केंद्रीय वित्त मंत्रालय द्वारा 5 दिसंबर को जारी एक रिपोर्ट के अनुसार सभी 28 राज्यों और विधान सभा वाले 3 केंद्रशासित प्रदेशों ने जीएसटी कार्यान्वयन के कारण राजस्व में गिरावट को पूरा करने के लिए विकल्प-1 पर अमल करने का निर्णय लिया है। एकमात्र शेष राज्य झारखंड ने भी अब विकल्प-1 के लिए अपनी स्वीकृति दे दी है। विधान सभा वाले सभी 3 केंद्रशासित प्रदेश जीएसटी परिषद के सदस्य हैं और वे विकल्प-1 के पक्ष में निर्णय पहले ही कर चुके हैं।
भारत सरकार ने उन राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों के लिए एक विशेष उधारी योजना शुरू की है, जिन्होंने जीएसटी कार्यान्वयन के कारण राजस्व में होने वाली कमी को पूरा करने के लिए विकल्प-1 के तहत उधारी लेने का विकल्प चुना है। यह योजना 23 अक्टूबर, 2020 से प्रभावी हो चुकी है और भारत सरकार राज्यों की ओर से पांच किस्तों में 30,000 करोड़ रुपये पहले ही जुटाकर उन राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों को प्रेषित कर चुकी है जिन्होंने विकल्प-1 को चुना है।
अब झारखंड राज्य को भी अगले दौर से इस योजना के तहत जुटाई गई रकम में से उधारी मिलना शुरू हो जाएगी। राज्यों/केंद्रशासित प्रदेशों को 6,000 करोड़ रुपये की अगली किस्त 7 दिसंबर, 2020 को जारी की जाएगी।
विकल्प-1 की शर्तों के अनुसार जीएसटी कार्यान्वयन के कारण पैदा होने वाली राजस्व में कमी को पूरा करने के लिए एक विशेष उधारी योजना की सुविधा के अलावा 17 मई, 2020 को राज्यों को भारत सरकार के आत्मनिर्भर अभियान के तहत अतिरिक्त 2 प्रतिशत उधारी लेने की अनुमति दी गई है। इसके अलावा, राज्य अंतिम किस्त के तौर पर अपने सकल घरेलू उत्पाद (जीएसडीपी) के 0.50 प्रतिशत रकम बिना शर्त उधार लेने के भी हकदार हैं। यह 1.1 लाख करोड़ रुपये की विशेष योजना के अतिरिक्त है। विकल्प-1 चुनने की सूचना मिलने के बाद भारत सरकार ने झारखंड राज्य सरकार को 1,765 करोड़ रुपये (झारखंड के जीएसडीपी का 0.50 प्रतिशत) की अतिरिक्त उधारी आवंटित की है।