तीनों कानून न्याय, पारदर्शिता और निष्पक्षता के सिद्धांतों पर बनाए गए हैं: अमित शाह

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आपराधिक कानून विधेयकों पर केंद्रीय गृह मंत्री का जवाब

आपराधिक कानून विधेयकों पर संसद में हुई चर्चा के जवाब में केंद्रीय गृह मंत्री श्री अमित शाह ने बताया कि ‘भारतीय न्याय संहिता’ आतंकवाद का सटीक चित्रण प्रदान करती है, राजद्रोह को एक अपराध के रूप में समाप्त करती है और ‘राज्य के विरुद्ध अपराध’ पर एक नया खंड प्रस्तुत करती है

केन्द्रीय गृह मंत्री श्री अमित शाह ने इस बात पर जोर दिया कि तीनों विधेयकों पर व्यापक विचार-विमर्श किया गया और सदन में मंजूरी के लिए प्रस्तुत करने से पहले मसौदा कानून में अल्पविराम और पूर्ण विराम सहित हर विवरण की सम्पूर्ण जांच की गयी थी।

उन्होंने नए कानून में राजद्रोह को हटाने पर जोर देते हुए कहा, “हमने एक व्यक्ति विशेष के स्थान पर मातृभूमि को प्राथमिकता दी है। राजद्रोह (यहां राजद्रोह का अर्थ राज यानी ब्रिटिश राज के विरुद्ध किये गए अपराध से है) को देशद्रोह (देश या मातृभूमि के विरुद्ध अपराध) से बदल दिया गया है।” श्री शाह ने इस बात पर जोर देते हुए कहा कि गांधी, तिलक और पटेल जैसे स्वतंत्रता सेनानियों को इस ब्रिटिश कानून के अंतर्गत कारावास का सामना करना पड़ा था, फिर भी विपक्ष ने अपने कार्यकाल के दौरान इस औपनिवेशिक कानून को रद्द नहीं किया।

श्री असदुद्दीन ओवैसी (ए.आई.एम.आई.एम., हैदराबाद, तेलंगाना) द्वारा उठाई गई चिंताओं के जवाब में केंद्रीय गृह मंत्री ने स्पष्ट किया कि इस देश में नागरिकों को सरकार की आलोचना करने पर जेल में नहीं डाला जाएगा। हालांकि, उन्होंने सदन को सम्बोधित करते हुए कहा कि अगर कोई भी व्यक्ति देश के हितों के विरुद्ध बोलने, झंडे को नुकसान पहुंचाने या देश की संपत्ति को नुकसान पहुंचाने जैसे कृत्यों में संलिप्त रहेगा उसे कारावास की सजा हो सकती है।

श्री शाह ने इस बात पर भी जोर दिया कि भारतीय दंड संहिता (IPC), भारतीय साक्ष्य अधिनियम और आपराधिक प्रक्रिया संहिता (CRPC) ऐसे कानूनों के उदाहरण हैं जो एक औपनिवेशिक विश्व दृष्टिकोण को प्रतिबिंबित करते हैं, जो न्याय से ऊपर सजा को प्राथमिकता देता है। उन्होंने इस तथ्य की ओर ध्यान आकर्षित किया कि औपनिवेशिक कानूनों के अंतर्गत महिलाओं और बच्चों, मानवाधिकारों, सीमा सुरक्षा और सेना के विरुद्ध अपराधों को ‘खजाना लूटना’, ‘रेल की पटरियां उखाड़ना’ और ‘ताज का अपमान’ जैसे अपराधों के समान प्राथमिकता नहीं दी गई थी।

पिछले कानूनों में बलात्कार को धारा 375-376 के अंतर्गत और हत्या को धारा 302 के अंतर्गत वर्गीकृत किया गया था, लेकिन नया बिल इन अपराधों को फिर से परिभाषित करता है, बलात्कार को धारा 63 के अंतर्गत और हत्या को धारा 101 के अंतर्गत रखता है। इसी तरह, अपहरण, जो पहले धारा 359 के अंतर्गत था, अब धारा 136 के अंतर्गत संबोधित किया जाता है। इस पर प्रकाश डालते हुए उन्होंने कहा कि मोदी सरकार ने लगातार महिलाओं और नागरिकों की भलाई को प्राथमिकता दी है।

केंद्रीय मंत्री ने सदन को बताया कि तीनों कानून न्याय, पारदर्शिता और निष्पक्षता के सिद्धांतों पर बनाए गए हैं। उन्होंने घोषणा पत्र के वादों को पूरा करने के लिए सरकार की प्रतिबद्धता पर प्रकाश डाला और अनुच्छेद 370 को रद्द करने, 70 प्रतिशत पूर्वोत्तर क्षेत्रों में AFSPA में कमी, तीन तलाक पर रोक और संसद में महिलाओं के लिए 33 प्रतिशत आरक्षण के कार्यान्वयन को उल्लेखनीय उपलब्धियों के रूप में बताया।