कोविड-19 के उपचार हेतु नाक से दिए जाने वाले पहले टीके का आपातकालीन उपयोग की मिली मंजूरी

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‘बीबीवी154 कोविड वैक्सीन’ कोविड-19 के खिलाफ 18 वर्ष से ज्यादा आयु के लोगों के लिए आपातकालीन स्थिति में सीमित उपयोग करने के लिए औषधि नियामक ‘डीसीजीआई’ द्वारा अनुमोदित नाक द्वारा दिया जाने वाला पहला टीका है

जैव प्रौद्योगिकी विभाग (डीबीटी) और इसके सार्वजनिक उपक्रम, जैव प्रौद्योगिकी उद्योग अनुसंधान सहायता परिषद् (बीआईआरएसी) के भारत बायोटेक (बीबीआईएल) के कोविड-19 के उपचार के लिए नाक से दिए जाने वाले अपने प्रकार के पहले टीके, इंट्रानैसल वैक्सीन का आपातकालीन उपयोग करने के लिए औषधि नियामक ‘डीसीजीआई’ ने अनुमति प्रदान की।

कोविड सुरक्षा अभियान के तत्वावधान में डीबीटी और बीआईआरएसी द्वारा समर्थित इस मिशन को डीबीटी द्वारा शुरू किया गया और बीआईआरएसी द्वारा कार्यान्वित किया गया, जिससे आत्मनिर्भर 3.0 के भाग के रूप में कोविड-19 टीके के विकास की कोशिशों को सुदृढ़ किया जा सके और इसमें तेजी लायी जा सके। वैक्सीन का विकास करने के विभिन्न स्तरों पर डीबीटी प्रयोगशालाओं और बीआईआरएसी ने इसे वैज्ञानिक नेतृत्व प्रदान किया। मिशन कोविड सुरक्षा के अंतर्गत यह चौथी सफल कोविड-19 वैक्सीन है।

केंद्रीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्रालय द्वारा सात सितंबर को जारी एक बयान के अनुसार बीबीवी154 एक नाक से दिया जाने वाला प्रतिकृति-अल्पता (इंट्रानैसल रेप्लिकेशन-डेफिसिएन्ट) वाले चिंपैंजी एडेनोवायरस एसएआरएस–सीओवी-2 वेक्टरीकृत वैक्सीन है। इसमें स्थिर स्पाइक एसएआरएस–सीओवी-2 (वुहान वेरिएंट) को व्यक्त करने वाला प्रतिकृति-अल्पता वाला सीएचएडी वेक्टर होता है।

डीबीटी के स्वायत्त संस्थान, राष्ट्रीय प्रतिरक्षा विज्ञान संस्थान (एनआईआई), नई दिल्ली ने परीक्षण प्रतिभागियों पर वैक्सीन-प्रेरित एसएआरएस–सीओवी-2-विशिष्ट प्रणालीगत और म्यूकोसल सेलुलर प्रतिरक्षा प्रतिक्रियाओं की जांच करने के लिए अपने ‘मानव प्रतिरक्षा निगरानी और टी-सेल इम्यूनोसे प्लेटफॉर्म’ का उपयोग किया। इंटरएक्टिव रिसर्च स्कूल फॉर हेल्थ अफेयर्स (आईआरएसएचए), पुणे ने तीन परीक्षण स्थलों से वायरस के लिए एंटीबॉडी को निष्क्रिय करने के अनुमापांक का निर्धारण करने के लिए प्लाक रिडक्शन न्यूट्रलाइज़ेशन (पीआरएनटी) जांच को पूरा किया।

गौरतलब है कि ‘बीबीवी154 कोविड वैक्सीन’ कोविड-19 के खिलाफ 18 वर्ष से ज्यादा आयु के लोगों के लिए आपातकालीन स्थिति में सीमित उपयोग करने के लिए डीसीजीआई द्वारा अनुमोदित नाक द्वारा दिया जाने वाला पहला टीका है, जिसे मिशन कोविड सुरक्षा के अंतर्गत देश में विकसित किया जा रहा है। साथ ही, यह केंद्र सरकार की आत्मनिर्भर पहल का एक उत्कृष्ट उदाहरण भी है।