मां विमलांबा प्रतिष्ठा महोत्सव

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हमारा देश एक जियो-पॉलिटिकल देश नहीं बल्कि एक जियो-कल्चरल राष्ट्र है’

भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री अमित शाह ने 20 जनवरी को पुरी (उड़ीसा) में मां विमलांबा प्रतिष्ठा महोत्सव में भाग लिया और इस अवसर पर आयोजित जन-सभा को संबोधित किया।

गोवर्धन मठ, पुरी पीठाधीश पूज्यपाद श्रीमद् शंकराचार्य जी के चरणों में प्रणाम करते हुए भाजपा अध्यक्ष ने कहा कि जब-जब मैंने पूज्यपाद से मिलने का समय मांगा, हर बार उन्होंने समय दिया, बड़े स्नेह से मेरा मार्गदर्शन किया और सच्चे रास्ते पर चलने की प्रेरणा भी दी। उन्होंने कहा कि यह महाप्रभु जगन्नाथ का निवास तो है ही, साथ ही विश्व भर के हिन्दुओं के लिए एवं सनातन धर्मावलम्बियों के लिए अन्य कारणों से भी यह आस्था, विश्वास और श्रद्धा का केंद्र भी है क्योंकि यहां गोवर्धन पीठ है जहां से भगवान् आदिशंकर ने वेदों के संरक्षण व संवर्द्धन की शुरुआत की थी।

श्री शाह ने कहा कि पूज्यपाद आज जिस परम्परा के संरक्षण व संवर्धन का निर्वहन कर रहे हैं, उस परम्परा की शुरुआत जब लगभग 2500 वर्ष पहले हुई थी, तब हर तरफ सनातन धर्म पर संकट के बादल छाये हुए थे, सनातन धर्म के भविष्य को लेकर साधु-संत चिंतित थे, तब एक बालक ने आगे आकर आश्चर्यचकित कर देने वाली अपनी ज्ञान एवं मेधा के सहारे सनातन धर्म का पुनरुद्धार करते हुए इसे फिर से प्रतिष्ठित करने का काम किया। उन्होंने कहा कि पूज्य श्री उसी महान परम्परा के वाहक हैं और हमारा मार्गदर्शन कर रहे हैं।

श्री शाह ने कहा कि आश्चर्य होता है कि अल्पायु में ही एक व्यक्ति इतने सारे काम कैसे कर सकता है, तब मन यह मानने को लालायित हो उठता है कि यह बालक मानव नहीं बल्कि साक्षात भगवान् शंकर का अवतार है। उन्होंने कहा कि भगवान् आदिशंकर ने इतने अल्पकाल में ही चार पीठों को प्रतिस्थापित किया, चार-धाम को पुनः प्रतिष्ठित किया, 52 शक्तिपीठों की व्याख्या की, उनका पुनरुद्धार किया, ज्योतिर्लिंगों का भी पुनरुद्धार किया, संन्यास व्यवस्था को 10 अखाड़ों में बांटकर एक वैज्ञानिक व्यवस्था देने का भी काम किया। उन्होंने कहा कि इसके साथ ही आचार्य शंकर ने अनेक प्रकार के भाष्यों की भी रचना की, चाहे वह श्रीमद्भागवद्गीता पर लिखा गया भाष्य हो या उपनिषद् पर लिखा गया भाष्य हो अथवा ब्रह्मसूत्र पर लिखा गया भाष्य हो।

श्री शाह ने कहा कि इतने वर्षों की महान परम्परा का निर्वहन कर रहे जगतगुरु श्री निश्चलानंद सरस्वती जी के चरणों में जब-जब मुझे बैठने का मौक़ा मिला, उन्होंने कभी पीठ अथवा अपनी संस्थाओं के लिए कुछ नहीं कहा, उन्होंने कहा तो देश की व्यवस्था के लिए कहा, देश के सुधार के लिए कहा और सनातन धर्म को आगे ले जाने के लिए कहा, यही विचार सनातन धर्म को दुनिया में सबसे ऊपर प्रतिष्ठित करता है। भाजपा अध्यक्ष ने कहा कि आज मां विमला का भव्य मंदिर पूज्यपाद के मार्गदर्शन में बना है, प्राण-प्रतिष्ठा भी उन्हीं के माध्यम से हुई है, जिस तरह से महाप्रभु जगन्नाथ का मंदिर सबको शांति देता है, इसी तरह से माँ विमला का यह भव्य मंदिर सदियों तक श्रद्धालुओं को उनकी आत्मा की उन्नति के लिए प्रेरित करती रहेगी। इस अवसर पर आमंत्रित करने के लिए उन्होंने श्री गजपति जी का ह्रदय से आभार प्रकट किया।