देश विकास पथ पर सतत् अग्रसर

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भूपेंद्र यादव

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में केंद्र सरकार के चार वर्ष पूरे हुए हैं। इस कार्यकाल में केंद्र सरकार ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में जहां देश की जनता एवं सरकार के मध्य प्रभावी संवाद स्थापित किया, वहीं सरकार के आर्थिक निर्णयों में साहस, गरीब कल्याण कार्यक्रमों के लक्ष्यों की सफलता, सामाजिक विषयों की जागरूकता ने देश के आम नागरिकों के मन में आत्मसम्मान एवं विश्वास का भाव बढ़ाया है। यही कारण है कि विगत चार वर्षों में जन सामान्य की राजनैतिक विषयों में सक्रियता बढ़ी है। देखा जाए तो उत्तर-पूर्व के चुनाव परिणामों से लेकर आम जन के मुद्दे देश की राजनीति की चर्चा के केंद्र बिंदु बने हैं। देश में आमजन की अपेक्षाओं में वृद्धि हुई है, वहीं युवा वर्ग में भारतीयता का भाव प्रभावी हुआ है। भाजपा का विभिन्न राज्यों में विस्तार इस जनभावना के सकारात्मक साथ होने को दर्शाता है।

सरकार के इन चार वर्षों के कार्यकाल को चार विषयों एवं उपलब्धियों में विभाजित करके देखा जा सकता है। पहला सुशासन का विषय देश की राजनीति का केंद्र बिंदु बना है। दूसरा सामाजिक विषयों पर सरकार एवं जनता का संवाद बढ़ा है। तीसरा समाज के हाशिये पर खड़े वर्गों का सशक्तिकरण हुआ है। चौथा विश्व में भारत की साख में वृद्धि हुई है।

किसी भी सरकार के सुशासन का पहला मानक होता है कि सरकार की योजनाओं को एक निश्चित कार्यावधि में पूरा किया जाए। केंद्र सरकार ने उज्ज्वला, उजाला, जन-धन , मुद्रा जैसी योजनाओं को एक निश्चित समय में पूरा किया है। सुशासन का दूसरा मानक है कि शासन की चुनौतियों का साहस के साथ सामना किया जाए और जनता के अधिकतम कल्याण के विषयों पर साहस भरे निर्णय लिए जाएं। केंद्र सरकार ने नोटबन्दी, जीएसटी, काले धन के खिलाफ कड़े कानून के माध्यम से इन पर सख्ती से करवाई की है। सुशासन का तीसरा मानक है कि जड़ता प्राप्त कर चुके कानूनों को समाप्त करके शासनतंत्र में प्रभावी कानूनों एवं नीतियों को लागू किया जाए। इसलिये आधार जैसे कानून के माध्यम से गरीब व्यक्तियों के हक को सुनिश्चित किया गया है। दिवालिया कानून जैसे कानून लाकर विश्व समुदाय में भारत की व्यापारिक साख को व्यवस्था के माध्यम से सुधारने का काम हुआ है।

यही कारण है कि आज विश्व व्यापार में भारत की रैंकिंग एक सौ तीस से छलांग लगाकर सौ वें स्थान पर पहुंची है। पहली बार भूषण स्टील का केस एक उदाहरण बना है, जहां बैंकों का पैसा, कर्मचारियों का वेतन और सरकार के पैसे दिवालिया कानून के माध्यम से वापस आये हैं। यह भी सच है कि केंद्र सरकार के सुशासन के हर कदम को हर विधानसभा चुनाव में विपक्षी दलों द्वारा मुद्दा बनाया गया है, परन्तु न तो जनता ने उनका समर्थन किया और न ही किसी कानून को लागू करने के बाद सरकार को पीछे मुड़कर देखना पड़ा। एक तरफ देश में विपक्ष द्वारा धर्म-जातिवाद, सम्प्रदायवाद, वंशवाद की राजनीति का सहारा लेकर बार-बार विभेद पैदा करके जनता को उकसाने का काम किया जा रहा है, परन्तु देश आज सुशासन की राजनीति को ही राजनैतिक दलों की शासन में आने की कसौटी मान रहा है। और इसलिए सुशासन को राजनीति का केंद्र बिंदु बनाना प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की पहली उपलब्धि है।

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में केंद्र सरकार ने जनता के साथ प्रशासनिक

स्तर के औपचारिक संबंध ही नहीं रखे हैं, बल्कि सामाजिक सरोकारों में एवं सामाजिक कुरीतियों से लड़ने में जन भागीदारी को भी बढ़ाया है। इसका सबसे बड़ा उदहारण सरकार के द्वारा शुरू किया गया स्वच्छता का कार्यक्रम है। स्वच्छता पर प्रधानमंत्री जी के आग्रह से आज देश के नागरिकों में सार्वजनिक स्थानों में सफाई का भाव बढ़ा है। यह एक ऐसा कार्यक्रम है, जिसके कारण स्वच्छता को लेकर देश की इच्छाशक्ति मजबूत हुई है। विगत चार वर्षों में योग दिवस जैसे कार्यक्रमों में जन भागीदारी में भारी वृद्धि हुई है। इसके अलावा डिजिटल पेमेंट के प्रति युवाओं की रुचि भी बढ़ी है। प्रधानमंत्री जी के द्वारा वैश्विक मंचों पर जिस प्रकार हिंदी का प्रयोग किया गया है, उससे देश के ग्रामीण युवाओं में भी अपनेपन और आत्मविश्वास के भाव की वृद्धि हुई है।

