गांव, गरीब, किसानोन्मुखी बजट

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किसानों को न्यूनतम समर्थन मूल्य लागत से डेढ़ गुना, 10 करोड़ गरीब परिवारों को स्वास्थ्य सुरक्षा योजना

केन्द्रीय वित्त एवं कॉरपोरेट मामलों के मंत्री श्री अरुण जेटली ने 1 फरवरी को लोकसभा में आम बजट 2018-19 प्रस्तुत किया। इस बजट में उन्होंने गांव, गरीब, किसानों, महिलाओं के हितों को ध्यान तो रखा ही, साथ ही उनके जीवन को बेहतर बनाने की भरपूर कोशिश की। श्री जेटली ने गरीबों के लिए एक बड़ी स्वास्थ्य बीमा योजना का प्रस्ताव किया, किसानों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य बढ़ाया और अवसंरचना विकास के लिए छह लाख करोड़ रुपये का भी प्रावधान किया।

किसानों की आय दोगुनी करने का प्रयास

केन्द्रीय वित्त एवं कॉरपोरेट मामलों के मंत्री श्री अरुण जेटली ने 1 फरवरी को लोकसभा में आम बजट 2018-19 पेश किया। बजट पेश करते हुए श्री जेटली ने कहा कि प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने देश की आजादी के 75वें साल में अर्थात् वर्ष 2022 तक किसानों की आमदनी दोगुनी करने का आह्वान किया है। श्री जेटली कहा कि हम किसानों की आमदनी बढ़ाने पर विशेष जोर दे रहे हैं। हम कृषि को एक उद्यम मानते हैं और किसानों की मदद करना चाहते हैं, ताकि वे कम खर्च करके समान भूमि पर कहीं ज्यादा उपज सुनिश्चित कर सकें और उसके साथ ही अपनी उपज की बेहतर कीमतें भी प्राप्त कर सकें।

श्री जेटली ने यह घोषणा करते हुए काफी प्रसन्नता जाहिर की कि सरकार ने अब तक अघोषित सभी खरीफ फसलों के लिए उत्पादन लागत से डेढ़ गुना न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) तय करने का निर्णय लिया है। मंत्री महोदय ने कहा कि यह ऐतिहासिक निर्णय देश के किसानों की आमदनी दोगुनी करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम साबित होगा और केंद्र एवं राज्य सरकारों के साथ सलाह-मशविरा कर नीति आयोग एक अचूक व्यवस्था कायम करेगा, जिससे कि किसानों को उनकी उपज की पर्याप्त कीमत मिल सके।

एक अहम कदम के रूप में सरकार ने कृषि क्षेत्र के लिए संस्थागत ऋण को वर्ष 2017-18 के 10 लाख करोड़ रुपये से बढ़ाकर वर्ष 2018-19 में 11 लाख करोड़ रुपये करने की घोषणा की। सरकार के विज़न को आगे बढ़ाते हुए वित्त मंत्री ने बजट 2018-19 में 500 करोड़ रुपये के परिव्यय के साथ ‘ऑपरेशन ग्रीन्स’ लांच करने की घोषणा की, ताकि जल्द नष्ट होने वाली जिन्सों जैसे कि आलू, टमाटर और प्याज की कीमतों में तेज उतार-चढ़ाव की समस्या से निपटा जा सके। ‘ऑपरेशन फ्लड’ की तर्ज पर शुरू किया गया ‘ऑपरेशन ग्रीन्स’ इस क्षेत्र में किसान उत्पादक संगठनों (एफपीओ), कृषि-लॉजिस्टिक्स, प्रसंस्करण सुविधाओं और प्रोफेशनल प्रबंधन को बढ़ावा देगा। श्री जेटली ने 100 करोड़ रुपये तक के कारोबार वाली किसान उत्पादक कंपनियों (एफपीसी) को होने वाले लाभों के संदर्भ में पांच वर्षों की अवधि तक 100 प्रतिशत की कटौती की घोषणा की जिसकी शुरुआत वित्त वर्ष 2018-19 से होगी। इसके पीछे मुख्य उद्देश्य कृषि क्षेत्र में कटाई उपरांत मूल्य संवर्द्धन में प्रोफेशनल नजरिए को बढ़ावा देना है।

