दायरे को तोड़ना

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मोदी स्टोरी                                                                              — आनंदीबेन पटेल

श्री नरेन्द्र मोदी हमेशा ‘सबका प्रयास’ के मंत्र में विश्वास करते आये हैं। जब उन्होंने 2001 में गुजरात के मुख्यमंत्री के रूप में पदभार संभाला, तो उनकी प्राथमिक चिंताओं में से एक यह था कि उस दौरान सभी अधिकारी अलग-अलग दायरे में काम करते थे।

उन्होंने अपने एक भाषण में नौकरशाहों को संबोधित करते हुए कहा था, “मैं आपसे संकुचित दायरे में काम करने की उम्मीद नहीं करता हूं।’’ श्री मोदी ने तब समझाया कि आप अभी यहां एक विभाग में हैं, लेकिन कल आप दूसरे विभाग में हो सकते हैं और हो सकता है आज आपका कोई संभावित सहकर्मी आपके बगल में ही बैठा हो। इसलिए, यदि आप साथी सहकर्मी के साथ बातचीत करते हैं और उसकी चुनौतियों को समझते हैं, तो कल जब आप उस विभाग में होंगे तो उन्हीं चुनौतियों का सामना करने से बच सकते हैं। उदाहरण देते हुए श्री मोदी ने कहा, “मैं दायरे में काम नहीं करता और मैं अधिकारियों से भी यही उम्मीद करता हूं।”

उत्तर प्रदेश की राज्यपाल श्रीमती आनंदीबेन पटेल गुजरात में मंत्री के तौर पर अपने कार्यकाल को याद कर कहती हैं कि “मुझे भरूच में हमारा पहला तीन दिवसीय चिंतन शिविर याद है। हमें काम करना था और आने वाले एक साल का खाका तैयार करना था। उस शिविर में सभी मंत्री और सचिव मौजूद थे। पहले हम चिंतन शिविर खत्म होने के बाद चले जाते थे, लेकिन इस बार मुख्यमंत्री कार्यालय से सभी

सभी मंत्रियों और सचिवों ने एक साथ यात्रा की और इसमें उन्हें लगभग 3-4 घंटे लगे। आश्चर्य की बात यह है कि उन सभी को वास्तव में अच्छा महसूस हुआ। आमतौर पर मंत्रियों और सचिवों को एक-दूसरे से बातचीत करने का इतना समय और अवसर कभी नहीं मिलता, लेकिन इस दौरान उन्होंने न केवल बातचीत की, बल्कि एक-दूसरे के बारे में बहुत कुछ जानने का मौका भी मिला

मंत्रियों को सूचित किया गया कि उन्हें अगली सुबह 8 बजे गांधीनगर सर्किट हाउस में एकत्र होना है। हम सभी को अपना सामान ले जाना था और हमें अपनी निजी कारों से नहीं, बल्कि एक लक्जरी बस में एक साथ यात्रा करनी थी। मंत्रियों और सचिवों को एक साथ यात्रा करनी थी।

सभी मंत्रियों और सचिवों ने एक साथ यात्रा की और इसमें उन्हें लगभग 3-4 घंटे लगे। आश्चर्य की बात यह है कि उन सभी को वास्तव में अच्छा महसूस हुआ। आमतौर पर मंत्रियों और सचिवों को एक-दूसरे से बातचीत करने का इतना समय और अवसर कभी नहीं मिलता, लेकिन इस दौरान उन्होंने न केवल बातचीत की, बल्कि एक-दूसरे के बारे में बहुत कुछ जानने का मौका भी मिला।

श्रीमती पटेल कहती हैं कि इसलिए यह रिश्ता जो हमने विकसित किया वह महत्वपूर्ण साबित हुआ, क्योंकि हमें उन लोगों की पसंद और नापसंद के बारे में पता चला, जिनके साथ हम यात्रा कर रहे थे। मुख्यमंत्री श्री मोदी के विचार के कारण हमें प्रोटोकॉल से मुक्त होने का मौका मिला क्योंकि हमें बसों में जहां भी सीट मिलती थी, वहां बैठना पड़ता था।”