दीर्घकालीन सिंचाई निधि के लिए 9020 करोड़ रुपये तक अतिरिक्त बजटीय संसाधन जुटाने की मंजूरी

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प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में केन्द्रीय मंत्रिमंडल ने 16 अगस्त को वर्ष 2017-18 के दौरान आवश्यकतानुसार 9020 करोड़ रुपये तक के अतिरिक्त बजटीय संसाधन जुटाने की मंजूरी दी। यह राशि नाबार्ड द्वारा प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना (पीएमकेएसवाई) के तहत चल रही प्राथमिकता वाली 99 सिंचाई परियोजनाओं और इसके साथ-साथ उनके कमांड क्षेत्र विकास (सीएडी) के त्वरित सिंचाई लाभ कार्यक्रम (एआईबीपी) कार्यों के कार्यान्वयन के लिए ऋण के संदर्भ में 6 प्रतिशत प्रतिवर्ष की ब्याज दर सुनिश्चित करने के लिए बांड जारी करके जुटाई जायेगी।

त्वरित सिंचाई लाभ कार्यक्रमों (एआईबीपी) के तहत अनेक प्रमुख और मध्यम सिंचाई परियोजनाएं मुख्य रूप से निधियों के अपर्याप्त प्रावधान के कारण अधूरी पड़ी थी। वर्ष 2016-17 के दौरान पीएमकेएसवाई (एआईबीपी और सीएडी) के अधीन चल रही 99 परियोजनाओं की दिसम्बर 2019 तक कई चरणों में पूरी करने के लिए पहचान की गई थी। बड़ी मात्रा में निधि की आवश्यकता को पूरा करने और इन परियोजनाओं का कार्य पूरा करने के लिए केन्द्रीय वित्त मंत्री ने अपने बजट भाषण 2016-17 के दौरान पीएमकेएसवाई-एआईबीपी और सीएडी के तहत पहचान की गई, मौजूदा परियोजनाओं के लिए केन्द्र और राज्यों के हिस्से के वित्तपोषण के लिए 20 हजार करोड़ रुपये की आरंभिक निधि के साथ नाबार्ड में समर्पित दीर्घकालीन सिंचाई निधि (एलटीआईएफ) के सृजन की घोषणा की थी।

राज्यों के लिए नाबार्ड से ऋण को आकर्षक बनाने के लिए वर्ष 2016-17 से 2019-20 के दौरान नाबार्ड को प्रतिवर्ष अपेक्षित लागत मुक्त निधियां उपलब्ध कराकर ब्याज की दर 6 प्रतिशत के आस-पास बनाये रखने का निर्णय लिया गया था।

वर्ष 2016-17 के दौरान नाबार्ड ने एलटीआईएफ के तहत कुल 9086.02 करोड़ रुपये की राशि वितरित की, इसमें से 2414.16 करोड़ रुपये पोलावरम परियोजना (ईबीआर घटक के बिना) के लिए जारी किये गये और बाकी 6671.86 करोड़ रुपये पहचान की गई ईबीआर उपयोग वाली परियोजनाओं के लिए जारी किये गये थे। इसके अलावा 924.9 करोड़ रुपये बजटीय प्रावधान के माध्यम से केन्द्रीय सहायता (सीए) के रूप में वितरित किये गये। वर्ष 2016-17 के दौरान नाबार्ड ने ईबीआर के रूप में भारत सरकार की पूर्ण अदायगी वाले बांड के रूप में 2187 करोड़ रुपये की कुल राशि जुटाई थी।

वर्ष 2017-18 के दौरान एलटीआईएफ के माध्यम से 29 हजार करोड़ रुपये की अनुमानित राशि की जरूरत होगी, जिसके लिए 9020 करोड़ रुपये की ईबीआर अपेक्षित होगी। राज्यों और केन्द्रीय जल आयोग द्वारा विभिन्न समीक्षा बैठकों के दौरान बतायी गयी स्थिति के अनुसार 18 परियोजनाएं पूरी हो चुकी हैं या लगभग पूरी होने वाली हैं। इन सभी 99 परियोजनाओं से 2016-17 के दौरान 14 लाख हेक्टेयर से अधिक सिंचाई संभावना उपयोग की उम्मीद है। वर्ष 2017-18 के दौरान 33 से अधिक परियोजनाएं पूरी होने की संभावना है।

पहचान की गई सिंचाई परियोजनाओं के पूरा होने और निर्माण चरण के दौरान बड़ी तादाद में वेतन वाले और अन्य रोजगार अवसरों का सृजन होगा। यह भी महत्वपूर्ण है कि परियोजनाओं के पूरा होने पर लगभग 76 लाख हेक्टेयर सिंचाई संभावना का उपयोग इस क्षेत्र में कृषि परिदृश्य को पूरी तरह बदल देगा जिसके परिणामस्वरूप फसलों की सघनता, फसल प्रणाली में परिवर्तन, कृषि प्रसंस्करण और अन्य सहायक गतिविधियों के माध्यम से बड़ी संख्या में रोजगार के अवसरों का सृजन होगा।