देश के अर्थतंत्र की आवश्यकताओं की पूर्ति करने वाला ऐतिहासिक बजट

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आप देश के किसी भी कोने या अर्थव्यवस्था के किसी भी क्षेत्र को लें, प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी ने इस बजट में प्रत्येक के लिए कुछ न कुछ प्रावधान रखा है। यह एक मैजिक बॉक्स जैसा है, जिसके जरिये वित्त मंत्री ने प्रत्येक की आवश्यकताओं की पूर्ति करने का उपाए किया है, परन्तु किसी भी व्यक्ति के लालच को संतुष्ट करने की बात इसमें नहीं है।

गोपाल कृष्ण अग्रवाल

बजट का अन्तर्निहित संदेश यही है कि इसमें लोकप्रिय घोषणाओं की लीपापोती नहीं की गई है (जबकि पांच राज्यों में चुनाव होने जा रहे थे), बल्कि अर्थव्यवस्था के उन पहलूओं पर चोट की गई है, जो हमें अधिक आहत करते हैं। वित्त मंत्री ने आश्चर्यजनक ढंग से अर्थव्यवस्था के महत्वपूर्ण क्षेत्रों को छुआ है और ऐसे सुधारात्मक उपाए किए हैं जिनके दूरगामी परिणाम निकलते हैं- जैसे ग्रामीण कनेक्टिविटी, किसानों की समस्याएं, युवाओं के लिए रोजगार, मांग-आपूर्ति, सरकारी निवेश, चुनावी सुधार, उच्च कर-अनुपालन, व्यक्तिगत करों में कमी, 50 करोड़ तक के टर्नओवर वाले एमएसएमई के करों को कम करना, पुनः विमुद्रीकरण सम्बन्धी विषयों को ठीक करना ‘कम ट्रांजेक्शन कॉस्ट’ डिजिटल अर्थव्यवस्था की तरफ बढ़ना, असंगठित क्षेत्रों के लिए बड़े पैमाने पर पूंजी उपलब्ध करना और व्यापार व्यवस्था को सरल करने के उपाए करना, ग्रामीण इंफ्रास्ट्रक्चर का निर्माण तथा आम जनता को कम कीमत के मकान उपलब्ध कराना एवं समाज के वंचित वर्गों की सामाजिक सुरक्षा आदि के कई महत्वपूर्ण उपाए किए गए हैं।

आप देश के किसी भी कोने या अर्थव्यवस्था के किसी भी क्षेत्र को लें, प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी ने इस बजट में प्रत्येक के लिए कुछ न कुछ प्रावधान रखा है। यह एक मैजिक बॉक्स जैसा है, जिसके जरिये वित्त मंत्री ने प्रत्येक की आवश्यकताओं की पूर्ति करने का उपाए किया है, परन्तु किसी भी व्यक्ति के लालच को संतुष्ट करने की बात इसमें नहीं है। सरकार मुद्रास्फीति की दर को दिसम्बर 2016 के 6 प्रतिशत के स्तर से घटा कर जुलाई में 3.4 प्रतिशत पर ले आई, 2016/17 के पहले छमाही के घाटे को जीडीपी के 1 प्रतिशत दर से कम करके 0.3 प्रतिशत पर ले आई है और वैश्विक एफडीआई में 5 प्रतिशत का प्रवाह कम होने के बावजूद भी भारत में एफडीआई का विकास 36 प्रतिशत तक बढ़ गया है। ये सभी बड़ी भारी उपलब्धियां हैं।

