जी-20 की अध्यक्षता हमारे लिए एक बड़ा अवसर : नरेन्द्र मोदी

| Published on:

.                                                            ‘मन की बात’

प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने 27 नवंबर को अपने मासिक रेडियो कार्यक्रम ‘मन की बात’ की 95वीं कड़ी में कहा कि जी-20 की अध्यक्षता हमारे लिए एक बड़ा अवसर बनकर आई है। हमें इस मौके का पूरा उपयोग करते हुए विश्व कल्याण पर फोकस करना है। चाहे शांति हो या एकता, पर्यावरण को लेकर संवेदनशीलता की बात हो या फिर सतत विकास की, भारत के पास इनसे जुड़ी चुनौतियों का समाधान है। हमने ‘एक पृथ्वी, एक परिवार, एक भविष्य’ की जो थीम दी है, उससे ‘वसुधैव कुटुम्बकम’ के लिए हमारी प्रतिबद्धता जाहिर होती है

‘मन की बात’ की शुरुआत में प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने कहा कि यह कार्यक्रम 95वां एपिसोड है। हम बहुत तेजी से ‘मन की बात’ के शतक की तरफ़ बढ़ रहे हैं। ये कार्यक्रम मेरे लिए 130 करोड़ देशवासियों से जुड़ने का एक और माध्यम है। हर एपिसोड से पहले गांव-शहरों से आए ढ़ेर सारे पत्रों को पढ़ना, बच्चों से लेकर बुजुर्गों के ऑडियो मैसेज को सुनना ये मेरे लिए एक आध्यात्मिक अनुभव की तरह होता है।

भारत की जी-20 की अध्यक्षता पर चर्चा करते हुए श्री मोदी ने कहा कि जी-20 की वैश्विक आबादी में दो-तिहाई, वैश्विक व्यापार में तीन-चौथाई और वर्ल्ड जीडीपी में 85% भागीदारी है। आप कल्पना कर सकते हैं— भारत अब से 3 दिन बाद यानी 1 दिसंबर से इतने बड़े समूह की, इतने सामर्थ्यवान समूह की अध्यक्षता करने जा रहा है। भारत के लिए, हर भारतवासी के लिए ये कितना बड़ा अवसर आया है। ये, इसलिए भी और विशेष हो जाता है क्योंकि ये जिम्मेदारी भारत को आजादी के अमृतकाल में मिली है।
उन्होंने कहा कि जी-20 की अध्यक्षता हमारे लिए एक बड़ा अवसर बनकर आई है। हमें इस मौके का पूरा उपयोग करते हुए विश्व कल्याण पर फोकस करना है। चाहे शांति हो या एकता, पर्यावरण को लेकर संवेदनशीलता की बात हो या फिर सतत विकास की, भारत के पास इनसे जुड़ी चुनौतियों का समाधान है। हमने ‘एक पृथ्वी, एक परिवार, एक भविष्य’ की जो थीम दी है, उससे ‘वसुधैव कुटुम्बकम’ के लिए हमारी प्रतिबद्धता जाहिर होती है।

जी-20 की अध्यक्षता पर चर्चा करते हुए श्री मोदी ने कहा कि जी-20 की वैश्विक आबादी में दो-तिहाई, वैश्विक व्यापार में तीन-चौथाई और वर्ल्ड जीडीपी में 85% भागीदारी है। आप कल्पना कर सकते हैं— भारत अब से 3 दिन बाद यानी 1 दिसंबर से इतने बड़े समूह की, इतने सामर्थ्यवान समूह की अध्यक्षता करने जा रहा है

श्री मोदी ने कहा कि आने वाले दिनों में देश के अलग-अलग हिस्सों में जी-20 से जुड़े अनेक कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे। इस दौरान दुनिया के अलग-अलग हिस्सों से लोगों को आपके राज्यों में आने का मौका मिलेगा। मुझे भरोसा है कि आप अपने यहां की संस्कृति के विविध और विशिष्ट रंगों को दुनिया के सामने लाएंगे और आपको ये भी याद रखना है कि जी-20 में आने वाले लोग भले ही अभी एक डेलिगेट के रूप में आयें, लेकिन भविष्य के पर्यटक भी हैं।

