‘बजट – भारत@100 और भारत के अमृत काल के लिए कार्य-योजना को प्रतिबिंबित करता है’

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केंद्रीय वित्त और कॉपोरेट मामलों की मंत्री श्रीमती निर्मला सीतारमण ने 01 फरवरी, 2023 को संसद में ‘अमृत काल’ का पहला बजट पेश किया। कमल संदेश के एसोसिएट एडिटर राम प्रसाद त्रिपाठी के साथ बातचीत में केंद्रीय वित्त मंत्री ने विस्तार से बताया कि कैसे दुनिया भारतीय अर्थव्यवस्था को भारत की आजादी के 75वें वर्ष में एक ‘उज्ज्वल सितारे’ के रूप में मान्यता दे रही है। प्रस्तुत है इस बातचीत के प्रमुख अंशः

अमृत काल के इस पहले बजट से आप कौन से प्रमुख उद्देश्यों को हासिल करना चाहती थीं?

बजट अनिवार्य रूप से भारत@100 और भारत के अमृत काल के लिए कार्ययोजना को प्रतिबिंबित करता है। हम एक समृद्ध और समावेशी भारत की कल्पना करते हैं, जिसमें विकास का लाभ सभी क्षेत्रों और नागरिकों विशेष रूप से हमारे युवाओं, महिलाओं, किसानों, ओबीसी, अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति तक पहुंचे।

भारत के ‘अमृत काल’ के पहले बजट के लिए कई कारक अनुकूल और सकारात्मक हैं जैसे जनसांख्यिकी, बुनियादी ढांचे का निर्माण या आपूर्ति शृंखलाओं का जो वैश्विक स्तर पर पुनर्गठन हो रहा है।

यह बजट एक आकर्षक दृष्टिकोण और रणनीति प्रस्तुत करता है, जो इस विश्वास को और मजबूत करता है। पूंजीगत व्यय में बढ़ोतरी और मध्यम वर्ग पर कर के बोझ में कमी के माध्यम से निकट अवधि के विकास के लिए एक मजबूत आधार प्रदान करते हुए, यह उन तकनीकी रुझानों को भी संबोधित करता है जिन पर भारत को विकास के अपने अगले चरण की योजना बनाते समय विचार करना चाहिए। हमने सरकारी खर्च में सुधार किया है और सरकार निवेश को आकर्षित करने के लिए बड़े कदम उठा रही है, जिससे आने वाले वर्षों में विकास को गति मिलेगी।

कोविड-19 महामारी के बाद दुनिया भर में मंदी एवं रूस-यूक्रेन युद्ध जैसी सभी बाधाओं के बावजूद भारतीय अर्थव्यवस्था लगभग 7 प्रतिशत की दर से बढ़ रही है। मोदी सरकार के इस उच्च विकास के क्या कारण हैं?

मोदी सरकार की सोची-समझी नीतियों के कारण भारतीय अर्थव्यवस्था ने विपरीत वैश्विक परिस्थितियों का दृढ़ता से मुकाबला किया है।

व्यापक आर्थिक स्थिरता बनाए रखने और कमजोर परिवारों की रक्षा करने के उद्देश्य से कोविड महामारी के दौरान सरकार की नीति प्रतिक्रिया को सावधानीपूर्वक डिजाइन और लक्षित किया गया। इसमें मांग और आपूर्ति के दोनों पक्षों के सुधार शािमल हैं।

भारत अवसंरचना जैसे सड़क, रेलवे, हवाई अड्डों का निर्माण तीव्र गति से कर रहा है। हमने महामारी के दौरान 80 करोड़ भारतीयों को नि:शुल्क भोजन दिया है। हमने 2 अरब से अधिक कोविड टीके लगाए हैं और उनमें से एक बड़ा भाग नि:शुल्क है। इससे पहले मानव इतिहास में शायद ही कभी ऐसे प्रयास देखने को मिले होंगे।

मजबूत कर संग्रह, पर्याप्त विदेशी मुद्रा भंडार और सकारात्मक नीति निर्धारण के साथ-साथ विवेकपूर्ण व्यापक आर्थिक प्रबंधन ने भारत की अर्थव्यवस्था को वित्तीय संकट से निपटने के लिए लचीला बनाने में मदद की है।

बजट में पूंजीगत व्यय में बढ़ोतरी के पीछे क्या विचार है? यह अर्थव्यवस्था की विकास संभावनाओं में किस प्रकार मदद करने जा रहा है?

