झारखंड विधानसभा चुनाव
विपुल शर्मा
निर्वाचन आयोग ने आगामी झारखंड विधान सभा चुनावों की तारीखों की घोषणा कर दी है। चुनाव आयोग की घोषणा के अनुसार झारखंड विधानसभा की 81 सीटों के लिए 30 नवंबर से पांच चरणों में मतदान होगा और 23 दिसंबर को नतीजों की घोषणा की जाएगी।
राज्य में पांच चरणों में होने वाले चुनाव 30 नवंबर, 07 दिसंबर, 12 दिसंबर, 16 दिसंबर और 20 दिसंबर, 2019 को संपन्न होंगे। वर्तमान 81 सदस्य विधानसभा का कार्यकाल 05 जनवरी, 2020 को समाप्त हो रहा है। राज्य की 81 सीटों में से 09 सीटें अनुसूचित जाति (एससी) और 28 अनुसूचित जनजाति (एसटी) के लिए आरक्षित हैं।
साल 2014 के विधानसभा चुनावों में भाजपा ने अपनी सहयोगी आजसू के साथ मिलकर 42 सीटों पर जीत हासिल कर राज्य में सरकार बनाई थी। गौरतलब है कि आजसू ने पिछले चुनावों में 5 सीटों पर विजय प्राप्त की थी। इन चुनावों में झारखंड मुक्ति मोर्चा 19 सीटों के साथ राज्य की सबसे बड़ी विपक्षी पार्टी रही, जेवीएम (पी) ने 8 और कांग्रेस ने केवल 6 सीटों पर जीत हासिल की।
चुनाव आयोग के आंकड़ों के अनुसार विधानसभा चुनावों में भाजपा को 31.26 प्रतिशत और कांग्रेस को 10.46 प्रतिशत वोट हासिल हुए। इन चुनावों में मतदान प्रतिशत में लगभग 10 प्रतिशत की बढ़ोतरी देखी गई और यह 66.42 प्रतिशत रहा।
. पार्टी सीट वोट प्रतिशत
.भारतीय जनता पार्टी 37 31.26%
.झारखंड मुक्ति मोर्चा 19 20.4%
.आजसू 5 3.68%
.जेवीएम (पी) 8 9.99%
.कांग्रेस 6 10%
झारखंड पिछली कांग्रेस-झामुमो गठबंधन सरकार के दौरान बड़े पैमाने पर व्याप्त भ्रष्टाचार और राज्य संसाधनों के बेहिसाब दोहन का गवाह बना। खासकर कांग्रेस ने हर तरह से झारखंड राज्य और यहां के लोगों का शोषण किया। वर्तमान विपक्ष को कई वर्षों तक जनता की सेवा करने का अवसर मिला, लेकिन यह विपक्षी पार्टियां राज्य को एक स्थिर सरकार देने में भी कामयाब नहीं हो सकीं। इसलिए पिछले चुनाव के दौरान राज्य की जनता ने विपक्षी दलों से पूछा कि कांग्रेस-जेएमएम और अन्य विपक्षी दल 70 साल बाद भी बिजली, रसोई गैस, स्वास्थ्य सुविधाएं एवं मुफ्त इलाज, घर, गरीबों के लिए शौचालय आदि उपलब्ध करवाने में क्यों कामयाब नहीं हुए? कांग्रेस ने आदिवासियों को न केवल धोखा दिया, बल्कि उन्हें मूलभूत सुविधाओं और अन्य अधिकारों से भी वंचित रखा। इसलिए जनता ने पिछले चुनावों में विपक्षी दलों को बुरी तरह से हराया।
पिछले 5 वर्षों में भाजपा के नेतृत्व वाली राज्य सरकार ने विभिन्न केंद्रीय और राज्य योजनाओं को सफलतापूर्वक लागू किया। इसी क्रम में प्रधानमंत्री किसान योजना के तहत झारखंड में 10 लाख किसानों को लाभ मिलने की उम्मीद है। जबकि पीएम आवास योजना के तहत 2016-17 में 5.29 लाख घरों को मंजूरी दी गई थी और राज्य सरकार ने 90 प्रतिशत आवास इकाइयों का काम पूरा कर उन्हें लाभार्थियों को सौंप भी दिया है।
राज्य सरकार ने आयुष्मान भारत स्वास्थ्य बीमा योजना को भी प्रभावी ढंग से लागू किया है, जिसे रांची से प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी द्वारा शुरू किया गया था। राज्य के 68 लाख परिवारों में से कुल 57 लाख परिवार को इस योजना के साथ जोड़ा जा चुका है और लाभार्थियों को “गोल्डन कार्ड” प्रदान किए जा रहे हैं, जिनके माध्यम से निर्धारित अस्पतालों में यह लोग स्वास्थ्य बीमा योजना के तहत 5 लाख रुपये तक मुफ्त इलाज प्राप्त करने में सक्षम हुए है।