भारत में कामकाजी महिलाओं के लिए कार्यस्थलों पर सुरक्षा कानून, मेटरनिटी अवकाश को 12 सप्ताह से बढ़ाकर 26 सप्ताह किया गया। साथ ही, सैन्य बलों में महिलाओं की बढ़ती भूमिकाओं जैसे विषयों के साथ सामाजिक जीवन में महिलाओं के सक्रिय होने का माहौल बना है। सरकार ने अपनी भूमिका को विगत चार वर्षों में बढ़ा करके न केवल जनता से संवाद स्थापित किया है, बल्कि स्वास्थ्य, स्वच्छता, ग्राम विकास, महिला सुरक्षा जैसे विषयों पर जनता ने सरकार के साथ मिलकर कदम बढ़ाया है। मेरा अनुभव है कि ग्रामीण क्षेत्रों में ‘मन की बात’ के माध्यम से नौजवानों के करियर, किसानों की कृषि, ग्रामीण क्षेत्र के विकास और सामान्य व्यक्ति के जीवन स्तर में सुधार आदि विषयों पर बात होने से लोगों में राष्ट्र निर्माण के प्रति भागीदारी व सरोकार की भावना को और बल मिला है।
केंद्र सरकार की तीसरी महत्वपूर्ण उपलब्धि समाज के हाशिये पर खड़े लोगों का सशक्तिकरण करना है। उज्जवला योजना के तहत जहां गरीब के घरों में गैस सिलेंडर पहुंचाया गया है, वहीं शौचालय का निर्माण कराके एक बड़े वर्ग को सम्मानपूर्वक जीवन जीने का अवसर प्रदान किया है।

सरकार ने गरीबों के लिए अनेक कल्याणकारी कार्यक्रम चलाए हैं। पिछले 70 सालों के शासनकाल में कांग्रेस ने पिछड़े वर्ग को उनके अधिकारों से वंचित रखा। इस बार जब ओबीसी के संवैधानिक आयोग का विषय आया, तो कांग्रेस ने उसका विरोध किया। इससे कांग्रेस की कुटिल राजनीति उजागर होती है। लोकतंत्र की मजबूती ‘सबका साथ सबका विकास’ से ही संभव है। नरेन्द्र मोदी के नेतृत्त्व में सरकार ने सुशासन की उस धारणा को विकसित किया है, जिससे देश की अपेक्षाओं में वृद्धि हुई है।

विदेश नीति के मोर्चे पर देखें तो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में विश्व समुदाय में भारत की साख बढ़ी है। सत्ता में आते ही अपने शपथ-ग्रहण के कार्यक्रम प्रधानमंत्री मोदी ने सार्क देशों के प्रमुखों को आमंत्रित कर सबके साथ मधुर सम्बन्ध रखने की अपनी मंशा को स्पष्ट कर दिया था। साथ ही, एशिया में भारत के मजबूत नेतृत्व का सन्देश भी इसके द्वारा दिया गया था। अब यह सन्देश एशिया से निकलकर विश्व भर में प्रसारित हो रहा है और विभिन्न वैश्विक मंचों पर यह स्पष्ट हुआ है कि प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में भारत एक मजबूत देश के रूप में उभर रहा है।

इसी वर्ष जनवरी में दावोस के मंच से विश्व के तमाम बड़े देशों के राष्ट्राध्यक्षों की उपस्थिति में प्रधानमंत्री मोदी का उद्घाटन भाषण देना विश्व समुदाय में भारत के वर्तमान नेतृत्व की स्वीकार्यता को दर्शाता है। इस भाषण में जलवायु परिवर्तन जैसी वैश्विक समस्या पर प्रधानमंत्री मोदी जो स्पष्ट दृष्टिकोण उभरकर सामने आया, उसने विश्व समुदाय के समक्ष यह सिद्ध कर दिया कि अब किसी भी बड़े वैश्विक मसले पर भारत नेतृत्व करने में सक्षम हो चुका है। दूसरी चीज कि इस वक्त भारत के विश्व के सभी देशों से मधुर सम्बन्ध हैं। एशिया की बात करें तो गणतंत्र दिवस पर आसियान देशों के प्रमुखों को आमंत्रित करके प्रधानमंत्री ने स्पष्ट किया कि एशिया में भारत ही बड़ा भाई है, तो वहीं ब्रिक्स सम्मेलन के जरिये वैश्विक प्रभाव का सन्देश दिया गया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भारतीय विदेश नीति ने सफलता के नवीन आयाम स्थापित किए हैं और मोदी विश्व पटल पर एक प्रभावी नेता के रूप में उभरे हैं।

कुल मिलाकर स्पष्ट है कि लोक-कल्याण का विषय हो या राष्ट्रीय सुरक्षा का अथवा राष्ट्रीय गौरव का, सभी मामलों में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में देश विकास पथ पर सतत् अग्रसर है।

(लेखक भाजपा राष्ट्रीय महासचिव व सांसद हैं)