हालांकि वैश्विक मंदी की चुनौतियां सामने हैं, परन्तु सरकार इनका सीधे सामना कर रही है। जीएसटी का संवैधानिक संशोधन विधेयक पारित हो चुका है और कालाधन तथा भ्रष्टाचार समाप्त करने के लिए उच्च मूल्य करेंसी के विमुद्रीकरण के ऐतिहासिक निर्णय को सफलतापूर्वक कार्यान्वित किया गया है। इंसॉल्वेंसी और बैंकरप्सी कोड समूचे बैंकों के अच्छे स्वास्थ्य के लिए लाया गया है। सरकारी निवेश को बढ़ाकर 3,96,000 करोड़ रुपये कर दिया गया है।
2017-18 के बजट का सरकारी एजेण्डा विकास के लिए दस वर्ष का स्पष्ट रोड मैप है जिससे ‘ट्रांसफोर्म, एनर्जाईज और क्लीन इण्डिया’ बनाने का प्रयास हो रहा है। बुनियादी रूप से सरकार वर्ष 2022 तक किसानों की आय दुगुनी करने के लिए प्रतिबद्ध है, जिससे ग्रामीण क्षेत्रों में बुनियादी इंफ्रास्ट्रक्चर खड़ा किया जा सके, शिक्षा तथा योग्यता के जरिए युवाओं के लिए रोजगार का निर्माण हो सके। अपवंचित वर्गों के लिए सामाजिक सुरक्षा, आवास और स्वास्थ्य सुविधाएं मजबूत करना भी उद्देश्य है। सभी के लिए इंफ्रास्ट्रक्चर खड़ा करना और वित्तीय क्षेत्र में स्थायी और मजबूत संस्थान बनाना। सभी सार्वजनिक सेवाओं के लिए कुशल डिलिवरी (सुपुर्दगी) मैकेनिज्म, न्याय संगत वित्तीय प्रबंध एवं कुशल-व-पारदर्शी सम्पत्ति कर प्रशासन की तरफ बढ़ना भी आवश्यक है। ये सभी ऐसे रोडमैप हैं जिनके माध्यम से सरकार विकास तथा मजबूत अर्थव्यवस्था की तरफ तेजी से बढ़ेगी। बजट में यह सभी विषय ध्यान में रखे गये हैं।

हमारे विश्लेषण में यह सभी तथ्य स्पष्ट रूप से उजागर होते हैं। किसानों के राहत के लिए किसानों को ऋण देने के रूप में 10 लाख करोड़ रुपए का आवंटन किया गया है। उनके ऋण पर 60 दिन के ब्याज को माफ कर दिया गया है; नाबार्ड फंड को 40000 करोड़ रुपए तक बढ़ाया गया है; डेडीकेटेड माइक्रो फंड को प्रारम्भ में ही 5000 करोड़ रुपये कर दिया गया है; सिंचाई की राशि को दुगुना करके 40000 करोड़ रुपए कर दिया गया है। नीति आयोग ने कांट्रेक्ट फार्मिंग पर एक मॉडल कानून तैयार किया है और इसके कार्यान्वयन के लिए राज्यों को लागू करने की बात कही गई है। ग्रामीण विकास और कनेक्टिविटी के लिए 1,87,223 करोड़ रुपए की राशि आवंटित की गई है। प्रतिदिन 131 कि.मी. सड़कों के निर्माण का लक्ष्य रखा गया है। मार्च 2018 तक 100 प्रतिशत ग्रामीण विद्युतीकरण करने का वायदा है और 2019 तक गरीबी से निपटने के लिए 1 करोड़ आवास बनाने का भी सरकार का लक्ष्य है।
नवभारत के लिए कुशलता एवं शिक्षा के लिए 100 अन्तर्राष्ट्रीय कुशलता केन्द्र खोले जाएंगे, जिनमें विदेशी भाषाओं के पाठ्यक्रम भी शामिल रहेंगे। सभी प्रवेश परीक्षाओं के लिए एकीकृत राष्ट्रीय परीक्षा एजेंसी स्थापित की जाएगी और 3479 शिक्षापरक बैकवर्ड ब्लाक की स्थापना की जाएगी।

चुनावी सुधारों के लिए कई अत्यंत महत्वपूर्ण पहल किये हैं। किसी एक स्रोत से कोई भी राजनैतिक पार्टी को नगद 2000 रुपए का दान ही दिया जा सकता है। आरबीआई एक्ट में संशोधन किया जा रहा है, ताकि निश्चित भुगतान तारीख के साथ चुनावी बांड जारी किए जा सकें। चैक या डिजिटल ट्रांजेक्शन के माध्यम से किसी भी बैंक या डाकघर से ये बांड खरीदे जा सकते हैं; केवल रजिस्टर्ड पार्टियां ही इनका भुगतान करवा सकती हैं। अब सभी पार्टियों के लिए हर वर्ष के दिसम्बर के अंत तक आयकर विवरणी भरना आवश्यक है।

विमुद्रीकरण के बाद अधिक कर अनुपालन के लिए सभी खातों में जमा रकम का विश्लेषण किया जाएगा। 3 लाख रुपए के ऊपर के किसी भी नकट ट्रांजेक्शन की अनुमति नहीं है। संशोधित कर विवरणी के जांच का समय भी घटा कर 12 महीने कर दिया गया है। पहली बार आयकर विवरणी भरने वालों के लिए किसी प्रकार की सरकारी स्क्रूटनी आड़े नहीं आएगी। बिजनेस इन्कम के अलावा 5 लाख की वार्षिक आय वाले लोगों के लिए एक पृष्ठ की सरल विवरणी तैयार की गई है।

