सभी देश आतंकवाद से निपटने के लिए समग्र रुख अपनाए

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लश्कर-ए-तैयबा और जैश-ए-मोहम्मद द्वारा की जाने वाली हिंसा पर चिंता

प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने ब्राजील, रूस, भारत, चीन, दक्षिण अफ्रीका यानी ब्रिक्स संगठन के 9 वें शिखर सम्मेलन में हिस्सा लिया। यह सम्मेलन 4-5 सितंबर को चीन के शियामेन शहर में संपन्न हुआ। सम्मेलन में ब्रिक्स देशों के नेताओं ने आतंकवाद पर चिंता के साथ-साथ खुलेपन, समावेशी और सहयोग की भावना दोहरायी। वे आपस में और अधिक मजबूत और व्यापक रणनीतिक साझेदार संबंधों का निर्माण करने और ब्रिक्स सहयोग का नया दशक शुरू करने की आशा व्यक्त की।

प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने 4-5 सितंबर को चीन के शियामेन शहर में 9 वें ब्रिक्स शिखर सम्मेलन-2017 में हिस्सा लिया। सम्मेलन के दौरान 4 सितंबर को ब्रिक्स नेताओं की उपस्थिति में इन दस्तावेजों पर हस्ताक्षर किए गए।

1-आर्थिक और व्यापार सहयोग पर ब्रिक्स एक्शन एजेंडा

2-नवाचार सहयोग (2017-2020) के लिए ब्रिक्स एक्शन प्लान

3-ब्रिक्स सीमा शुल्क सहयोग का कूटनीतिक संरचना

4-ब्रिक्स बिजनेस काउंसिल और न्यू डेवलपमेंट बैंक के बीच समझौता ज्ञापन

आतंकवाद पर चिंता

शिखर सम्मेलन में ब्राजील, रूस, भारत, चीन, दक्षिण अफ्रीका ने सभी देशों से अपील की कि वे आतंकवाद से निपटने के लिए एक समग्र रुख अपनाए। आतंकवाद से निपटने के क्रम में चरमपंथ से निपटने और आतंकियों के वित्त पोषण के स्रोतों को अवरूद्ध करने की भी बात की गई।

समूह ने क्षेत्र की सुरक्षा स्थिति के साथ-साथ तालिबान, आईएसआईएस, अल-कायदा और लश्कर-ए-तैयबा, जैश-ए-मोहम्मद एवं हक्कानी नेटवर्क समेत इसके सहयोगी संगठनों द्वारा की जाने वाली हिंसा पर चिंता जाहिर की।

भारत ने उठाया आतंकवाद का मुद्दा

प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने ब्रिक्स बैठक में बोलते हुए कहा कि सभी देशों में शांति के लिए ब्रिक्स देशों का एकजुट रहना जरूरी है। उन्होंने सम्मेलन में आतंकवाद का भी मुद्दा उठाया। इस पर अन्य सदस्य देशों ने भी चिंता जताई।

प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने विकास को आगे ले जाने के लिए ब्रिक्स देशों के बीच मजबूत भागीदारी का आह्वान किया। उन्होंने कहा कि इस ब्लॉक ने सहयोग के लिए एक मजबूत ढांचा विकसित किया है और अनिश्चितता की तरफ बढ़ रही दुनिया में स्थिरता के लिए योगदान दिया है। श्री मोदी ने आंतकवाद का भी मुद्दा उठाया। इस पर ब्रिक्स देशों ने क्षेत्र में सुरक्षा स्थिति और तालिबान, अल-कायदा, पाकिस्तान आधारित लश्कर-ए-तैयबा एवं जैश-ए-मोहम्मद जैसे आतंकी समूहों द्वारा की जा रही हिंसा पर चिंता जतायी।

हम अपने 80 करोड़ युवाओं की ऊर्जा का भी सदुपयोग कर रहे हैं: नरेंद्र मोदी

नौवें ब्रिक्स शिखर सम्मेलन के पूर्ण अधिवेशन में प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने 4 सितंबर को कहा कि हम गरीबी मिटाने, स्वास्थ्य सेवा सुनिश्चित करने, कौशल विकास, खाद्य सुरक्षा, लैंगिक समानता, ऊर्जा, शिक्षा और नवोन्मेष की दिशा में मिशन मोड में काम कर रहे हैं। हम स्वच्छ गंगा, अक्षय ऊर्जा, डिजिटल इंडिया, स्मार्ट सिटी, सभी के लिए आवास और कौशल भारत के राष्ट्रीय कार्यक्रम और स्वच्छता जैसे कार्यक्रमों के जरिये समावेशी विकास को लेकर आधार तैयार कर रहे हैं।

