सदैव पार्टी कार्यकर्ताओं को गरीबों और शोषितों के मुद्दों उठाने के लिए प्रोत्साहित किया

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निःस्वार्थ सेवा की कहानी

एस. मल्लिकार्जुनैया
(26 जून, 1931 – 13 मार्च, 2014)

सक्रिय वर्ष: 1951 – 1999

स्थान – राज्य / जिला – तुमकुर, कर्नाटक

खेतिहर मजदूरी करने वाले एक सामान्य आर्थिक स्थिति वाले परिवार से संबंध रखने वाले श्री मल्लिकार्जुनैया ने भारतीय जनसंघ को प्रदेश में स्थापित करने के लिए पूरे जोश के साथ कार्य किया और इसके लिए प्रदेश भर का दौरा किया। आपातकाल की घोषणा से पहले श्री मल्लिकार्जुनैया ने भारतीय जनसंघ के अध्यक्ष के रूप में भी कार्य किया। मृदुभाषी, सौम्य और निर्भीक मल्लिकार्जुनैया सादगी, विनम्रता और विचारधारा के प्रति प्रतिबद्धता एवं समर्पण के प्रतीक थे। उन्होंने हमेशा पार्टी कार्यकर्ताओं को गरीबों और शोषितों के मुद्दों को उठाने, उनके अधिकारों के लिए लड़ने और अन्याय का विरोध करने के लिए प्रोत्साहित किया। श्री मल्लिकार्जुनैया ने हमेशा पार्टी मंचों पर कार्यकर्ताओं के हितों की बात को पूरी प्रबलता के साथ रखी। एक ऐसी बात जो उन्हें कार्यकर्ताओं के बीच लोकप्रिय बनाती है, वह यह है कि उन्होंने कभी भी किसी भी परिस्थिति में कार्यकर्ताओं का साथ नहीं छोड़ा, चाहे वह शुभ अवसर हो या अशुभ। यही कारण है कि वह पार्टी कार्यकर्ताओं के बीच बेहद लोकप्रिय रहे। वह कार्यकर्ताओं और स्नातक मतदाताओं के बीच कितने लोकप्रिय थे, इस बात का अंदाजा इससे लगाया जा सकता है कि उन्होंने लगातार पांच बार स्नातक चुनाव जीतकर कर्नाटक विधान परिषद् में प्रवेश किया।

उन्हें सर्वसम्मति से कर्नाटक विधान परिषद् के उपाध्यक्ष के रूप में भी चुना गया। उन्होंने सदन के सभी दलों के प्रति निष्पक्ष रहकर एक पेशेवर, उद्देश्यपूर्ण और निष्पक्ष तरीके से विधानमंडल की कार्यवाही का संचालन किया। उनकी नि:स्वार्थ सार्वजनिक सेवा ने उन्हें 1991 में तुमकुर लोकसभा सीट से विजयी बनाया। उन्हें लोकसभा का उपाध्यक्ष भी नियुक्त किया गया। कर्नाटक विधान परिषद् के उपाध्यक्ष के रूप में उनके ज्ञान और अनुभव का लाभ उन्हें लोकसभा के उपाध्यक्ष की जिम्मेदारियों को पूरा करने में मिला, जिससे उन्हें बहुत सम्मान मिला।