‘परीक्षा में नकल करना आपको जीवन में कभी सफल नहीं बनाएगा’

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प्रधानमंत्री ने ‘परीक्षा पे चर्चा 2023’ में छात्रों, शिक्षकों और अभिभावकों के साथ की बातचीत

‘परीक्षा पे चर्चा’ के छठे संस्करण में प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने 27 जनवरी को नई दिल्ली के तालकटोरा स्टेडियम में छात्रों, शिक्षकों और अभिभावकों के साथ बातचीत की। बातचीत से पहले प्रधानमंत्री ने कार्यक्रम स्थल पर प्रदर्शित छात्रों के प्रदर्शन को भी देखा। परीक्षा पे चर्चा की परिकल्पना प्रधानमंत्री द्वारा की गई है जिसमें छात्र, अभिभावक और शिक्षक उनके साथ जीवन और परीक्षा से संबंधित विभिन्न विषयों पर बातचीत करते हैं। परीक्षा पे चर्चा के आयोजन में इस वर्ष 155 देशों से लगभग 38.80 लाख पंजीकरण हुए

भा को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने इस बात पर प्रकाश डाला कि यह पहली बार है कि ‘परीक्षा पे चर्चा’ गणतंत्र दिवस समारोह के दौरान हो रही है। श्री मोदी ने कहा कि अन्य राज्यों से नई दिल्ली आने वालों को भी गणतंत्र दिवस की झलक मिली। उन्होंने अपने लिए परीक्षा पे चर्चा के महत्व पर प्रकाश डालते हुए उन लाखों सवालों की ओर इशारा किया जो कार्यक्रम के हिस्से के रूप में सामने आए। श्री मोदी ने कहा कि परीक्षा पे चर्चा मेरी भी परीक्षा है। कोटि-कोटि विद्यार्थी मेरी परीक्षा लेते हैं और इससे मुझे खुशी मिलती है। यह देखना मेरा सौभाग्य है कि मेरे देश का युवा मन क्या सोचता है।

निराशा से निपटना

खराब अंक के मामले में पारिवारिक निराशा के बारे में एक प्रश्न का समाधान बताते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि परिवार के लोगों को बहुत अपेक्षाएं होना बहुत स्वाभाविक है और उसमें कुछ गलत भी नहीं है। उन्होंने यह भी कहा कि हालांकि अगर परिवार के लोग अपेक्षाएं सोशल स्टेट्स के कारण कर रहे हैं तो
वह चिंता का विषय है।

श्री मोदी ने हर सफलता के साथ प्रदर्शन के बढ़ते मानकों और बढ़ती अपेक्षाओं के बारे में भी बात की। उन्होंने कहा कि आसपास की उम्मीदों के जाल में फंसना अच्छा नहीं है और व्यक्ति को अपने भीतर देखना चाहिए तथा उम्मीद को अपनी क्षमताओं, जरूरतों, इरादों और प्राथमिकताओं से जोड़ना चाहिए।

परीक्षा की तैयारी और समय-प्रबंधन

परीक्षा की तैयारी कहां से शुरू करें और तनावपूर्ण स्थिति के कारण भूलने की स्थिति और परीक्षा के दौरान समय प्रबंधन के बारे में प्रश्नों का समाधान करते हुए श्री मोदी ने परीक्षा के साथ या उसके बिना सामान्य जीवन में समय प्रबंधन के महत्व पर बल देते हुए कहा कि सिर्फ परीक्षा के लिए ही नहीं, वैसे भी जीवन में टाइम मैनेजमेंट के प्रति हमें जागरूक रहना चाहिए। उन्होंने कहा कि काम कभी नहीं थकता, बल्कि काम नहीं करना इंसान को थका देता है।