इसके अलावा श्री जेटली ने यह जानकारी दी कि सरकार ने बड़े पैमाने पर जैविक खेती को बढ़ावा दिया है। बड़े क्लस्टरों, विशेषकर प्रत्येक 1000 हेक्टेयर में फैले क्लस्टरों में किसान उत्पादक संगठनों (एफपीओ) और ग्रामीण उत्पादक संगठनों (वीपीओ) में जैविक खेती को बढ़ावा दिया जाएगा। राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका कार्यक्रम के तहत क्लस्टरों में जैविक खेती करने के लिए महिला स्वयं सहायता समूहों (एसएचजी) को भी प्रोत्साहित किया जाएगा। मंत्री महोदय ने कहा कि अत्यंत विशिष्ट औषध एवं सुगंधित पौधों की संगठित खेती में सहायता करने और इत्र, आवश्यक तेलों तथा अन्य संबंधित उत्पादों का उत्पादन करने वाले छोटे एवं कुटीर उद्योगों की मदद करने के लिए 200 करोड़ रुपये का आवंटन किया गया है।

मौजूदा 22,000 ग्रामीण हाटों को ग्रामीण कृषि बाजारों (ग्राम) के रूप में विकसित करने की घोषणा करते हुए वित्त मंत्री ने कहा कि भारत में 86 प्रतिशत से भी अधिक छोटे एवं सीमांत किसान हैं, जो सीधे एपीएमसी और अन्य थोक बाजारों में लेन-देन करने की स्थिति में हमेशा नहीं होते हैं। इन ‘ग्रामों’ में मनरेगा तथा अन्य सरकारी योजनाओं का उपयोग करके भौतिक बुनियादी ढांचे को बेहतर किया जाएगा और इन्हें इलेक्ट्रॉनिक ढंग से ई-नाम से जोड़ा जाएगा तथा एपीएमसी के नियमन के दायरे से बाहर रखा जाएगा। मंत्री महोदय ने कहा कि इससे किसान सीधे उपभोक्ताओं और व्यापक खरीदारी करने वालों को अपनी उपज की बिक्री कर सकेंगे।

श्री जेटली ने कहा कि पिछले बजट में सरकार ने ई-नाम को मजबूत करने और 585 एपीएमसी में ई-नाम की कवरेज बढ़ाने की घोषणा की थी। इनमें से 470 एपीएमसी को ई-नाम नेटवर्क से जोड़ दिया गया है और शेष एपीएमसी को मार्च 2018 तक इससे जोड़ दिया जाएगा। इसके अलावा 22,000 ग्रामीण कृषि बाजारों (ग्राम) और 585 एपीएमसी में कृषि विपणन से संबंधी बुनियादी ढांचे को विकसित करने के लिए 2000 करोड़ रुपये की राशि वाला कृषि-बाजार ढांचागत कोष बनाया जाएगा।

खाद्य प्रसंस्करण मंत्रालय के लिए आवंटन को वर्ष 2017-18 के 715 करोड़ रुपये के संशोधित अनुमान से दोगुना कर वर्ष 2018-19 के बजट अनुमान में 1400 करोड़ रुपये करने की घोषणा करते हुए श्री जेटली ने कहा कि प्रधानमंत्री कृषि संपदा योजना खाद्य प्रसंस्करण में निवेश को बढ़ावा देने वाला हमारा प्रमुख कार्यक्रम है और यह क्षेत्र औसतन 8 प्रतिशत सालाना की दर से आगे बढ़ रहा है। मंत्री महोदय ने कहा कि इस क्षेत्र के लिए आवंटन बढ़ाकर सरकार इस क्षेत्र में विशिष्ट कृषि-प्रसंस्करण वित्तीय संस्थानों की स्थापना को प्रोत्साहित करेगी और सभी 42 मेगा फूड पार्कों में अत्याधुनिक परीक्षण सुविधाओं की स्थापना करेगी।