••• बजट में पूंजी निवेश के लिए 10 लाख करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया है, जो लगातार तीसरे वर्ष 33 प्रतिशत की भारी वृद्धि है, इसके माध्यम से विकास क्षमता और रोजगार सृजन, निजी निवेश में बढ़ोतरी और भारत को सही मायने में आत्मनिर्भर बनाने में मदद मिलेगी।

••• अवसंरचना निर्माण से लोगों वस्तुएं को स्थानांतरित करना आसान और अधिक सुविधाजनक हो जाएगा, सेवाओं और श्रम में सुधार होगा, स्थानीय आर्थिक गतिविधि को बढ़ावा मिलेगा और नए रोजगार सृजित होंगे। यह मध्यम अवधि में समग्र अर्थव्यवस्था पर महत्वपूर्ण गुणात्मक प्रभाव सुनिश्चित करेगा, जिसके परिणामस्वरूप राज्यों का आर्थिक विकास होगा।

इस साल के बजट में कृषि क्षेत्र को बढ़ावा देने के लिए कई प्रावधान किये गये हैं। क्या आपको लगता है कि ये आवंटन ग्रामीण भारत की ढांचागत आवश्यकताओं को भी बदल देंगे?

यह बजट कृषि और सहकारिता को ग्रामीण अर्थव्यवस्था के विकास की धुरी बनाएगा। सरकार सहकारी क्षेत्र में दुनिया की सबसे बड़ी खाद्य भंडारण योजना – ‘भंडारण क्षमता’ लेकर आयी है। बजट में नई प्राथमिक सहकारी समितियों के गठन की महत्वाकांक्षी योजना की भी घोषणा की गई है। इससे खेती के साथ दूध और मछली उत्पादन के क्षेत्र का विस्तार होगा। किसानों, पशुपालकों और मछुआरों को उनकी उपज का बेहतर मूल्य मिलेगा।

•• इस बजट में किसानों के लिए कई कदम उठाए गए हैं। हमने कृषि ऋण की उपलब्धता के लिए 20 लाख करोड़ रुपये का लक्ष्य रखा है। हमने उच्च मूल्य वाली बागवानी फसलों के लिए गुणवत्तापूर्ण और रोग मुक्त रोपण सामग्री उपलब्ध कराने के लिए 2,200 करोड़ रुपये आवंटित किए हैं।

•• हमने प्राकृतिक खेती, एग्री-स्टार्टअप और एग्री-टेक के लिए आवंटन किया है जो किसानों के लिए फायदेमंद होगा। मोदी सरकार द्वारा शुरू किए गए पीएम-किसान के तहत 11.3 करोड़ किसानों को उनकी वित्तीय जरूरतों को पूरा करने के लिए कवर किया गया है।

••• हमने किसानों के लिए एमएसपी में लगातार बढ़ोतरी की है। 2018 से सभी अनिवार्य फसलों के लिए एमएसपी अखिल भारतीय भारित औसत उत्पादन लागत का 1.5 गुना तय किया गया है।

हाल के दिनों में वैश्विक महामारी ने भारत में मध्यम वर्ग और विशेष रूप से युवाओं को प्रभावित किया है। क्या यह बजट उनके लिए बहुप्रतीक्षित राहत और रोजगार सृजित करने वाला है?

‘अमृत काल’ का पहला बजट विकसित भारत की आकांक्षाओं और संकल्पों की मजबूत नींव रखता है। यह अमृत काल हमारी ‘अमृत पीढ़ी’ के लिए अत्यंत लाभकारी होगा।

पिछले कुछ वर्षों में हमारी सरकार ने विकास रणनीति के रूप में नवाचार को प्राथमिकता दी है। नवाचार हमारी ‘आत्मनिर्भर भारत’ पहल के केंद्र में है, जिसके तीन स्पष्ट उद्देश्य हैं-

1. मेक इन इंडिया,
2. भारत में नवाचार और
3. भारतीय अर्थव्यवस्था को बदलना
यह युवाओं के लिए करोड़ों अवसर पैदा करेगा।

• ‘पीएम कौशल विकास योजना 4.0’ के तहत उद्योग 4.0 के अनुरूप नए युग के पाठ्यक्रम जैसे कोडिंग, एआई, रोबोटिक्स, मेकाटॉनिक्स, आईओटी, 3डी प्रिंटिंग, ड्रोन और सॉफ्ट स्किल्स को अगले तीन वर्षों के भीतर शुरू किया जाएगा, जिसके माध्यम से लाखों युवाओं को कौशल प्रशिक्षण प्रदान करने का लक्ष्य रखा गया है।

••• युवाओं को अंतरराष्ट्रीय अवसरों के लिए कौशल प्रदान करने के लिए विभिन्न राज्यों में 30 ‘कौशल भारत अंतरराष्ट्रीय केंद्र’ स्थापित किए जाएंगे। जिला शिक्षा एवं प्रशिक्षण संस्थानों का जीवंत तरीके से विकास किया जाएगा। ‘देखो अपना देश’ पहल के उद्देश्यों को प्राप्त करने के लिए क्षेत्र-विशिष्ट कौशल और उद्यमिता विकास को समन्वित किया जाएगा।