श्री मोदी ने कहा कि हम अपने 800 मिलियन युवाओं की ऊर्जा का भी सदुपयोग कर रहे हैं। हमारा महिला सशक्तिकरण का कार्यक्रम बहु-उत्पादकता है जिससे राष्ट्र निर्माण की मुख्य धारा में महिलाएं भी आ रही हैं। हमने कालेधन और भ्रष्टाचार के खिलाफ भी कदम उठाए हैं। हमारे इन अनुभवों का ब्रिक्स के सदस्य देश आगे बढ़ते हुए साझेदारी के साथ लाभ उठा सकते हैं, जिसके परिणाम उत्साहजनक होंगे।

प्रधानमंत्री ने कहा कि परस्पर सहयोग के लिए दिमाग में कुछ विचार आए हैं, जिसे मैं यहां साझा कर रहा हूं। पहला, पिछले साल हमने एक ब्रिक्स रेटिंग एजेंसी बनाने की अपनी कोशिशों पर चर्चा की थी। मेरा आग्रह है कि इसे तैयार करने के लिए इसकी रूपरेखा को जल्दी से जल्दी अंतिम रूप दिया जाना चाहिए। दूसरा, हमारे केंद्रीय बैंकों को अपनी क्षमताओं को और मजबूत करना चाहिए और प्रत्यावर्तनीय रिजर्व व्यवस्था और आईएमएफ के बीच सहयोग को बढ़ावा देना चाहिए। तीसरा, हमारे राष्ट्रों के विकास के लिए ऊर्जा की खातिर किफायती, विश्वसनीय और स्थायी पहुंच महत्वपूर्ण है।

वस्तु और सेवा कर भारत में अब तक का सबसे बड़ा आर्थिक सुधार: नरेंद्र मोदी

शियामेन में ब्रिक्स व्यापार परिषद को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने 4 सितंबर को कहा कि भारत आज दुनिया में तेजी से सबसे ज्यादा खुली अर्थव्यवस्थाओं के रुप में बदल रहा है। विदेशी प्रत्यक्ष निवेश का प्रवाह 40 प्रतिशत बढ़ा है और वह अपने उच्चतम स्तर पर है। आसान व्यापार करने के विश्व बैंक की सूचकांक में भारत आगे बढ़ा है। इसी प्रकार, हम पिछले दो वर्षों में वैश्विक प्रतिस्पर्धात्मकता सूचकांक में 32 अंक आगे बढ़े हैं।

श्री मोदी ने कहा कि जुलाई में पेश किया गया वस्तु और सेवा कर भारत में अब तक का सबसे बड़ा आर्थिक सुधार है। एक ही झटके में, 1.3 बिलियन लोगों के लिए एक एकीकृत बाजार को निर्माण कर लिया गया है। डिजिटल इंडिया, स्टार्ट अप इंडिया और मेक इन इंडिया जैसे कार्यक्रम देश के आर्थिक परिदृश्य को बदल रहे हैं। वे भारत को ज्ञान आधारित, कौशल समर्थित और प्रौद्योगिकी चालित समाज के रूप में बदलने में मदद कर रहे हैं।

हमारे विकास एजेंडे का आधार ‘सबका साथ, सबका विकास’: नरेंद्र मोदी

शियामेन में 5 सितंबर को आयोजित ब्रिक्स उभरते बाजार एवं विकासशील देश वार्ता में प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि संयुक्त राष्ट्र के 2030 एजेंडे और इसके 17 सतत विकास लक्ष्यों को लागू करने के दो साल बाद लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए साथ मिलकर काम करने की अनिवार्यता अब भी बलवती है। हाल ही में जुलाई में भारत ने एसडीजी की अपनी पहली स्वैच्छिक राष्ट्रीय समीक्षा पूरी की है। हमारे विकास एजेंडे का आधार ‘सबका साथ, सबका विकास’ – यानी सामूहिक प्रयास, समावेशी विकास की धारणा में निहित है।

श्री मोदी ने कहा कि हमने संघ एवं राज्य दोनों स्तर पर प्रत्येक एसडीजी को अपने विकास कार्यक्रमों एवं योजनाओं के अनुरूप तैयार किया है। हमारी संसद ने भी एसडीजी पर संसदीय चर्चा आयोजित करने की पहल की है। हमारे कार्यक्रम इन प्राथमिकता वाले लक्ष्यों को समयबद्ध तरीके से पूरा करने के लिए तैयार हैं। इसके लिए हम केवल एक उदाहरण का हवाला देते हैं- बैंकिंग सेवाओं से वंचित लोगों को बैंक खाता खुलवाने, सभी नागरिकों को बायोमेट्रिक पहचान प्रदान करने और अभिनव मोबाइल प्रशासन समाधानों के उपयोग संबंधी हमारे त्रिआयामी दृष्टिकोण से पहली बार करीब 360 मिलियन लोगों तक प्रत्यक्ष लाभ हस्तांतरण पहुंच गया।