मत्स्य पालन एवं पशुपालन क्षेत्र के छोटे और सीमांत किसानों की कार्यशील पूंजी संबंधी जरूरतों की पूर्ति में मदद के लिए एक प्रमुख कदम की घोषणा करते हुए वित्त मंत्री ने किसान क्रेडिट कार्डों (केसीसी) की सुविधा इस क्षेत्र को भी देने की बात कही। इससे पशु, भैंस, बकरी, भेड़, मुर्गी एवं मत्स्य पालन के लिए फसल ऋण और ब्याज सब्सिडी का लाभ मिलेगा, जो अब तक केसीसी के तहत केवल कृषि क्षेत्र को ही उपलब्ध था। इसके अलावा वित्त मंत्री ने मत्स्य पालन क्षेत्र के लिए मत्स्य पालन एवं जलीय कृषि बुनियादी ढांचागत विकास कोष (एफएआईडीएफ) और पशुपालन क्षेत्र की ढांचागत जरूरतों के वित्तपोषण के लिए पशुपालन बुनियादी ढांचागत विकास कोष (एएचआईडीएफ) बनाने की भी घोषणा की।

श्री जेटली ने बांस को ‘हरित सोना’ की संज्ञा देते हुए 1290 करोड़ रुपये के पुनर्गठित राष्ट्रीय बांस मिशन लांच करने की घोषणा की, जो पूर्ण बांस मूल्य शृंखला के मार्ग की बाधाएं दूर करने और समग्र रूप से बांस क्षेत्र को बढ़ावा देने के लिए क्लस्टर से जुड़ी अवधारणा पर आधारित है। बांस उत्पादकों को उपभोक्ताओं से जोड़ने, संग्रह, एकत्रीकरण, प्रसंस्करण एवं विपणन के लिए सुविधाओं के सृजन, एमएसएमई, कौशल निर्माण और ब्रांड निर्माण पर फोकस होने की बदौलत यह घोषणा किसानों के लिए अतिरिक्त आमदनी और विशेषकर ग्रामीण क्षेत्रों के कुशल एवं अकुशल युवाओं के लिए रोजगार अवसर सृजित करने में अहम योगदान देगी।

श्री जेटली ने कहा कि दिल्ली-एनसीआर क्षेत्र में वायु प्रदूषण की चुनौती से निपटने के लिए हरियाणा, पंजाब, उत्तर प्रदेश और दिल्ली सरकारों के प्रयासों में आवश्यक मदद देने और खेत में ही फसल अपशिष्ट के प्रबंधन के लिए आवश्यक मशीनरी पर सब्सिडी देने के लिए एक विशेष योजना क्रियान्वित की जाएगी।

बजट में कर-राहत से 99 प्रतिशत छोटे उद्यमों को फायदा

केन्द्रीय वित्त मंत्री श्री अरुण जेटली ने बजट में उन कंपनियों के लिए 25 प्रतिशत के घटे हुए दर का प्रस्ताव किया, जिनका वित्त वर्ष 2016-17 के दौरान टर्नओवर 250 करोड़ रुपए तक है। यह सूक्ष्म लघु और मझौले उद्यमों के पूरे संवर्ग को फायदा पहुंचाएगा। टैक्स रिटर्न दाखिल करने वाली 99 प्रतिशत कंपनियां इसी संवर्ग में आती हैं। वित्त मंत्री ने कहा, ‘चरणबद्ध तरीके से कॉरपोरेट टैक्स में कमी लाने के मेरे वायदे को पूरा करने की दिशा में उठाया गया कदम है।’ कॉरपोरेट टैक्स की निम्न दर से 99 प्रतिशत कंपनियों को फायदा होगा। उनके पास निवेश करने के लिए अतिरिक्त धन होगा। इससे रोजगार के नये मौके बनेंगे।