परीक्षा में अनुचित साधन और शार्टकट

प्रधानमंत्री ने प्रसन्नता व्यक्त की कि छात्रों ने परीक्षा के दौरान कदाचार से निपटने के तरीके खोजने का विषय उठाया और नैतिकता में आए नकारात्मक बदलाव की ओर इशारा किया, जहां एक छात्र परीक्षा में नकल करते समय पर्यवेक्षक को मूर्ख बनाने में गर्व महसूस करता है। श्री मोदी ने कहा कि यह एक बहुत ही खतरनाक प्रवृत्ति है।

उन्होंने छात्रों से यह भी कहा कि वे तरीके खोजने और नकल सामग्री तैयार करने में समय बर्बाद करने से बचें और उस समय को सीखने में व्यतीत करें। श्री मोदी ने कहा कि दूसरी बात, इस बदलते समय में, जब हमारे आसपास का जीवन बदल रहा है, आपको कदम-कदम पर परीक्षा का सामना करना पड़ता है। उन्होंने कहा कि ऐसे लोग केवल कुछ परीक्षाओं को ही पास कर पाते हैं, लेकिन अंततः जीवन में असफल हो जाते हैं।

श्री मोदी ने कहा कि परीक्षा में नकल करने से जीवन सफल नहीं हो सकता। आप एक या दो परीक्षा पास कर सकते हैं, लेकिन यह जीवन में संदिग्ध बना रहेगा। उन्होंने कहा कि आपके भीतर की जो ताकत है, वही ताकत आपको आगे ले जाएगी। परीक्षा तो आती है, जाती है, लेकिन हमें जिंदगी जी भर के जीनी है। इसलिए हमें शॉर्टकट की ओर नहीं जाना चाहिए।

आलोचना से निपटना

नकारात्मक विचार रखने वाले लोगों तथा मीडिया के आलोचनात्मक दृष्टिकोण से निपटने के बारे में श्री मोदी ने कहा कि वे इस सिद्धांत में विश्वास करते हैं कि समृद्ध लोकतंत्र के लिए आलोचना एक शुद्धि यज्ञ है। आलोचना एक समृद्ध लोकतंत्र की पूर्व-शर्त है।

उन्होंने कहा कि यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि कौन आपके काम की आलोचना कर रहा है। श्री मोदी ने कहा कि आजकल माता-पिता रचनात्मक आलोचना के बजाय अपने बच्चों की क्षमता में बाधा डालने वाले बन गए हैं और उनसे इस आदत को छोड़ने का आग्रह किया, क्योंकि बच्चों का जीवन प्रतिबंधात्मक तरीके से नहीं बदलेगा।

उन्होंने कहा कि ज्यादातर लोग आरोप लगाते हैं, आलोचना नहीं करते। श्री मोदी ने कहा कि आरोपों और आलोचनाओं के बीच एक बड़ा अंतर है। उन्होंने सभी से आग्रह किया कि आलोचना को आरोप समझने की गलती न करें।

गेमिंग और ऑनलाइन लत

ऑनलाइन गेम व सोशल मीडिया की लत और परिणाम में असर डालने के बारे में पूछे गए प्रश्नों पर प्रधानमंत्री ने कहा कि पहला निर्णय यह तय करना है कि आप स्मार्ट हैं या आपका गैजेट स्मार्ट है। समस्या तब शुरू होती है जब आप गैजेट को अपने से ज्यादा स्मार्ट समझने लगते हैं। किसी की स्मार्टनेस स्मार्ट गैजेट को स्मार्ट तरीके से उपयोग करने में सक्षम बनाती है और उन्हें उत्पादकता में मदद करने वाले उपकरणों के रूप में व्यवहार करती है।

श्री मोदी ने कहा कि स्क्रीन पर औसत समय का बढ़ना एक चिंताजनक प्रवृत्ति है। उन्होंने चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि एक अध्ययन के अनुसार, एक भारतीय के लिए स्क्रीन पर होने का औसत समय छह घंटे तक है। ऐसे में गैजेट हमें गुलाम बना लेता है।