देश में आदिवासियों के कल्याण को महत्व देते हुए मोदी सरकार ने अपने ऐतिहासिक फैसले में भारतीय वन अधिनियम (1927) में संशोधन कर इसके एक विवादास्पद प्रस्ताव को वापस ले लिया, जो आदिवासियों खासतौर पर जंगलों में रहने वाले लोगों के लिए बेहद ‘कठाेर’ प्रावधान माना जा रहा था। प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने अपनी प्रतिबद्धता को बनाए रखा, जिसका उल्लेख उन्होंने पहले भी किया था, जिसमें उन्होंने कहा था कि झारखंड गरीब और आदिवासी समुदायों के लिए बड़ी कल्याणकारी योजनाओं का लॉन्च पैड बनने जा रहा है।
केंद्र और राज्य में भाजपा के नेतृत्व वाली सरकारें, जिन्हें डबल-इंजन सरकार के रूप में भी जाना जाता है, कल्याणकारी योजनाओं और अन्य विकास कार्यों को लागू करने में बहुत सफल हैं।
ऐसा माना जा रहा है कि हाल ही में केंद्रीय गृहमंत्री एवं भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री अमित शाह और पार्टी के कार्यकारी अध्यक्ष श्री जेपी नड्डा के प्रदेश दौरों ने भाजपा के चुनावी अभियान में नई जान फूंक दी है।
श्री अमित शाह ने झारखंड विधानसभा चुनावों की दिशा तय करते हुए कहा कि ‘झामुमो नेता हेमंत सोरेन से पूछा जाना चाहिए कि उन्होंने किस पार्टी के साथ गठबंधन किया है, एक ऐसी पार्टी जिसने 70 साल से आदिवासियों को गुमराह किया है।’ उन्होंने कहा कि कांग्रेस और झामुमो का गठबंधन भ्रष्टाचार और आदिवासियों एवं गरीबों को धोखा देने के लिए हुआ है, यह गठबंधन राज्य के विकास के लिए नहीं हुआ है।
भाजपा के कार्यकारी अध्यक्ष श्री जगत प्रकाश नड्डा ने झारखंड का दौरा किया और यहां एक विशाल जनसभाओं को संबोधित करते हुए कहा, “राज्य सरकार और भाजपा का संगठन तेजी से आगे बढ़ रहा है और जनता इस बार हमें 65 से अधिक सीटों पर विजयी बनाकर आशीर्वाद देगी।”
उल्लेखनीय है कि मुख्यमंत्री श्री रघुबर दास झारखंड के पहले ऐसे मुख्यमंत्री हैं जिन्होंने पांच साल का कार्यकाल पूरा किया है। सत्ताधारी भारतीय जनता पार्टी प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी की लोकप्रियता और राज्य सरकार के प्रदर्शन के आधार पर लगातार दूसरी बार सत्ता में वापसी के लिए आश्वस्त है। केंद्र और राज्य सरकार प्रदेश में आदिवासियों और अन्य वर्ग के विकास को लेकर प्रतिबद्ध हैं। झारखंड को नक्सलवाद से मुक्त करने और विकास की नई राह पर ले जाने के लिए सरकार द्वारा किए गए प्रयासों का समाज के प्रत्येक वर्ग द्वारा स्वागत किया गया है।
झारखंड चुनाव विपक्षी दलों के लिए भी एक चुनौती बनकर सामने आए है, जो गठबंधन कर राज्य में सत्ता हासिल करने का प्रयास कर रहे है। विपक्षी दलों के सामने चुनौती बहुत अधिक बड़ी है, क्योंकि पांच महीने पहले हुए आम चुनावों में राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) ने राज्य की 14 में से 12 लोकसभा सीटें पर जीत दर्ज की थी।
ऐसा लगता है कि राज्य का मतदाता इस बार भी भाजपा सरकार को पूरे मनोयोग से समर्थन दे रहा है, ताकि गरीबों के कल्याण के साथ ही राज्य में चल रहे विकास कार्यों को और तेज किया जा सके। आम लोग यह भी जानते हैं कि भाजपा एकमात्र ऐसी पार्टी है जो झारखंड को देश के अग्रणी राज्य की सूची में शामिल करने के लिए प्रतिबद्ध है। इसलिए भाजपा राष्ट्रीय कार्यकारी अध्यक्ष ने भी इस बात को कहा कि “भाजपा झारखंड में आगामी विधानसभा चुनाव में प्रचंड जीत की ओर बढ़ रही है”।