वित्त मंत्री ने आम बजट 2017 को याद करते हुए कहा कि उन्होंने 50 करोड़ रुपए तक टर्नओवर वाली कंपनियों के लिए कॉरपोरेट टैक्स को कम करके 25 प्रतिशत तक लाने की घोषणा की थी। टैक्स रिटर्न दाखिल करने वाली कुल कंपनियों में से 96 प्रतिशत कंपनियों को इससे फायदा हुआ। वित्त मंत्री ने कहा कि इस निर्णय के पश्चात रिटर्न दाखिल करने वाली कुल 7 लाख कंपनियों में से 7000 कंपनियां ऐसी होंगी, जिनका टर्नओवर 250 करोड़ रुपए से अधिक होगा और वे 30 प्रतिशत के कर दायरे में आएंगी।

ग्रामीण क्षेत्र में बुनियादी ढांचे और जीविका के साधनों के सृजन के लिए 14.34 लाख करोड़ रुपये

केंद्रीय वित्त मंत्री श्री अरुण जेटली ने संसद में आम बजट 2018-19 पेश करते हुए घोषणा की कि देश में ग्रामीण क्षेत्रों में जीविका के साधन, कृषि और संबद्ध कार्यकलापों और ग्रामीण आधारभूत सुविधाओं के निर्माण पर सरकार और अधिक धन राशि खर्च करेगी, ताकि ग्रामीण क्षेत्रों में आजीविका के अधिक से अधिक अवसर उपलब्ध हो। वर्ष 2018-19 में ग्रामीण क्षेत्रों में आजीविका और आधारभूत सुविधाओं के सृजन के लिए मंत्रालयों द्वारा 14.34 लाख रुपये खर्च किए जाएंगे। इसमें 11.98 लाख करोड़ रुपये के अतिरिक्त बजटीय और गैर-बजटीय संसाधन शामिल हैं।

वित्त मंत्री ने कहा कि खेती से जुड़े कार्यकलापों और स्व-रोजगार के कारण रोजगार के अलावा, इस खर्च से 321 करोड़ मानव दिवस के रोजगार, 3.17 लाख किलोमीटर ग्रामीण सड़कों, 51 लाख नए ग्रामीण मकानों, 1.88 करोड़ शौचालयों का सृजन होगा। उन्होंने बताया कि इससे कृषि को प्रोत्साहन मिलने के अलावा 1.75 करोड़ नए परिवारों को बिजली के कनेक्शन प्राप्त होंगे।

‘प्रधानमंत्री कृषि योजना’- हर खेत को पानी के अंतर्गत भू-जल सिंचाई योजना को मजबूत बनाने के लिए यह सिंचाई से वंचित 96 जिलों में शुरू होगी इसके लिए 2600 करोड़ रुपये का आबंटन किया गया है।

वित्त मंत्री ने बताया कि महिलाओं की स्व-सहायता समूह को ऋण को पिछले वर्ष के मुकाबले 37 प्रतिशत बढ़ाकर वर्ष 2016-17 में लगभग 42,500 करोड़ रुपये किया गया। वित्त मंत्री ने कहा कि सरकार को आशा है कि मार्च 2019 तक स्व-सहायता समूहों की ऋण राशि बढ़ाकर 75,000 करोड़ रुपये कर दी जाएगी। 2018-19 में राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका कार्यक्रम के आबंटन को पर्याप्त रूप से बढ़ाकर 5750 करोड़ रुपये किया गया है।

वेतनभोगी कर दाताओं को राहत: 40,000 रुपए की मानक कटौती

2.5 करोड़ वेतनभोगियों और पेंशनभोगियों को लाभ

वेतनभोगी कर दाताओं को राहत देने के उद्देश्य से केन्द्रीय वित्त मंत्री श्री अरुण जेटली ने कहा कि परिवहन भत्ता और विविध चिकित्सा व्ययों के संदर्भ में वर्तमान कटौतियों के बदले 40,000 रुपए की मानक कटौती की अनुमति दी गई है। हालांकि दिव्यांगजनों को बढ़े दर पर मिलने वाला परिवहन भत्ता जारी रहेगा।

