जिन लोगों ने आरोप लगाए, वे मोदीजी से माफी मांगें : अमित शाह

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गुजरात दंगा: सर्वोच्च न्यायालय ने खारिज की जािकया जाफरी की याचिका, प्रधानमंत्री माेदी को क्लीनचिट

केंद्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री श्री अमित शाह से एएनआई (ANI) ने 25 जून, 2022 को बातचीत की। हम यहां इस बातचीत के मुख्य बिंदु प्रकाशित कर रहे हैं:

•● गुजरात दंगों के मामले में एसआईटी रिपोर्ट के खिलाफ जाकिया जाफरी और तथाकथित समाज सेवा के नाम का चोला ओढ़े तीस्ता सीतलवाड़ की याचिका को सर्वोच्च न्यायालय द्वारा खारिज किया जाना सच्चाई की जीत है, संविधान में हमारी आस्था की जीत है। सर्वोच्च न्यायालय के निर्णय ने सिद्ध किया है कि ये सभी आरोप पॉलिटिकली मोटिवेटिड थे।
•● हमारे प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी 18-19 साल की लड़ाई में एक शब्द बोले बगैर सभी दु:खों को भगवान शंकर के विषपान की तरह गले में उतारकर हर वेदना को सहन कर लड़ते रहे। जब सत्य इतनी लंबी लड़ाई के बाद बाहर विजयी होकर आता है तो उसकी चमक सोने से भी ज्यादा होती है।
•● प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने लोकतंत्र में संविधान के सम्मान का एक आदर्श उदाहरण स्थापित किया है। गुजरात भारतीय जनता पार्टी की सरकार पर दंगे का जो दाग जबरन लगाया गया था, वह भी सर्वोच्च न्यायालय के निर्णय से धुला है।
•● एसआईटी के गठन का ऑर्डर सर्वोच्च न्यायालय का नहीं था। एक एनजीओ ने एसआईटी की मांग की थी। तब सर्वोच्च न्यायालय ने गुजरात सरकार से इस पर कंसेंट के लिए पूछा था। हमारी सरकार ने कह दिया कि हमें कुछ छुपाना ही नहीं है तो एसआईटी पर हमें क्या आपत्ति है। हमारी सरकार के कंसेंट पर एसआईटी का गठन किया गया था।

केंद्रीय गृहमंत्री श्री अमित शाह ने अपने साक्षात्कार में सही कहा कि माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी पर झूठा आरोप लगाने वाले प्रत्येक व्यक्ति को अब माफी मांगनी चाहिए, क्योंकि उनके राजनीतिक रूप से प्रेरित आरोपों को कोरे झूठे के तौर पर उजागर किया जा चुका है। भारत के माननीय सर्वोच्च न्यायालय को उसके फैसले के लिए धन्यवाद।
– जगत प्रकाश नड्डा, भाजपा राष्ट्रीय अध्यक्ष

•● एसआईटी के अफसरों का चयन भी हमने नहीं किया था, सर्वोच्च न्यायालय ने किया था। इसमें शामिल अफसर भी भाजपाशासित राज्यों से नहीं लिए गए थे, केंद्र सरकार की ओर से भेजे गए थे। उस समय तक केंद्र में यूपीए की सरकार आ चुकी थी। पूरी जांच कांग्रेस की यूपीए सरकार के दौरान हुई।
•● एसआईटी ने तब गुजरात के मुख्यमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी से घंटों पूछताछ की थी, लेकिन किसी ने भी धरना-प्रदर्शन नहीं किया। हम मानते थे कि हमें न्याय प्रक्रिया में सहयोग करना चाहिए। हमारा मानना है कि कोई भी व्यक्ति न्याय की परिधि से बाहर नहीं है। जिन-जिन लोगों ने भी मोदीजी पर झूठे आरोप लगाए थे, यदि उनकी अंतरात्मा जागृत है तो आज उन्हें श्री नरेन्द्र मोदी से और भारतीय जनता पार्टी से क्षमा मांगना चाहिए।
•● भाजपा की विरोधी राजनीतिक पार्टियां, कुछ ख़ास एजेंडा लेकर राजनीति में आए हुए पत्रकार और कुछ एनजीओ ने मिलकर इन झूठे आरोपों को इतना प्रचारित किया। इनका इकोसिस्टम इतना मजबूत था कि धीरे-धीरे झूठ को ही सब सच मानने लगे।
•● सर्वोच्च न्यायालय के निर्णय में यह साफ़ है कि एक पुलिस अफसर, एक एनजीओ और कुछ पॉलिटिकल एलिमेंट्स ने मिलकर सनसनी फैलाने के लिए झूठी बातों को फैलाया और झूठे सबूत गढ़े। जब ये एसआईटी को जवाब लिखवा रहे थे तब भी उनको मालूम था कि झूठा जवाब है जिसे एसआईटी ने भी बाद में न्यायालय के सामने रखा कि ये झूठे जवाब थे।
•● देश की सर्वोच्च अदालत ने अपने निर्णय में यह भी स्पष्ट कर दिया कि गुजरात सरकार ने दंगा रोकने के लिए भरसक प्रयास किया। न्यायालय ने यह भी कहा कि मुख्यमंत्री ने बार-बार शांति की अपील की थी। न्यायालय ने यह भी कहा कि ट्रेन जलाने की घटना के बाद जो दंगे हुए, वो सुनियोजित नहीं थे, स्वतः स्फूर्त थे। निहित स्वार्थ के तहत एक मैगजीन द्वारा किए गए स्टिंग ऑपरेशन को भी न्यायालय ने खारिज कर दिया, क्योंकि जब इस स्टिंग का पूरा फुटेज सामने आया, तब मालूम पड़ा कि स्टिंग ऑपरेशन पॉलिटिकली मोटिवेटेड है।
•● जिस प्रकार से मेरी पार्टी के सर्वोच्च नेता को बदनाम करने का प्रयास किया गया, उसकी सर्वोच्च न्यायालय ने अपने निर्णय से धज्जियां उड़ा दी है। मैं मानता हूं कि यह जजमेंट भारतीय जनता पार्टी के हर कार्यकर्ता के लिए गौरव का विषय है।