‘हमें अपनी विविधता में एकता पर गर्व है’

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प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने भारत की समृद्ध विविधता और सदियों पुरानी जीवन शैली की सराहना करते हुए कहा कि इसने राष्ट्रीय एकता और एकजुटता बनाए रहने के संकल्प में सहायता की है। प्रधानमंत्री श्री मोदी ने 31 अक्टूबर को केवडिया में सरदार वल्लभ भाई पटेल की जयंती के अवसर पर मनाए जाने वाले राष्ट्रीय एकता दिवस पर लोगों को संबोधित किया।

प्रधानमंत्री ने कहा कि हमें अपनी विविधता में एकता पर गर्व है। इससे हमें पहचान और सम्मान मिलता है। हम विविधता में एकता का उत्सव मनाते हैं। हमें अपनी विविधता में कोई अंतर्विरोध नहीं दिखता, बल्कि इसमें एकता का मजबूत सूत्र दिखता है।

उन्होंने कहा कि हम विविधता में एकता का उत्सव मनाते हैं, विविधता का पर्व वास्तव में हमारे दिलों में एकता के तार को स्पर्श करता है। जब हम अलग-अलग जीवन शैली और पंरपरा का सम्मान करते हैं तो सौहार्द और भाईचारा बढ़ता है और इसलिए हमें अपनी विविधता का समारोह मनाना चाहिए और यह राष्ट्र निर्माण है।

प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत की विविधता एक ऐसी शक्ति है जो दुनिया में किसी ओर जगह नहीं मिलती। दक्षिण भारत से आए शंकराचार्य ने उत्तर में मंदिर की स्थापना की और बंगाल के स्वामी विवेकानंद ने दक्षिण के कन्याकुमारी में ज्ञान की प्राप्ति की।

उन्होंने कहा कि पटना में जन्मे गुरू गोविंद सिंह ने पंजाब में खालसा पंथ की स्थापना की और रामेश्वरम में जन्मे ए. पी. जे. अब्दुल कलाम देश में सर्वोच्च पद पर पहुंचे।

भारत के संविधान की प्रस्तावना में “वी द पीपुल” का जिक्र देते हुए श्री मोदी ने कहा कि यह संविधान की शुरुआत में केवल एक वाक्य नहीं, बल्कि भारत में जीवन की हजारों साल पुरानी संरचना का प्रदर्शन है। जब सरदार पटेल के सामने देश भर में 500 से अधिक रियासतों को एकजुट करने की बड़ी चुनौती थी, तो यह वह चुंबकीय शक्ति थी जिसने उन्हें भारत से जुड़े रहने के लिए आकर्षित किया।

श्री मोदी ने कहा कि जो हमसे युद्ध नहीं जीत सकते, वो हमारी एकता को चुनौती दे रहे हैं। लेकिन वो भूल रहे हैं कि सदियों की ललक के बाद भी कोई भी हमारे बीच से एकता की इस भावना को परास्त नहीं कर पाया है। उन्होंने कहा कि सरदार पटेल की शुभकामनाओं के साथ देश में कुछ सप्ताह पहले ऐसी अलगावादी शक्तियों को परास्त करने के लिए अनुच्छेद 370 को हटाने का बड़ा फैसला लिया।

प्रधानमंत्री ने कहा कि संविधान के अनुच्छेद 370 ने जम्मू और कश्मीर को सिर्फ अलगाववाद और आतंकवाद दिया है। उन्होंने कहा कि वर्षों से इस अनुच्छेद ने देश के लोगों के बीच फूट पैदा की है।
श्री मोदी ने कहा कि अनुच्छेद 370 ने अलगागवादी विचार और आतंकवाद को बढ़ावा दिया और हमारे भाई और बहने जो इस छद्म दीवार के दूसरी ओर थे वो इससे भ्रम की स्थिति में थे।

प्रधानमंत्री ने कहा अब ये दीवार नष्ट हो चुकी है। पूरे देश भर में सिर्फ जम्मू और कश्मीर एक ऐसा स्थान था जहां अनुच्छेद 370 लागू था। पिछले तीन दशकों में 40 हजार से अधिक लोग आतंकवादी गतिविधियों के कारण मारे गए, माओं ने अपने बच्चों को खो दिया, बहनों ने भाइयों को खोया और बच्चों ने अपने माता-पिता को खोया।

प्रधानमंत्री ने कहा, “सरदार पटेल ने कहा था कि यदि जम्मू और कश्मीर का मुद्दा मेरे पास रहता तो इसका समाधान करने में इतना समय नहीं लगता।” मैं अनुच्छेद 370 को समाप्त करने के इस निर्णय को सरदार वल्लभभाई पटेल की जयंती पर उन्हें समर्पित करता हूं। मुझे खुशी है कि हमारा यह निर्णय जम्मू और कश्मीर को विकास के पथ पर सुनहरे भविष्य की ओर ले जाएगा। जम्मू-कश्मीर में हाल ही में हुए खंड विकास परिषद के चुनावों का जिक्र करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा “इसमें 98 प्रतिशत से अधिक मतदान हुआ। मतदाता जो कि पंच और सरपंच थे, उन्होंने बड़ी संख्या में मतदान किया और इसने एक बड़ा संदेश दिया।

प्रधानमंत्री ने कहा कि अब जम्मू-कश्मीर में राजनीतिक स्थायित्व का दौर शुरू होगा। व्यक्तिगत रुचि के चलते सरकार बनाने का खेल अब खत्म होगा और क्षेत्रीय आधार पर भेदभाव की भावना भी दूर होगी। क्षेत्र में सहयोगी संघवाद की सच्ची भावना की शुरुआत होगी। नए राजमार्ग, नई रेलवे लाइन, नए स्कूल, नए कालेज, नए अस्पताल जम्मू और कश्मीर को विकास के नए पथ पर ले जाएंगे।

सरदार पटेल के आदर्शों का जिक्र करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा “देश में स्थायित्व के लिए उद्देश्य में एकता, प्रयास में एकता और लक्ष्य में एकता आवश्यक है और यह सरदार पटेल की विचारधारा है कि हमें अपने उद्देश्यों, लक्ष्यों और प्रयोजन में समतावादी भाव रखने होंगे। प्रधानमंत्री ने कहा कि जब हम राष्ट्रीय एकता के इस पथ पर आगे बढ़ेंगे, तब ही हम “एक भारत- श्रेष्ठ भारत” का लक्ष्य प्राप्त कर सकेंगे।