वित्त मंत्री ने कहा कि मानक कटौती से पेंशनभोगियों को महत्वपूर्ण लाभ मिलेगा, जो सामान्यतया परिवहन और चिकित्सा व्यय के कारण भत्ते का लाभ नहीं ले पाते। इस निर्णय की राजस्व लागत लगभग 8,000 करोड़ रुपए है। इस निर्णय से लाभांवित होने वाले वेतनभोगी कर्मचारियों तथा पेंशनभोगियों की कुल संख्या लगभग 2.5 करोड़ है।

श्री जेटली ने कहा, ‘सरकार ने पिछले तीन वर्षों के दौरान व्यक्तिगत आय कर की दरों में अनेक लाभकारी परिवर्तन किए हैं। इसलिए मैं व्यक्तिगत आय कर के दर-ढांचे में किसी और बदलाव का प्रस्ताव नहीं करता हूं। समाज में एक सामान्य विचार व्याप्त रहा है कि वेतनभोगी वर्ग की तुलना में व्यक्तिगत व्यवसाय करने वाले व्यक्तियों की आय बेहतर होती है।’

बुनियादी क्षेत्र के आबंटन में 5.97 लाख करोड़ रुपए तक की वृद्धि

सरकार ने अर्थव्यवस्था में वृद्धि के प्रमुख संवाहक की भूमिका की पहचान करते हुए आम बजट 2018-19 में बुनियादी ढांचे के आबंटन में महत्वपूर्ण वृद्धि की। इस क्षेत्र के लिए बजटीय और अतिरिक्त बजटीय व्ययों को 2017-18 के 4.94 लाख करोड़ रुपए से बढ़ाकर 2018-19 में 5.97 करोड़ रुपए कर दिया है। 2018-19 में परिवहन क्षेत्र के लिए 1,34,572 करोड़ रुपए का अब तक का सबसे अधिक आबंटन किया गया, जबकि आपदा से निपटने के लिए बुनियादी ढांचे को बढ़ावा देते हुए 60 करोड़ रुपए का आबंटन किया गया।

शहरी बुनियादी ढांचा क्षेत्र में सरकार ने समग्र बुनियादी ढांचे और कौशल विकास के माध्यम से 10 प्रमुख पर्यटन स्थलों के विकास का प्रस्ताव दिया। इसके अलावा भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण के 100 आदर्श स्मारकों का भी उन्नयन किया जाएगा। वित्त मंत्री अरुण जेटली ने सरकार के स्मार्ट सिटी मिशन और अमृत के अन्तर्गत किए गए कार्यों की सराहना करते हुए जानकारी दी कि स्मार्ट सिटी मिशन के तहत 2.04 लाख करोड़ रुपए के परिव्यय के साथ 99 शहरों का चयन किया गया है। 2350 करोड़ रुपए मूल्य की परियोजनाएं पूर्ण की जा चुकी है और 20,852 करोड़ रुपए की परियोजनाएं प्रगति पर हैं।

अमृत कार्यक्रम के अंतर्गत 500 शहरों के लिए 77,640 करोड़ रुपए की राज्य स्तरीय योजनाओं को स्वीकृति दे दी गई है। 19,428 करोड़ रुपए मूल्य की 494 परियोजनाओं के लिए जल आपूर्ति अनुबंध और 12,429 करोड़ रुपए की लागत की 272 परियोजनाओं के लिए सीवर कार्यों के लिए अनुबंध प्रदान कर दिए गए हैं। 482 शहरों ने क्रेडिट रेटिंग प्रारंभ कर दी है और 144 शहरों को निवेश ग्रेड रेटिंग प्राप्त हो चुकी है।