श्री मोदी ने कहा कि ईश्वर ने हमें स्वतंत्र इच्छा और एक स्वतंत्र व्यक्तित्व दिया है और हमें हमेशा अपने गैजेट्स का गुलाम बनने के बारे में सचेत रहना चाहिए। उन्होंने कहा कि तकनीक से परहेज नहीं करना चाहिए, बल्कि खुद को जरूरत के हिसाब से उपयोगी चीजों तक सीमित रखना चाहिए।

परीक्षा के बाद तनाव

कड़ी मेहनत के बाद भी अपेक्षित परिणाम नहीं मिलने और तनाव परिणामों को कैसे प्रभावित करता है, के संदर्भ में श्री मोदी ने कहा कि परीक्षा के बाद तनाव का मुख्य कारण इस सच्चाई को स्वीकार नहीं करना है कि परीक्षा अच्छी हुई या नहीं। उन्होंने छात्रों के बीच तनाव पैदा करने वाले कारक के रूप में प्रतिस्पर्धा पर भी प्रकाश डाला और सुझाव दिया कि छात्रों को अपनी आंतरिक क्षमताओं को मजबूत करते हुए स्वयं और अपने परिवेश से जीना व सीखना चाहिए।

जीवन के प्रति दृष्टिकोण पर प्रकाश डालते हुए श्री मोदी ने कहा कि परीक्षा जीवन का अंत नहीं है और परिणामों के बारे में अधिक सोचना दैनिक जीवन का विषय नहीं होना चाहिए।

नई भाषाओं को सीखने के लाभ

प्रधानमंत्री ने भारत की सांस्कृतिक विविधता और समृद्ध विरासत के बारे में कहा कि यह बड़े गर्व की बात है कि भारत सैकड़ों भाषाओं और हजारों बोलियों का देश है। उन्होंने कहा कि नई भाषा सीखना एक नया संगीत वाद्ययंत्र सीखने के समान है। श्री मोदी ने कहा कि एक क्षेत्रीय भाषा सीखने का प्रयास करके आप न केवल भाषा की अभिव्यक्ति बनने के बारे में सीख रहे हैं, बल्कि क्षेत्र से जुड़े इतिहास और विरासत के द्वार भी खोल रहे हैं। प्रधानमंत्री ने कहा कि दैनिक दिनचर्या पर बोझ के बिना एक नई भाषा सीखने पर जोर देना चाहिए।

छात्रों को प्रेरित करने में शिक्षकों की भूमिका

प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने पूछे गए प्रश्नों के उत्तर में कहा कि शिक्षकों को लचीला होना चाहिए और विषय व पाठ्यक्रम के बारे में बहुत कठोर नहीं होना चाहिए। उन्होंने कहा कि शिक्षकों को छात्रों के साथ तालमेल स्थापित करना चाहिए। शिक्षकों को हमेशा छात्रों में जिज्ञासा को बढ़ावा देना चाहिए, क्योंकि यह उनकी बड़ी ताकत है।

श्री मोदी ने कहा कि मेरा मानना है कि हमें अनुशासन स्थापित करने के लिए शारीरिक दंड का रास्ता नहीं अपनाना चाहिए, हमें संवाद और तालमेल चुनना चाहिए।

छात्रों का व्यवहार

समाज में छात्रों के व्यवहार के बारे में प्रधानमंत्री ने कहा कि माता-पिता को समाज में छात्रों के व्यवहार के दायरे को सीमित नहीं करना चाहिए। उन्होंने कहा कि हमें बच्चों को विस्तार देने का अवसर देना चाहिए, उन्हें बंधनों में नहीं बांधना चाहिए। अपने बच्चों को समाज के विभिन्न वर्गों में जाने के लिए प्रेरित करना चाहिए। समाज में छात्र के विकास के लिए एक समग्र दृष्टिकोण होना चाहिए।