केन्द्रीय मंत्रिमंडल ने राष्ट्रीय ग्रीन हाइड्रोजन मिशन को दी मंजूरी

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मिशन का उद्देश्य भारत को ग्रीन हाइड्रोजन और इसके सहायक उत्पादों के उत्पादन, इस्तेमाल और निर्यात के लिए एक वैश्विक हब बनाना है। यह मिशन भारत को ऊर्जा के मामले में ‘आत्मनिर्भर’ बनने और अर्थव्यवस्था के प्रमुख क्षेत्रों में कार्बन उत्सर्जन में कमी लाने में मदद करेगा

प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने चार जनवरी को राष्ट्रीय ग्रीन हाइड्रोजन मिशन को मंजूरी दे दी। मिशन के लिए प्रारंभिक परिव्यय 19,744 करोड़ रुपये होगा, जिसमें साइट कार्यक्रम के लिए 17,490 करोड़ रुपये, पायलट परियोजनाओं के लिए 1,466 करोड़ रुपये, अनुसंधान

राष्ट्रीय हरित हाइड्रोजन मिशन: मुख्य बातें

 राष्ट्रीय हरित हाइड्रोजन मिशन भारत को दुनिया में हरित हाइड्रोजन का अग्रणी उत्पादक और आपूर्तिकर्ता बना देगा।
 इसके परिणामस्वरूप उद्योग के लिए आकर्षक निवेश और व्यापार के अवसर उपलब्ध होंगे।
 भारत के डीकार्बोनाइजेशन और ऊर्जा में आत्मनिर्भरता के प्रयासों में महत्वपूर्ण योगदान देगा।
 रोजगार और आर्थिक विकास के अवसर पैदा करेगा।
 मिशन देश में ग्रीन हाइड्रोजन इको सिस्टम के विकास को गति देगा।
 लक्षित उत्पादन क्षमता कुल 8 लाख करोड़ रुपये से अधिक का निवेश लाएगी और इसके परिणामस्वरूप 6 लाख से अधिक स्वच्छ नौकरियों का सृजन होगा।
 मिशन अन्य कठिन क्षेत्रों में पायलट परियोजनाओं का समर्थन करेगा।
 मिशन अनुसंधान एवं विकास परियोजनाओं में भी सहयोग करेगा।

एवं विकास के लिए 400 करोड़ रुपये और अन्य मिशन घटकों के लिए 388 करोड़ रुपये शामिल हैं। नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय (एमएनआरई) संबंधित घटकों के कार्यान्वयन के लिए योजना के दिशानिर्देश तैयार करेगा।

मिशन से 2030 तक निम्नलिखित संभावित परिणाम प्राप्त होंगे:

 देश में लगभग 125 जीडब्ल्यू की संबद्ध अक्षय ऊर्जा क्षमता वृद्धि के साथ प्रति वर्ष कम से कम 5 एमएमटी (मिलियन मीट्रिक टन) की हरित हाइड्रोजन उत्पादन क्षमता का विकास
 आठ लाख करोड़ रुपये से अधिक का कुल निवेश
 छह लाख से अधिक रोजगार का सृजन
 कुल मिलाकर एक लाख करोड़ रुपये से अधिक मूल्य के जीवाश्म ईंधन के आयात में कमी
 वार्षिक ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन में लगभग 50 एमएमटी की कमी

मिशन से विभिन्न प्रकार के लाभ प्राप्त होंगे, जैसे— ग्रीन हाइड्रोजन और इसके सहायक उत्पादों के लिए निर्यात के अवसरों का सृजन; औद्योगिक, आवागमन और ऊर्जा क्षेत्रों में कार्बन उत्सर्जन में कमी;

ग्रीन हाइड्रोजन इकोसिस्टम की स्थापना का समर्थन करने के लिए एक सक्षम नीतिगत कार्यक्रम विकसित किया जाएगा। एक मजबूत मानक और नियमन संरचना भी विकसित की जाएगी। इसके अलावा, मिशन के तहत अनुसंधान एवं विकास

आयातित जीवाश्म ईंधन और फीडस्टॉक पर निर्भरता में कमी; स्वदेशी विनिर्माण क्षमताओं का विकास; रोजगार के अवसरों का सृजन और अत्याधुनिक तकनीकों का विकास।

भारत की ग्रीन हाइड्रोजन उत्पादन क्षमता कम से कम 5 एमएमटी प्रति वर्ष तक पहुंचने की संभावना है, जिसमें लगभग 125 जीडब्ल्यू की संबद्ध अक्षय ऊर्जा क्षमता शामिल है। 2030 तक 8 लाख करोड़ रुपये का निवेश होने का लक्ष्य है और 6 लाख से अधिक रोजगार सृजित होने की संभावना है। 2030 तक कार्बन डाइऑक्साइड के उत्सर्जन में प्रति वर्ष लगभग 50 एमएमटी की कमी होने की संभावना है।

इस मिशन से ग्रीन हाइड्रोजन की मांग, उत्पादन, उपयोग और निर्यात की सुविधा प्राप्त होगी। ग्रीन हाइड्रोजन ट्रांजिशन प्रोग्राम (एसआईजीएचटी) के लिए रणनीतिक क्रियाकलाप को लेकर मिशन के तहत दो अलग-अलग वित्तीय प्रोत्साहन तंत्र— इलेक्ट्रोलाइजर के घरेलू निर्माण और ग्रीन हाइड्रोजन के उत्पादन को लक्षित किया जाएगा।

ग्रीन हाइड्रोजन इकोसिस्टम की स्थापना का समर्थन करने के लिए एक सक्षम नीतिगत कार्यक्रम विकसित किया जाएगा। एक मजबूत मानक और नियमन संरचना भी विकसित की जाएगी। इसके अलावा, मिशन के तहत अनुसंधान एवं विकास (रणनीतिक हाइड्रोजन नवाचार भागीदारी— एसएचआईपी) के लिए एक सार्वजनिक-निजी भागीदारी की सुविधा प्रदान की जाएगी; अनुसंधान एवं विकास परियोजनाएं लक्ष्य-उन्मुख, समयबद्ध और विश्व स्तर पर प्रतिस्पर्धी प्रौद्योगिकियों को विकसित करने के लिए उपयुक्त रूप से बढ़ाई जाएंगी।