स्पेस सेक्टर में एक नया इतिहास

स्पेस सेक्टर में भारत की उपलब्धियों का उल्लेख करते हुए प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने कहा कि 18 नवंबर को पूरे देश ने स्पेस सेक्टर में एक नया इतिहास बनते देखा। इस दिन भारत ने अपने पहले ऐसे राकेट को अंतरिक्ष में भेजा, जिसे भारत के निजी क्षेत्र ने डिज़ाइन और तैयार किया था। इस राकेट का नाम है– ‘विक्रम–एस’। श्रीहरिकोटा से स्वदेशी स्पेस स्टार्ट-अप के इस पहले रॉकेट ने जैसे ही ऐतिहासिक उड़ान भरी, हर भारतीय का सिर गर्व से ऊंचा हो गया।

श्री मोदी ने कहा कि ‘विक्रम-एस’ राकेट कई सारी खूबियों से लैस है। दूसरे राकेट की तुलना में यह हल्का भी है और सस्ता भी है। इसकी लागत अंतरिक्ष अभियान से जुड़े दूसरे देशों की लागत से भी काफ़ी कम है। कम कीमत में विश्वस्तरीय अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी में अब तो ये भारत की पहचान बन चुकी है। इस राकेट को बनाने में एक और आधुनिक तकनीक का इस्तेमाल हुआ है। आप ये जानकर हैरान रह जाएंगे कि इस राकेट के कुछ जरुरी हिस्से 3 डी प्रिंटिग के जरिए बनाए गए हैं। सही में, ‘विक्रम-एस’ के लांच मिशन को जो ‘प्रारम्भ’ नाम दिया गया है, वो बिल्कुल सही बैठता है।

उन्होंने कहा कि ये भारत में प्राइवेट स्पेस सेक्टर के लिए एक नए युग के उदय का प्रतीक है। ये देश में आत्मविश्वास से भरे एक नए युग का आरंभ है।

श्री मोदी ने कहा कि भारत स्पेस सेक्टर में अपनी सफलता अपने पड़ोसी देशों से भी साझा कर रहा है। कल ही भारत ने एक उपग्रह प्रक्षेपित किया, जिसे भारत और भूटान ने मिलकर बनाया है। ये उपग्रह बहुत ही अच्छे रेज़लूशन की तस्वीरें भेजेगा, जिससे भूटान को अपने प्राकृतिक संसाधनों के प्रबंधन में मदद मिलेगी। इस उपग्रह का प्रक्षेपण भारत-भूटान के मजबूत सबंधों का प्रतिबिंब है।

उन्होंने कहा कि आपने गौर किया होगा पिछले कुछ ‘मन की बात’ में हमने स्पेस, तकनीक, इनोवेशन पर खूब बात की है। इसकी दो खास वजह है, एक तो यह हमारे युवा इस क्षेत्र में बहुत ही शानदार काम कर रहें हैं। वे बड़ा सोच रहे हैं और बड़ी उपलब्धि प्राप्त कर रहे हैं। अब वे छोटी-छोटी उपलब्धियों से संतुष्ट होने वाले नहीं हैं। दूसरी यह कि इनोवेशन और वैल्यू क्रिएशन के इस रोमांचक सफर में वे अपने बाकी युवा साथियों और स्टार्ट-अप को भी प्रोत्साहित कर रहें हैं।

ड्रोन तकनीक

ड्रोन तकनीक के फायदों पर चर्चा करते हुए श्री मोदी ने कहा कि जब हम तकनीक से जुड़े नवाचारों की बात कर रहें हैं, तो ड्रोन को कैसे भूल सकते हैं? ड्रोन के क्षेत्र में भी भारत तेजी से आगे बढ़ रहा है। कुछ दिनों पहले हमने देखा कि कैसे हिमाचल प्रदेश के किन्नौर में ड्रोन के जरिए सेब ट्रांसपोर्ट किये गए।

उन्होंने कहा कि किन्नौर, हिमाचल का दूर-सुदूर जिला है और वहां इस मौसम में भारी बर्फ रहा करती है। इतनी बर्फ़बारी में किन्नौर का हफ़्तों तक राज्य के बाकी हिस्से से संपर्क बहुत मुश्किल हो जाता है। ऐसे में वहां से सेब का परिवहन भी उतना ही कठिन होता है। अब ड्रोन तकनीक से हिमाचल के स्वादिष्ट किन्नौरी सेब लोगों तक और जल्दी पहुंचने लगेंगे। इससे हमारे किसान भाई-बहनों का खर्च कम होगा, सेब समय पर मंडी पहुंच पायेगा, सेब की बर्बादी कम होगी।