व्यक्तिगत करदाताओं के लिए कर दर में कमी की गई है। 2.5-5 लाख रुपए की वर्तमान आय पर कर रेट 10 प्रतिशत से कम कर 5 प्रतिशत कर दी गई है, इसलिए बाद की सभी आय ब्रेकेट में करदाताओं के लिए 12,500 रुपए तक का कर कम लगेगा। एमएसएमई सेक्टर के लिए कार्पोरेट करों में भी कमी की गई है। एमएसएमई कम्पनियों के लिए 50 करोड़ रुपए टर्नओवर तक के लिए कर दर 25 प्रतिशत कर दी गई है। इस श्रेणी में लगभग 90 प्रतिशत कम्पनियां आती है। प्रधानमंत्री मुद्रा योजना के लिए ऋण लक्ष्य लगभग दुगुना होकर 2,44,000 करोड़ रुपए हो गया है।

आर्थिक विकास के लिए सबसे महत्वपूर्ण क्षेत्र पर ध्यान देने के लिए व्यापार करने को सरल बनाना है और सरकार ने इसके लिए पर्याप्त प्रोत्साहन के उपाए किए हैं; व्यापारी प्रतिष्ठान, जो प्रिजम्पटीव आय योजना का लाभ लेते हैं, उनकी टर्नओवर लिमिट ‘1 करोड़ से बढ़ाकर 2 करोड़’ कर दी गई है। इसी प्रकार व्यक्तियगत और एचयूएफ करदाताओं के लिए खातों के रखने की आवश्यकता की सीमा बढ़ाकर 10 लाख रुपए से 25 लाख रुपए या आय की वार्षिक सीमा 1.2 लाख से बढ़ाकर 2.5 लाख रुपए कर दी गई है। स्क्रूटनी निर्धारण के लिए समय सीमा को 2018-19 निर्धारण वर्ष के लिए घटाकर 21 महीने से 18 महीने कर दिया गया है और आगे निर्धारण वर्ष 2019-20 तथा बाद के वर्षों के लिए 12 महीने कर दिया गया है।

कम कीमत के घर के प्रोत्साहन से समाज के कमजोर वर्गों के लिए घरों का प्रावधान किया गया है। एफोर्डेबल घरों को इंफ्रास्ट्रक्चर स्टेटस दिया जाएगा। पूंजी लाभ कर में बदलाव किया जाएगा, ताकि रियल एस्टेट को मदद मिले और ईएमआई पर ब्याज दर कम की गई है। यदि मकान खाली रखा जाता है और बेचा नहीं जाता है तो प्रिजम्पटिव किराया बिल्डरों पर लगेगा जिसके चलते उन पर फ्लैट बेचने के लिए दबाव आ जाएगा और इससे घरों की उपलब्धता भी बढ़ेगी।
गरीबों के लिए सामाजिक सुरक्षा बहुत महत्वपूर्ण है तथा सरकार ने इस विषय पर बहुत कुछ किया है। महिलाओं तथा बच्चों के लिए विभिन्न योजनाओं को बढ़ाकर आवंटन 1.84 ट्रिलियन रुपये कर दिया गया है। 2018 तक लेप्रोस्कोपी, 2025 तक टीबी उन्मूलन का लक्ष्य रखा गया है।  वर्तमान श्रम नियमों को सरल बनाने तथा कई तरह के श्रम नियमों का विलय करने के लिए कानून प्रस्तावित हैं, जिन पर काम चल रहा है। अनुसूचित जातियों का आवंटन बढ़ाकर 52,393 रुपए कर दिया गया है। अनुसूचित जनजातियों के लिए 31920 करोड़ रुपये और अल्पसंख्यकों के लिए 4195 करोड़ रुपये आवंटन किया गया है।
इन सभी प्रावधानों और घोषणाओं से स्पष्ट संकेत मिलते हैं कि यह बजट गरीबों के लिए है, किसानों का मददगार है और ग्रामीण भारत तथा समाज के उन वर्गों के लिए विशेष रूप से लाभकारी है जो पिछले कई वर्षों से अर्थव्यवस्था के विकास में भाग लेने से वंचित रह गए थे।

(लेखक भाजपा के आर्थिक मामलों के राष्ट्रीय प्रवक्ता हैं)