र पर लागू होता है। जब दुनिया बदल गई है तो हमारी संस्थाएं भी बदलनी चाहिए अथवा नियमों के बिना प्रतिद्वंद्विता की दुनिया द्वारा प्रतिस्थापित होने का जोखिम रहता है। अंतरराष्ट्रीय कानून पर आधारित एक नई विश्व व्यवस्था के लिए काम करने में हमारे दोनों देश भागीदार के रूप में सबसे आगे रहेंगे।

आज, हम अपने संबंधों की एक नई सुबह में एक साथ हैं जो न केवल हमारे दोनों देशों, बल्कि दुनिया के भाग्य को भी आकार देगा। जैसाकि युवा अमेरिकी कवि अमांडा गोर्मन ने व्यक्त किया है: ‘जब दिन निकलता है तो हम अंधेरे से बाहर निकलते हैं, प्रज्वलित और निडर, जैसे ही हम इससे मुक्त होते हैं, नई सुबह खिलती है, क्योंकि वहां सदैव प्रकाश है, काश हम इसे महसूस करने के लिए पर्याप्त साहस रखते।’

हमारी विश्वसनीय साझेदारी इस नई सुबह में सूर्य की तरह है जो चारों ओर प्रकाश फैलाएगी।
मुझे अपनी लिखी हुई एक कविता याद आती है:

आसमान में सिर उठाकर
घने बादलों को चीरकर
रोशनी का संकल्प लें
अभी तो सूरज उगा है।
दृढ़ निश्चय के साथ चलकर
हर मुश्किल को पार कर
घोर अंधेरे को मिटाने
अभी तो सूरज उगा है।।

हम एक समान दृष्टिकोण और एक समान नियति से एकजुट

हम अलग-अलग परिस्थितियों और इतिहास से आते हैं, लेकिन हम एक समान दृष्टिकोण और एक समान नियति से एकजुट हैं। जब हमारी साझेदारी आगे बढ़ती है, आर्थिक लचीलापन बढ़ता है, नवाचार बढ़ता है, विज्ञान फलता-फूलता है, ज्ञान आगे बढ़ता है, मानवता को लाभ होता है, हमारे समुद्र और आसमान सुरक्षित होते हैं, इससे लोकतंत्र उज्ज्वल होगा और दुनिया एक बेहतर जगह होगी।

यही हमारी साझेदारी का मिशन है। इस सदी के लिए यही हमारा आह्वान है। हमारी साझेदारी के उच्च मानकों के हिसाब से भी यह यात्रा एक महान सकारात्मक परिवर्तन में से एक है। साथ मिलकर हम यह प्रदर्शित करेंगे कि लोकतंत्र मायने रखता है और लोकतंत्र परिणाम देता है। मैं भारत-अमेरिका साझेदारी के लिए आपके निरंतर समर्थन पर भरोसा करता हूं।

जब मैं 2016 में यहां आया था तो मैंने कहा था कि ‘हमारा रिश्ता एक महत्वपूर्ण भविष्य के लिए तैयार है’। वह भविष्य आज है। इस सम्मान के लिए एक बार फिर अध्यक्ष महोदय, उपराष्ट्रपति महोदया और विशिष्ट सदस्यों को धन्यवाद देता हूं।