सुशासन के लिए प्रणाली तैयार करना

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मोदी स्टोरी                                                                              — चंद्रेश कोटक

श्रीनरेन्द्र मोदी को उनके उत्कृष्ट संगठनात्मक कौशल के लिए पहचाना जाता है। एक संगठनकर्ता के रूप में वह लगातार दक्षता और उत्कृष्टता को प्राथमिकता देते रहे, जो सुशासन के मूलभूत सिद्धांत हैं। सुशासन को लागू करने के लिए वह प्रणाली का निर्माण करते हैं और मूल्यों को स्थापित करते रहे हैं, इतना ही नहीं, जब वह गुजरात के मुख्यमंत्री थे, तो उनके कार्यालय को आईएसओ प्रमाणन प्राप्त हुआ था।

समय के साथ उन्होंने प्रशासन को संभालने के लिए अपने संगठनात्मक कौशल का इस्तेमाल किया। जवाबदेही की कमी, लालफीताशाही, ख़राब समन्वय, ओवरलैपिंग कार्यप्रणाली और लेन-देन संबंधी मानसिकताएं कुछ आम समस्याएं हैं जो प्रशासन को परेशान करती हैं। उन्होंने इन मुद्दों के समाधान के लिए पहल की। ऐसी ही एक पहल 2003 में शुरू की गई स्वागत प्रणाली (प्रौद्योगिकी के अनुप्रयोग द्वारा शिकायतों पर राज्यव्यापी ध्यान) है।

श्री नरेन्द्र मोदी को उनके उत्कृष्ट संगठनात्मक कौशल के लिए पहचाना जाता है। एक संगठनकर्ता के रूप में वह लगातार दक्षता और उत्कृष्टता को प्राथमिकता देते रहे, जो सुशासन के मूलभूत सिद्धांत हैं। सुशासन को लागू करने के लिए वह प्रणाली का निर्माण करते है और मूल्यों को स्थापित करते रहे हैं

यह एक अभिनव अवधारणा है जो नागरिकों और मुख्यमंत्री एवं नागरिकों और सरकार के अन्य पदाधिकारियों के बीच सीधे संवाद को कायम करती है। इस प्रणाली के तहत प्रशासन का सर्वोच्च कार्यालय आम आदमी की शिकायतों पर भी ध्यान देता है। उदाहरण के लिए, हर महीने के चौथे गुरुवार को ठीक तीन बजे मुख्यमंत्री श्री मोदी राज्य के अधिकारियों और पीड़ित आवेदकों के साथ ऑनलाइन होते थे। इस प्रकार, पारदर्शिता और जवाबदेही बढ़ाने के लिए एक प्रणाली की शुरुआत हुई।

उस समय के स्वागत प्रणाली के प्रभारी श्री चंद्रेश कोटक शिकायत निवारण का एक मामला याद करते हैं: “एक आवेदक ने शिकायत की थी कि वह किसी काम के लिए एक अधिकारी के पास गया था और बदले में उससे एक लाख रुपये की रिश्वत मांगी गई थी। मुख्यमंत्री ने उनसे अधिकारी की पहचान करने को कहा और आवेदक का काम तुरंत करने का निर्देश दिया। श्री मोदी ने बातचीत को चतुराई से संभाला, ताकि गलती करने वाले अधिकारी को अपने वरिष्ठों की उपस्थिति में शर्मिंदा न होना पड़े। दिन के अंत तक, अधिकारी के हाथ में स्थानांतरण पत्र सौंप दिया गया था, जैसाकि सीधे मुख्यमंत्री ने निर्देश दिया था।

एक संगठनकर्ता के रूप में श्री मोदी प्रणालियों और औपचारिक प्रक्रियाओं के महत्व को जानते हैं। पारदर्शिता में निरंतरता बनाए रखने के लिए ऐसी ही एक प्रणाली आईडब्ल्यूडीएमएस (इंटीग्रेटेड वर्कफ्लो और दस्तावेज़ प्रबंधन प्रणाली) है। यह प्रणाली 2005 में श्री नरेन्द्र मोदी द्वारा गुजरात में बनाई गई थी। इसके तहत, लक्षित और कुशल अनुवर्ती कार्रवाई के लिए फाइल प्रबंधन की प्रणाली को डिजिटल बनाया गया। सटीकता के लिए, सिस्टम एकीकृत तरीके से वर्कफ्लो प्रबंधन, सहयोगात्मक वातावरण और ज्ञान प्रबंधन प्रदान करता है। लंबित मामलों की समीक्षा और समाधान के लिए कैबिनेट के लिए एक अलग दिन रखा गया था। यह लगातार ई-गवर्नेंस का एक शानदार उदाहरण साबित हुआ है।