नई कर व्यवस्था के तहत नए स्लैब और दरों के साथ मध्यम वर्ग को कर राहत दी गई है। अब तक प्रत्येक करदाता आयकर अधिनियम के विभिन्न प्रावधानों के तहत कटौती का लाभ नहीं उठा सकता था, लेकिन नई कर व्यवस्था ऐसे कई करदाताओं को लाभान्वित करती है और उन्हें अपने तरीके से निवेश करने की अधिक स्वतंत्रता देती है। करदाताओं के लिए नई कर व्यवस्था को सरल बनाया गया है। अब नागरिकों को 7 लाख से कम आय होने पर टैक्स नहीं देना होगा। हमने 50,000 रुपये का स्टैंडर्ड डिडक्शन पेश किया है, बेसिक टैक्स छूट की सीमा बढ़ाकर 3 लाख रुपये कर दी गयी है। इन प्रावधानों से नागरिकों के हाथों में अधिक पैसा आएगा, जो उच्च निवेश क्षमता को बढ़ावा देगा।

बजट में पर्यावरण और हरित विकास की चिंता ‘हरित हाइड्रोजन मिशन’ पर अधिक जोर तथा अन्य कदमों से स्पष्ट होती है। इसको लेकर आगे का रोडमैप क्या है ?

माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने पर्यावरण के प्रति जागरूक जीवन शैली के आंदोलन को बढ़ावा देने के लिए ‘लाइफ’ या पर्यावरण के लिए जीवन शैली का एक दृष्टिकोण दिया है। भारत हरित औद्योगिक और आर्थिक परिवर्तन की शुरुआत करने के लिए 2070 तक ‘पंचामृत’ और शुद्ध-शून्य कार्बन उत्सर्जन के लिए मजबूती से आगे बढ़ रहा है। यह बजट हरित विकास पर हमारे फोकस पर आधारित है।

हाल ही में 19,700 करोड़ रुपये के परिव्यय के साथ शुरू किया गया राष्ट्रीय हरित हाइड्रोजन मिशन बदलती अर्थव्यवस्था को कम कार्बन उत्सर्ज में सुविधा प्रदान करेगा, जीवाश्म ईंधन के आयात पर निर्भरता कम करेगा और देश को इस उभरते हुए क्षेत्र की प्रौद्योगिकी और बाजार का नेतृत्व करने में मदद करेगा। हमारा लक्ष्य 2030 तक 5 एमएमटी के वार्षिक उत्पादन तक पहुंचना है। यह बजट पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस मंत्रालय के माध्यम से ऊर्जा संक्रमण और शुद्ध शून्य उद्देश्यों एवं ऊर्जा सुरक्षा में पूंजी निवेश के लिए 35,000 करोड़ रुपये प्रदान करता है।

यह ऐतिहासिक बजट माननीय प्रधानमंत्रीजी के ‘अमृत काल’ के दृष्टिकोण और भारतीय अर्थव्यवस्था को विश्व मंच पर स्थापित करने में कैसे मदद करेगा?

भारत उच्चतम विकास दर के साथ दुनिया में एक ‘ब्राइट स्पॉट’ है। पिछले नौ वर्षों में भारतीय अर्थव्यवस्था का आकार बढ़ा है और हमारी अर्थव्यवस्था बढ़कर 10वें स्थान से, दुनिया की 5वीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन गयी है। सरकार ने पूंजीगत व्यय पर लगातार जोर दिया है, जिससे औद्योगिक विकास के लिए सस्ते लॉजिस्टिक इंफ्रास्ट्रक्चर और निर्बाध कनेक्टिविटी को सुनिश्चित किया जा सकेगा। व्यापार में सुगमता के लिए कई सुधार प्रस्तावित किए गए हैं।

पिछले वर्षों में सरकार द्वारा लागू की गयी पीएलआई योजनाओं, बुनियादी ढांचे के निर्माण और अन्य सुधारों के कारण भारत को एक विनिर्माण केंद्र के रूप में देखा जा रहा है। इन सभी ने भारत को एक आकर्षक निवेश गंतव्य बना दिया है और पिछले दो वित्तीय वर्षों में एफडीआई के माध्यम से 160 बिलियन डॉलर से अधिक प्राप्त हुए हैं। वैश्विक बहुराष्ट्रीय कंपनियों द्वारा अपनाई जा रही ईयू+1 और चीन+1 रणनीतियों से भी भारत को लाभ होगा।