प्रधानमंत्री ने कहा कि यहां उपस्थित देशों में कुल मिलाकर मानवता के लगभग आधे हिस्से का प्रतिनिधित्व करते हैं। हम जो भी करेंगे उसका दुनिया पर उल्लेखनीय प्रभाव पड़ेगा। इसलिए यह हमारा कर्तव्य है कि हम ईंट से ईंट जोड़कर यानी ब्रिक्स के जरिये एक बेहतर दुनिया बनाएं। कल मैंने ब्रिक्स को अगले दस वर्षों में वैश्विक परिवर्तन करने के बारे में बात की थी, क्योंकि यह गोल्डन डिकेड है।

प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी का सुझाव है कि सक्रिय दृष्टिकोण, नीतियों और कार्यों को इन निम्नलिखित दस महान प्रतिबद्धताओं पर लाया जा सकता है:-

एक सुरक्षित दुनिया बनाना: कम से कम तीन मुद्दों- आतंकवाद की रोकथाम, साइबर सुरक्षा और आपदा प्रबंधन पर संगठित एवं समन्वित कार्रवाई।

हरित दुनिया का निर्माण: अंतरराष्ट्रीय सौर गठबंधन जैसी पहल के जरिये जलवायु परिवर्तन का सामना करने के लिए ठोस कार्रवाई।

एक समर्थ दुनिया बनाना: उपयुक्त तकनीकों को अपनाते और साझा करते हुए दक्षता, किफायती एवं प्रभावकारिता बढ़ाना।

समावेशी दुनिया बनाना: हमारे लोगों को बैंकिंग एवं वित्तीय व्यवस्था सहित आर्थिक मुख्यधारा से जोड़ना।

डिजिटल दुनिया बनाना: हमारी अर्थव्यवस्था के भीतर और बाहर डिजिटल विभेद को पाटना।

कुशल दुनिया बनाना: हमारे लाखों युवाओं को कौशल प्रदान करते हुए भविष्य के लिए तैयार करना।

स्वस्थ दुनिया बनाना: सभी लोगों को सस्ती स्वास्थ्य सेवा उपलब्ध कराने और रोगों के उन्मूलन के लिए अनुसंधान एवं विकास में सहयोग करना।

न्यायसंगत दुनिया बनाना: सभी को समान अवसर प्रदान करना खासकर लैंगिक समानता के माध्यम से।

कनेक्टेड दुनिया बनाना: वस्तुओं, व्यक्तियों एवं सेवाओं की मुक्त प्रवाह सुनिश्चित करना और

सामंजस्यपूर्ण दुनिया बनाना: शांति एवं सह-अस्तित्व पर केंद्रित विचारधाराओं, प्रथाओं और विरासत को बढ़ावा देते हुए प्रकृति के साथ सद्भाव में रहना।

प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी के संबोधन की मुख्य बातें

एक सुरक्षित दुनिया बनाना: कम से कम तीन मुद्दों- आतंकवाद की रोकथाम, साइबर सुरक्षा और आपदा प्रबंधन पर संगठित एवं समन्वित कार्रवाई।
हरित दुनिया का निर्माण: अंतरराष्ट्रीय सौर गठबंधन जैसी पहल के जरिये जलवायु परिवर्तन का सामना करने के लिए ठोस कार्रवाई।
एक समर्थ दुनिया बनाना: उपयुक्त तकनीकों को अपनाते और साझा करते हुए दक्षता, किफायती एवं प्रभावकारिता बढ़ाना।
समावेशी दुनिया बनाना: हमारे लोगों को बैंकिंग एवं वित्तीय व्यवस्था सहित आर्थिक मुख्यधारा से जोड़ना।
डिजिटल दुनिया बनाना: हमारी अर्थव्यवस्था के भीतर और बाहर डिजिटल विभेद को पाटना।
कुशल दुनिया बनाना: हमारे लाखों युवाओं को कौशल प्रदान करते हुए भविष्य के लिए तैयार करना।
स्वस्थ दुनिया बनाना: सभी लोगों को सस्ती स्वास्थ्य सेवा उपलब्ध कराने और रोगों के उन्मूलन के लिए अनुसंधान एवं विकास में सहयोग करना।
न्यायसंगत दुनिया बनाना: सभी को समान अवसर प्रदान करना खासकर लैंगिक समानता के माध्यम से।
कनेक्टेड दुनिया बनाना: वस्तुओं, व्यक्तियों एवं सेवाओं की मुक्त प्रवाह सुनिश्चित करना और
सामंजस्यपूर्ण दुनिया बनाना: शांति एवं सह-अस्तित्व पर केंद्रित विचारधाराओं, प्रथाओं और विरासत को बढ़ावा देते हुए प्रकृति के साथ सद्भाव में रहना।