वित्त मंत्री ने घोषणा की कि उनका मंत्रालय शिक्षा और स्वास्थ्य क्षेत्र में निवेश के अलावा वित्तीय बुनियादी परियोजनाओं में मदद के लिए इंडिया इंफ्रास्ट्रक्चर फाइनेंस कॉरपोरेशन लिमिटेड को मदद प्रदान करेगा। सड़क क्षेत्र में हाल ही में स्वीकृत भारतमाला परियोजना का उद्देश्य प्रथम चरण में 5,35,000 करोड़ रुपए की लागत से करीब 35 हजार किलोमीटर राजमार्ग को विकसित करना है। भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण विशेष उद्देश्य वाहनों और टोल, संचालन एवं स्थानांतरण (टीओटी) एवं बुनियादी निवेश कोष जैसे अभिनव ढांचों के उपयोग को अपनी सड़क परिसंपत्तियों में शामिल करने पर विचार करेगा।

सीमावर्ती क्षेत्रों पर संपर्क में वृद्धि के क्रम में वित्त मंत्री ने घोषणा की कि सरकार सेला पास के अंतर्गत सुरंग का निर्माण कराएगी। उन्होंने यह भी घोषणा की कि पर्यटन और आपातकालीन चिकित्सा देखभाल को प्रोत्साहन देने के लिए सरकार सी-प्लेन गतिविधियों में निवेश को बढ़ावा देने के लिए आवश्यक बुनियादी ढांचा तैयार करेगी।

नागर विमानन क्षेत्र में, बजट 2018-19 में हवाई अड्डा क्षमता में पांच गुना विस्तार के लिए एक वर्ष में एक बिलियन आवाजाही को नियंत्रित करने हेतु एक नवीन पहल नाभ निर्माण की घोषणा की गई है। इस विस्तार को भारतीय हवाई अड्डा प्राधिकरण की दृढ़ बैलेंसशीट के द्वारा वित्त पोषित किया जाएगा। घरेलू हवाई यात्री परिवहन में प्रतिवर्ष 18 प्रतिशत की दर से वृद्धि हुई है और क्षेत्रीय संपर्क योजना ‘उड़ान’ के माध्यम से देशभर में 56 हवाई अड्डों और 31 हैलीपैडों को जोड़ा जाएगा, जहां अभी सेवाएं नहीं है। 16 हवाई अड्डों पर संचालन पहले से ही प्रारंभ किए जा चुके हैं।

डिजिटल बुनियादी ढांचे के क्षेत्र में आम बजट 2018-19 में डिजिटल इंडिया कार्यक्रम के लिए 3073 करोड़ रुपए के दोहरे आबंटन की घोषणा की गई है। विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग रोबोटिक्स, कृत्रिम गुप्तचर, डिजिटल बुनियादी ढांचे, व्यापक डाटा विश्लेषण और संचार क्षेत्र में प्रशिक्षण और कौशल के लिए अनुसंधान हेतु उत्कृष्ट केंद्रों की स्थापना में सहायता के लिए साइबर भौतिक प्रणालियों पर एक अभियान का शुभारंभ करेगा।

दूरसंचार बुनियादी ढांचे के निर्माण और विस्तार के लिए बजट 2018-19 में 10 हजार करोड़ रुपए प्रदान किए गए हैं। सरकार ने 5 करोड़ ग्रामीण नागरिकों तक ब्राडबैंड सुविधा प्रदान करने के लिए 5 लाख वाई-फाई स्थलों के निर्माण का प्रस्ताव दिया है। वित्त मंत्री ने जानकारी दी कि भारत नेट परियोजना के प्रथम चरण में 20 करोड़ ग्रामीण भारतीयों को ब्राडबैंड सुविधा से समर्थ बना दिया गया है।

श्री जेटली ने यह भी घोषणा की कि नीति आयोग कृत्रिम गुप्तचर के क्षेत्र में सीधे प्रयासों के लिए एक राष्ट्रीय कार्यक्रम की पहल करेगा। उभरती हुई नई प्रौद्योगिकियों के लाभ को प्राप्त करने के लिए दूरसंचार विभाग आईआईटी चेन्नई में एक स्वदेशी 5जी टेस्ट बैड की स्थापना में मदद प्रदान करेगा।