श्री मोदी ने कहा कि आज हमारे देशवासी अपने नवाचारों से उन चीजों को भी संभव बना रहे हैं, जिसकी पहले कल्पना तक नहीं की जा सकती थी। इसे देखकर किसे ख़ुशी नहीं होगी? हाल के वर्षों में हमारे देश ने उपलब्धियों का एक लम्बा सफ़र तय किया है। मुझे पूरा विश्वास है कि हम भारतीय और विशेषकर हमारी युवा-पीढ़ी अब रुकने वाली नहीं है।

दुनियाभर में भारतीय संस्कृति और संगीत का क्रेज

दुनियाभर में भारतीय संस्कृति और संगीत के बढ़ते क्रेज का उल्लेख करते हुए प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने कहा कि कुछ सप्ताह पहले एक और खबर आई थी जो हमें गर्व से भरने वाली है। आपको जानकर अच्छा लगेगा कि बीते 8 वर्षों में भारत से संगीत वाद्ययंत्रों का निर्यात साढ़े तीन गुना बढ़ गया है।

हम भारतीय हर चीज़ में संगीत तलाश ही लेते हैं। चाहे वह नदी की कलकल हो, बारिश की बूंदें हों, पक्षियों का कलरव हो या फिर हवा का गूंजता स्वर हमारी सभ्यता में संगीत हर तरफ समाया हुआ है। यह संगीत न सिर्फ शरीर को सुकून देता है, बल्कि मन को भी आनंदित करता है

इलेक्ट्रिकल संगीत वाद्ययंत्रों की बात करें तो इनका निर्यात 60 गुना बढ़ा है। इससे पता चलता है कि भारतीय संस्कृति और संगीत का क्रेज दुनियाभर में बढ़ रहा है।

श्री मोदी ने कहा कि भारतीय संगीत वाद्ययंत्रों के सबसे बड़े खरीदार संयुक्त राज्य अमेरिका, जर्मनी, फ्रांस, जापान और ब्रिटेन जैसे विकसित देश हैं। हम सभी के लिए सौभाग्य की बात है कि हमारे देश में संगीत, नृत्य और कला की इतनी समृद्ध विरासत है।

उन्होंने कहा कि महान मनीषी कवि भर्तृहरि को हम सब उनके द्वारा रचित ‘नीति शतक’ के लिए जानते हैं। एक श्लोक में वे कहते हैं कि कला, संगीत और साहित्य से हमारा लगाव ही मानवता की असली पहचान है। वास्तव में, हमारी संस्कृति इसे मानवता से भी ऊपर देवत्व तक ले जाती है। वेदों में सामवेद को तो हमारे विविध संगीतों का स्त्रोत कहा गया है। मां सरस्वती की वीणा हो, भगवान श्रीकृष्ण की बांसुरी हो या फिर भोलेनाथ का डमरू हमारे देवी-देवता भी संगीत से अलग नहीं है।

प्रधानमंत्री ने कहा कि हम भारतीय हर चीज़ में संगीत तलाश ही लेते हैं। चाहे वह नदी की कलकल हो, बारिश की बूंदें हों, पक्षियों का कलरव हो या फिर हवा का गूंजता स्वर हमारी सभ्यता में संगीत हर तरफ समाया हुआ है। यह संगीत न सिर्फ शरीर को सुकून देता है, बल्कि मन को भी आनंदित करता है।

उन्होंने कहा कि संगीत हमारे समाज को भी जोड़ता है। यदि भांगड़ा और लावणी में जोश और आनन्द का भाव है, तो रविन्द्र संगीत हमारी आत्मा को आह्लादित कर देता है। देशभर के आदिवासियों की अलग-अलग तरह की संगीत परम्पराएं हैं। ये हमें आपस में मिलजुल कर और प्रकृति के साथ रहने की प्रेरणा देती है।

श्री मोदी ने कहा कि संगीत की हमारी विधाओं ने न केवल हमारी संस्कृति को समृद्ध किया है, बल्कि दुनियाभर के संगीत पर अपनी अमिट छाप भी छोड़ी है। भारतीय संगीत की ख्याति विश्व के कोने-कोने में फ़ैल चुकी है।