मंत्रिमंडल ने पूर्वोत्तर परिषद के पुनर्गठन को स्वीकृति दी

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प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने 13 जून को पूर्वोत्तर परिषद (एनईसी) के पुनर्गठन को स्वीकृति दे दी। पूर्वोत्तर क्षेत्र विकास मंत्रालय द्वारा पूर्वोत्तर परिषद के पुनर्गठन में केंद्रीय गृहमंत्री को संस्था का पदेन अध्यक्ष बनाने का प्रस्ताव किया गया था। इस संस्था में सभी आठ पूर्वोत्तर राज्यों के राज्यपाल और मुख्यमंत्री सदस्य हैं। मंत्रिमंडल ने पूर्वोत्तर क्षेत्र विकास राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) को परिषद के उपाध्यक्ष के रूप में कार्य करने की भी स्वीकृति दे दी।

एनईसी राज्य और केंद्र सरकार के माध्यम से विभिन्न परियोजनाओं को लागू करती है। नई व्यवस्था के अंतर्गत पूर्वोत्तर परिषद के अध्यक्ष गृह मंत्री होंगे और पूर्वोत्तर क्षेत्र विकास राज्य मंत्री उपाध्यक्ष होंगे तथा पूर्वोत्तर राज्यों के राज्यपाल तथा मुख्यमंत्री इसके सदस्य होंगे। यह परिषद अंतर-राज्य विषयों पर विस्तृत विचार-विमर्श के लिए मंच प्रदान करेगी और भविष्य में अपनाये जाने वाले समान दृष्टिकोणों पर विचार भी करेगी।

एनईसी अब मादक द्रव्यों की तस्करी, हथियारों और गोला-बारूदों की तस्करी, सीमा विवादों जैसे अंतर-राज्य विषयों पर विचार-विमर्श के लिए विभिन्न क्षेत्रीय परिषदों द्वारा किए जा रहे कार्यों को करेगी। परिषद समय-समय पर परियोजना में शामिल परियोजनाओं/योजनाओं के कार्यान्वयन की समीक्षा करेगी, इन परियोजनाओं आदि के लिए राज्यों के बीच समन्वय के लिए कारगर उपायों की सिफारिश करेगी। परिषद को केंद्र सरकार द्वारा दी गई शक्तियां प्राप्त होंगी।

एनईसी की स्थापना पूर्वोत्तर परिषद अधिनियम, 1971 के अंतर्गत की गई थी। इसकी स्थापना संतुलित और समन्वित विकास सुनिश्चित करने तथा राज्यों के साथ समन्वय में सहायता देने के लिए शीर्ष संस्था के रूप में की गई थी। 2002 के संशोधन के बाद एनईसी को पूर्वोत्तर क्षेत्र के लिए क्षेत्रीय नियोजन संस्था के रूप में कार्य करने का अधिकार दिया गया है और एनईसी इस क्षेत्र के लिए क्षेत्रीय योजना बनाते समय दो या अधिक राज्यों को लाभ पहुंचाने वाली योजनाओं और परियोजनाओं को प्राथमिकता देगी। परिषद सिक्किम के मामले में विशेष परियोजनाएं और योजनाएं बनाएगी।