विमुद्रीकरण और जीएसटी का मंदी प्रभाव कमोबेश समाप्त : अरुण जेटली

| Published on:

वित्त एवं कारपोरेट मामलों के मंत्री श्री अरुण जेटली ने 13 अक्टूबर को अमेरिका में फिक्की द्वारा आयोजित ‘इंडिया अपॉरचुनिटी’ पर चर्चा-सम्मेलन में हिस्सा लिया। श्री जेटली ने भारत में चलने वाले महत्वपूर्ण सुधारों पर बोलते हुए कहा कि इन सुधारों से संरचना परिसंपत्तियों में अनेक अवसर पैदा हुए हैं। उन्होंने कहा कि भारत सरकार द्वारा क्रियान्वित ढांचागत सुधारों के आधार पर भारतीय अर्थव्यवस्था मजबूत, सतत और संतुलित विकास की ओर उन्मुख है। इसके अलावा ऐसे प्रमाण भी मिल रहे हैं कि विमुद्रीकरण और जीएसटी के मंदी प्रभाव कमोबेश समाप्ति की ओर अग्रसर हैं। भारत सरकार द्वारा उठाए जाने वाले सुधारात्मक कदमों के कारण भारतीय अर्थव्यवस्था की विकास गति तेज हो चुकी है। श्री जेटली ने कहा कि 2015-16 की तुलना में 2016-17 के दौरान सीधा विदेशी निवेश बढ़ गया है, जिससे पता चलता है कि भारतीय अर्थव्यवस्था में दुनिया का भरोसा बढ़ रहा है।

जी-20 को विश्व अर्थव्यवस्था की चुनौतियों का सामना करने के लिए प्रयास करना होगा

वित्त एवं कारपोरेट मामलो के मंत्री श्री अरुण जेटली ने 13 अक्टूबर को वॉशिंगटन डीसी में आयोजित जी-20 वित्त मंत्रियों और सेंट्रल बैंक गवर्नरों की बैठक में हिस्सा लिया। बैठक के दौरान विश्व अर्थव्यवस्था और विकास रूप-रेखा, अफ्रीका के साथ संबद्धता और अंतर्राष्ट्रीय वित्तीय संरचना पर चर्चा की गई।
जी-20 रूपरेखा कार्य समूह (एफडब्ल्यूजी) के सह-अध्यक्ष के रूप में भारत ने ‘विश्व अर्थव्यवस्था और विकास रूप-रेखा’ पर दूसरे दौर के सत्र के दौरान प्रमुख हस्तक्षेप किया था। इस दौर में ‘मजबूत, टिकाऊ और संतुलित विकास’ (एसएसबीजी) पर आईएमएफ जी-20 रिपोर्ट पर चर्चा की गई। वित्त मंत्री श्री जेटली ने कहा कि यह रिपोर्ट विश्व अर्थव्यवस्था के सामने मौजूद चुनौतियों को समझने और उनके लिए जी-20 की कारगर प्रतिक्रिया तैयार करने के लिए उपयोगी सामग्री प्रदान करती है। वित्त मंत्री महोदय ने कहा कि सदस्य देशों की घरेलू नीतिगत गतिविधियों के वैश्विक प्रभावों को समझना बहुत आवश्यक है। इसके संबंध में खासतौर से कारोबारी और वित्तीय नियमों को ध्यान में रखना होगा।

उन्होंने सुझाव दिया कि आईएमएफ एसएसबीजी रिपोर्ट को संभावित विश्लेषक उपायों की परख के लिए इस्तेमाल किया जाना चाहिए, ताकि उनके द्वारा नीति प्रभावों को समझा जा सके। उन्होंने कहा कि इसे संभव बनाने के लिए सदस्यों को विस्तृत जानकारी उपलब्ध कराई जानी चाहिए। हर देश की नीति को स्पष्ट रूप से पेश किया जाए और प्रमुख चुनौतियों के संबंध में उपयुक्त कार्रवाई को आपस में साझा किया जाए। ऐसा करने से चुनौतियों को बेहतर तरीके से समझने में सहायता होगी, जो सभी सदस्यों के लिए लाभप्रद है।

अफ्रीका के साथ संबद्धता पर जी-20 सत्र के दौरान विभिन्न विषयों तथा अफ्रीका सलाहकार समूह के कार्यों की प्रगति का जायजा लिया गया। अंतर्राष्ट्रीय वित्तीय संरचना सत्र में पूंजी प्रवाह की निगरानी, विश्व वित्तीय सुरक्षा तंत्र को मजबूत बनाने और संरचना निवेश के लिए वित्त पोषण के संबंध में एमडीबी की क्षमता बढ़ाने जैसे मुद्दों पर चर्चा की गई।

समूची वैश्विक वित्तीय प्रणाली को साइबर से खतरा

केंद्रीय वित्त मंत्री श्री अरुण जेटली ने 15 अक्टूबर को वाशिंगटन डीसी में आईएमएफसी के प्रतिबद्ध ब्रेकफास्ट सत्र में भाग लिया। परिचर्चा सत्रों के दौरान नीतिगत चुनौतियों से जुड़ी वार्ता पर फोकस किया गया। इस वर्ष और अगले वर्ष वैश्विक आर्थिक आउटलुक के आश्वासनपूर्ण रहने के आसार को ध्यान में रखने के साथ-साथ श्री जेटली ने मध्यम अवधि में सावधानी बरतने की सलाह को भी ध्यान में रखा। उन्होंने पूर्व चेतावनी के तहत साइबर सुरक्षा पर ध्यान केंद्रित किए जाने की सराहना की और इस बात पर विशेष जोर दिया कि समूची वैश्विक वित्तीय प्रणाली को इससे खतरा है क्योंकि यह आपस में काफी अधिक जुड़ गई है।

इस संबंध में वित्त मंत्री ने तीन नीतिगत चुनौतियों पर प्रकाश डाला। पहली चुनौती यह है कि सामान्य मौद्रिक स्थिति बहाल करने के लिए अमेरिकी फेडरल रिजर्व द्वारा उठाए जा रहे साहसिक कदमों से उभरते बाजारों और विकासशील अर्थव्यवस्थाओं (ईएमडीई) के समक्ष जोखिम उत्पन्न हो गए हैं। दूसरी चुनौती निवेश में वैश्विक सुस्ती और तीसरी चुनौती रोजगार को लेकर है। वित्त मंत्री ने कहा कि सरकार की सबसे महत्वपूर्ण प्राथमिकता हर साल श्रम बल में शामिल होने वाले 12 मिलियन युवाओं को रोजगार देने के तरीके ढूंढ़ना है।